C Language क्या है और कैसे सीखें? (C Language in Hindi)

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आप इस बात से भली-भांति परिचित है कि अलग-अलग कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का निर्माण करने के लिए अथवा मोबाइल एप्लीकेशन को बनाने के लिए प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के तौर पर अधिकतर लोगों को जावा और पीएचपी लैंग्वेज के बारे में ही पता होता है। आज हम C Language क्या है और कैसे सीखें? के बारे में जानिंगे।

C Language क्या है और कैसे सीखें? (C Language in Hindi)

क्या आप जानते हैं कि, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के तौर पर सी लैंग्वेज का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। इसे दूसरी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का आधार भी माना जाता है।


आइए आज के इस आर्टिकल में जानकारी प्राप्त करते हैं कि आखिर “C Language क्या है” और “सी लैंग्वेज का इतिहास क्या है” तथा “सी लैंग्वेज काम कैसे करती है?

अनुक्रम

C Language क्या है?

सी लैंग्वेज को कंप्यूटर की जनरल परपज लैंग्वेज कहा जाता है। बता दें कि इस लैंग्वेज का इस्तेमाल अलग-अलग प्रकार के सॉफ्टवेयर का निर्माण करने के लिए किया जाता है। सिर्फ सॉफ्टवेयर ही नहीं बल्कि एप्लीकेशन का डेवलपमेंट करने के लिए भी एप्लीकेशन डेवलपर या फिर सॉफ्टवेयर डेवलपर के द्वारा सी लैंग्वेज को यूज में लिया जाता है।


सी लैंग्वेज को सीखना बहुत ही आसान है। आपके आस पास अगर कोई कोचिंग इंस्टिट्यूट मौजूद है तो आप आसानी से वहां से सी लैंग्वेज सीख सकते हैं। Dennis Ritchie को सी लैंग्वेज खोजने वाले व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है। इनके द्वारा यूनिक्स नाम का ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया गया था और अपने यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में ही इनके द्वारा सी लैंग्वेज का इस्तेमाल किया गया था।

आपको हम यह भी बता देना चाहते हैं कि सी प्रोग्रामिंग की सहायता से आसानी से लो लेवल प्रोग्रामिंग तो करी ही जा सकती है, इसके अलावा हाई लेवल की प्रोग्रामिंग को भी किया जा सकता है।

यही वजह है कि कई कई जगह पर सी लैंग्वेज को मिड लेवल प्रोग्रामिंग के तहत भी उल्लेख किया गया है। इसके अंदर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के जो सामान्य फिचर होते हैं, जैसे कि डाटा टाइप, फंक्शन, प्वाइंटर, वेरिएबल, लुप इत्यादि को कवर किया जाता है। इसलिए सी लैंग्वेज को मदर लैंग्वेज भी कहा जाता है।


C Language का इतिहास (History of C Language in Hindi)

साल 1972 के आसपास में बैल लेबोरेटरी के अंदर सी लैंग्वेज का निर्माण Dennis Ritchie के द्वारा किया गया था। बेल लैबोरेट्री की मालिक अमेरिकन टेलिफोन एंड टेलीग्राफ कंपनी थी। जब सी लैंग्वेज का निर्माण किया जा रहा था, तब उस समय इसके निर्माणकर्ता के मन में यह था कि वह इसका इस्तेमाल Unix Operating System को डिजाइन करने के लिए करेंगे।

बता दें कि सी लैंग्वेज के आने के पहले ऑपरेटिंग सिस्टम को लिखने के लिए बीपीसीएल और बी जैसे लैंग्वेज को यूज में लिया जाता था। आपको हम यह भी बता दें कि उपरोक्त दोनों ही लैंग्वेज के अंदर जो प्रॉब्लम आती थी, उन प्रॉब्लम को दूर करने के लिए ही सी लैंग्वेज को बनाया गया था। इसलिए सी लैंग्वेज को उपरोक्त दोनों लैंग्वेज का मिलाजुला स्वरूप कहा जाता है।

सी लैंग्वेज को तब और भी ज्यादा प्रसिद्धी प्राप्त हो गई, जब डेनिस रिची और Brian Kernighan के द्वारा The C Programming Language किताब को लिखा गया और इस किताब के अंदर विस्तार से सी लैंग्वेज के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की गई। जैसे-जैसे इस किताब की बिक्री होती गई, वैसे वैसे लोगों को सी लैंग्वेज के बारे में पता चलने लगा।


