इस आर्टिकल में हम डाटा और डेटाबेस के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने वाले हैं। हमें पता है कि डेटाबेस एक टेक्निकल शब्द है और इसीलिए हिंदी भाषा में डेटाबेस से संबंधित जो भी आर्टिकल इंटरनेट पर मौजूद है, उसमें बहुत ही कम जानकारी दी गई है और सभी बातों को कवर नहीं किया गया है। आइए जानते हैं डेटाबेस क्या है? और “डेटाबेस काम कैसे करता है” तथा “डेटाबेस के कितने प्रकार हैं” और “डेटाबेस का महत्व क्या है।”
इसलिए खास तौर पर हमने यह प्रयास किया हुआ है कि इस आर्टिकल में हम डेटाबेस से संबंधित सभी चीजों को कवर करें, ताकि आपको डेटाबेस से रिलेटेड एक कंपलीट आर्टिकल प्राप्त हो जाए, जिसके माध्यम से आप डेटाबेस से संबंधित सभी जानकारियों को पढ़कर डेटाबेस के बारे में कंप्लीट इनफार्मेशन प्राप्त कर ले।
डाटा क्या है?
डाटा इनफार्मेशन की एक अलग छोटी यूनिट का कलेक्शन होता है, जिसका इस्तेमाल अलग-अलग रूपों में कर सकते हैं। जैसे कि शब्दों के तौर पर, नंबर के तौर पर, मीडिया अथवा बाइट के तौर पर। डाटा को कागज के टुकड़े पर भी स्टोर कर सकते हैं अथवा इसे इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी में भी स्टोर कर सकते हैं।
पहले के समय में डाटा स्टोर करने के लिए कॉपी, किताब अथवा रजिस्टर का इस्तेमाल किया जाता था परंतु अब अधिकतर डाटा को स्टोर करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे कि कंप्यूटर, लैपटॉप, डेस्कटॉप, स्मार्ट फोन, आईपैड, आईफोन इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है।
डाटा शब्द की उत्पत्ति डेटम शब्द से हुई है, ऐसा माना जाता है, जिसका मतलब होता है सूचना का एक टुकड़ा अर्थात इंफॉर्मेशन का एक टुकड़ा। कंप्यूटिंग के नजरिए से देखा जाए तो डाटा वह इनफार्मेशन होती है जिसे एफिशिएंट मूवमेंट और प्रोसेसिंग के लिए एक रूप में ट्रांसलेट किया जा सकता है।
डाटा क्या है? उसकी पूरी जानकारी यहाँ है।
डेटाबेस क्या है? (What is Database in Hindi)
डेटाबेस में डाटा एक ऑर्गेनाइज कलेक्शन के तौर पर स्टोर होते हैं ताकि इसे सरलता से एक्सेस कर सके और इसे मैनेज कर सके। आप डाटा को टेबल, सीरीज, कॉलम और इंडेक्स में व्यवस्थित कर सकते हैं ताकि संबंधित इंफॉर्मेशन को खोजा जा सके।
यहां पर बता देना चाहते हैं कि डाटाबेस हैंडलर के द्वारा डाटाबेस को कुछ इस प्रकार से निर्मित किया जाता है कि सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का सिर्फ एक सेट सभी यूजर को डाटा तक पहुंच प्रदान कर सकें। अगर डेटाबेस के मुख्य उद्देश्य के बारे में बात की जाए तो डेटाबेस का मुख्य उद्देश्य डाटा को स्टोर करना होता है, डाटा को फिर से हासिल करना होता है और डाटा को प्रबंधित करके बड़ी मात्रा में इंफॉर्मेशन को मैनेज करना होता है।
डेटाबेस के द्वारा संचालित होने वाली बहुत सारी डायनेमिक वेबसाइट वर्तमान के समय में वर्ल्ड वाइड वेब पर उपलब्ध है। डेटाबेस के नाम के बारे में जानकारी प्राप्त की जाए तो MySQL, Sybase, Oracle, MongoDB, Informix, PostgreSQL, SQL Server इत्यादि जैसे कई डेटाबेस उपलब्ध हैं।
वर्तमान के समय के जो लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाले डेटाबेस है उनका मैनेजमेंट डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम के द्वारा किया जाता है। डेटाबेस में जो डाटा स्टोर होते हैं उस पर काम करने के लिए एसक्यूएल अथवा स्ट्रक्चर्ड क्वेरी लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है।
एसक्यूएल लैंग्वेज रिलेशनल बीजगणित और टपल रिलेशनल कैलकुलस पर डिपेंड होती है। बता देना चाहते हैं कि डेटाबेस की फोटो को प्रदर्शित करने के लिए एक बेलनाकार वाले स्ट्रक्चर का इस्तेमाल होता है।
डेटाबेस में जो इंफॉर्मेशन मौजूद होती है उसे ट्रांसफर किया जा सकता है या फिर उसके स्टोरेज में बदलाव किया जा सकता है। इसके अलावा डेटाबेस में जब चाहे तब नए डाटा को शामिल कर सकते हैं और पुराने डाटा को डिलीट कर सकते हैं अथवा उसमें एडिटिंग कर सकते हैं। इसके अलावा डेटाबेस को एक ही समय में बहुत सारे लोगों के द्वारा एक्सेस किया जा सकता है।
डेटाबेस सॉफ्टवेयर क्या है?
