डार्क वेब क्या है और कैसे कम करता है? (Dark Web in Hindi)

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इंटरनेट चलाने के दरमियान आपने कभी ना कभी डार्क वेब का नाम अवश्य सुना होगा और आपके मन में यह ख्याल अवश्य आया होगा कि भला यह डार्क वेब कौन सी बला है और वास्तव में डार्क वेब क्या है और कैसे कम करता है? (Dark Web in Hindi) डिजिटल होती जाती दुनिया अब अधिकतर समय ऑनलाइन बिताती है। 

डार्क वेब क्या है और कैसे कम करता है? (Dark Web in Hindi)


ऐसे में कभी-कभी ऑनलाइन हमें कुछ ऐसी चीजें दिखाई देती है, जिनके बारे में हमें कुछ भी नहीं पता होता है, ऐसी ही एक चीज है डार्क वेब।

अगर आप डार्क वेब के बारे में जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल के जरिए आपको डार्क वेब क्या है और डार्क वेब के बारे में फुल इनफार्मेशन हिंदी में प्राप्त होगी।

डार्क वेब क्या है? (What is Dark Web in Hindi)

एक प्रकार से देखा जाए तो डार्क वेब इंटरनेट का ही हिस्सा होता है परंतु इसका इस्तेमाल ऐसे कामों को करने के लिए किया जाता है जो इलीगल यानी की गैर कानूनी काम होते हैं। डार्क वेब का इस्तेमाल आप पॉपुलर सर्च इंजन जैसे कि विंग, याहू या फिर गूगल में नहीं कर सकते हैं। 


एक्सपर्ट के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इंटरनेट पर जितनी भी जानकारी उपलब्ध है वह सिर्फ 4 परसेंट ही सर्च इंजन में हमें दिखाई देती है जिसे सरफेस वेब कहकर बुलाया जाता है। इसका सीधा सा अर्थ यह होता है कि जो बचा हुआ 96 परसेंट भाग है उसे डार्कनेट या फिर डार्क वेब कहा जाता है।

बता दें कि, डार्क वेब में बहुत सारी ऐसी वेबसाइट होती है, जो सामान्य तौर पर दिखाई नहीं देती है, क्योंकि जो भी वेबसाइट डार्क वेब में होती है उनके आईपी ऐड्रेस को उन वेबसाइट के मालिक के द्वारा जानबूझकर के छुपा कर रखा जाता है ताकि कोई भी उनकी वेबसाइट के बारे में ना जान सके। हालांकि फिर भी वह छुपे तौर पर अपनी वेबसाइट को चलाते रहते हैं।

अगर किसी व्यक्ति को इस प्रकार की वेबसाइट को एक्सेस करना है तो उसे कुछ खास प्रकार के ब्राउज़र का इस्तेमाल करना पड़ता है। जैसे कि उदाहरण के स्वरूप अगर आप डार्क वेब में शामिल वेबसाइट को एक्सेस करना चाहते हैं या फिर उसकी सर्फिंग करना चाहते हैं तो आपको टोर ब्राउज़र का इस्तेमाल करना पड़ेगा। इसके अलावा भी ऐसे कई ब्राउज़र है, जिसके जरिए आप डार्क वेब में शामिल वेबसाइट को एक्सेस कर सकते हैं।


Image: pixabay

डार्क वेब कैसे काम करता है?