C Language का उपयोग

जनरल परपज लैंग्वेज होने की वजह से अलग-अलग चीजों के लिए सी लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके बारे में अवश्य ही आपको जानकारी होनी चाहिए। आइए जानते हैं कि, आखिर सी लैंग्वेज का इस्तेमाल क्या होता है और कौन सी चीजों के लिए सी लैंग्वेज को यूज में लिया जाता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम में यूज होता है

ऑपरेटिंग सिस्टम लगभग अधिकार इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में होता है। आपके हाथ में यह जो स्मार्टफोन है, इसमें भी कोई ना कोई ऑपरेटिंग सिस्टम है अथवा आपके घर में जो कंप्यूटर मौजूद है, उसमें भी कोई ना कोई ऑपरेटिंग सिस्टम होता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम ही वह चीज होती है, जिसकी वजह से आपके मोबाइल में कोई भी एप्लीकेशन चलती है या फिर कंप्यूटर में कोई भी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल होता है या फिर चलता है। बड़े पैमाने पर ऑपरेटिंग सिस्टम का निर्माण करने के लिए सी लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। विंडोज, लिनक्स, यूनिक्स जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम में भी सी लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है।


नेटवर्क डिवाइस में होता है इस्तेमाल

जितने भी नेटवर्क डिवाइस होते हैं, उसमें एक सॉफ्टवेयर अवेलेबल होता है। इसी सॉफ्टवेयर की उपलब्धि की वजह से डिवाइस में जो नेटवर्क चलता है, उसे मैनेज किया जाता है। इस प्रकार से अलग-अलग प्रकार के नेटवर्क डिवाइस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर को क्रिएट करने के लिए भी c-programming का इस्तेमाल किया जाता है।

कंपाइलर में इस्तेमाल होता है।

कंपाइलर को आप ट्रांसलेटर प्रोग्राम भी समझ सकते हैं। यही वह प्रोग्राम है जो कंप्यूटर में हाई लेवल लैंग्वेज के अंदर जो प्रोग्राम लिखे गए हैं, उसे कंप्यूटर की लैंग्वेज में अर्थात बायनरी लैंग्वेज में कन्वर्ट कर देता है।

दरअसल कंपाइलर के द्वारा सर्वप्रथम पूरे प्रोग्राम को स्कैनिंग करने का काम किया जाता है। यह एक साथ ही पूरे प्रोग्राम को स्कैन कर लेता है और स्कैनिंग की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद एक साथ उसके बाद सभी प्रोग्राम को मशीन लैंग्वेज में कन्वर्ट कर देता है। इस प्रकार से सी लैंग्वेज के द्वारा कंपाइलर को भी बनाया जाता है।

डाटाबेस सॉफ्टवेयर में इस्तेमाल होता है

डाटा मैनेजमेंट को बहुत ही सरल और आसान बनाने के लिए डाटाबेस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। अलग-अलग प्रकार के डाटाबेस सॉफ्टवेयर का निर्माण करने के लिए भी सॉफ्टवेयर डेवलपर के द्वारा सी लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि की माई एसक्यूएल डाटाबेस सॉफ्टवेयर बनाने के लिए भी सी लैंग्वेज को इस्तेमाल में लिया जाता है।

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का निर्माण करते हैं

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को क्रिएट करने के लिए भी सी लैंग्वेज को इस्तेमाल में लेते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता देना चाहते हैं कि किसी स्पेशल काम को पूरा करने के लिए एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को बना करके तैयार किया जाता है। इस प्रकार के सॉफ्टवेयर के द्वारा यूजर आसानी से अपने कामों को पूरा कर लेता है।

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को आवश्यकता पड़ने पर यूजर के द्वारा इनस्टॉल किया जा सकता है और काम पूरा हो जाने के बाद यूज़र इसे बाहर निकाल सकता है अर्थात अपने डिवाइस से अनइनस्टॉल भी कर सकता है। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को एंड यूजर प्रोग्राम भी कहा जाता है। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने में काफी आसान होते हैं।

सिस्टम सॉफ्टवेयर में इस्तेमाल होता है

कंप्यूटर के जो हार्डवेयर और एप्लीकेशन प्रोग्राम होते हैं उन्हें रन करने के लिए सिस्टम सॉफ्टवेयर नाम के कंप्यूटर प्रोग्राम को तैयार किया जाता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर के अंदर भी सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है।

एक प्रकार से हम यह भी कह सकते हैं कि हार्डवेयर में जान फूंकने का काम सिस्टम सॉफ्टवेयर के द्वारा ही किया जाता है। अगर किसी कंप्यूटर में सिस्टम सॉफ्टवेयर अनुउपलब्ध है तो ऐसी अवस्था में कंप्यूटर को सिर्फ एक बिना जान की मशीन ही माना जाएगा।

C Language की विशेषताएं?

सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की विशेषताएं निम्नानुसार है।

  • पोर्टेबल होने की वजह से सी प्रोग्राम को आसानी से किसी भी कंपाइलर पर रन कर सकते हैं।
  • फंक्शन का इस्तेमाल करके आसानी से सी प्रोग्राम को अलग-अलग भाग में तोड़ा जा सकता है। इसीलिए इस लैंग्वेज को स्ट्रक्चर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी कहते हैं। यही वजह है कि सी लैंग्वेज को समझना आसान होता है और इसमें एडिटिंग करना भी बहुत ही सरल होता है।
  • इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कीवर्ड की संख्या ज्यादा नहीं होती है। सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के स्टैंडर्ड वर्जन में देखा जाए तो 32 कीवर्ड अवेलेबल होते हैं। यही वजह है कि कम कीवर्ड उपलब्ध होने की वजह से इन्हें याद रखना बहुत ही सरल होता है।
  • सी लैंग्वेज बहुत ही सरल होती है और यह दुनिया भर में पॉपुलर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। इसके अलावा इसे पावरफुल लैंग्वेज भी कहा जाता है। पावरफुल लैंग्वेज इसलिए कहा जाता है, क्योंकि सी लैंग्वेज अलग-अलग प्रकार का डाटा टाइप प्रदान करती है। इसके अलावा अलग-अलग प्रकार के फंक्शन भी देने का काम करती है।
  • असेंबली लैंग्वेज के विपरीत सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को अलग-अलग मशीन पर आसानी से ईवैल्युएट कर सकते हैं।
  • लो लेवल प्रोग्रामिंग और हाई लेवल प्रोग्रामिंग में इस्तेमाल किए जाने की वजह से सी लैंग्वेज को मिड लेवल लैंग्वेज भी कहा जाता है।
  • फ्लैक्सिबल होने की वजह से सी लैंग्वेज एंबेडेड सिस्टम प्रोग्रामिंग के लिए बहुत ही पॉपुलर मानी जाती है।
  • फर्स्ट लैंग्वेज होने की वजह से सी लैंग्वेज का कंपीलेशन और एग्जीक्यूशन करना बहुत ही फास्ट होता है।
  • इसमें प्वाइंटर की सुविधा भी हमें मिल जाती थी। इसी वजह से प्वाइंटर का इस्तेमाल करके आसानी से मेमोरी के साथ इंटरेक्ट किया जा सकता है।

इस प्रकार से आपने अब यह जान लिया होगा कि सी लैंग्वेज की विशेषताएं क्या होती है।

C Language लोकप्रिय क्यों है?

सॉफ्टवेयर डेवलपर अथवा एप्लीकेशन डेवलपर के बीच और साथ ही सामान्य लोगों के बीच सी लैंग्वेज इसीलिए लोकप्रिय है, क्योंकि इसे सीखना बहुत ही आसान है। इसके अलावा अलग-अलग कंप्यूटर प्लेटफार्म पर इसका इस्तेमाल करना बहुत ही सरल होता है।

इसके अलावा इस लैंग्वेज की शानदार बात यह है कि इसे लो लेवल और हाई लेवल प्रोग्रामिंग के लिए भी यूज में लिया जा सकता है। इस लैंग्वेज को सदाबहार लैंग्वेज भी कहा जाता है और पिछले कुछ सालों में अधिकतर जो सिस्टम डिवेलप किए गए हैं, उनमें बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल भी हुआ है।

इसके अलावा सी लैंग्वेज अन्य कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान करती है। इसलिए यह काफी अधिक लोकप्रिय है।

C Language कैसे काम करती है?