डाटाबेस सॉफ्टवेयर एक प्रकार का ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसके माध्यम से डेटाबेस से संबंधित कामों को किया जाता है। डाटाबेस सॉफ्टवेयर की सहायता से डाटाबेस की फाइल को क्रिएट किया जा सकता है अथवा डेटाबेस की फाइल के रिकॉर्ड को बनाया जा सकता है। इसके अलावा डेटाबेस में जो फाइल मौजूद है उसकी एडिटिंग कर सकते हैं।
बता दे कि डाटाबेस सॉफ्टवेयर डाटा स्टोरेज, बैकअप, रिर्पोटिंग, मल्टी एक्सेस कंट्रोल तथा सिक्योरिटी को भी संभालने का काम करता है। डाटाबेस सॉफ्टवेयर को संक्षेप में डीबीएस कहा जाता है।
डेटाबेस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल साइबर सिक्योरिटी को इमप्लांट करने के लिए भी किया जाता है, ताकि मालवेयर, वायरस और दूसरे सिक्योरिटी से संबंधित जोखिम से बचा जा सके। अधिकतर डाटाबेस सॉफ्टवेयर में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस होता है, जिसके माध्यम से यूजर को डेटाबेस में मौजूद डाटा को बेहतरीन ढंग से देखने में सरलता होती है।
DBMS क्या है?
डीबीएमएस का पूरा मतलब डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम होता है। हिंदी भाषा में डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम को डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली कहा जाता है। यह एक ऐसा सिस्टम होता है जिसकी सहायता से सरलता से डाटा का मैनेजमेंट हमारे द्वारा किया जा सकता है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम अर्थात डीबीएमएस में डाटा को बना करके तैयार किया जा सकता है अथवा मौजूद डाटा को डिलीट कर सकते हैं या फिर पहले से ही जो डाटा अवेलेबल है उसमें बदलाव कर सकते हैं अर्थात उसे अपडेट कर सकते हैं या फिर डेटा को कंट्रोल कर सकते हैं।
DBMS क्या है? उसकी पूरी जानकारी यहाँ है।
डेटाबेस कैसे काम करता है?
डेटाबेस के काम करने के तरीके को मुख्य तौर पर चार प्रकारों में बांटा गया है जिसमें सबसे पहले डाटा बनाया जाता है, उसके बाद डाटा को पढ़ा जाता है। इसके पश्चात आवश्यकता पड़ने पर डाटा में अपडेट करते हैं और सबसे आखरी में डाटा को डिलीट कर सकते हैं अथवा कर देते हैं। इस प्रकार से डाटाबेस के जो काम करने का तरीका होता है उसे डेटाबेस ऑपरेशन कहा जाता है।
सरल भाषा में कहा जाए तो सबसे पहले किसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है और सॉफ्टवेयर की सहायता से डेटाबेस को बना करके तैयार कर लिया जाता है। जैसे कि आपके द्वारा सॉफ्टवेयर के माध्यम से किसी एक्सेल फाइल को बनाया जाता है। एक बार डाटा बना लेने के बाद डाटा को सही प्रकार से पढ़ा जाता है ताकि किसी भी प्रकार की गलती होने पर पता चल सके।।
डाटा को पढ़ने के बाद अगर डाटा में किसी भी प्रकार का बदलाव करने की आवश्यकता होती है तो डेटाबेस में बदलाव किया जा सकता है अर्थात डेटाबेस को अपडेट करने की आवश्यकता होती है। अब आगे की प्रक्रिया में अगर डेटाबेस में से किसी इंफॉर्मेशन को डिलीट करना है तो डिलीट वाले ऑप्शन का इस्तेमाल किया जाता है और डेटाबेस में से उस इंफॉर्मेशन को निकाल दिया जाता है।
इस प्रकार से जब डेटाबेस बन करके रेडी हो जाता है तो इसके बाद आसानी से डेटाबेस को एक्सेस कर सकते हैं। हालांकि डेटाबेस बन जाने के बावजूद भी डेटाबेस में जब चाहे तब किसी भी प्रकार का बदलाव कर सकते हैं और किसी भी पुरानी इंफॉर्मेशन को हटा सकते हैं और नई इंफॉर्मेशन को डाल सकते हैं या फिर इंफॉर्मेशन में बदलाव कर सकते हैं।
डेटाबेस की आवश्यकता?
