क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है? (What is Cloud Computing in Hindi) पिछले 8 सालों में इंटरनेट ने काफी डेवलपमेंट कर ली है और जब इंटरनेट आगे बढ़ चुका है तो यह जाहिर सी बात है कि कंप्यूटर की टेक्नोलॉजी भी आगे बढ़ चुकी है। कंप्यूटर की टेक्नोलॉजी से संबंधित कई चीजें होती है जिसमें एक महत्वपूर्ण चीज है क्लाउड कंप्यूटिंग।
इसका अपना ही एक अलग महत्व है, जिसके बारे में अधिकतर लोग जानते ही नहीं है। बता दे कि क्लाउड कंप्यूटिंग एक तरह के नेटवर्क की तरह होता है, ताकि जरूरी डेटा की तेजी के साथ प्रोसेसिंग हो सके।
इस आर्टिकल में आज हम जानेंगे कि “क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है” और “क्लाउड कंप्यूटिंग काम कैसे करता है” तथा “क्लाउड कंप्यूटिंग कितने प्रकार के होते हैं।” (All about Cloud Computing in Hindi)
क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है? (What is Cloud Computing in Hindi)
इंटरनेट का इस्तेमाल करके अलग-अलग प्रकार की टेक्नोलॉजी पर डिपेंडेंट सर्विस को प्रदान करने की टेक्नोलॉजी को ही cloud-computing कहा जाता है। क्लाउड कंप्यूटिंग के अंतर्गत जो सर्विस प्रदान की जाती है उसमें सॉफ्टवेयर, स्टोरेज, डेटाबेस और अन्य कई प्रकार की सर्विस शामिल होती है।
अगर सरल भाषा में क्लाउड कंप्यूटिंग की व्याख्या की जाए तो क्लाउड कंप्यूटिंग का मतलब यूजर को इंटरनेट की सहायता से किसी भी कंप्यूटिंग सर्विस को प्रदान करना।
क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा क्लाउड कंप्यूटिंग के अंतर्गत यूजर को एक ऑनलाइन जगह प्रदान की जाती है। यूजर को प्राप्त हुई इस जगह में अपने डाटा को स्टोर करना होता है। यहां पर जो भी डाटा स्टोर किए जाते हैं उसे इंटरनेट के जरिए यूज़र जब चाहे तब दुनिया के किसी भी कोने में रहते हुए आसानी से एक्सेस कर सकता है। यह क्लाउड कंप्यूटिंग का एक बहुत ही बड़ा एडवांटेज है।
यहां पर बता दें कि आपके डाटा को स्टोर करने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी के द्वारा क्लाउड सर्विस का इस्तेमाल किया जाता है और अगर जब कभी भी आप अपने डाटा को एक्सेस करना चाहते हैं तो इसके लिए आपके पास इंटरनेट डाटा होना चाहिए।
क्लाउड कंप्यूटिंग का मतलब क्या होता है?