आपकी जानकारी के लिए बता देना चाहते हैं कि सी कंपाइल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। इस प्रकार से कंपाइलर का इस्तेमाल किसी भी प्रोग्राम को कंपाइल करने के लिए होता है और उसे मशीन के पढ़ने लायक ऑब्जेक्ट फाइल में चेंज करने के लिए किया जाता है।

इस प्रकार से जब कंपाइल की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो लिंकर काम करना चालू करता है। लिंकर अलग-अलग ऑब्जेक्ट फाइल को जोड़ने का काम शुरू करता है और एक इवैल्यूएशन के लायक फाइल का निर्माण करता है। इसी का इस्तेमाल प्रोग्राम को रन करने के लिए किया जाता है।

सी लैंग्वेज के वर्जन

इस बात को तो आप जानते हैं कि टेक्नोलॉजी लगातार एडवांस होती जाती है और अपडेट भी होती रहती है। इसी प्रकार से सी लैंग्वेज के लांच होने से लेकर के वर्तमान के समय तक सी लैंग्वेज में काफी बदलाव हुए और इसके कई वर्जन लांच हुए। आईए इसके वर्जन पर एक नजर संक्षेप में डालते हैं।

C:        1972
C89:    14 दिसंबर 1989
C90:    20 दिसंबर 1990
 C95:   30 मार्च 1995
C11:    15 दिसंबर 2011
C17:    जून 2018

सी लैंग्वेज की संरचना

डेवलपर के द्वारा सी प्रोग्रामिंग करने से पहले एक चार्ट का निर्माण किया जाता है, जिसके अंदर सी लैंग्वेज के सामान्य स्ट्रक्चर का फिगर निर्मित कर लिया जाता है, जो कि निम्न अनुसार होते है।

कमेंट एंट्री

किसी ना किसी उद्देश्य की वजह से ही किसी प्रोग्रामिंग का निर्माण किया जाता है, जिसकी सहायता से यह पता चल पाता है कि प्रोग्राम किस चीज के बारे में लिखा गया है। यहां पर यह जानना आवश्यक है कि कंपाइलर के द्वारा कमेंट एंट्री को रीड नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ऐसा सिर्फ प्रोग्रामर ही कर सकता है। प्रोग्राम ही कमेंट एंट्री को पढ सकता है।

हेडर फाइल

प्रोग्रामिंग का जो हेड सेक्शन होता है वहीं पर हेडर फाइल को लिखने का काम किया जाता है। हेड सेक्शन में इसे Include < Stdio.h >, Include < Dos.h > के जैसा लिखा जाता है।

मुख्य फंक्शन

सी प्रोग्रामिंग के अलग-अलग महत्वपूर्ण भागों में मुख्य फंक्शन में शामिल होता है और जितने भी c-programming होते हैं, उसमें इसका होना बहुत ही आवश्यक होता है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि प्रोग्राम का जो एग्जीक्यूशन है, वह भी मुख्य फंक्शन से ही शुरू होता है।

वेरिएबल डिक्लेरेशन

वेरिएबल का इस्तेमाल सी प्रोग्रामिंग के बिल्कुल बीचोबीच किया जाता है। इसी की वजह से यूजर इनपुट दे पाता है।

एग्जीक्यूटेबल पार्ट

प्रोग्रामिंग का वह भाग इसमें होता है, जिसे एग्जीक्यूट किया जाना होता है।

C Language के फायदे?

दोस्तो C-PROGRAMMING LANGUAGE को इस्तेमाल करके हम लोग application और software बनसक्ते है  और सिर्फ ए ही नहीं C-PROGRAMMING LANGUAGE का बोहोत सारा advantages है जैसे कि। सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सभी ऑपरेटिंग सिस्टम पर अच्छे से काम करता है ।

1. EASY TO USE:

अगर आप लोग प्रोग्रामिंग सीखना चाहते हैं और आप लोगों को प्रोग्रामिंग के बारे में कुछ नहीं पता तब आप लोग सी प्रोग्रामिंग को पहले सीख सकते हैं क्योंकि सी प्रोग्रामिंग को सीखना बहुत ही आसान होता है और इसका भाषा बहुत ही आसान है समझने के लिए और इसका लॉजिक भी बहुत आसान है। सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का लॉजिक आसान होने के कारण ही यह लैंग्वेज बहुत ही कम समय में सीखा जाता है।

2. Helps to making apps and software:

सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को इस्तेमाल करके हम लोग मोबाइल के लिए एप्लीकेशन और साथ ही में कंप्यूटर के लिए सॉफ्टवेयर बना सकते हैं अगर आप लोग अच्छे से सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीख लेते हैं तब आप लोग बहुत ही आसानी से मोबाइल के लिए आप और सॉफ्टवेयर बना पाएंगे। इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की मदद से आप लोग बहुत ही advanced ऐप बना सकते हैं मोबाइल के लिए।