आज से लगभग 12-15 साल पहले डाटा को लिखने के लिए किताब अथवा कॉपी का इस्तेमाल किया जाता था और एक फाइल का निर्माण किया जाता था और उसे सुरक्षित जगह पर रखा जाता था, परंतु इस प्रकार में कई बार संबंधित डाटा को प्राप्त करना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता था, क्योंकि संबंधित किताब अथवा कॉपी मिल ही नहीं पाती थी। इसके अलावा इस प्रकार में अन्य कई नुकसान भी थे।
जैसे कि कागजों पर जो डाटा मौजूद होते थे वह खराब हो जाते थे अथवा कोई कागज खो जाता था या फिर डेटा कागज पर लिखने में कोई गलती हो जाती थी अथवा डाटा को कागज पर लिखने के लिए काफी अधिक समय की आवश्यकता होती थी। इसके साथ ही साथ अधिक कर्मचारियों की आवश्यकता डाटा को मैनेज करने के लिए होती थी।
कई बार चूहों के द्वारा भी कागज को कुतर दिया जाता था जिससे डेटा खराब हो जाता था। इन सभी कमियों को दूर करने के लिए कंप्यूटर डेटाबेस का इजाद किया गया। कंप्यूटर डेटाबेस उपलब्ध हो जाने की वजह से अब डाटा ऑनलाइन स्टोर होने लगे, जिसकी वजह से कागजों का इस्तेमाल कम हुआ और सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि ऑनलाइन जो डाटा होते हैं वह लंबे समय तक व्यक्ति के पास उपलब्ध रहते हैं।
वर्तमान के डेटाबेस के माध्यम से डाटा को सही ढंग से संग्रहित कर के रखा जाता है ताकि हर यूजर आसानी से उस तक पहुंच सके। आज के समय में जो डेटाबेस है उनमें डाटा में बदलाव करना, डाटा को अपडेट करना अथवा डाटा को डिलीट करना बहुत ही आसान है।
डेटाबेस के फायदे?
डेटाबेस के कुछ प्रमुख फायदे नीचे आपको बताए गए हैं।
- डेटाबेस में संबंधित डाटा तक जल्दी पहुंचने के लिए फिल्टर की सुविधा भी आपको प्राप्त होती है, जिसकी वजह से आप के समय की काफी बचत होती है।
- डेटाबेस में जब चाहे तब आप किसी भी नई जानकारी को शामिल कर सकते हैं और पुरानी जानकारी में बदलाव कर सकते हैं या फिर किसी भी जानकारी को डिलीट कर सकते हैं।
- डेटाबेस को अपडेट करना बहुत ही आसान होता है।
- अगर डेटाबेस मौजूद है तो आप किसी भी जगह पर रहते हुए आसानी से इंटरनेट के माध्यम से और डिवाइस के माध्यम से डेटाबेस को एक्सेस कर सकते हैं और डेटाबेस में मौजूद जानकारियों को देख सकते हैं।
- डेटाबेस में अगर कम जगह उपलब्ध है तो ऐसी अवस्था में भी ज्यादा डाटा को संग्रहित कर के रखा जा सकता है।
- कागज की तुलना में डेटाबेस में फाइल को अथवा इंफॉर्मेशन को सुरक्षित रखना आसान है।
- डेटाबेस में आपको रिकवरी और बैकअप जैसे ऑप्शन की सुविधा भी हासिल होती है।
- डेटाबेस को बहुत ही सुरक्षित माना जाता है क्योंकि कोई भी यूजर बिना परमिशन के डेटाबेस तक नहीं पहुंच पाता है।
- डेटाबेस में जो डेटा संग्रह किए जाते हैं वह लंबे समय तक वहां पर मौजूद होते हैं जिसे आप जब चाहे तब देख सकते हैं।
डेटाबेस के नुकसान?
डेटाबेस के कुछ प्रमुख डिसएडवांटेज की जानकारी निम्नानुसार है।
- डेटाबेस का निर्माण करना थोड़ा सा महंगा होता है क्योंकि डेटाबेस का निर्माण करने के लिए सॉफ्टवेयर के साथ ही साथ हार्डवेयर की भी आवश्यकता है होती है, जिनकी कीमत मार्केट में ज्यादा होती है।
- डेटाबेस का निर्माण कोई भी एरा गैरा व्यक्ति नहीं कर सकता है बल्कि जिसे डेटाबेस बनाने आता है वही व्यक्ति डेटाबेस का निर्माण कर सकता है।
- अगर किसी डेटाबेस की सिक्योरिटी कमजोर है, तो ऐसी अवस्था में उस डाटा बेस पर अगर किसी cyber-attack के द्वारा अटैक किया जाता है तो वह डाटाबेस हैक हो सकता है जिससे काफी तगड़ा नुकसान किसी कंपनी को या फिर किसी व्यक्ति को हो सकता है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम के उदाहरण
डीबीएमएस अर्थात डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम के कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नानुसार है।
- माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल
- माइक्रोसॉफ्ट एक्सेस
- माय एसक्यूएल
- ओकल
- माइक्रोसॉफ्ट एसक्यूएल सर्वर
- फॉक्सप्रो
- नो एसक्यूएल
URL क्या होता है?