जिस प्रकार आप आसानी से इंटरनेट पर जाकर के किसी भी ऐसी वेबसाइट को एक्सेस कर सकते हैं, जो पब्लिक होती है, उस प्रकार आप अगर डार्क वेब में शामिल वेबसाइट को एक्सेस करना चाहते हैं, तो आपको ऐसा करने में थोड़ी सी कठिनाई हो सकती है, क्योंकि कोई भी नॉर्मल व्यक्ति डार्क वेब में शामिल वेबसाइट को एक्सेस नहीं कर सकता।

अगर आप यह सोचते हैं कि आप गूगल क्रोम ब्राउजर, यूसी ब्राउजर या फिर सफारी जैसे ब्राउज़र का इस्तेमाल करके डार्क वेब में शामिल वेबसाइट को एक्सेस कर सकते हैं, तो ऐसा बिल्कुल भी पॉसिबल नहीं है, क्योंकि हमने आपको ऊपर पहले ही यह जानकारी दी है कि डार्क वेब में शामिल वेबसाइट को एक्सेस करने के लिए आपको किसी स्पेशल ब्राउज़र की आवश्यकता पड़ेगी और एक ऐसा ब्राउज़र है जिसके जरिए आप डार्क वेब में शामिल वेबसाइट को चला सकते हैं या फिर उसे एक्सेस कर सकते हैं।

जितनी भी वेबसाइट डार्क वेब में शामिल होती हैं, उन सभी के जो डोमेन होते हैं वह बिल्कुल डिफरेंट टाइप के होते हैं। उदाहरण के स्वरूप .onion, इस प्रकार के डोमेन का इस्तेमाल डार्क वेब में ज्यादा होता है।


ऐसे हर व्यक्ति को कुछ स्पेशल प्रकार के नियमों का पालन करना पड़ेगा जो डार्क वेब में इंटर करना चाहता है, क्योंकि डार्क वेब में इंटर होने के लिए उसे नियमों की जानकारी होनी चाहिए तभी वह इसके अंदर लॉगइन क्रिएट कर पाएंगे और डार्क वेब को चला सकेंगे। डार्क वेब को एक्सेस करने के लिए कुछ नियमों की जानकारी हम आपको नीचे प्रोवाइड करवा रहे हैं।

1: आपने VPN का नाम तो अवश्य सुना ही होगा। यही वह तरीका है जिसका इस्तेमाल करके आप डार्क वेब को एक्सेस कर सकते हैं या फिर उसे चला सकते हैं। वीपीएन की सहायता से आप अपनी पहचान छुपा सकते हैं। बीपीएन का इस्तेमाल करके डार्क वेब को एक्सेस करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि डार्क वेब में जो वेबसाइट शामिल होती है वह एक्सेस करने के लिए सुरक्षित नहीं मानी जाती है।

इसके साथ ही डार्क वेब में जो वेबसाइट होती हैं उनमें हैकर के द्वारा कुछ कोड भी in-plant किए जाते हैं। ऐसी अवस्था में अगर आप वीपीएन के जरिए इसका इस्तेमाल करते हैं तो आपके पर्सनल डाटा की चोरी होने की संभावना बहुत ही कम होती है। इस प्रकार डार्क वेब को Access करने का पहला नियम यह है कि आपको किसी बीपीएन का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि आपका डाटा सुरक्षित रह सके।


2: TOR ब्राउज़र एक ऐसा ब्राउज़र है, जिसे अधिकतर लोगों के द्वारा डार्क वेब में शामिल वेबसाइट को एक्सेस करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस ब्राउज़र का इस्तेमाल करके आप डार्क वेब में लॉगइन क्रिएट कर सकते हैं। हालांकि हम आपको यह बात स्पेशल तौर पर कह दे कि अगर आप टोर ब्राउज़र का इस्तेमाल करके डार्क वेब को एक्सेस करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको टोर ब्राउज़र को इसकी ऑफिशियल वेबसाइट से डाउनलोड करना चाहिए।

क्योंकि इंटरनेट पर कई ऐसी वेबसाइट है जो टोर ब्राउजर की डुप्लीकेट एपीके फाइल को अपलोड करती हैं। ऐसे में अगर आप उसका इस्तेमाल करते हैं तो आपके स्मार्टफोन पर या फिर आपके डिवाइस पर वायरस का अटैक हो सकता है और आपके पर्सनल डाटा भी चोरी हो सकते हैं। इसीलिए इसे इसकी ऑफिशियल वेबसाइट से ही लोड करके इस्तेमाल करें।