3. Logic:

सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का लॉजिक आसान होने के कारण इस लैंग्वेज को आसानी से सीखा जाता है और साथ ही में इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को बेसिक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी कहा जाता है। इस  प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का लॉजिक इतना आसान है कि इस लैंग्वेज को कोई भी बहुत ही आसानी से और कम समय पर सीख सकते हैं ।

4. Fast:

सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज आप लोगों को बहुत सारा फीचर प्रदान नहीं करता फिर भी यह बहुत ही फास्ट काम करता है किसी और प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के मुकाबले अगर आप लोग देखेंगे कि अभी जो प्रोग्रामिंग लैंग्वेज आप लोगों को देखने को मिलता है वह आप लोगों को बहुत सारा चीज प्रोवाइड करता है पर आपको वह स्पीड प्रोवाइड नहीं करता पर सी  प्रोग्रामिंग लैंग्वेज बहुत ही जल्द ही काम करता है।

5. Step by step Coding:

सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का जो कोड होता है उसको आप लोगों को मैनुअली लिखना पड़ता है अगर आप लोग स्टेप बाय स्टेप कोर्ट को नहीं लिखेंगे तब आपका कोड काम नहीं करेगा। यह तरीका हम लोगों को कोर्ट को याद रखने में हेल्प करता है।

C Language के नुक़सान?

हम लोगों ने सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के बहुत सुविधा के बारे में बताया अब हम लोग बात करते हैं कुछ असुविधा के बारे में जो कि हम लोगों को सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज पर देखने को मिलता है जैसे कि हो गया।

1. OLD PROGRAMMING LANGUAGE:

अभी के टाइम के अनुसार यह प्रोग्रामिंग लैंग्वेज बहुत ही पुराना लैंग्वेज है अभी के टाइम पर जितने भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज अवेलेबल है एडवांस लेबल का है पर यह प्रोग्रामिंग लैंग्वेज लो लेवल का है।

2. RUN TIME PROBLEM:

दोस्तों इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज पर हम लोगों को बहुत सारा प्रॉब्लम्स और ERROR देखने को मिलता है। जो कि प्रोग्रामर को बहुत ही प्रॉब्लम देता है।

C LANGUAGE FACTS IN HINDI

आज हम लोग सी लैंग्वेज के कुछ अनजाने C PROGRAMMING LANGUAGE FACTS  के बारे में बताएंगे जो कि आप लोगों को हेल्प करेगा। अगर आप लोग एक प्रोग्रामर स्टूडेंट है तब आप लोगों को यह सारे फैक्ट्स INTERVIEW में बहुत हेल्प करेगा। तो चलिए जानते हैं FACTS के बारे में।

1. सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज बना था UNIX पर कोडिंग करने के लिए।

2. सी लैंग्वेज एक बेसिक लैंग्वेज है और साथ ही साथ एक पुराना लैंग्वेज है फिर भी इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को इस्तेमाल करके हम लोग एप्लीकेशन और सॉफ्टवेयर बना सकते हैं। इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की मदद से आप लोग हाई लेवल का एप्लीकेशन और सॉफ्टवेयर बना पाएंगे।

3. सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को डेनिस रिचिए ने बनाया था। दिनेश व्हिच सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को बिल लाभ पर बनाया था।

4. सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज एक बहुत ही लो लेवल का लैंग्वेज है जिसको कोई भी और बहुत ही जल्दी सीख सकता है।

5. अगर आप लोग सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का लॉजिक को अच्छे से समझ लेते हैं तब आप लोग आसानी से सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीख पाएंगे।

6. सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के मदद से आप लोग मोबाइल के लिए और कंप्यूटर के लिए गेम बना सकते हैं और साथ ही में आप लोग कोई भी ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए सॉफ्टवेयर या फिर एप्लीकेशन डिजाइन कर सकते हैं सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के मदद से।

7. सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को इस्तेमाल करके ही अभी के टाइम पर उन्नति मान प्रोग्रामिंग लैंग्वेज तैयार हुआ है और एक बात अगर आप लोग सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को अच्छे से सीखते हैं तब आप लोग अभी के टाइम का प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इज को भी आसानी से इस्तेमाल कर पाएंगे।

8. पहले की टाइम पर जब सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज  बना था तब सिर्फ compiler को एडिट करने के लिए ही बना था और उसके बाद उसका फीचर के वजह से वह बहुत ही  कार्यकारी हुआ.

सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कोडिंग के मदद से हेलो वर्ल्ड कैसे लिखें?

include
<stdio.h>

main()
      {    int x = 2, y = 2;    switch(x)
    {       case 1:          ;          if (y==5)

{             case 2:                printf(" हेलो वर्ल्ड");          }        

 else case 3: {             //case 3 block        
 }

       }
}

# 🔍output : ” हेलो वर्ल्ड”

C और C++ में क्या अंतर है?

सी लैंग्वेज को प्रोसीजर ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कहा जाता है, वही सी प्लस प्लस प्रोसीजर ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी है और ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज भी है।

इसलिए सी प्लस प्लस को दोनों ही लैंग्वेज का मिक्सचर कहा जाता है। सी प्लस प्लस में वर्चुअल फंक्शन अवेलेबल होते हैं परंतु यह सी लैंग्वेज में उपलब्ध नहीं होते हैं। सी प्लस प्लस प्रोग्राम बॉटम अप अप्रोच और सी प्रोग्राम टॉप डाउन अप्रोच का यूज करते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता देना चाहते हैं कि सी प्लस प्लस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में नेमस्पेस उपलब्ध होता है, परंतु सी लैंग्वेज में यह अनअवेलेबल होता है। सी प्लस प्लस लैंग्वेज को हाई लेवल लैंग्वेज कहा जाता है, वहीं सी लैंग्वेज को मिडल लेवल की लैंग्वेज के तौर पर जाना जाता है। सी लैंग्वेज में फंक्शन ओवरलोड नहीं होता है परंतु सी प्लस प्लस में फंक्शन ओवरलोडिंग उपलब्ध होती है।

सी लैंग्वेज में पॉलीमोरफ़िज्म का कांसेप्ट उपलब्ध नहीं है, परंतु सी प्लस प्लस में है। ऐसे डेटा जो built-in होते हैं, उन्हें ही सी लैंग्वेज सपोर्ट करने का काम करती है, परंतु दूसरी तरफ देखा जाए तो जो सी प्लस प्लस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, यह built-in डाटा को तो सपोर्ट करती ही है, इसके अलावा यूजर डिफाइंड डाटा को भी इसके द्वारा सपोर्ट किया जाता है।

सी लैंग्वेज का डेवलपमेंट Dennis ritchie के द्वारा किया गया था और सी प्लस प्लस लैंग्वेज का डेवलपमेंट Bjrane stroustrup के द्वारा किया गया था। रेफरेंस वेरिएबल को सी प्लस प्लस लैंग्वेज के द्वारा समर्थन दिया जाता है, परंतु सी लैंग्वेज इसे सपोर्ट नहीं करती है।

C को भाषा क्यों कहा जाता है?

सी को भाषा अर्थात लैंग्वेज इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह आवश्यक रूप से मशीन लेवल की लैंग्वेज और हाई लेवल की लैंग्वेज के बीच के डिफरेंस को जोड़ने का काम करती है।

सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल सिस्टम प्रोग्रामिंग और एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग दोनों के लिए डेवलपर के द्वारा किया जाता है। आपके हाथ में यह जो मोबाइल उपलब्ध है या फिर कंप्यूटर अथवा लैपटॉप उपलब्ध है, इसमें भी कहीं ना कहीं सी लैंग्वेज का इस्तेमाल किया ही गया होता है।

प्रोग्रामिंग क्या है?

कंप्यूटर को काम करने के लिए आदेश की आवश्यकता होती है। इसी आदेश देने की क्रिया को प्रोग्रामिंग कहा जाता है। प्रोग्रामिंग के अंतर्गत ऐसे इंस्ट्रक्शन शामिल किए जाते हैं, जिसके आधार पर कंप्यूटर काम करता है। जैसे कि अगर प्रोग्रामिंग में यह फिट किया गया है कि किसी यूजर के द्वारा अगर कंप्यूटर पर किसी चीज को सर्च किया जाता है तो कंप्यूटर प्रोग्रामिंग इंस्ट्रक्शन के हिसाब से यूजर को अलग-अलग सर्च इंजन पर मौजूद जानकारी को दिखाने का काम करेगा।

किसी स्पेशल काम को करने के लिए कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल करके कुछ इंस्ट्रक्शन का ग्रुप तैयार किया जाता है। इसी इंस्ट्रक्शन के ग्रुप को ही प्रोग्रामिंग कहते हैं। जिस प्रकार से इंसानों के द्वारा कुछ लैंग्वेज जैसे की हिंदी, अंग्रेजी या फिर अन्य भाषा को समझा जाता है, उसी प्रकार से कंप्यूटर इंस्ट्रक्शन की भाषा को समझते हैं, जो कि किसी स्पेशल सेंटेंस में लिखा गया होता है।

C Language कैसे सीखें?