एसक्यूएल एक लोकप्रिय प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल लगभग सभी रिलेशनल डेटाबेस के द्वारा डाटा को क्वेरी करने के लिए, डाटा में बदलाव करने के लिए और डाटा को परिभाषित करने के लिए तथा एक्सेस कंट्रोल प्रदान करने के लिए किया जाता है। आईबीएम कंपनी के द्वारा ओरकल कंपनी के साथ मिलकर के पहली बार साल 1970 के दशक में एसक्यूएल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का डेवलपमेंट किया गया था।
एसक्यूएल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का डेवलपमेंट करने के पश्चात आईबीएम और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के द्वारा इसके अन्य कई एक्सटेंशन बनाए गए। हालांकि वर्तमान के समय में भी एसक्यूएल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इसके अलावा भी अन्य कई प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इस्तेमाल में ली जाती है। जैसे की सी, सी प्लस प्लस, जावा, पाइथन इत्यादि।
URL क्या है? उसकी पूरी जानकारी यहाँ है।
डेटाबेस और स्प्रेडशीट में अंतर
डेटाबेस में भी इंफॉर्मेशन को संग्रहित किया जाता है और इंफॉर्मेशन को स्प्रेडशीट में भी संग्रह किया जाता है। ऐसे में आखिर इन दोनों के बीच प्राथमिक अंतर क्या है, इसके बारे में जानना आवश्यक होता है।
बता देना चाहते हैं कि स्प्रेडशीट को मूल रूप से एक यूजर के लिए डिजाइन किया गया था।स्प्रेडशीट सिंगल यूजर अथवा कम संख्या वाले यूज़र के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। यह ऐसे लोगों के लिए काफी अच्छा होता है जिन्हें कठिन डाटा को हैंडल करने की आवश्यकता नहीं होती है,
परंतु दूसरी तरफ डेटाबेस का निर्माण संगठित इंफॉर्मेशन के बहुत बड़े संग्रह को रखने के लिए किया गया है। डेटाबेस पर एक ही समय में कई लोग पहुंच बना सकते हैं और इसमें मौजूद इंफॉर्मेशन में बदलाव कर सकते हैं। डेटाबेस में कठिन से कठिन इंफॉर्मेशन में बदलाव किए जा सकते हैं।
डेटाबेस के प्रकार (Types of Database in Hindi)
डेटाबेस के बहुत सारे प्रकार हैं। किसी स्पेशल संगठन के लिए सबसे अच्छा डेटाबेस इस बात पर डिपेंड करेगा कि इंस्टीट्यूट अथवा संगठन डेटा का उपयोग किस प्रकार से करना चाहता है। नीचे हम आपको डेटाबेस के प्रमुख प्रकारों की जानकारी और उनके नाम बता रहे हैं।
- रिलेशनल डाटाबेस
- ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डाटाबेस
- डिस्ट्रीब्यूटेड डाटाबेस
- डाटा वेयरहाउस
- नो एसक्यूएल डाटाबेस
- ग्राफ डाटाबेस
- ओएलटीपी डाटाबेस
- ओपन सोर्स डाटाबेस
- क्लाउड डाटाबेस
- मल्टीमॉडल डाटाबेस
- डॉक्यूमेंट डाटाबेस
- सेल्फ ड्राइविंग डाटाबेस
1: रिलेशनल डाटाबेस
साल 1980 के दशक में रिलेशनल डेटाबेस को प्रमुख डेटाबेस के तौर पर गिना जाता था। रिलेशनल डाटाबेस में जो आइटम होते थे वह टेबल के साथ ही साथ कॉलम और रो में ऑर्गेनाइज होते थे। इस प्रकार के डेटाबेस में मौजूद जानकारी तक पहुंचना बहुत ही आसान होता था।
2: ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डाटाबेस
ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डाटाबेस में इंफॉर्मेशन को ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की तरह ऑब्जेक्ट के तौर पर दर्शाया जाता है।
3: डिस्ट्रीब्यूटेड डाटाबेस
डिस्ट्रीब्यूटेड डेटाबेस में अलग अलग साइड में मौजूद दो या दो से अधिक फाइल होती है। डिस्ट्रीब्यूटेड डेटाबेस अलग-अलग कंप्यूटर में भी स्टोर हो सकता है। इसके अलावा यह एक ही फिजिकल लोकेशन में भी लोकेट हो सकता है।
4: डाटा वेयरहाउस
डाटा वेयरहाउस डाटाबेस का एक ऐसा प्रकार है जिसका निर्माण स्पेशल रूप से फास्ट क्वेरी और एनालिसिस के लिए किया गया है। यह डाटा के लिए एक सेंट्रल रिपोजिटरी माना जाता है।
5: नो एसक्यूएल डाटाबेस
नो एसक्यूएल डाटाबेस एै नान रिलेशनल डाटाबेस होता है, जो अनस्ट्रक्चर्ड और सेमी स्ट्रक्चर्ड डाटा को स्टोर करने की और उसमे बदलाव करने की परमिशन प्रदान करता है।
6: ग्राफ डाटाबेस
ग्राफ डाटाबेस इंस्टिट्यूट और इंस्टिट्यूट के बीच रिलेशन के संदर्भ में डाटा को स्टोर करने का काम करता है।
7: ओएलटीपी डाटाबेस
