बल्ब का आविष्कार किसने किया और कब? प्राचीन वैज्ञानिकों से कुछ ऐसी अद्भुत चीजों के बारे में हमें जानकारी प्राप्त होती है जिसके माध्यम से आज हमारा जीवन बेहतरीन और सुविधाजनक जीवन की ओर अग्रसर हो चुका है। सामान्य रूप से हमारे चारों तरफ कुछ ऐसी मशीनें हैं जिनके बिना आज हमारा जीवन बिल्कुल अधूरा जान पड़ता है।
ऐसे में अगर हम वैज्ञानिकों की खोज का सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं, तो आने वाला समय और भी ज्यादा सुरक्षित हो सकता है। जैसा कि हम सभी को पता है पिछले कुछ वर्षों में कई प्रकार का उत्पादन किया गया है जिसके माध्यम से हमारा जीवन आसान होता है।
ऐसे में आज हम आपको बल्ब के बारे में विशेष जानकारी देंगे ताकि आपको भी इनके संबंधित तथ्यों का पता चल सके। तो चलिए देखते हैं की आख़िर बल्ब क्या होता है? और बल्ब का आविष्कार किसने किया और कब?
अनुक्रम
- 1 बल्ब क्या होता है?
- 2 बल्ब का आविष्कार किसने किया?
- 3 बल्ब की संरचना
- 4 बल्ब के मुख्य प्रकार
- 5 बल्ब के भीतर अक्रिय गैस भरने का कारण
- 6 बल्ब के फिलामेंट के अंदर कांच की उपलब्धि
- 7 बल्ब की विशेषताएं
- 8 बल्ब का उपयोग
- 9 बल्ब में आने वाले बदलाव
- 10 कुछ वैज्ञानिकों ने भी की थी कोशिश
- 11 ज्यादातर बल्ब का होता है उपयोग
- 12 विद्यार्थियों के लिए आवश्यक माना जाता है टेबल लैंप का बल्ब
बल्ब क्या होता है?
दरअसल बल्ब एक कांच का बना हुआ गोला होता है जिसमें कुछ गैस भरी हुई होती है। जब हमारे आसपास घना अंधेरा होता है बस उसी समय हम बल्ब का उपयोग करते हैं। इस बल्ब में बिजली के प्रभाव से रोशनी उत्पन्न होती है और जिसका उपयोग हम अंधेरे को दूर करने में भी करते हैं। आज के समय में हम सभी बल्ब का बहुतायत से इस्तेमाल करते हैं और सामान्य रूप से हमारे लिए इनका इस्तेमाल करना कहीं आसान हो जाता है।
बल्ब का आविष्कार किसने किया?
बल्ब का आविष्कार 1879 में एक महान वैज्ञानिक थॉमस एलवा एडिसन ने किया था। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने कई बार असफलता के बाद ही बल्ब का आविष्कार किया था।
बल्ब के अविष्कार की वजह से ही लोग उन्हें पागल कहा करते थे क्योंकि वे अपने काम में इतना डूब जाते थे कि उन्हें याद नहीं रहता था कि दिन है या रात? ऐसे में उन्होंने बल्ब के अविष्कार के लिए कड़ी मेहनत की है जिसका हम आज ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा उन्होंने ग्रामोफोन, कारबन टेलीफोन, ट्रांसमीटर, मोशन पिक्चर कैमरा का भी अविष्कार किया है।
बल्ब की संरचना
बल्ब की संरचना बहुत ही सरल तरीके से होती है जो कांच का बना होता है। कांच के अंदर मुख्य रूप से ऑर्गन और नाइट्रोजन जैसी गैस होती है जो कुछ सीमित मात्रा में ही उसके अंदर डाली जाती है। इसके अतिरिक्त बल्ब के अंदर टंगस्टन धातु का इस्तेमाल किया जाता है और इसका इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि इस का गलनांक लगभग 3500 डिग्री सेंटीग्रेड होता है।
इसके अलावा बल्ब के अंदर लगने वाले टंगस्टन धातु में जब धारा प्रवाहित होती है, तो उस समय लगभग उसका ताप 1500 से लेकर 2500 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है और इसकी वजह से ही बल्ब के अंदर प्रकाश आ जाता है। जिसे ज्यादातर ऊर्जा के रूप में रूपांतरित कर दिया जाता है।