क्लाउड कंप्यूटिंग के द्वारा जो भी सेवाएं उपलब्ध करवाई जाती है, उनका इस्तेमाल करने के लिए यूजर को ना तो किसी विदेश के हार्डवेयर का इस्तेमाल करने की आवश्यकता होती है ना ही किसी भी प्रकार के विदेशी सॉफ्टवेयर का यूज करने की जरूरत होती है।
क्लाउड कंप्यूटिंग बहुत ही सस्ता होता है। यही वजह है कि आजकल अधिकतर जो लोग बिजनेस करते हैं वह अपने बिजनेस में क्लाउड कंप्यूटिंग का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। इस टेक्नोलॉजी के अंतर्गत डाटा प्रोसेसिंग, डाटा स्टोरेज और सॉफ्टवेयर जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग के प्रकार (Types of Cloud Computing in Hindi)
क्लाउड कंप्यूटिंग के मुख्य तौर पर 4 प्रकार होते हैं जिनके नाम और जानकारी निम्नानुसार है।
- प्राइवेट क्लाउड
- पब्लिक क्लाउड
- कम्युनिटी क्लाउड
- हाइब्रिड क्लाउड
1: प्राइवेट क्लाउड
इसमें क्लाउड रिसोर्सेस का इस्तेमाल सिर्फ किसी यूजर के द्वारा अथवा किसी कंपनी के द्वारा किया जाता है। गूगल ड्राइव प्राइवेट क्लाउड का एक प्रमुख उदाहरण है, क्योंकि गूगल ड्राइव की सहायता से अगर आपको अपने डाटा को एक्सेस करना है, तो इसके लिए आपको अपनी जीमेल आईडी का यूजरनेम तो पता होना ही चाहिए साथ ही उस जीमेल आईडी का पासवर्ड भी पता होना चाहिए।
प्राइवेट क्लाउड में क्लाउड संसाधन को एक पासवर्ड के द्वारा सिक्योर बनाया जाता है और फिर जब व्यक्ति को अपने संसाधन को एक्सेस करने की आवश्यकता होती है तो उसे यूजरनेम और पासवर्ड का इस्तेमाल करने की आवश्यकता होती है। यह वही यूजर नेम और पासवर्ड होता है जिसके द्वारा उसने प्राइवेट क्लाउड को सुरक्षित बनाने का काम किया होता है।
2: पब्लिक क्लाउड
दूसरे सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा पब्लिक क्लाउड इन्फ्राट्रक्चर को होस्ट करने का काम किया जाता है और होस्ट करने के बाद उन्हें सार्वजनिक कर दिया जाता है। हालांकि यहां पर यह भी बता देना चाहते हैं कि ऐसे क्लाउड में यूजर का डायरेक्ट तौर पर कोई भी कंट्रोल नहीं होता है और यूजर पब्लिक क्लाउड के इन्फ्राट्रक्चर को देख पाने में भी सक्षम नहीं होते हैं।
क्योंकि ऐसा करना मान्य नहीं किया जाता है। उदाहरण के तौर पर माइक्रोसॉफ्ट और गूगल दोनों ही अपने खुद के क्लाउड के इंफ्रास्ट्रक्चर का मालिकाना हक रखते हैं और उसके पश्चात ही पब्लिक को उसे एक्सेस करने के लिए उपलब्ध करवाते हैं। पब्लिक क्लाउड कंप्यूटिंग की जो सर्विस होती है वह सामान्य तौर पर या तो फ्री होती है या फिर इनके लिए बहुत ही कम चार्ज यूजर से लिया जाता है।
3: कम्युनिटी क्लाउड
दो अथवा दो से ज्यादा संगठन आपस में बातचीत करके एक ऐसे क्लाउड प्लेटफॉर्म का प्रयोग कम्युनिटी क्लाउड के अंतर्गत करते हैं, जहां पर वह किसी भी प्रकार की इंफॉर्मेशन को एक दूसरे के साथ शेयर कर सके।
इस प्रकार से जिन संगठन के द्वारा कम्युनिटी क्लाउड का निर्माण किया गया होता है, उन्हीं संगठन से संबंधित ग्रुप ही कम्युनिटी क्लाउड का इस्तेमाल कर सकते हैं। कोई बाहरी व्यक्ति इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता।
4: हाइब्रिड क्लाउड