ओएलटीपी डाटाबेस को एक बहुत ही फास्ट और तेज एनालिसिस करने वाला डेटाबेस माना जाता है, जिसकी डिजाइनिंग अलग-अलग यूजर के द्वारा बड़ी संख्या में किए गए ट्रांजैक्शन के लिए की गई है। वर्तमान के समय में जो डाटाबेस इस्तेमाल किए जा रहे हैं उनमें सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाले डेटाबेस में ओएलटीपी डेटाबेस का भी नाम लिया जाता है।
8: ओपन सोर्स डाटाबेस
जिस डाटाबेस का सोर्स कोड ओपन सोर्स होता है उसे ओपन सोर्स डाटाबेस सिस्टम कहा जाता है। एसक्यूएल अथवा नोएसक्यूएल डाटाबेस इत्यादि ओपन सोर्स डाटाबेस हो सकते हैं।
9: क्लाउड डाटाबेस
क्लाउड डाटाबेस स्ट्रक्चर अथवा अनस्ट्रक्चर्ड डेटा का संग्रह होता है। यह किसी प्राइवेट अथवा गवर्नमेंट या फिर हाइब्रिड क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म पर रहता है। बता देना चाहते हैं कि क्लाउड डाटाबेस मॉडल दो प्रकार के होते हैं। पहला होता है पारंपरिक और दूसरा होता है सर्विस के रूप में डाटाबेस।
10: मल्टीमॉडल डाटाबेस
मल्टीमॉडल डाटाबेस अलग-अलग प्रकार के डाटाबेस मॉडल को एक सिंगल इंटीग्रेटेड बेक एंड में जोड़ने का काम करते हैं। इसका मतलब यह निकल करके आता है कि वह अलग-अलग डाटा के प्रकार को समायोजित कर सकते हैं।
11: डॉक्यूमेंट डाटाबेस
दस्तावेज पर आधारित इंफॉर्मेशन को स्टोर करने के लिए या फिर से प्राप्त करने के लिए या फिर उसका मैनेजमेंट करने के लिए डॉक्यूमेंट डाटाबेस को डिजाइन किया गया है। डॉक्यूमेंट डाटाबेस कॉलम अथवा रो की जगह पर जेएनओएन फॉर्मेट में डाटा संग्रहित करते हैं।
12: सेल्फ ड्राइविंग डाटाबेस
Self-driving डेटाबेस डेटाबेस के प्रकारों में से सबसे नए और महत्वपूर्ण प्रकार का डेटाबेस माना जाता है। इसे ऑटोनॉमस डाटाबेस के तौर पर भी जानते हैं।
My SQL Database क्या है?
माय एसक्यूएल एसक्यूएल पर आधारित एक ओपन सोर्स रिलेशनल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम है। माय एसक्यूएल डाटाबेस को वेवएप्लीकेशन के लिए डिजाइन किया गया है और यह किसी भी प्लेटफार्म पर आसानी से वर्क कर सकता है। जैसे-जैसे इंटरनेट के साथ अन्य आवश्यकताए ऊभरी, वैसे वैसे ही माई एसक्यूएल वेब डेवलपर और वेब पर आधारित एप्लीकेशन के लिए पसंदीदा मंच बन गया, क्योंकि माई एसक्यूएल डाटाबेस को लाखों क्वेश्चन और हजारों लेनदेन को एडिट करने के लिए डिजाइन किया गया है।
बता देना चाहते हैं कि माय एसक्यूएल इकॉमर्स बिजनेस के लिए भी एक लोकप्रिय ऑप्शन है। यहां पर यह भी बताना आवश्यक है कि MySQL, Airbnb, Uber, LinkedIn, Facebook, Twitter और YouTube के साथ ही साथ दुनिया के कुछ टॉप वेबसाइट और वेब एप्लीकेशन के पीछे डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम ही है।
डेटाबेस का इस्तेमाल कहां कहां होता है?
डेटाबेस का इस्तेमाल बहुत सारी जगह पर किया जाता है। सभी जगह के बारे में बता पाना मुश्किल है इसलिए नीचे आपको कुछ ऐसी जगहों के नाम बताए जा रहे हैं जहां पर डाटाबेस का यूज़ होता है।
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लाइब्रेरी मैनेजमेंट सिस्टम
लाइब्रेरी में मेंबरशिप लेने वाले लोगों की मेंबर शिप की डिटेल, किस व्यक्ति के द्वारा कौन सी किताब पढ़ी गई तथा किताबों से संबंधित हर एक इंफॉर्मेशन को सुरक्षित रखने के लिए डेटाबेस अनिवार्य होता है।
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हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम
हॉस्पिटल में रोजाना कई मरीज आते हैं और कई मरीज डिस्चार्ज होते हैं। ऐसे में उनकी महत्वपूर्ण जानकारियों को हॉस्पिटल के द्वारा अपने डेटाबेस में ही दर्ज किया जाता है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर उन जानकारियों के आधार पर आगे की प्रक्रिया को किया जा सके।
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टेलीकम्यूनिकेशन
टेलीकम्युनिकेशन कंपनी के द्वारा अपने कस्टमर की कॉल डिटेल और मंथली बिल की जानकारियों को रखने के लिए डेटाबेस का इस्तेमाल किया जाता है।
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आधार कार्ड
आधार कार्ड बनवाने के दरमियान हमारे द्वारा हमारा नाम, जन्मतिथि, माता पिता का नाम, हमारे उंगलियों के निशान से लेकर के आंखों की रेटिना की इनफार्मेशन की जानकारी भी हमें देनी होती है। यह सभी जानकारी डेटाबेस में ही जाकर स्टोर होती है।
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रेलवे रिजर्वेशन सिस्टम
