दोस्तों एक इंसान का सिग्नेचर कितना ज्यादा जरूरी होता है ये बात तो आपको पता ही होगी। क्योंकि जिस तरह से हर व्यक्ति अलग होता है उसी तरह से उस व्यक्ति की sign भी अलग होती है और जब कोई व्यक्ति सिग्नेचर करता है तो उसका मतलब यही होता है की वो किसी चीज पर अपनी सहमति दे रहा है। इसी विषय पर आज हम आपको डिजिटल सिग्नेचर की जानकारी देने वाले है? जैसे डिजिटल सिग्नेचर क्या है?, कैसे काम करता है, आदि।
चाहे बैंक से पैसे निकालने हो या फिर किसी agreement में अपनी सहमति देनी हो हर जगह पर सिग्नेचर करनी पड़ती है। लेकिन आजकल क्योंकि सारी चीजें ऑनलाइन हो रही है, इसीलिए सिग्नेचर को भी ऑनलाइन कर दिया गया है।
आपने डिजिटल सिग्नेचर का नाम तो सुना ही होगा। डिजिटल सिग्नेचर आजकल काफी पॉपुलर हो रहा है। अगर आप नहीं जानते की डिजिटल सिग्नेचर क्या है? तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं क्योंकि इस आर्टिकल में हम आपको डिजिटल सिग्नेचर के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने वाले हैं, इसीलिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
डिजिटल सिग्नेचर क्या है? (Digital Signature in Hindi)
आसान शब्दों में कहूं तो डिजिटल सिग्नेचर किसी भी व्यक्ति के सिग्नेचर का डिजिटल फॉर्म या फिर यूं कहें कि इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म होता है। डिजिटल सिग्नेचर एक mathematical technique है जिसके द्वारा किसी भी डिजिटल डॉक्यूमेंट, मैसेज या फिर सॉफ्टवेयर के authenticity और integrity यानी कि उसकी सत्यता को प्रमाणित किया जाता है।
जैसा की मैंने आपको कहा डिजिटल सिग्नेचर बिल्कुल handwritten signature या फिर stamp की तरह ही जरूरी माना जाता है। जिस तरह से जब हम किसी डॉक्यूमेंट पर sign करते हैं तब उस sign के जरिए हम ये बताने की कोशिश करते हैं कि जिस चीज पर हमने sign किया है उसमें हमारी रजामंदी है।
वैसे तो एक नॉर्मल sign से सिर्फ व्यक्ति की सहमति ही देखी जा सकती है लेकिन डिजिटल सिग्नेचर के द्वारा ये तक पता लगाया जा सकता है कि डिजिटल सिग्नेचर करने वाला व्यक्ति कौन है!
मतलब डिजिटल सिग्नेचर के द्वारा sign करने वाले व्यक्ति की पूरी जन्मकुंडली पता की जा सकती है। यही कारण है की डिजिटल दुनिया में डिजिटल सिग्नेचर को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है। इतना ही नहीं कानून की नजरों में भी डिजिटल सिग्नेचर को legal माना गया है।
डिजिटल सिग्नेचर कैसे काम करता है?
डिजिटल सिग्नेचर public key cryptography जिसे asymmetric cryptography कहा जाता है, उसके concept के ऊपर काम करता है। इसके अंतर्गत public key algorithm जैसे Rivest-Shamir-Adleman or RSA का इस्तेमाल करके 2 तरह की key Genrate की जा सकती है।
पहला private और दूसरा public !
अब चलिए ये जान लेते हैं की डिजिटल सिग्नेचर काम कैसे करता है? देखो होता ये है की जब कोई व्यक्ति डिजिटल sign करता है तो private key का इस्तेमाल करके वो डॉक्यूमेंट को encrypted कर देता है।
ताकि जब डॉक्यूमेंट को receiver के पास भेजा जाए तो सिर्फ receiver ही डॉक्यूमेंट को ओपन कर सके। पर अगर कोई दूसरा व्यक्ति डॉक्यूमेंट को hack कर लेता है तब भी encrypted होने की वजह से वो उस डॉक्यूमेंट को ओपन ना कर सके।
लेकिन वो डॉक्यूमेंट जिस व्यक्ति के लिए भेजा गया है उसके पास public key मौजूद होने की वजह से वो उस डॉक्यूमेंट को ओपन कर सकें। मतलब डिजिटल सिग्नेचर में साइन करने वाला व्यक्ति डॉक्यूमेंट में private key लगा देता है।
ताकि receiver के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति उस डॉक्यूमेंट को ना खोल सकें, सिर्फ उस व्यक्ति को छोड़कर जिसके सिग्नेचर करने वाले व्यक्ति ने अपनी public key दे रखी है। यही कारण भी है कि Digital certificates, public key certificate के नाम से जाना जाता है।
डिजिटल सिग्नेचर टेक्नोलॉजी को हर व्यक्ति के अच्छे और सच्चे होने की जरूरत होती है ताकि जिस व्यक्ति के पास डिजिटल सिग्नेचर का private key हैं वो भी उसका किसी गलत तरीके से इस्तेमाल ना करें!
