क्लाउड कंप्यूटिंग क्या होता है?
इंटरनेट का इस्तेमाल करके अलग-अलग प्रकार की टेक्नोलॉजी पर डिपेंडेंट सर्विस को प्रदान करने की टेक्नोलॉजी को ही क्लाउड कंप्यूटिंग कहा जाता है। क्लाउड कंप्यूटिंग के अंतर्गत जो सर्विस प्रदान की जाती है उसमें सॉफ्टवेयर, स्टोरेज, डेटाबेस और अन्य कई प्रकार की सर्विस शामिल होती है।
अगर सरल भाषा में क्लाउड कंप्यूटिंग की व्याख्या की जाए तो क्लाउड कंप्यूटिंग का मतलब यूजर को इंटरनेट की सहायता से किसी भी कंप्यूटिंग सर्विस को प्रदान करना।
क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा क्लाउड कंप्यूटिंग के अंतर्गत यूजर को एक ऑनलाइन जगह प्रदान की जाती है। यूजर को प्राप्त हुई इस जगह में अपने डाटा को स्टोर करना होता है। यहां पर जो भी डाटा स्टोर किए जाते हैं उसे इंटरनेट के जरिए यूज़र जब चाहे तब दुनिया के किसी भी कोने में रहते हुए आसानी से एक्सेस कर सकता है। यह क्लाउड कंप्यूटिंग का एक बहुत ही बड़ा एडवांटेज है।
यहां पर बता दें कि आपके डाटा को स्टोर करने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी के द्वारा क्लाउड सर्विस का इस्तेमाल किया जाता है और अगर जब कभी भी आप अपने डाटा को एक्सेस करना चाहते हैं तो इसके लिए आपके पास इंटरनेट डाटा होना चाहिए।
क्लाउड कंप्यूटिंग के प्रकार (Types of Cloud Computing in Hindi)
क्लाउड कंप्यूटिंग के मुख्य तौर पर 4 प्रकार होते हैं जिनके नाम और जानकारी निम्नानुसार है।
- प्राइवेट क्लाउड
- पब्लिक क्लाउड
- कम्युनिटी क्लाउड
- हाइब्रिड क्लाउड
1: प्राइवेट क्लाउड
इसमें क्लाउड रिसोर्सेस का इस्तेमाल सिर्फ किसी यूजर के द्वारा अथवा किसी कंपनी के द्वारा किया जाता है। गूगल ड्राइव प्राइवेट क्लाउड का एक प्रमुख उदाहरण है, क्योंकि गूगल ड्राइव की सहायता से अगर आपको अपने डाटा को एक्सेस करना है, तो इसके लिए आपको अपनी जीमेल आईडी का यूजरनेम तो पता होना ही चाहिए साथ ही उस जीमेल आईडी का पासवर्ड भी पता होना चाहिए।
प्राइवेट क्लाउड में क्लाउड संसाधन को एक पासवर्ड के द्वारा सिक्योर बनाया जाता है और फिर जब व्यक्ति को अपने संसाधन को एक्सेस करने की आवश्यकता होती है तो उसे यूजरनेम और पासवर्ड का इस्तेमाल करने की आवश्यकता होती है। यह वही यूजर नेम और पासवर्ड होता है जिसके द्वारा उसने प्राइवेट क्लाउड को सुरक्षित बनाने का काम किया होता है।
2: पब्लिक क्लाउड
दूसरे सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा पब्लिक क्लाउड इन्फ्राट्रक्चर को होस्ट करने का काम किया जाता है और होस्ट करने के बाद उन्हें सार्वजनिक कर दिया जाता है। हालांकि यहां पर यह भी बता देना चाहते हैं कि ऐसे क्लाउड में यूजर का डायरेक्ट तौर पर कोई भी कंट्रोल नहीं होता है और यूजर पब्लिक क्लाउड के इन्फ्राट्रक्चर को देख पाने में भी सक्षम नहीं होते हैं।
क्योंकि ऐसा करना मान्य नहीं किया जाता है। उदाहरण के तौर पर माइक्रोसॉफ्ट और गूगल दोनों ही अपने खुद के क्लाउड के इंफ्रास्ट्रक्चर का मालिकाना हक रखते हैं और उसके पश्चात ही पब्लिक को उसे एक्सेस करने के लिए उपलब्ध करवाते हैं। पब्लिक क्लाउड कंप्यूटिंग की जो सर्विस होती है वह सामान्य तौर पर या तो फ्री होती है या फिर इनके लिए बहुत ही कम चार्ज यूजर से लिया जाता है।
3: कम्युनिटी क्लाउड
दो अथवा दो से ज्यादा संगठन आपस में बातचीत करके एक ऐसे क्लाउड प्लेटफॉर्म का प्रयोग कम्युनिटी क्लाउड के अंतर्गत करते हैं, जहां पर वह किसी भी प्रकार की इंफॉर्मेशन को एक दूसरे के साथ शेयर कर सके।