हाइब्रिड क्लाउड का निर्माण सार्वजनिक और प्राइवेट दोनों को मिला करके किया जाता है। इस प्रकार से इसे दो हिस्सों में बांटा जाता है, जिसमें से एक हिस्से का इस्तेमाल सामान्य जनता के लिए करना अलाऊ किया जाता है और दूसरे हिस्से का इस्तेमाल कुछ चुनिंदा संगठन को ही करने की सुविधा मिलती है। Azure Arc, Google Anthos इत्यादि हाइब्रिड क्लाउड के एग्जांपल है।
क्लाउड कंप्यूटिंग का इतिहास (History of Cloud Computing in Hindi)
प्राप्त जानकारियों के अनुसार हमें यह पता चला है क्लाउड कंप्यूटिंग का इतिहास तकरीबन 1960 के आसपास के दशक में चालू हुआ था। यह वह समय था, जब दुनिया में किसी भी जगह पर इंटरनेट की सही प्रकार से शुरुआत भी नहीं हुई थी, परंतु क्लाउड कंप्यूटिंग ने जब तक जोर पकड़ा तब तक 1990 का साल आ चुका था।
1990 के साल में ही एक कंपनी जिसका नाम Salesforce था, के द्वारा जनता के लिए अपनी सर्विस को देना शुरू कर दिया गया और उसके पश्चात जैसे-जैसे जनता ने इसका इस्तेमाल किया वैसे वैसे उन्होंने इसे पॉजिटिव फीडबैक दिया और इस प्रकार से धीरे-धीरे यह सर्विस फैलती चली गई और पॉपुलर हो गई।
जब क्लाउड कंप्यूटिंग की शुरुआत हुई थी तब सबसे ज्यादा इसका इस्तेमाल बिजनेस के लिए ही होता था परंतु आगे के सालों में बढने के पश्चात जब इस सर्विस का विस्तार दुनिया भर में हुआ तब दुनिया के कई लोकप्रिय कंपनियों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और इस प्रकार से वर्तमान के समय में अमेजॉन, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां लोगों को सुविधा देने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का ही इस्तेमाल कर रही है।
क्लाउड कंप्यूटिंग के उदाहरण
हमारे बीच में आज के समय में क्लाउड कंप्यूटिंग के अनेकों उदाहरण मौजूद है, उनमें से कुछ नॉर्मल उदाहरण की जानकारी निम्नलिखित है।
1: यूट्यूब
यूट्यूब एक ऐसा प्लेटफार्म है जिस पर आप किसी भी टॉपिक से संबंधित वीडियो देख सकते हैं। यूट्यूब पर बहुत सारे वीडियो मौजूद होते हैं। यूट्यूब दुनिया के करोड़ों लोगों की वीडियो फाइल को अपने सरवर में होस्ट करने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का ही इस्तेमाल करता है।
यूट्यूब एक ऑनलाइन वीडियो शेयरिंग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। इसका हैडक्वाटर अमेरिका देश के कैलिफोर्निया में मौजूद है। 2005 में 14 फरवरी के दिन 2 से 4 लोगों के द्वारा मिलकर का यूट्यूब की स्थापना की गई थी। यूट्यूब के 1 महीने के मंथली यूजर की संख्या 2.5 मिलियन से ज्यादा है
2: गूगल ड्राइव
आपके कंप्यूटर में जो फाइल मौजूद है उसे क्लाउड में सुरक्षित करने के लिए आप गूगल ड्राइव का इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दें कि साल 2012 में 24 अप्रैल के दिन गूगल ड्राइव को गूगल के द्वारा लांच किया गया था, जो कि क्लाउड स्टोरेज, फाइल होस्टिंग और सिंक्रोनाइजेशन सर्विस है।
आपके पास कोई पर्सनल फोटो, वीडियो, ऑडियो या फिर दस्तावेज अथवा फाइल मौजूद है तो उसे आप सरलता से गूगल ड्राइव पर अपलोड करके स्टोर कर सकते हैं और जब चाहे तब अपनी जीमेल आईडी के द्वारा एक्सेस कर सकते हैं, क्योंकि इस पर अकाउंट बनाने के लिए आपके पास जीमेल आईडी होनी चाहिए।
3: ईमेल सर्विस प्रोवाइडर
गूगल, याहू, यांडेक्स इत्यादि कई कंपनी है जो ईमेल सर्विस देती है। इन सभी कंपनियों के द्वारा क्लाउड कंप्यूटिंग का ही इस्तेमाल किया जाता है।
4: डिजिटल ओसियन