ऑनलाइन डिजिटल सिग्नेचर कैसे बनाये?
1. अपना खुद का Digital Signature बनाने के लिए आपको सबसे पहले mylivesignature की वेबसाइट पर जाकर Start Now पर क्लिक करना है.
2. अब आपको create using our step by step wizard पर क्लिक करके अपना नाम डालना है.
3. उसके बाद आपको अपने digital signature का font style, digital signature size और angle को set करना है.
4. फिर आपको अपने digital signature का color choose करना है.
5. अब आपका digital signature बन के तैयार हो जायगा। आप उसको आसानी से वह से डाउनलोड कर सकते हो.
Now you are done। तो दोस्तों इस तरह से आसानी से आप अपना खुद का फ्री में अपने कंप्यूटर और मोबाइल से digital signature बना सकते हो.
डिजिटल सिग्नेचर के क्या फायदे होते हैं?
डिजिटल सिग्नेचर करने के अनगिनत फायदे हैं, डिजिटल सिग्नेचर के फायदे के बारे में मैंने आपको नीचे बताया है –
डिजिटल सिग्नेचर का सबसे बड़ा फायदा ये है की डिजिटल सिग्नेचर किसी भी डॉक्यूमेंट को सुरक्षा प्रदान करता है। डिजिटल सिग्नेचर इस बात को प्रमाणित करता है कि किसी भी कानूनी दस्तावेज़ को बदला नहीं गया है।
इतना ही नहीं डिजिटल सिग्नेचर कानून के नजरों में एक दस्तावेज को वैध सुनिश्चित करता है। सुरक्षा की दृष्टि से डिजिटल सिग्नेचर को इसीलिए इतना महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि डिजिटल सिग्नेचर के द्वारा उस व्यक्ति की सारी जानकारी निकाली जा सकती है जिसने डिजिटल sign किया है।
कई बार ऐसा होता है की कानूनी मामलों में समय को और डेट को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और क्योंकि डिजिटल सिग्नेचर में डिजिटल सिग्नेचर करने की तारीख समय सब कुछ दी हुई होती है तो इससे बाकी की चीजों का पता लगाने में सुविधा होती हैं।
अमेरिका की कानून ने डिजिटल सिग्नेचर को लीगल तौर पर approve किया है। तो इसका एक और फायदा ये है कि डिजिटल सिग्नेचर के द्वारा ये पुष्टि की जा सकती है कि कोई कानूनी डॉक्यूमेंट लीगल है या नहीं। सुरक्षा के लिए The public key infrastructure (PKI) इस्तेमाल करने की वजह से डिजिटल सिग्नेचर को इतना ज्यादा सिक्योर माना जाता है।
डिजिटल सिग्नेचर के द्वारा समय की भी काफी बचत होती है। डिजिटल सिग्नेचर करने से लोगों को हर एक दस्तावेज में साइन करने की जरूरत नहीं पड़ती हैं। जिससे उनका काफी समय बचता है और वो अपना समय जरूरी कामों में लगा सकते हैं। इतना ही नहीं इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर होने की वजह से व्यापार को जल्दी से बढ़ाया जा सकता है।
इसके अलावा डिजिटल सिग्नेचर पैसों की भी काफी बचत करता है। डिजिटल सिग्नेचर से काम चल जाने की वजह से जो कंपनी हैं वो paperless तरीके से काम कर सकते हैं। जिससे पेपर का काफी पैसा बचेगा और उसका इस्तेमाल कंपनी अपने आप को आगे बढ़ाने के लिए कर सकती है।
पेपर के पैसे बचने के साथ ही पेपर को स्टोर करके रखने और उसे सुरक्षित ढंग से किसी दूसरे व्यक्ति को पहुंचाने के लिए भी पैसे खर्च करने पड़ते थे तो डिजिटल सिग्नेचर के वजह से वह पैसा भी खर्च होने से बच गया।
आपने देखा होगा कि कंपनी में यहां वहां पर पेपर फाइल बिखरी हुई रहती है जिसकी वजह से पूरे ऑफिस का माहौल काफी बिगड़ा बिगड़ा सा लगता है। लेकिन डिजिटल सिग्नेचर के वजह से सारे paper works ऑनलाइन हो जाएंगे जिससे लोगों के काम करने की जगह पर फाइल नहीं होगा और इससे काम करने वाले माहौल में भी positivity आएगी।
डिजिटल सिग्नेचर का सबसे बड़ा फायदा ये होता है की इसके द्वारा उस व्यक्ति की पहचान की जा सकती है जिसने डिजिटल सिग्नेचर पर साइन किया है जिससे की भविष्य में अगर डॉक्यूमेंट को लेकर किसी तरह की कोई समस्या पैदा होती है तो पुलिस के लिए डिजिटल सिग्नेचर से साइन करने वाले व्यक्ति के बारे में जानकारी ढूंढना आसान हो जाता है।
डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल कहां किया जाता है?