रेलवे में ट्रेन के लाइव स्टेटस की जानकारी से लेकर के ट्रेन के टिकट की बुकिंग की इंफॉर्मेशन भी किसी डेटाबेस में ही मौजूद होती है। यहां तक की फ्लाइट की हर जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए डेटाबेस की आवश्यकता होती है।
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ऑनलाइन विडियो स्ट्रीमिंग
दुनिया भर में कई लोग यूट्यूब पर वीडियो देखते हैं तो कई लोग नेटफ्लिक्स पर वीडियो देखते हैं। इस प्रकार से हर वीडियो देखने वाली वेबसाइट के द्वारा अपने डेटा को मैनेज करने के लिए डाटाबेस का इस्तेमाल किया जाता है, जहां पर वीडियो की इंफॉर्मेशन से लेकर के यूजर की भी काफी महत्वपूर्ण जानकारी स्टोर होती है।
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ऑनलाइन गेमिंग
जो मल्टीप्लेयर गेम होती है उस गेम को एक साथ कई यूजर रियल टाइम में खेलते हैं। आखिर में क्या आपने कभी विचार किया है कि एक ही साथ इतने सारे यूज़र के नाम से लेकर के गेम हिस्ट्री को कैसे मैनेज किया जाता होगा। दरअसल इसके लिए डाटाबेस का इस्तेमाल होता है।
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शेयर मार्केट
भारत अथवा भारत के बाहर के देशों में मौजूद शेयर मार्केट में बहुत सारी कंपनियां पंजीकृत होती है, जिनके शेयर के दाम कभी ऊपर जाते हैं तो कभी नीचे जाते हैं। इसके अलावा शेयर मार्केट में रोजाना अरबों रुपए का ट्रांजैक्शन भी होता है। इन सब का हिसाब भी डेटाबेस के माध्यम से ही होता है।
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बैंकिंग
अपने बैंक अकाउंट को घर बैठे एक्सेस करने के लिए हम मोबाइल एप्लीकेशन का इस्तेमाल करते हैं, जो कि हमारे बैंक अकाउंट से अटैच होती है। आखिर कैसे घर बैठे बैंकिंग करना इतना आसान हो गया है, दरअसल इसके पीछे भी डेटाबेस है। इसी की वजह से बैंकों के द्वारा ट्रांजैक्शन का मैनेजमेंट किया जाता है।
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ईमेल
जिस प्रकार से लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से करते हैं, उसी प्रकार से लोग ईमेल आईडी का इस्तेमाल करते हैं। ईमेल आईडी के माध्यम से हम अपने आवश्यक दस्तावेज या फिर मैसेज को दूर बैठे किसी भी व्यक्ति के पास आसानी से पहुंचा सकते हैं। आखिर इतने सारे ईमेल को कैसे मैनेज किया जाता होगा, इसका जवाब भी डेटाबेस ही है। डेटाबेस के बिना यह काम लगभग असंभव ही माना जाएगा।
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कॉलेज/ यूनिवर्सिटीज
कॉलेज/यूनिवर्सिटी में हजारों से लेकर लाखों विद्यार्थी पढ़ते हैं। ऐसे में उनकी जानकारियों को डेटाबेस में सुरक्षित रखा जाता है।
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सोशल मीडिया
आज के समय में अधिकतर लोग टि्वटर, फेसबुकब इंस्टाग्राम, गूगल प्लस जैसी सोशल मीडिया प्लेकेशन का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के द्वारा अपने यूजर की इंफॉर्मेशन को संग्रहित करने के लिए डेटाबेस का ही इस्तेमाल किया जाता है।
डेटाबेस के घटक
फील्ड, रिकॉर्ड और टेबल यह डेटाबेस के मुख्य तौर पर 3 घटक है। आइए इनके बारे में थोड़ी अन्य जानकारी हासिल करते हैं।
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Field
डेटाबेस के टेबल में फील्ड को कॉलम के तौर पर दर्शाया जाता है। आसान भाषा में कहा जाए तो टेबल का जो कॉलम होता है उसे फील्ड कहा जाता है।
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Record
टेबल का जो रो होता है, उसे आप रिकॉर्ड कह सकते हैं।
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Table
फिल्ड और रिकॉर्ड जब मिल जाता है तो एक कंप्लीट टेबल निर्मित हो जाता है जिस पर बहुत सारे अलग-अलग लेकिन एक दूसरे से रिलेटेड डाटा दर्ज किए जाते हैं।
डेटाबेस का महत्व
जब डेटाबेस ज्यादा प्रचलन में नहीं थे, तब लोगों के द्वारा जानकारी को संग्रहित करने के लिए कॉपी किताब का इस्तेमाल किया जाता था। इसी में जानकारियों को लिखकर रखा जाता था। हालांकि कई बार बरसात का पानी कॉपी किताब पर पड़ने की वजह से या फिर कॉपी किताब पर लिखे गए डाटा के किसी भी प्रकार से मिट जाने की वजह से लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ता था।
परंतु जब डेटाबेस का प्रचलन अधिक हो गया तो लोगों ने अपनी महत्वपूर्ण जानकारियों को स्टोर करने के लिए डेटाबेस का इस्तेमाल करना चालू कर दिया, जिसकी वजह से एक तो जहां कॉपी किताब के इस्तेमाल में कमी आई।