डिजिटल ओसियन की गिनती क्लाउड होस्टिंग देने वाली कंपनी के तौर पर होती है। इसका सबसे अधिक इस्तेमाल ब्लॉग और वेबसाइट के मालिक करते हैं, क्योंकि वह अपने कंटेंट को ऑनलाइन स्टोर करने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए डिजिटल ओसियन की सर्विस ली जाती है।
Ben और Moisey Uretsky के द्वारा साल 2011 में डिजिटल ओसियन की शुरुआत की गई थी, जो कि अमेरिका की एक क्लाउड पर आधारित मल्टीनेशनल कंपनी है। वर्तमान के समय में डिजिटल ओसियन कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 500 से ज्यादा है।
इसका हेड क्वार्टर अमेरिका के न्यूयॉर्क सिटी में मौजूद है। डिजिटल ओशियन के क्लाउड सर्विस के दाम की शुरुआत $5 से शुरू होती है और इसमें आपको $960 तक के प्लान मिल जाते हैं। डिजिटल ओसियन के द्वारा कस्टमर को प्राइवेट सर्वर भी उपलब्ध करवाया जाता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग के कुछ अन्य उदाहरण
Google Drive, Dropbox, Facebook, Gmail, Picasa, Flickr, Hubspot, Salesforce, Google Docs, Adobe Marketing Cloud, Amazon Web Services (AWS), SlideRocket, IBM Cloud, YouTube, Microsoft Azure, Yandex Media Fire, Mega, VMWare, Yahoo, Reddif है।
क्लाउड कंप्यूटिंग कैसे काम करती है?
एप्लीकेशन पर आधारित सॉफ्टवेयर इंफ्रास्ट्रक्चर होने के नाते क्लाउड कंप्यूटिंग के द्वारा डाटा को रिमोट सर्वर पर स्टोर किया जाता है। इसीलिए हम जब चाहे तब किसी भी जगह पर रहते हुए सरलता से इंटरनेट के जरिए डाटा को एक्सेस कर सकते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग किस प्रकार से काम करता है इसे समझने के लिए इसे फ्रंट एंड और बैक एंड जैसे दो भागों में डिवाइड किया जाता है।
इंटरनेट कनेक्शन और क्लाउड कंप्यूटिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके जो डाटा क्लाउड में स्टोर है, उसे एक्सेस करने की कैपेसिटी यूजर को फ्रंट एंड देता है। वहीं दूसरी तरफ सुरक्षित तौर पर डाटा को क्लाउड में स्टोर करने के लिए बैकऐंड महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
बैकऐंड में डाटा बेस, सेंट्रल सर्वर, कंप्यूटर इत्यादि सरवर शामिल होते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग की सर्विस देने वाली कंपनी के द्वारा डेटा की सुरक्षा को बरकरार रखने के लिए डाटा की विभिन्न कॉपी अलग-अलग क्लाउड सर्वर पर क्रिएट करती है।
क्लाउड कंप्यूटिंग की सेवाएं
सर्विस के आधार पर क्लाउड कंप्यूटिंग के मॉड्यूल की जानकारी और उनके नाम निम्नानुसार है।
1: Platform as a Service (PaaS)
PaaS का फुल फॉर्म Platform as a Service होता है। प्लेटफॉर्म एस ए सर्विस के मॉड्यूल में जो प्लेटफार्म अवेलेबल होता है, वहां पर सिर्फ डेवलपिंग से संबंधित काम ही होते हैं। जैसे कि एप्लीकेशन का निर्माण करना इत्यादि। इस प्लेटफार्म के द्वारा एप्लीकेशन डेवलपमेंट का समर्थन किया जाता है।
इसलिए एप्लीकेशन का निर्माण करने वाले एप डेवलपर अथवा वेब डेवलपर के लिए यह बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। यहां पर ऐसे कई टूल मिल जाते हैं जिसकी वजह से डेवलपमेंट से संबंधित कामों को करना आसान हो जाता है। इसमें समय-समय पर नए फीचर्स आते रहते हैं।
2: Software as a Service (SaaS)