हमें मार्केट में अलग-अलग आकार और संरचना वाले बल्ब नजर आते हैं, जो सामान्य रूप से इस्तेमाल किए जाते हैं जिनमें गोल आकृति, लंबी आकृति और कुंडली आकृति होती है। आप अपनी सुविधा के अनुसार बल्ब लेकर उसका इस्तेमाल कर सकते हैं जो काफी लंबे समय तक चलते हैं और आपको कोई दिक्कत नहीं होती है।
बल्ब के मुख्य प्रकार
आज हम आपको बल्ब के मुख्य प्रकार के बारे में बताने वाले हैं
- एलईडी बल्ब – आज के समय में घरों में इनका सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं और ऐसा माना जाता है कि इनका उपयोग कर लेने से बिजली की बचत की जा सकती है। इसके अलावा एलइडी बल्ब वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का आसानी के साथ उत्सर्जन करते हैं और इनमें मुख्य रूप से टंगस्टन पाया जाता है।
- हैलोजन बल्ब— यह बल्ब मुख्य रूप से तभी इस्तेमाल किए जाते हैं जब ज्यादा प्रकाश की आवश्यकता होती है। जब हम स्विच ऑन करते हैं, तो यह बल्ब फौरन शुरू हो जाते हैं। इन बल्बों में मुख्य रूप से गर्मी का उत्सर्जन होता है जिसके माध्यम से ऊर्जा का नुकसान होता है जिस पर हमें ध्यान रखना होगा।
- Flucops बल्ब — सामान्य रूप से इसका इस्तेमाल कम किया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है इनका इस्तेमाल करने से बिजली की खपत ज्यादा होती है और ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं हो पाता है।
बल्ब के भीतर अक्रिय गैस भरने का कारण
सामान्य रूप से देखा जाता है कि बल्ब के अंदर अक्रिय गैस भरी जाती है, जिसमें मुख्य रुप से ऑर्गन, नाइट्रोजन होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि जब भी हम बल्ब की तरफ जाते हैं, तो वहां पर उच्च ताप में टंगस्टन धातु का वाष्पीकरण बड़े ही आसानी के साथ होता है और बल्ब में यही धातु पिघल कर चिपक जाती है। ऐसी प्रक्रिया के बाद ही बल्ब 220 वोल्ट पर जलने लगते हैं और हमें प्रकाश प्राप्त होता है।
बल्ब के फिलामेंट के अंदर कांच की उपलब्धि
सामान्य रूप से देखा जाता है कि बल्ब का जो फिलामेंट होता है उसमें पौधे के जैसे रेशे में पाए जाते हैं, जिसमे वायुमंडल की वायु के द्वारा बहुत नुकसान होता है और इसी वजह से ही उसे कांच के अंदर रखा जाता है। अगर उस फिलामेंट के साथ में मरकरी को रख दिया जाए तो इसके माध्यम से आसानी से ही बल्ब जल पाता है। ऐसे में निश्चित रूप से ही हम बल्ब के अंदर फिलामेंट की उपलब्धि देखते हैं, जो बल्ब के लिए कारगर सिद्ध होता है।
बल्ब की विशेषताएं
आज तक हमने कई प्रकार के बल्ब का उपयोग किया है लेकिन इनकी विशेषताओं के बारे में हमें सही जानकारी नहीं होती है।
- बल्ब मुख्य रूप से 1.5 volt से लेकर लगभग 300 वोल्ट के आसानी से मिल जाते हैं।
- बल्ब का निर्माण किया जाता है तो इसके निर्माण में लगने वाला खर्च बहुत कम होता है जो आसानी से बनाया जाता है।
- यह बल्ब मुख्य रूप से एसी और डीसी दोनों प्रकार की विद्युत धारा में काम करते हैं और यही वजह है कि ज्यादातर घरों मैं इस प्रकार के बल्ब का इस्तेमाल किया जाता है।
- इसकी प्रकाशित क्षमता कम मापी गई है जिस वजह से इसका इस्तेमाल आज के समय में थोड़ा कम हो गया है।
बल्ब का उपयोग