इस प्रकार से जिन संगठन के द्वारा कम्युनिटी क्लाउड का निर्माण किया गया होता है, उन्हीं संगठन से संबंधित ग्रुप ही कम्युनिटी क्लाउड का इस्तेमाल कर सकते हैं। कोई बाहरी व्यक्ति इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता।
4: हाइब्रिड क्लाउड
हाइब्रिड क्लाउड का निर्माण सार्वजनिक और प्राइवेट दोनों को मिला करके किया जाता है। इस प्रकार से इसे दो हिस्सों में बांटा जाता है, जिसमें से एक हिस्से का इस्तेमाल सामान्य जनता के लिए करना अलाऊ किया जाता है और दूसरे हिस्से का इस्तेमाल कुछ चुनिंदा संगठन को ही करने की सुविधा मिलती है। Azure Arc, Google Anthos इत्यादि हाइब्रिड क्लाउड के एग्जांपल है।
क्लाउड कंप्यूटिंग के उदाहरण
हमारे बीच में आज के समय में क्लाउड कंप्यूटिंग के अनेकों उदाहरण मौजूद है, उनमें से कुछ नॉर्मल उदाहरण की जानकारी निम्नलिखित है।
1: यूट्यूब
यूट्यूब एक ऐसा प्लेटफार्म है जिस पर आप किसी भी टॉपिक से संबंधित वीडियो देख सकते हैं। यूट्यूब पर बहुत सारे वीडियो मौजूद होते हैं। यूट्यूब दुनिया के करोड़ों लोगों की वीडियो फाइल को अपने सरवर में होस्ट करने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का ही इस्तेमाल करता है।
यूट्यूब एक ऑनलाइन वीडियो शेयरिंग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। इसका हैडक्वाटर अमेरिका देश के कैलिफोर्निया में मौजूद है। 2005 में 14 फरवरी के दिन 2 से 4 लोगों के द्वारा मिलकर का यूट्यूब की स्थापना की गई थी। यूट्यूब के 1 महीने के मंथली यूजर की संख्या 2.5 मिलियन से ज्यादा है
2: गूगल ड्राइव
आपके कंप्यूटर में जो फाइल मौजूद है उसे क्लाउड में सुरक्षित करने के लिए आप गूगल ड्राइव का इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दें कि साल 2012 में 24 अप्रैल के दिन गूगल ड्राइव को गूगल के द्वारा लांच किया गया था, जो कि क्लाउड स्टोरेज, फाइल होस्टिंग और सिंक्रोनाइजेशन सर्विस है।
आपके पास कोई पर्सनल फोटो, वीडियो, ऑडियो या फिर दस्तावेज अथवा फाइल मौजूद है तो उसे आप सरलता से गूगल ड्राइव पर अपलोड करके स्टोर कर सकते हैं और जब चाहे तब अपनी जीमेल आईडी के द्वारा एक्सेस कर सकते हैं, क्योंकि इस पर अकाउंट बनाने के लिए आपके पास जीमेल आईडी होनी चाहिए।
3: ईमेल सर्विस प्रोवाइडर
गूगल, याहू, यांडेक्स इत्यादि कई कंपनी है जो ईमेल सर्विस देती है। इन सभी कंपनियों के द्वारा क्लाउड कंप्यूटिंग का ही इस्तेमाल किया जाता है।
4: डिजिटल ओसियन
डिजिटल ओसियन की गिनती क्लाउड होस्टिंग देने वाली कंपनी के तौर पर होती है। इसका सबसे अधिक इस्तेमाल ब्लॉग और वेबसाइट के मालिक करते हैं, क्योंकि वह अपने कंटेंट को ऑनलाइन स्टोर करने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए डिजिटल ओसियन की सर्विस ली जाती है।
Ben और Moisey Uretsky के द्वारा साल 2011 में डिजिटल ओसियन की शुरुआत की गई थी, जो कि अमेरिका की एक क्लाउड पर आधारित मल्टीनेशनल कंपनी है। वर्तमान के समय में डिजिटल ओसियन कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 500 से ज्यादा है।
इसका हेड क्वार्टर अमेरिका के न्यूयॉर्क सिटी में मौजूद है। डिजिटल ओशियन के क्लाउड सर्विस के दाम की शुरुआत $5 से शुरू होती है और इसमें आपको $960 तक के प्लान मिल जाते हैं। डिजिटल ओसियन के द्वारा कस्टमर को प्राइवेट सर्वर भी उपलब्ध करवाया जाता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग कैसे काम करती है?