3: डार्क वेब में जब आप एक्सेस प्राप्त कर लेते हैं, तो जो भी एप्लीकेशन और प्रोग्राम है आपको उन्हें तुरंत ही स्टॉप यानी की बंद कर देना चाहिए। ऐसा करने पर आप सरलता के साथ इसमें Crawl कर पाएंगे। बता दें कि अगर आप डार्क वेब में इंटर हो जाने के बाद कुछ सर्च करना चाहते हैं तो आपको ग्राम सर्च इंजन का यूज करना चाहिए। यह सर्च इंजन ठीक उसी प्रकार काम करता है जैसे गूगल सर्च इंजन काम करता है। इस पर आप किसी भी चीज के बारे में सर्च कर सकते हैं और नॉर्मल सर्फिंग भी कर सकते हैं।

डार्कनेट मार्केट क्या है?

बता दें कि डार्कनेट एक प्रकार की इंडस्ट्री होती है और यह इंडस्ट्री डार्क वेब में चलाई जाती है। आपकी इंफॉर्मेशन के लिए यह भी बता दें कि इस प्रकार की जो इंडस्ट्री होती है, उनमें डिफेंस सीक्रेट, चाइल्ड ट्रैफिकिंग, पोर्न और गवर्नमेंट की गुप्त जानकारी मौजूद होती है। 

जिस किसी भी व्यक्ति को डार्क वेब की सहायता से क्रेडिट कार्ड खरीदना होता है, वह इसके जरिए ऐसा कर सकता है। इसके अलावा आपको यह भी जान लेना चाहिए कि डार्क वेब ही वह तरीका होता है जो चोरी के पैसे को पाने का या फिर किसी भी चुराई गई जानकारी को पाने का या फिर कंप्यूटर सिस्टम को हैक करने का एक अच्छा तरीका माना जाता है। इसीलिए किसी भी प्रकार की हैकिंग को करने के लिए अधिकतर हैकर डार्क वेब का इस्तेमाल भारी मात्रा में करते हैं।

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सरफेस वेब क्या है?

हम अपनी डेली लाइफ में सामान्यतः इंटरनेट के जिस भाग का इस्तेमाल करते हैं उसे सरफेस वेब कहते हैं। हम याहू, बिंग या फिर गूगल का इस्तेमाल करके जितनी भी वेबसाइट को चलाते हैं वह सभी वेबसाइट इसके अंतर्गत ही आती है। अगर इंटरनेट पर इसके भाग के बारे में बात करें तो तकरीबन 4 पर्सेंट इंटरनेट का पूरा भाग सरफेस वेब ही होता है। 

इंटरनेट के सरफेस वेब के भाग को कोई भी आसानी से एक्सेस कर सकता है, क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति के लिए एक्सेस करने के लिए उपलब्ध होता है। इसके भाग को एक्सेस करने के लिए आपको ना तो किसी भी प्रकार के वीपीएन को इंस्टॉल करने की आवश्यकता पड़ती है ना ही आपको किसी भी प्रकार के स्पेशल ब्राउजर को इंस्टॉल करने की आवश्यकता पड़ती है ना हीं आपको किसी स्पेशल परमिशन की भी आवश्यकता पड़ती है। 

गूगल क्रोम, फायर फॉक्स और ओपेरा जैसे ऐसे कई ब्राउज़र है जिसके जरिए आप इसे चला सकते हैं या फिर इसका एक्सेस कर सकते हैं।

डीप वेब क्या है?