वहीं दूसरी तरफ कॉपी किताब को बनाने में जो पेड़ काटते थे उनकी कटौती में भी काफी कमी आई और अब जब डाटा, डेटाबेस में ऑनलाइन स्टोर किए जा रहे हैं तो इस प्रकार से स्टोर किए गए डाटा को जब चाहे तब प्राप्त भी किया जा रहा है साथ ही वह लंबे समय तक सुरक्षित भी रह पा रहे हैं।
डेटाबेस मॉडल के प्रकार
डेटाबेस मॉडल के मुख्य तौर पर तीन प्रकार हैं जिनके नाम और उनकी जानकारी निम्नानुसार है।
- Hierarchical Model
- Network Model
- Relational Model
1: Hierarchical Model
जिस प्रकार से ट्री स्ट्रक्चर होता है उसी प्रकार से इस वाले मॉडल का भी स्ट्रक्चर होता है। इसमें रिकॉर्ड को आपस में कनेक्ट करने के लिए ट्री स्ट्रक्चर को फॉलो करा जाता है, क्योंकि उसमें ब्रांच होते हैं।
2: Network Model
नेटवर्क मॉडल पावरफुल होता है परंतु यह कॉम्प्लिकेटेड भी होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें बहुत सारे टेबल आपस में ही लिंक रहते हैं। नेटवर्क मॉडल को ग्राफ संरचना में रिप्रेजेंट किया जाता है।
3: Relational Model
रिलेशनल मॉडल पावरफुल होता है परंतु इसके बावजूद काफी सरल होता है। इसके अलावा यह बहुत ही प्राकृतिक होते हैं। रिलेशनल मॉडल में रो और कॉलम उपलब्ध होते हैं।
डेटाबेस के भाग
डेटाबेस के मुख्य भाग निम्नानुसार है।
1: डेटाबेस यूजर
यह ऐसे यूज़र होते हैं जिनके द्वारा किसी भी जगह से और कहीं से भी डेटाबेस को एक्सेस किया जा सकता है या फिर सर्च किया जा सकता है। जैसे कि आप भी डेटाबेस यूजर है जो कि गूगल पर किसी भी इंफॉर्मेशन को सर्च कर सकते हैं और इंफॉर्मेशन को पढ़ सकते हैं या फिर प्राप्त कर सकते है, परंतु आपको यह नहीं पता है कि इसके पीछे क्या है और जो जानकारी आपको मिल रही है वह आपको कहां से मिल रही है।
2: डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर
डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर को संक्षेप में डीबीए कहां जाता है। यह पूरा सिस्टम चलाने का काम करता है। यह यूज़र की आवश्यकता को समझता है और उसी के हिसाब से मैनेज/अपडेशन करता रहता है।
3: एप्लीकेशन प्रोग्राम
एप्लीकेशन प्रोग्राम डाटाबेस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर का सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है। संपूर्ण डेटाबेस को मैनेज करने के लिए एप्लीकेशन प्रोग्राम का यूज़ होता है।
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम की सीमाएं
डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम की कुछ सीमाएं हैं जिनकी जानकारी निम्नानुसार है।
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Appointing Technical Staff
एक इंस्टीट्यूट में डेटाबेस के लिए ट्रेनिंग प्राप्त टेक्निकल स्टाफ जैसे कि डाटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर, एप्लीकेशन प्रोग्रामर इत्यादि की जरूरत होती है। इसके लिए संगठन को इन्हीं लोगों को एक अच्छी सैलरी प्रदान करनी पड़ती है जिसकी वजह से सिस्टम की कॉस्ट ज्यादा हो जाती है।
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Database Failure
अधिकतर इंस्टिट्यूट में सभी डाटा एक ही डेटाबेस में इंटीग्रेटेड फिट होते हैं। ऐसे में अगर पावर चला जाता है तो डेटाबेस फेल हो जाता है अथवा डेटाबेस स्टोरेज डिवाइस पर ही विफल हो जाता है, जिसकी वजह से हमारे महत्वपूर्ण डाटा नष्ट हो जाते हैं या फिर हमारा पूरा सिस्टम स्टॉप हो जाता है।
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Hardware & Software Cost
सॉफ्टवेयर को रन करने के लिए डाटा को तेज गति से प्रोसेस करने वाले प्रोसेसर और अधिक कैपेसिटी वाले मेमोरी की आवश्यकता आन पड़ती है। इनकी कीमत ज्यादा होती है।
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Cost of Staff Training
अधिकतर जो डाटाबेस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर होते हैं वह काफी जटिल होते हैं। इसलिए यूजर को डेटाबेस का इस्तेमाल करने के लिए ट्रेनिंग देने की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर चलाने के लिए इंस्टिट्यूट को वर्कर को ट्रेनिंग देना होता है। इसके पीछे उन्हें पैसा खर्च करने की आवश्यकता होती है।
रिलेशनल डेटाबेस क्या है?