सी लैंग्वेज को सीखना आसान है, परंतु इसका मतलब यह नहीं कि आप 1 या फिर 2 दिन के अंदर ही इसे सीख जाएंगे, बल्कि इसके लिए आपको संयम पूर्वक आगे बढ़ना होगा और धीरे-धीरे इसकी गहराई में जाना होगा।

सी लैंग्वेज सीखने के लिए आवश्यक है कि आपके पास किसी भी प्रकार से कंप्यूटर उपलब्ध हो। चाहे आप अपने खुद के कंप्यूटर का इस्तेमाल करें या फिर किसी दूसरे व्यक्ति के कंप्यूटर का इस्तेमाल करें। नीचे हम आपको जानकारी दे रहे हैं कि कैसे आप सी लैंग्वेज सीख सकते हैं।

यूट्यूब से सीखें

अगर आप सी लैंग्वेज सीखने के प्रति गंभीर है, परंतु आपके पास सी लैंग्वेज सीखने के लिए फीस भरने हेतु पैसा नहीं है, तो भी आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आप घर बैठे फ्री में सी लैंग्वेज को सीखने के लिए यूट्यूब का इस्तेमाल कर सकते हैं।

दरअसल यूट्यूब पर ऐसे बहुत सारे एजुकेशनल चैनल है, जहां पर कंप्यूटर की जानकारी दी जाती है, साथ ही विभिन्न प्रकार की लैंग्वेज के बारे में भी सिखाया जाता है।

आपको सी लैंग्वेज सीखने के लिए बस यूट्यूब को ओपन करना है और उसके बाद ऊपर दिखाई दे रहे सर्च बॉक्स पर क्लिक करके “सी लैंग्वेज कैसे सीखे” जैसा कीवर्ड लिखना है और सर्च कर देना है। अब आपकी स्क्रीन पर अलग-अलग प्रकार के चैनल के नाम आपको दिखाई देते हैं, उनमें से किसी भी चैनल या फिर वीडियो पर आपको क्लिक कर देना है।

ऐसा करने पर वीडियो चालू हो जाता है। अब आप वीडियो के माध्यम से सी लैंग्वेज को सीखना शुरू कर सकते हैं। हालांकि यूट्यूब के माध्यम से सी लैंग्वेज सीखने के लिए आपके पास कंप्यूटर या फिर लैपटॉप होना चाहिए, क्योंकि आप उसी में प्रैक्टिकल कर सकेंगे, जिससे आप तेजी से सी लैंग्वेज सीखेंगे।

कोचिंग इंस्टिट्यूट से सीखे

शहरी अथवा ग्रामीण इलाके में अब डिजिटल इंडिया के अंतर्गत कई कंप्यूटर क्लास और कोचिंग इंस्टिट्यूट ओपन हो चुके हैं, जहां पर सामान्य चीजें भी सिखाई जाती है, साथ ही हाई लेवल की चीजें भी सिखाई जाती है। इस प्रकार से कोचिंग इंस्टिट्यूट में जाकर के भी आप सी लैंग्वेज को सीख सकते हैं।

हालांकि हमने देखा है कि अधिकतर कोचिंग में सी लैंग्वेज नहीं सिखाई जाती है, परंतु कुछ कोचिंग इंस्टिट्यूट ऐसे होते हैं जहां पर इसके बारे में सिखाया जाता है। आपको ऐसे ही किसी कोचिंग इंस्टिट्यूट को ढूंढना है और उसमें एडमिशन प्राप्त कर लेना है और टीचर के हिसाब से सी लैंग्वेज सीखना शुरू कर देना है।

कोर्स करें

अगर आप कंप्यूटर की फील्ड में या फिर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की फील्ड में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको सी लैंग्वेज से संबंधित कोर्स को करना चाहिए।

12वीं क्लास पास करने के बाद आप आसानी से सी लैंग्वेज वाले कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं और इसे कर सकते हैं। हालांकि गवर्नमेंट कॉलेज में ही एडमिशन लेने का प्रयास करें, क्योंकि गवर्नमेंट कॉलेज में सी लैंग्वेज की फीस कम होती है।

C Language क्यों सीखे?