एप्लीकेशन पर आधारित सॉफ्टवेयर इंफ्रास्ट्रक्चर होने के नाते क्लाउड कंप्यूटिंग के द्वारा डाटा को रिमोट सर्वर पर स्टोर किया जाता है। इसीलिए हम जब चाहे तब किसी भी जगह पर रहते हुए सरलता से इंटरनेट के जरिए डाटा को एक्सेस कर सकते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग किस प्रकार से काम करता है इसे समझने के लिए इसे फ्रंट एंड और बैक एंड जैसे दो भागों में डिवाइड किया जाता है।
इंटरनेट कनेक्शन और क्लाउड कंप्यूटिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके जो डाटा क्लाउड में स्टोर है, उसे एक्सेस करने की कैपेसिटी यूजर को फ्रंट एंड देता है। वहीं दूसरी तरफ सुरक्षित तौर पर डाटा को क्लाउड में स्टोर करने के लिए बैकऐंड महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
बैकऐंड में डाटा बेस, सेंट्रल सर्वर, कंप्यूटर इत्यादि सरवर शामिल होते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग की सर्विस देने वाली कंपनी के द्वारा डेटा की सुरक्षा को बरकरार रखने के लिए डाटा की विभिन्न कॉपी अलग-अलग क्लाउड सर्वर पर क्रिएट करती है।
क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग
जो लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, उनके द्वारा दैनिक तौर पर क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल किया ही जाता है परंतु उन्हें इसके बारे में जानकारी ही नहीं होती है। देखा जाए तो वर्तमान के समय में क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करना काफी ज्यादा हो गया है और लगातार इसका इस्तेमाल बढ़ता ही जा रहा है। नीचे हम आपको कुछ ऐसे उपयोग बता रहे हैं जो कंप्यूटिंग के सामान्य और लोकप्रिय उपयोग में शामिल होते हैं।
1: डाटा का बैकअप लेने के लिए
2: क्लाउड डाटाबेस के लिए
3: कॉन्फिडेंटल और नॉन कॉन्फिडेंटल डाटा के मैनेजमेंट के लिए
4: सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए
5: अपने ब्लॉग और वेबसाइट की होस्टिंग के लिए
6: डाटा एनालिसिस के लिए
7: एंटीवायरस के लिए
8: ई-कॉमर्स में
9: शिक्षा में
10: ई गवर्नेंस में
11: मेडिकल की फील्ड मे क्लाउड कंप्यूटिंग की उपयोगिता
12: इंटरटेनमेंट की फील्ड में
क्या क्लाउड कंप्यूटिंग सुरक्षित है?
डाटा और सॉफ्टवेयर को क्लाउड कंप्यूटिंग में दूर बैठे बैठे ही स्टोर किया जाता है। इसीलिए क्लाउड कंप्यूटिंग में डाटा सिक्योरिटी और प्लेटफार्म सिक्योरिटी एक बहुत बड़ी चिंता का विषय होता है।
यहां पर क्लाउड सिक्योरिटी का मतलब होता है क्लाउड पर आधारित सर्विस पर स्टोर डिजिटल प्रॉपर्टी और डाटा की सिक्योरिटी के लिए किए गए उपाय। इस डेटा की सुरक्षा के लिए टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन, वीपीएन का इस्तेमाल, सिक्योरिटी टोकन, डाटा इंक्रिप्शन और फायर बॉल जैसी सेवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग का इतिहास (History of Cloud Computing in Hindi)
प्राप्त जानकारियों के अनुसार हमें यह पता चला है क्लाउड कंप्यूटिंग का इतिहास तकरीबन 1960 के आसपास के दशक में चालू हुआ था। यह वह समय था, जब दुनिया में किसी भी जगह पर इंटरनेट की सही प्रकार से शुरुआत भी नहीं हुई थी, परंतु क्लाउड कंप्यूटिंग ने जब तक जोर पकड़ा तब तक 1990 का साल आ चुका था।
1990 के साल में ही एक कंपनी जिसका नाम Salesforce था, के द्वारा जनता के लिए अपनी सर्विस को देना शुरू कर दिया गया और उसके पश्चात जैसे-जैसे जनता ने इसका इस्तेमाल किया वैसे वैसे उन्होंने इसे पॉजिटिव फीडबैक दिया और इस प्रकार से धीरे-धीरे यह सर्विस फैलती चली गई और पॉपुलर हो गई।
जब क्लाउड कंप्यूटिंग की शुरुआत हुई थी तब सबसे ज्यादा इसका इस्तेमाल बिजनेस के लिए ही होता था परंतु आगे के सालों में बढने के पश्चात जब इस सर्विस का विस्तार दुनिया भर में हुआ तब दुनिया के कई लोकप्रिय कंपनियों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और इस प्रकार से वर्तमान के समय में अमेजॉन, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां लोगों को सुविधा देने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का ही इस्तेमाल कर रही है।
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