इस प्रकार के डेटाबेस में जो डाटा होते हैं, उसे 2 डायमेंशन टेबल के तौर पर स्टोर किया जाता है। इन टेबल को रिलेशन के नाम से भी जानते हैं। रिलेशनल डाटाबेस से रखरखाव के लिए रिलेशनल डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम की जरूरत होती है।
आपको यहां पर यह भी जानना अति आवश्यक होता है कि रिलेशनल डाटाबेस की मुख्य विशेषता यह भी है कि यह एक सिंगल डेटाबेस में एक से ज्यादा चार्ट को संग्रहित कर सकता है, जोकि आपस में रिलेटेड होते हैं।
प्रोजेक्ट डेटाबेस क्या है?
प्रोजेक्ट डेटाबेस प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और प्रैक्टिस को शेयर करने के लिए एक वेब प्लेटफॉर्म होता है। प्रोजेक्ट डेटाबेस का इस्तेमाल लोकल ऑफिस के इंटरनल परफॉर्मेंस के दरमियान स्पेशल चैलेंज के सलूशन की पहचान करने के लिए और ऑफिस को अच्छी प्रथाओं को शेयर करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए होता है।
डेटाबेस के उद्देश्य
डाटा को बेहतरीन तरीके से स्टोर करना, डाटा को फिर से हासिल करना और डाटा को मैनेज करना डेटाबेस का प्रमुख उद्देश्य होता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो डेटाबेस डाटा का एक संगठित संग्रह होता है, जिसका मुख्य काम होता है डाटा को सिक्योर बनाना अथवा रखना। डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम के द्वारा सभी महत्वपूर्ण डाटा को स्टोर कर लिया जाता है।
डेटाबेस का विकास
पहली बार डेटाबेस का निर्माण साल 1960 के दशक के आसपास किया गया था। यह शुरुआती डाटाबेस नेटवर्क मॉडल्स थे, जहां पर सभी रिकॉर्ड विभिन्न प्राइमरी और सेकेंडरी रिकॉर्ड से रिलेटेड होते थे।
रिलेशनल डाटाबेस का डेवलपमेंट साल 1970 के दशक में किया गया था, वहीं 1980 के दशक में ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डाटाबेस आया। साल 1995 में पहले इंटरनेट डाटाबेस एप्लीकेशन का निर्माण हुआ।
साल 1985 में ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम का डेवलपमेंट हुआ।
डेटाबेस की भाषाएं
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम के द्वारा क्वेरी डेटाबेस और अपडेट में सहायता के लिए यूजर को जरूरी लैंग्वेज प्रदान की जाती है। यह अनिवार्य रूप से डाटाबेस का डेवलपमेंट और मेंटेनेंस करता है।
डाटाबेस लैंग्वेज के कुछ प्रमुख उदाहरण SQL, Oracle, dBase, MS Access, FoxPro आदि हैं। डेटाबेस लैंग्वेज सामान्य तौर पर डाटा डेफिनेशन लैंग्वेज, डाटा कंट्रोल लैंग्वेज, डाटा मैनिपुलेशन लैंग्वेज और ट्रांजैक्शन कंट्रोल लैंग्वेज इत्यादि में डिवाइडेड होती है।
इनमें से डाटा डेफिनिशन लैंग्वेज डाटा और उनके रिलेशन को दूसरे डाटा टाइप से परिभाषित करने में सहायता करता है और डेटाबेस में मौजूद डेटाबेस, फाइल, टेबल तथा डाटा डिक्शनरी क्रिएट करता है।
वही डाटा कंट्रोल लैंग्वेज के द्वारा डाटा और डेटाबेस तक पहुंच को कंट्रोल किया जाता है तथा डाटा मैनिपुलेशन लैंग्वेज के द्वारा बेसिक डाटा ट्रांसफर मैनेजमेंट का सपोर्ट किया जाता है।
जैसे की यह यूजर को डेटाबेस से डाटा डालने, डाटा फिर से प्राप्त करने और डाटा को अपडेट करने या फिर डाटा को डिलीट करने की परमिशन देता है, और ट्रांजैक्शन कंट्रोल लैंग्वेज डाटा मैनिपुलेशन लैंग्वेज स्टेटमेंट द्वारा किए गए डेटाबेस में परिवर्तन का मैनेजमेंट करता है।
Sources (Wikipedia, Techtarget, Javapoint, Geeksforgeeks)
FAQs
डेटाबेस क्या होता है की पूरी जानकारी आर्टिकल में दी गई है।
डेटाबेस के लिए एसक्यूएल लैंग्वेज का इस्तेमाल होता है।
डेटाबेस का मतलब क्या होता है और डेटाबेस के फायदे क्या होते हैं, इसकी पूरी जानकारी आर्टिकल में दी गई है।
डेटाबेस डाटा का संगठित संग्रह है। इसके कई प्रकार होते हैं।
डेटाबेस डेटा का एक ऑर्गेनाइज ग्रुप होता है। डेटाबेस डाटा को एडिट, डाटा को शामिल और डाटा को अपडेट करने की सुविधा देता है।
यह भी पढ़े:-
- मदरबोर्ड क्या है? (What is Motherboard in Hindi)
- कंप्यूटर क्या है? किसने बनाया? – What is Computer in Hindi
- सॉफ्टवेर क्या है? (What is Software in Hindi)
Hope की आपको डेटाबेस क्या है? कैसे काम करता है? इसके फायदे और नुक्सान क्या है? का यह पोस्ट पसंद आया होगा और आपके लिए हेल्पफुल भी रहा होगा।
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