सामान्य रूप से हम बल्ब का उपयोग कई प्रकार से करते हैं जिनमें मुख्य रुप से हम उनके उपयोग के बारे में जानकारी दे रहे हैं। बल्ब का मुख्य उपयोग घर, स्कूल और दुकानों में रोशनी के लिए किया जाता है। साथ ही साथ इनका उपयोग ऐसी जगह भी किया जाता है जहां पर बहुत ज्यादा अंधेरा हो और दूर तक प्रकाश चाहिए हो।
बल्ब में आने वाले बदलाव
अगर हम प्राचीन समय से लेकर अब तक की बात करें तो देखेंगे कि बल्ब में निश्चित रूप से कई प्रकार के बदलाव आ रहे हैं और इस वजह से ही हमें कई आकार प्रकार के बल्ब भी दिखाई देते हैं। आज के समय में बल्ब की जगह एलईडी लाइट का इस्तेमाल किया जाता है जिसका इस्तेमाल करना आसान माना जाता है। पहले टंगस्टन धातु की जगह किसी और धातु का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन आज के समय में टंगस्टन धातु का ही बहुतायत से उपयोग किया जाता है।
कुछ वैज्ञानिकों ने भी की थी कोशिश
प्राचीन समय से ही अंधेरे का सामना किया जाता रहा है, ऐसे में जब नई नई खोजों के बारे में जानकारी हासिल की जा रही थी उस समय कई वैज्ञानिकों ने भी कोशिश की थी कि वे कुछ ऐसे निर्माण कर सकें ताकि जनमानस को इस अंधेरे से मुक्ति मिल सके। धीरे धीरे अथक प्रयास के माध्यम से वैज्ञानिकों का दृष्टिकोण परिवर्तन हुआ और उन्होंने विभिन्न तरीकों को आजमाते हुए एक नए रास्ते की तलाश की जिसके अंतर्गत थॉमस एडिसन एलवा ने इस महत्वपूर्ण खोज को अंजाम दिया।
ज्यादातर बल्ब का होता है उपयोग
आज के समय में कई प्रकार के लाइट का इस्तेमाल किया जाता है, जहां पर ज्यादातर आपने गौर किया होगा कि बल्ब का ही इस्तेमाल किया जाता है और इससे सुरक्षा प्राप्त की जाती है। आज भी गांव और कस्बों में बल्ब का ही इस्तेमाल बहुतायत से होता है क्योंकि बल्ब के इस्तेमाल से बिजली की खपत ज्यादा नहीं होती और आसानी के साथ काम हो जाता है। ऐसे में अगर आप एलईडी बल्ब का इस्तेमाल करें तो उसमें पहले से कहीं ज्यादा बिजली की खपत को रोका जा सकता है और आर्थिक हानि भी नहीं हो पाती है।
विद्यार्थियों के लिए आवश्यक माना जाता है टेबल लैंप का बल्ब
कई बार हमने देखा है कि विद्यार्थी जो देर रात तक पढ़ाई करते हैं और जिन्हें अपने भविष्य में कुछ अच्छा करना होता है उनको हमेशा टेबल लैंप का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है क्योंकि लैंप के बल्ब में टंगस्टन होता है जिसके माध्यम से आंखों को कम नुकसान होता है। ऐसे में देर रात पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए बल्ब फायदेमंद होता है और इससे किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है।
ऐसे में आज हमने आपको मुख्य रूप से बल्ब के बारे में जानकारी दी है जिसका हम आज के समय में उपयोग करते आए हैं और इसके बदलते रूप को भी अपनाते हुए आए हैं। प्राचीन समय से लेकर अब तक अगर देखा जाए तो बल्ब के विकास में कई प्रकार के महत्वपूर्ण कदम सामने आए हैं जिनके रहते हुए हम बल्ब का उपयोग बेहतरी से कर पाए हैं। उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह लेख बल्ब का आविष्कार किसने किया और कब? पसंद आएगा। इसे पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
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