वैसे तो आमतौर पर लोग सिग्नेचर करने के लिए handwritten अधिकारी सबसे अच्छा मानते हैं और अगर किसी दस्तावेज में डिजिटल सिग्नेचर मांगा भी जाता है। तो handwritten signature करके उसे scan करके फिर उसे upload किया जाता है!
लेकिन वो डिजिटल सिग्नेचर जिसमें बहुत सिक्योरिटी होती हैं। वो बहुत ही अलग होता है और साधारण लोग इस तरह के सिग्नेचर का इस्तेमाल नहीं करते हैं। सिक्योरिटी वाले डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल नीचे बताए गए क्षेत्रों में किया जाता है –
Government
डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल गवर्नमेंट के कामों को करने के लिए ज्यादा किया जाता है जैसे अगर आपको अपना इनकम टैक्स फाइल करना है या फिर business to government transaction को verify करना है। तो उसके लिए आपको डिजिटल सिग्नेचर की जरूरत पड़ेगी।
गवर्नमेंट सेक्टर में जो लोग काम करते हैं उनके पास स्मार्ट कार्ड होता है जोकि दिखने में प्लास्टिक कार्ड के जैसा होता है पर इस कार्ड में एक chip होती हैं। जिसमें डिजिटल सिग्नेचर होता है और इस card के द्वारा हर व्यक्ति की पहचान की जाती है।
Healthcare
डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल Healthcare industry में भी किया जाता है। इस इंडस्ट्री में डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि जो दवाइयां बनाई जा रही है या फिर उनके ऊपर जो एक्सपेरिमेंट किए जा रहे हैं वो leak न हो।
Manufacturing
ऐसी कंपनी जो प्रोडक्ट निर्माण के काम में लगी होती है उन्हें भी डिजिटल सिग्नेचर की जरूरत पड़ती है ताकि उनके जो मैन्युफैक्चरिंग प्लानिंग है, वो ऐसे ही किसी व्यक्ति के हाथ में ना चली जाए। प्रोडक्ट डिजाइन, quality आदि के साथ-साथ प्रोडक्ट बनाने का जो सीक्रेट है वो दूसरे के हाथ में ना चला जाए इसीलिए भी डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया जाता है।
Financial services
पैसों की लेनदेन करने या फिर किसी भी तरह की प्रणालियों में सर्विस लेने या देने के लिए डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल करना अनिवार्य माना जाता है। अमेरिका में paperless banking, loan processing, insurance documentation और mortgage यानी कि कर्ज लेने के लिए भी डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया जाता है।
Cryptocurrencies
बिटकॉइन और बाकी की क्रिप्टो करेंसी में भी डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि डिजिटल सिग्नेचर क्रिप्टो करेंसी के ब्लॉकचेन मेथड को सुरक्षा प्रदान करता है। डिजिटल सिग्नेचर के द्वारा क्रिप्टो करेंसी आदान-प्रदान का काम आसानी से हो जाता है।
इन सभी क्षेत्रों में मुख्य रूप से सिक्योरिटी वाले डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया जाता है।
डिजिटल सिग्नेचर कितने प्रकार के होते हैं?