SaaS का फुल फॉर्म होता Software as a Service है। क्लाउड कंप्यूटिंग के इस वाले मॉड्यूल में जो सॉफ्टवेयर अवेलेबल होता है उसका कंट्रोल यूजर के पास होता है। यूज़र उसे सरलता से इंटरनेट के द्वारा एक्सेस कर सकता है।
इसलिए यूजर को अपने डिवाइस में किसी भी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के लिए उसे इंस्टॉल करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती है। वेब आधारित ईमेल, ऑफिस सॉफ्टवेयर, ऑनलाइन गेम इत्यादि सॉफ्टवेयर एस ए सर्विस के प्रमुख उदाहरण है।
3: Infrastructure as a Service (IaaS)
IaaS का फुल फॉर्म Infrastructure as a Service होता है। बिजनेस के लिए यह काफी फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इस मॉड्यूल की सहायता से इंटरनेट के द्वारा कंप्यूटर रिसोर्सेज को वर्चुअल तरीके से एक्सेस करने की सुविधा मिलती है। बड़े बिजनेस से लेकर के छोटे बिजनेस के लिए यह फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसमें इन्फ्राट्रक्चर के पैसे कम लगते हैं। यह कंप्यूटिंग के कंपलीट पैकेज के साथ अवेलेबल होता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग
जो लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, उनके द्वारा दैनिक तौर पर क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल किया ही जाता है परंतु उन्हें इसके बारे में जानकारी ही नहीं होती है। देखा जाए तो वर्तमान के समय में क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करना काफी ज्यादा हो गया है और लगातार इसका इस्तेमाल बढ़ता ही जा रहा है। नीचे हम आपको कुछ ऐसे उपयोग बता रहे हैं जो कंप्यूटिंग के सामान्य और लोकप्रिय उपयोग में शामिल होते हैं।
1: डाटा का बैकअप लेने के लिए
किसी भी प्रकार के डाटा का बैकअप लेने के लिए भी क्लाउड कंप्यूटिंग को इस्तेमाल में ले सकते हैं।
2: क्लाउड डाटाबेस के लिए
क्लाउड डाटाबेस के लिए भी क्लाउड कंप्यूटिंग का यूज़ होता है।
3: कॉन्फिडेंटल और नॉन कॉन्फिडेंटल डाटा के मैनेजमेंट के लिए
अगर आप एक सामान्य व्यक्ति हैं और आप कॉन्फिडेंटल और नॉन कॉन्फिडेंटल डाटा को स्टोर करना चाहते हैं अथवा उसका मैनेजमेंट करना चाहते हैं या फिर उसे दूसरी जगह पर शेयर करना चाहते हैं तो इसके लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है। आप नोन कॉन्फिडेंटल और कॉन्फिडेंटल डाटा को स्टोर, मैनेज शेयर करने के लिए गूगल ड्राइव या फिर ड्रॉप बॉक्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
4: सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए
अपने हिसाब से सॉफ्टवेयर को डिवेलप करने के लिए और सॉफ्टवेयर बनाने के बाद उसकी टेस्टिंग करने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल किया जा सकता है।
5: अपने ब्लॉग और वेबसाइट की होस्टिंग के लिए
आपने अपनी खुद की कोई वेबसाइट बनाई हुई है या फिर आपके पास अपना खुद का ब्लॉग मौजूद है और आप उसे होस्ट करना चाहते हैं तो इसके लिए भी आप क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप होस्टिंग मेंटेन करने से बच जाते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग की सर्विस खरीदने के लिए आप डिजिटल ओशियन का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि इसी प्लेटफार्म का सबसे ज्यादा इस्तेमाल वेबसाइट और ब्लॉग के मालिकों के द्वारा किया जाता है।