जैसा कि आप जानते हैं कि जितने भी वेबपेज होते हैं उन्हें सर्च इंजन इंडेक्स करता है और उसके बाद ही वह वेबपेज हमें इंटरनेट पर दिखाई देते हैं परंतु कुछ वेबपेज ऐसे होते हैं, जिन्हें सर्च इंजन इंडेक्स करने का काम नहीं करता है। और अगर कभी हमें इस प्रकार के वेबपेज को एक्सेस करने की इच्छा होती है तो हमें इस प्रकार के वेबपेज को एक्सेस करने के लिए लॉगिन करने की आवश्यकता पड़ती है।

आपको यह भी बता दें कि, बिना परमिशन के हम इस प्रकार के वेबपेज को नहीं देख सकते हैं ना ही इसे एक्सेस कर सकते हैं। जो भी कंटेंट डीप वेब में उपलब्ध होता है उसे देखने के लिए हमें लॉगइन क्रिएट करना पड़ता है। 

इसे आप बिल्कुल ऐसा समझे कि जिस प्रकार आप को फेसबुक चलाने के लिए लॉगइन करना पड़ता है, इंस्टाग्राम चलाने के लिए लॉग इन करना पड़ता है, उसी प्रकार आपको डीप वेब में शामिल वेब पेज या फिर वेबसाइट को देखने के लिए लॉगइन क्रिएट करना पड़ता है, तभी आप इसमें शामिल वेबसाइट या फिर वेब पेज को देख सकते हैं अथवा नहीं। 

इन शार्ट हमारा कहने का तात्पर्य यह है कि आपको डीप वेब में शामिल वेब पेज या फिर वेबसाइट को देखने के लिए लॉगिन करना ही पड़ेगा।

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डार्क वेब की शुरुवात कैसे हुई?

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जब इंटरनेट की स्टार्टिंग हुई थी, तो उसी टाइम से ही डार्क वेब की भी स्टार्टिंग हो चुकी थी और तभी से कई लोगों ने डार्क वेब की इंपोर्टेंस को समझा और इसका इस्तेमाल करके विभिन्न प्रकार के इल्लीगल कामों को अंजाम दिया। नीचे आपको डार्क वेब की स्टार्टिंग कैसे हुई, इसके बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है।

1: 1970 के आसपास में

जब इंटरनेट चालू हुआ था, तो उसके पहले भी एक चीज चालू हुई थी जिसे ARPANET कहा जाता था। आपकी इंफॉर्मेशन के लिए बता दें कि साल 1970 के आसपास में कुछ लोगों ने इसी नेटवर्क का इस्तेमाल करके एमआईटी के विद्यार्थियों को ड्रग्स बेचने का काम किया था।

हालांकि इससे भी बड़ी बात यह थी कि जब इंटरनेट चालू हुआ था तब लोगों को इसके बारे में कुछ भी नहीं पता था। कई लोग तो इसके बारे में जानना तक भी जरूरी नहीं समझते थे, ना ही लोग इसके बारे में चर्चा करते थे, उनके लिए यह एक ऐसी चीज थी जो उनकी कल्पना से परे थी।

2: साल 200 के आसपास में

आपको यह याद करवा दें कि साल 2002 के आसपास में फ्री नेट की लॉन्चिंग हुई थी और यही वह साल था जिस टाइम में डार्क वेब की असली शुरुआत को माना जा सकता है। फ्री नेट जब लांच हुआ था तब लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं थी परंतु जैसे-जैसे लोगों को यह पता चलता गया कि वह इसके जरिए अपनी पहचान छुपा सकते हैं और अपनी पहचान छुपा कर के एक दूसरे के साथ फाइल का आदान-प्रदान कर सकते हैं तो उसके बाद लोगों ने इसका काफी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करना चालू किया।

फ्री नेट की सबसे खास बात यह थी कि जो भी व्यक्ति इसका इस्तेमाल करता था, उसके बारे में किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त करना इतना आसान नहीं था, क्योंकि इसके फीचर बहुत ही शानदार थे, इसीलिए काफी कम टाइम में यह लोगों के बीच पॉपुलर हो गया।