डिजिटल सिग्नेचर 3 तरह के होते हैं, उन तीनों प्रकार के डिजिटल सिग्नेचर के बारे में हमने एक-एक करके आपको नीचे बताया है –
1. Simple digital signature
जैसे की आप नाम से ही समझ पा रहे होंगे कि Simple digital signature वो डिजिटल सिग्नेचर होता है जो कि simple form में मौजूद होता है इस तरह के डिजिटल सिग्नेचर में किसी भी तरह के encryption का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
Simple digital signature का सबसे normal example हैं, वो signature जिसे पेपर पर sign किया जाता है और scanner से scan करके किसी डॉक्यूमेंट में insert किया जाता है।
इस तरह के डिजिटल सिग्नेचर के सबसे अच्छे उदाहरण हैं ईमेल सिग्नेचर जिसका इस्तेमाल आए दिन कॉरपोरेट सेक्टर में किया जाता हैं। इस तरह के डिजिटल सिग्नेचर के बहुत से नुकसान होते हैं।
इस डिजिटल सिग्नेचर में कोई encryption न होने के कारण इस सिग्नेचर की मदद से सिग्नेचर करने वाले व्यक्ति की identity का पता नहीं लगाया जा सकता है।
इतना ही नहीं इस सिग्नेचर से ये भी नहीं पता किया जा सकता है की सिग्नेचर करने से लेकर उसे डॉक्यूमेंट में इंसर्ट करने तक इस में क्या बदलाव किए गए हैं।
2. Basic
Basic digital signature, simple digital signature से कुछ खास अलग नहीं होते हैं। Basic digital signature सिर्फ इसीलिए simple digital signature से अच्छा होता है। क्योंकि ये सिग्नेचर document में insert होने के बाद उस में होने वाले बदलाव को दर्शा सकता है।
पर इस तरह के डिजिटल सिग्नेचर भी आपके आइडेंटिटी की सिक्योरिटी की गारंटी नहीं देता है। क्योंकि इस सिग्नेचर से भी आपकी true identity का पता नहीं लगाया जा सकता है। इस तरह के डिजिटल सिग्नेचर कानून की नजर में भी valid नहीं होते हैं।
3. Advanced & Qualified
इस तरह के डिजिटल सिग्नेचर ही असल मायने में डिजिटल सिग्नेचर होते हैं क्योंकि ये पूरी तरह encrypted होते हैं और इनमें सिक्योरिटी भी बहुत ज्यादा होती हैं।
इस तरह के high security वाले digital signature को asymmetric cryptography technology और public key infrastructure के द्वारा बनाया जाता है। Basic digital signature की तरह इस डिजिटल सिग्नेचर में भी अगर कोई चेंज किया जाता है तो उसे आसानी से देखा जा सकता है।
Advanced & Qualified digital signature को बाकी सभी डिजिटल सिग्नेचर के मुकाबले इसीलिए भी अच्छा माना जाता है क्योंकि इन सिग्नेचर के द्वारा ये पता लगाया जा सकता है की सिग्नेचर करने वाला व्यक्ति कौन है?
इतना ही नहीं इस तरह का सिग्नेचर करने से पहले व्यक्ति को 2 factor authentication से गुजरना पड़ता है। इसमें जो 2 step verification होता है वो या तो SMS के द्वारा किया जाता है या फिर biomatric scanning के द्वारा फोन को स्कैन किया जाता है। सिर्फ इस तरह के डिजिटल सिग्नेचर करने पर फाइंड करने वाले व्यक्ति को डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट दिया जाता है।
डिजिटल सिग्नेचर के बारे में ध्यान देने वाली बातें!
डिजिटल सिग्नेचर वो mathematical technique है जिसके द्वारा डिजिटल डॉक्यूमेंट या फिर किसी मैसेज की आइडेंटिटी को सच्ची आ जाता है।
डिजिटल सिग्नेचर भी बिल्कुल handwritten signature के जैसा ही होता है। पर हाथ से किए हुए सिग्नेचर मैं विश्वसनीयता और सिक्योरिटी कम होती है जबकि डिजिटल सिग्नेचर में सिक्योरिटी बहुत ज्यादा होती है।
डिजिटल सिग्नेचर के द्वारा ये भी देखा जाता है कि मैसेज या फिर डॉक्यूमेंट भेजने वाला कोई व्यक्ति है या फिर कोई रोबोट! आसान शब्दों में डिजिटल सिग्नेचर लोगों की आईडेंटिटी पता करने में मदद करता है।
डिजिटल सिग्नेचर public key cryptography method पर काम करती हैं। इसमें मुख्य रूप से 2 keys काम करती है पहले key का इस्तेमाल वो करते हैं जिन्हें डिजिटल सिग्नेचर करना होता है!