6: डाटा एनालिसिस के लिए
बड़ी-बड़ी कंपनियों के पास काफी बड़े पैमाने पर डाटा उपलब्ध होता है। ऐसे में उन डाटा का एनालिसिस करना समय-समय पर जरूरी होता है। इसीलिए बड़ी-बड़ी कंपनियों के द्वारा डाटा का एनालिसिस करने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि क्लाउड कंप्यूटिंग के द्वारा डाटा को एनालाइज करना सरल होता है।
7: एंटीवायरस के लिए
क्लाउड कंप्यूटिंग में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर भी अवेलेबल होता है। इस एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का काम होता है बिजनेस के सिस्टम पर लगातार निगरानी बनाकर रखना और उन्हें किसी भी प्रकार के वायरस से नुकसान होने से बचाना।
जब क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी का इजाद नहीं किया गया था तो अपने कंप्यूटर पर एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल लोगों को बिजनेस को वायरस से बचाने के लिए करना पड़ता था परंतु वर्तमान के समय में क्लाउड कंप्यूटिंग की वजह से यह सब होना बंद हो गया है।
8: ई-कॉमर्स में
ई-कॉमर्स के अंतर्गत अलग अलग आइटम होते हैं जिनके अलग अलग डाटा का निर्माण होता है। जिन डेटा का निर्माण होता है उन्हें ऑनलाइन स्टोर करने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल होता है।
9: शिक्षा में
एजुकेशन की फील्ड में ऑनलाइन डिस्टेंस प्रोग्राम लर्निंग, स्टूडेंट इनफॉरमेशन पोर्टल और ई लर्निंग के लिए भी क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल होता है। इस टेक्नोलॉजी के द्वारा विद्यार्थियों के डाटा को ऑनलाइन स्टोर किया जाता है साथ ही इसी टेक्नोलॉजी के द्वारा दुनिया के हर कोने में ऑनलाइन एजुकेशन प्रदान की जा रही है।
10: ई गवर्नेंस में
विभिन्न प्रकार के गवर्नमेंट कामों को पूरा करने के लिए भी क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल होने लगा है। ऐसी कोई भी गवर्नमेंट संस्था आज बची हुई नहीं है, जहां पर क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल ना होता हो अथवा कंप्यूटर का इस्तेमाल ना होता हो।
गवर्नमेंट के द्वारा लाखों की संख्या में अथवा करोड़ों की संख्या में लोगों के डाटा को क्लाउड के अंदर ही स्टोर किया जाता है, ताकि गवर्नमेंट के वर्कर जब चाहे तब उस डाटा को ऑनलाइन किसी भी जगह पर बैठे-बैठे एक्सेस कर सके। हमारे और आपके आधार कार्ड की जो जानकारी होती है, वह गवर्नमेंट के द्वारा क्लाउड में ही सुरक्षित की जाती है।
11: मेडिकल की फील्ड मे क्लाउड कंप्यूटिंग की उपयोगिता
पेशंट के विभिन्न प्रकार के डाटा को स्टोर करने के लिए और उन्हें एक्सेस करने के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा इसके द्वारा पेशेंट के बीच इंफॉर्मेशन को सरलता से वितरित किया जाता है। क्लाउड कंप्यूटिंग के द्वारा ही डॉक्टर सरलता से एंबुलेंस इंफॉर्मेशन अथवा इमरजेंसी कॉल को एक्सेस कर पाते हैं।
12: इंटरटेनमेंट की फील्ड में
क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल एंटरटेनमेंट की फील्ड में भी किया जाता है। यह टेक्नोलॉजी अलग-अलग एंटरटेनमेंट एप्लीकेशन जैसे कि ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग अथवा ऑनलाइन गेम प्रदान करती है।
क्लाउड कंप्यूटिंग के फायदे?