जिस प्रकार से दूसरी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखना आवश्यक होता है, उसी प्रकार से उन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखने के साथ ही साथ सी लैंग्वेज को सीखना भी जरूरी होता है, क्योंकि यह विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषाओं की आधार भाषा मानी जाती है। अलग-अलग प्रकार के कामों में सी लैंग्वेज का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।

यह भाषा बहुत ही आसान होती है और तेजी से रिजल्ट प्रदान करती है। वर्तमान के समय में मार्केट में ऐसे लोगों के लिए काफी नौकरी उपलब्ध है जिन्होंने सी लैंग्वेज को सीखा हुआ है।

यही नहीं आने वाले भविष्य में भी इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होना है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति ने सी लैंग्वेज को सीखा हुआ है, तो आसानी से वह कंप्यूटर के लिए सिस्टम सॉफ्टवेयर का निर्माण कर सकता है या फिर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को भी क्रिएट कर सकता है।

C Language सिखाने वाली किताब

अगर आप किताब के माध्यम से सी लैंग्वेज को सीखना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको नीचे हम दो ऐसी किताबों के नाम बता रहे हैं, जिसके द्वारा आप आसानी से सी लैंग्वेज सीख सकते हैं या फिर सी लैंग्वेज के बारे में विस्तार से जान सकते हैं। नीचे हम आपको जिन दो किताबों के नाम बता रहे हैं उन्हें भारतीय लोगों के द्वारा ही लिखा गया है। इसलिए आपको किताब के माध्यम से सी लैंग्वेज के बारे में समझने में आसानी होगी।

  • Yashavant Kanetkar की Book – Let Us C
  • K. Srivastava की Book – C in Depthc

C Language सिखाने वाली वेबसाइट

नीचे हमने आपको 5 ऐसी वेबसाइट के नाम दिए हुए है, जहां से आप सी लैंग्वेज सीख सकते हैं।

  • w3schools.com
  • tutorialspoint.com
  • learn-php.org
  • codecademy.com
  • Udemy.com

C Language सीखने की फीस?

गवर्नमेंट और प्राइवेट इंस्टिट्यूट में किसी भी कोर्स की फीस अलग-अलग होती है, क्योंकि गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट को गवर्नमेंट के द्वारा पैसा मिलता है, इसलिए गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट में फीस कम होती है, वहीं प्राइवेट इंस्टिट्यूट को किसी व्यक्ति विशेष या फिर बोर्ड ऑफ ग्रुप के द्वारा चलाया जाता है। इसलिए प्राइवेट संस्था में फीस अधिक होती है।

इस प्रकार से देखा जाए तो अगर आप किसी गवर्नमेंट संस्था से सी लैंग्वेज सीखते हैं, तो इसके लिए आपको 4000 से ₹6000 की फीस भरने की आवश्यकता हो सकती है, वहीं अगर किसी प्राइवेट संस्था से आप सी लैंग्वेज को सीखते हैं।

तो आपको इसके लिए 10,000 से लेकर के ₹20000 या फिर इससे भी अधिक फीस भरने की आवश्यकता हो सकती है। देश के अलग-अलग राज्यों में प्राइवेट संस्था में सी लैंग्वेज सिखाने की फीस अलग-अलग हो सकती है।

C Language सिखाने वाले बेस्ट इंस्टीट्यूट

अगर आप सी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखने के प्रति सीरियस हैं तो इसके लिए नीचे हम आपको इंडिया में मौजूद कुछ बेस्ट इंस्टिट्यूट के नाम बता रहे हैं, जहां से आप सी लैंग्वेज को सीख सकते हैं।

  • Cloud Deck Technologies.
  • Coders Academy.
  • H Source Technologies Pvt Ltd.
  • Bytesinbits Technologies.
  • CADDESK BANGLORE.
  • Kcent Technologies.
  • Caddnest
  • Educadd

Article Sources: (Techtarget, Wikipedia, Javapoint)

FAQ:

कंप्यूटर में c भाषा क्या है?

कंप्यूटर में यह प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है।

C भाषा में parameter कितने प्रकार का होता है?

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प्रथम प्रोग्रामिंग भाषा कौन सी है?

Plankalkul

C को भाषा क्यों कहा जाता है?

क्योंकि इसका इस्तेमाल प्रोग्राम को तैयार करने के लिए होता है।

दोस्तों आज हमने जाना कि “C Language क्या है“, “C भाषा और C++ में क्या अंतर है?” और “सी लैंग्वेज का इतिहास क्या है” तथा “सी लैंग्वेज काम कैसे करती है?” आशा करते हैं सभी जानकारी आपको पसंद आयी होगी।

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