3: साल 2002 के आसपास में

हमने आपको ऊपर बार-बार यह कहा कि टोर ब्राउज़र एक ऐसा ब्राउज़र है, जिसे डार्क वेब को एक्सेस करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस ब्राउज़र की स्टार्टिंग साल 2002 में हुई थी और अपनी स्टार्टिंग के बाद से ही यह एक क्रांतिकारी ब्राउजर डार्क वेब को एक्सेस करने के लिए साबित हुआ।

डार्क वेब में इंटर करने के लिए आप टोर ब्राउज़र का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा डार्क वेब में शामिल किसी भी प्रकार की वेबसाइट को एक्सेस करने के लिए भी आप इस ब्राउज़र का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह ब्राउज़र आपको यह सुविधा देता है कि आप अपनी पहचान छुपा कर के अपनी लोकेशन को भी छुपा कर के डार्क वेब में शामिल वेबसाइट को एक्सेस कर सके अथवा उसकी सर्फिंग कर सकें।

4: साल 2009 के आसपास में!

आजकल बिटकॉइन का काफी ज्यादा बोलबाला है। हालांकि इसकी शुरुआत आज नहीं बल्कि साल 2009 में ही हो गई थी और बिटकॉइन कि जब स्टार्टिंग हुई थी तब शायद ही लोगों को यह पता था कि बिटकॉइन का लेनदेन करने के लिए कभी डार्क वेब का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने लगेगा। आज डार्क वेब एक ऐसा जरिया बन चुका है जिसका इस्तेमाल ऑनलाइन क्रिप्टोकरंसी का लेन देन करने के लिए किया जा रहा है वह भी गवर्नमेंट की नजरों में छुप करके।

डार्क वेब का इस्तेमाल कैसे करे?

ना तो डार्क वेब को एक्सेस करना आसान है ना ही इसे एक्सेस करना मुश्किल है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके बारे में अगर आपको एक बार जानकारी हो जाती है तो आप आसानी से डार्क वेब को एक्सेस कर सकते हैं। अगर आप डार्क वेब को एक्सेस करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कौन सी प्रक्रिया का पालन करना पड़ेगा, इसकी जानकारी नीचे हम आपको स्टेप बाय स्टेप बता रहे हैं, ताकि आप बिना किसी परेशानी के डार्क वेब को एक्सेस कर सकें।

1: VPN को इंस्टॉल करें

अगर आप डार्क वेब को एक्सेस करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको वीपीएन सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करना पड़ेगा। VPN सॉफ्टवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है जो आपके ip-address को छुपाता है। एक प्रकार से यह आपकी आईडेंटिटी यानी कि आपकी पहचान को छुपाने का काम करता है और आपको यह सर्विस देता है कि आप अपनी लोकेशन को छुपा कर के इंटरनेट की सर्फिंग कर सकें।

हालांकि हम आपको यहां पर बता दें कि बीपीएन सर्विस देने वाले कई सॉफ्टवेयर आपको इंटरनेट पर मिल जाएंगे परंतु उसमें से जो वास्तव में काम करता है आपको उन्हीं वीपीएन सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करना चाहिए।

2: टोर ब्राउजर को इंस्टॉल करें

अगर आप अपने स्मार्टफोन में क्रोम ब्राउज़र का इस्तेमाल करते हैं और उसके जरिए आप डार्कनेट को एक्सेस करना चाहते हैं तो यह करना पॉसिबल नहीं है, क्योंकि डार्क नेट पर जो वेबसाइट उपलब्ध होती हैं, उनका डोमेन एक्सटेंशन बिल्कुल अलग प्रकार का होता है।

इसीलिए इस प्रकार की वेबसाइट को एक्सेस करने के लिए आपको टोर ब्राउज़र का इस्तेमाल करना पड़ेगा। आपको टोर ब्राउज़र इसकी ऑफिशल वेबसाइट से डाउनलोड कर लेना है ताकि आपको सही ब्राउजर डाउनलोड हो।

3: डार्क वेब एक्सेस करें 

टोर ब्राउजर डाउनलोड कर लेने के बाद आप डार्क वेब को एक्सेस कर सकते हैं और उस पर जितनी भी वेबसाइट हैं, उसमें भी लॉगइन क्रिएट कर सकते हैं।

डार्क वेब के नुकसान क्या है?