क्लाउड कंप्यूटिंग के लाभ क्या है? क्लाउड कंप्यूटिंग के फायदे क्या है अथवा क्लाउड कंप्यूटिंग के एडवांटेज क्या है? आइए इनके बारे में जानते हैं।
- क्लाउड कंप्यूटिंग की एक खासियत यह भी होती है कि इसे आप जब चाहे तब बढ़ा सकते हैं। इसके लिए आपको अपने प्लान में बदलाव करना होगा।
- क्लाउड कंप्यूटिंग के द्वारा ही यूजर के समय की काफी बचत होती है।
- आपको क्लाउड कंप्यूटिंग में अपने आवश्यक डाटा का बैकअप लेने की सुविधा भी प्राप्त होती है।
- क्लाउड कंप्यूटिंग को कुछ इस प्रकार से डिवेलप किया गया है कि सामान्य से सामान्य इंटरनेट चलाने वाला व्यक्ति भी इसे सरलता से इस्तेमाल कर सकता है। अगर आप वेब ब्राउज़र किस प्रकार से चलाया जाता है की जानकारी रखते हैं तो आप सरलता से क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि इसे वेब ब्राउज़र के द्वारा ही एक्सेस किया जाता है।
- क्लाउड कंप्यूटिंग के जो हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर होते हैं उनकी देखरेख की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि उनका देखरेख करने की जिम्मेदारी उसी कंपनी की होती है जिस कंपनी के द्वारा क्लाउड कंप्यूटिंग की सर्विस दी जा रही है।
- क्लाउड कंप्यूटिंग तेज गति से काम करता है, क्योंकि इसकी स्पीड काफी फास्ट होती है और इसे किसी भी जगह पर रहते हुए ऑनलाइन सरलता से इंटरनेट कनेक्शन के द्वारा एक्सेस किया जा सकता है।
- बड़े से लेकर के छोटे बिजनेस के लिए क्लाउड कंप्यूटिंग बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि बिजनेस करने वाले लोग अगर इसका इस्तेमाल करते हैं तो इसका इस्तेमाल करने में उन्हें कम ही पैसे खर्च करने की आवश्यकता होती है और उन्हें अच्छी सर्विस भी प्राप्त होती है।
- आपके पास चाहे टेबलेट मौजूद हो, चाहे स्मार्टफोन मौजूद हो या फिर आपके पास कंप्यूटर, लैपटॉप अथवा डेस्कटॉप उपलब्ध हो, आप इनमें से किसी भी डिवाइस के द्वारा इंटरनेट के जरिए क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- क्लाउड कंप्यूटिंग की सिक्योरिटी की जिम्मेदारी क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस देने वाली कंपनी की ही होती है। इसलिए उनके द्वारा यहां पर सिक्योरिटी मजबूत रखी जाती है। इसलिए यहां पर आपके जो डाटा होते हैं वह सुरक्षित होते हैं।
क्लाउड कंप्यूटिंग के नुकसान?
आइए अब जानते हैं कि क्लाउड कंप्यूटिंग के डिसएडवांटेज क्या है अथवा क्लाउड कंप्यूटिंग की हानि क्या है।
- किसी ऐसी जगह पर अगर आप निवास करते हैं, जहां पर इंटरनेट कनेक्टिविटी अच्छी नहीं है या फिर इंटरनेट ही उपलब्ध नहीं है तो आप उस जगह पर क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा वहां पर क्लाउड कंप्यूटिंग के डाटा को भी हासिल नहीं किया जा सकता है।
- ऐसा कई बार होता है जब इंटरनेट काम करना बंद कर देता है या फिर सरकार के द्वारा कुछ इमरजेंसी अवस्था में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है तो क्लाउड कंप्यूटिंग बिजनेस को नुकसान होता है।
- परंतु अगर आपके पास पेनड्राइव उपलब्ध है तो आप पेनड्राइव में मौजूद डाटा को अपने साथ कहीं भी लेकर जा सकते हैं और उसका इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि पेनड्राइव पोर्टेबल डिवाइस होता है और इसका आकार छोटा होता है।
- यह बात ध्यान देने वाली है कि आप अपने डाटा को क्लाउड कंप्यूटिंग का इस्तेमाल करने के किसी थर्ड पार्टी को प्रदान करते हैं। ऐसे में अगर आपका कोई महत्वपूर्ण डाटा है जो आप शेयर कर रहे हैं तो उसका इस्तेमाल क्लाउड कंप्यूटिंग के द्वारा किया जा सकता है।
- क्लाउड कंप्यूटिंग में अवेलेबल डाटा को साइबरक्रिमिनल के द्वारा अक्सर हैक करने का प्रयास किया जाता है हालांकि इसके लिए क्लाउड कंप्यूटिंग की सुविधा देने वाली वेबसाइट के द्वारा विभिन्न डाटा इंक्रिप्शन से संबंधित सुरक्षा प्रदान की जाती है, जिनका इस्तेमाल निश्चित तौर पर आपको करना चाहिए।
विभिन्न क्लाउड कंप्यूटिंग कोर्स
क्लाउड कंप्यूटिंग के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, बैचलर और मास्टर कोर्स निम्नानुसार है।
1: क्लाउड कंप्यूटिंग सर्टिफिकेट कोर्स
- Cloud Computing Engineering and Management
- Cloud Computing
- Cloud Computing with AWS
- FDP on Cloud Computing
- Recent Advances in Network and Cloud Security
2: क्लाउड कंप्यूटिंग डिप्लोमा कोर्स
- Advanced Certification in Machine Learning and Cloud
- Advanced Certification in Cloud Computing
- PG Certification in Cloud and Devops
- PG Certificate Program in Cloud Computing
3: क्लाउड कंप्यूटिंग बैचलर कोर्स
- BTech Cloud Technology
- BTech Cloud Computing and Virtualization Technology
- BTech CSE
- BTech IT
4: क्लाउड कंप्यूटिंग मास्टर कोर्स
- MTech Cloud Computing
- MTech CSE
- MTech IT
क्या क्लाउड कंप्यूटिंग सुरक्षित है?
डाटा और सॉफ्टवेयर को क्लाउड कंप्यूटिंग में दूर बैठे बैठे ही स्टोर किया जाता है। इसीलिए क्लाउड कंप्यूटिंग में डाटा सिक्योरिटी और प्लेटफार्म सिक्योरिटी एक बहुत बड़ी चिंता का विषय होता है।
यहां पर क्लाउड सिक्योरिटी का मतलब होता है क्लाउड पर आधारित सर्विस पर स्टोर डिजिटल प्रॉपर्टी और डाटा की सिक्योरिटी के लिए किए गए उपाय। इस डेटा की सुरक्षा के लिए टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन, वीपीएन का इस्तेमाल, सिक्योरिटी टोकन, डाटा इंक्रिप्शन और फायर बॉल जैसी सेवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
FAQ:
ANS: क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है अथवा क्लाउड कंप्यूटिंग का मतलब क्या है, से संबंधित जानकारी विस्तार से आर्टिकल में दी गई है।
ANS: क्लाउड कंप्यूटिंग मुख्य तौर पर चार प्रकार की होती है जिनके नाम पब्लिक क्लाउड कंप्यूटिंग (Public Cloud Computing), प्राइवेट क्लाउड कंप्यूटिंग (Private Cloud Computing), हाइब्रिड क्लाउड कंप्यूटिंग (Hybrid Cloud Computing), कम्युनिटी क्लाउड कंप्यूटिंग (Community Cloud Computing) है।
ANS: Google Drive, Dropbox, Facebook, Gmail, Picasa, Flickr, Hubspot, Salesforce, Google Docs, Adobe Marketing Cloud
ANS: क्लाउड कंप्यूटिंग का बैचलर कोर्स 4 साल का होता है और मास्टर कोर्स 1 से 2 साल का होता है।
आज के हमारे इस आर्टिकल में हमने आपको क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में संपूर्ण जानकारी दी है, हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा आज का यह लेख पसंद आया होगा और आपका कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी। और आप जान गये होगे की आख़िर यह क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है? (What is Cloud Computing in Hindi)
- इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) क्या है?
- Dark Web को Access कैसे करे? (Full Detail In Hindi)
- Web Hosting क्या है? इसके प्रकार और कहाँ से खरीदें?
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