जिस प्रकार हर चीज के कुछ ना कुछ फायदे होते हैं उसी प्रकार हर चीज के कुछ ना कुछ नुकसान भी होते हैं। वैसे तो डार्क वेब को लोगों के फायदे के लिए ही बनाया गया है परंतु जिन लोगों के दिमाग में इसका गलत इस्तेमाल करने के आईडीया आते हैं, वह इसका इस्तेमाल गलत कामों को करने के लिए करते हैं। डार्क वेब के खतरे कौन-कौन से हैं अथवा डार्क वेब का नुकसान क्या है? इसके बारे में आगे आपको बताया जा रहा है।

1: मालवेयर और वायरस का खतरा

डार्क वेब को एक्सेस करने के दरमियान आपको ऐसे कई लिंक दिखाई देते हैं जो देखने में काफी ज्यादा आकर्षक होते हैं और अगर आप ऐसे लिंक पर क्लिक कर देते हैं तो इसके जरिए आपके डिवाइस में खतरनाक वायरस इंटर कर जाते हैं जो आपके डिवाइस के सिस्टम को बिगाड़ सकते हैं। इसके अलावा वह आपके डिवाइस को हैंगिंग डिवाइस भी बना सकते हैं।

2: फिशिंग और स्कैम का खतरा

डार्क वेब को चलाने के दरमियान आपको ऐसी बहुत सारी वेबसाइट यहां पर दिखाई देंगी, जो देखने में बिल्कुल प्रोफेशनल वेबसाइट की तरह ही दिखाई देती है परंतु यह दूसरी पॉपुलर वेबसाइट की डुप्लीकेट वेबसाइट होती है और अगर आप सावधानी के साथ इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं तो हो सकता है कि आप किसी बहुत बड़े फ्रॉड या फिर Scam का शिकार भी हो जाए।

3: पर्सनल डाटा चोरी होना

यहां पर काफी बड़े पैमाने पर पर्सनल डाटा चोरी होने की संभावना भी होती है। इसीलिए अगर आप लापरवाही के साथ डार्क वेब का इस्तेमाल करते हैं तो आपके डिवाइस में जो भी पर्सनल डाटा है वह चोरी हो सकते हैं, जिसके कारण आपको काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है अथवा आपकी बदनामी भी हो सकती है।

4: वेबकैम हाईजैक होना 

अगर आप अपने डिवाइस में वेबकैम का इस्तेमाल करते हैं तो यहां से कुछ ऐसे अनवांटेड प्रोग्राम आपके डिवाइस में इंस्टॉल हो सकते हैं जो आपके वेबकैम को एक्सेस करने की परमिशन प्राप्त कर लेते हैं। इसके बाद अगर आप अपने वेबकैम का इस्तेमाल करते हैं तो यह स्पेशल प्रोग्राम आपके वेबकैम की सभी जानकारी हैकर को देते हैं। इस प्रकार आपकी प्राइवेसी को यहां पर काफी ज्यादा खतरा होता है।

5: असामान्य कंटेंट

डार्क वेब पर ऐसी बहुत सारी वेबसाइट देखने को मिलती है जिनके नाम एक तो बिल्कुल अजीब होते हैं और उन पर जो कंटेंट होते हैं वह उनसे भी ज्यादा अजीब होते हैं। यहां पर आपको ऐसी वेबसाइट की भरमार मिलेगी जिन पर आपको पोर्नोग्राफी, जानवरों की हत्या और अन्य उटपटांग कंटेंट मिलेंगे जो देखने में बहुत ही अजीबोगरीब होते हैं।

डार्क वेब के फायदे क्या है?

अगर डार्क वेब के कुछ नुकसान है तो इसके कुछ ना कुछ फायदे भी है क्योंकि तभी तो इसे बनाया गया है। आइए आपको डार्क वेब के कौन-कौन से फायदे हैं इसके बारे में भी जानकारी प्रदान करते हैं।

1: छुपकर सर्फिंग करना

डार्क वेब को इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यहां पर आप अपनी पहचान यानी कि अपनी आइडेंटिटी को छुपा कर के सर्फिंग कर सकते हैं, क्योंकि कुछ लोगों के पास कुछ ऐसे काम होते हैं जिन्हें करने के लिए उन्हें अपनी आइडेंटिटी यानी की पहचान को छुपाने की आवश्यकता होती है। ऐसे में डार्क वेब पर आप यह कर सकते हैं।

जैसा कि आप यह जानते हैं कि जब आप इंटरनेट पर किसी भी चीज के बारे में सर्च करते हैं या फिर कोई भी क्रियाकलाप करते हैं तो उसकी जानकारी आपको तो होती ही है, इसके अलावा उस बात की जानकारी आप जिस प्लेटफार्म या फिर वेबसाइट का इस्तेमाल करते हैं उसे भी होती है।

उदाहरण के स्वरूप अगर आप फेसबुक का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आप फेसबुक में लॉगिन करते हैं। इस प्रकार फेसबुक को इस बात की जानकारी होती है कि आप उसमें लोगिन कर रहे हैं परंतु अगर आप डार्क वेब का इस्तेमाल करते हैं तो यहां पर थोड़ी सी सावधानी बरतने के कारण आप क्या कर रहे हैं उसकी जानकारी सिर्फ आपको होती है।

2: बोलने की आजादी

वैसे तो हमारे भारत देश में हर व्यक्ति को अपनी बात कहने की आजादी है परंतु कभी-कभी कुछ ऐसी बातें होती हैं जिन्हें कहने पर हमें नुकसान हो सकता है परंतु डार्क वेब पर आप अपनी बात को आसानी से लोगों के साथ शेयर कर सकते हैं और इससे आपको नुकसान होने की संभावना बहुत ही कम होती है।

3: इंफॉर्मेशन और रिसर्च के लिए

साइंटिस्ट, डॉक्टर और रिसर्च स्टूडेंट के लिए डार्क वेब बहुत ही फायदेमंद साबित होता है क्योंकि यहां पर उन्हें वह सभी स्टडी मटेरियल और लिटरेचर मिल जाते हैं, जो उन्हें नॉर्मल सर्च इंजन पर प्राप्त नहीं हो पाते हैं। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि, जो रिसर्च पब्लिक डोमेन में नहीं होते हैं वह भी यहां पर मिल जाते हैं।

Source: (Wikipedia, Investopedia)

FAQ:

डार्क वेब से क्या होता है?

डार्क वेब से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी आर्टिकल दी हुई है।

क्या डार्क वेब सेफ है?

नहीं।

तो दोस्तों उम्मीद है की अब आपको डार्क वेब से जुड़ी पूरी जानकारी मिल चुकी होगी, और अब आप जान गये होगे की डार्क वेब क्या है और कैसे कम करता है? फ़ायदे और नुक़सान! (Dark Web in Hindi)

यह भी पढ़े:

Hope की आपको डार्क वेब क्या है और कैसे कम करता है? (Dark Web in Hindi) का यह पोस्ट पसंद आया होगा, और हेल्पफ़ुल लगा होगा।

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हेलो दोस्तों, मेरा नाम अंकुर सिंह है और में New Delhi से हूँ। मैंने B.Tech (Computer Science) से ग्रेजुएशन किया है। और में इस ब्लॉग पर टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर, मोबाइल और इंटरनेट से जुड़े लेख लिखता हूँ।

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