इस key का इस्तेमाल करके डिजिटल सिग्नेचर को encrypted किया जाता है। जबकि दूसरी key को hide करके रखा जाता है क्योंकि इस key का इस्तेमाल मैसेज को decrypt करने के लिए किया जाता है।
डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल मुख्य रूप से सिक्योरिटी के लिए किया जाता है। साधारण तौर पर जो काम एक हाथ से किया गया सिग्नेचर करता है वही काम डिजिटल सिग्नेचर भी करता है। पर क्योंकि ये डिजिटल फॉर्म में होता है तो इसके hack होने के चांस बहुत ज्यादा होते हैं इसी वजह से डिजिटल सिग्नेचर में security इतनी high होती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि डिजिटल सिग्नेचर class 3 सबसे अच्छा डिजिटल सिग्नेचर माना जाता है।
डिजिटल सिग्नेचर का इतिहास (History of Digital Signature in Hindi)
बहुत से लोगों को लगता है की डिजिटल सिग्नेचर की टेक्नोलॉजी हाल ही में आई है! क्योंकि ये टेक्नोलॉजी हाल ही में इतनी पॉपुलर हुई है। जबकि ऐसा नहीं है, डिजिटल सिग्नेचर का इतिहास आज से करीब 50 साल पुराना है।
हां, ये बात अलग है की डिजिटलीकरण की वजह से डिजिटल सिग्नेचर का ज्यादा इस्तेमाल होने की वजह से इसे नई टेक्नोलॉजी समझा जाता है। पर डिजिटल सिग्नेचर के इतिहास को देखने के बाद आप ऐसा नहीं कहेंगे –
डिजिटल सिग्नेचर का आईडिया सर्वप्रथम 1976 में Whitfield Diffie और Martin Hellman ने ही दुनिया के सामने रखा था। लेकिन उस समय वो theory में बस इतना ही कह पाए थे की डिजिटल सिग्नेचर जैसा भी कुछ होता है।
उसके बाद 1977 में Ronald Rivest, Adi Shamir और Len Adleman ने साथ मिलकर RSA algorithm बनाया था। जिसके द्वारा सबसे primary digital signature को बनाया जा सकता था।
1988 में RSA algorithm का इस्तेमाल करके Lotus Notes 1.0 को बनाया गया। ये एक ऐसा सॉफ्टवेयर था जो लोगों को डिजिटल सिग्नेचर बनाने की सुविधा देता था। ये सॉफ्टवेयर मार्केट में लॉन्च होते ही पॉपुलर हो गया।
1999 में डिजिटल सिग्नेचर को डॉक्यूमेंट में Add किया जाने लगा था। ये वो समय था जब डिजिटल सिग्नेचर को पहली बार pdf document में Add किया गया था। उसके बाद फिर साल 2000 में ESIGN Act के तहत डिजिटल सिग्नेचर को legal कर दिया गया था।
डिजिटल सिग्नेचर के लीगल हो जाने के 2 साल बाद 2002 में SIGNiX को बनाकर लॉन्च किया गया जो cloud-based digital signature software था। 2008 में International Organization for Standardization (ISO) के तहत ISO 32000 PDF format को डिजिटल सिग्नेचर के लिए मानीय किया गया था।
आज के समय की अगर मैं बात करूं तो अब डिजिटल सिग्नेचर ऑनलाइन डॉक्यूमेंट साइन करवाने का सबसे भरोसेमंद तरीका है। और ये पूरी तरह से लीगल है।
ऐसा इसलिए क्योंकि ऑनलाइन डॉक्यूमेंट पर डिजिटल सिग्नेचर की मदद से साइन करना बहुत आसान होता है। इसीलिए टेक्नोलॉजी के साथ-साथ डिजिटल सिग्नेचर भी लोगों के बीच में पॉपुलर होता जा रहा है।
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट क्या है?
Digital Signature Certificate जिसे short में (DSC) कहां जाता है वो एक खास तरह का पासवर्ड होता है जो किसी व्यक्ति या फिर ऑर्गेनाइजेशन को public key infrastructure (PKI) का use करके online data transmit करने में मदद करता है।
Digital signature certificate को identity certificate या फिर public key certificate के नाम से भी जाना जाता है। जब किसी डॉक्यूमेंट में डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट होता है तब ऑनलाइन डाटा ट्रांसफर करते समय यह डिजिटल सिग्नेचर डॉक्यूमेंट को पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान करता है।
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट electronic form में मौजूद होता है ताकि ये इंटरनेट पर मौजूद डॉक्यूमेंट पर एक्सेस कर सके। आसान शब्दों में कहूं तो किसी डॉक्यूमेंट पर digital sign करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है।
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट बनाने के लिए साइन करने वाले व्यक्ति की पूरी जानकारी ली जाती है। डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट इसीलिए भी बहुत ही जरूरी दस्तावेज माना जाता है क्योंकि इसमें व्यक्ति या फिर आर्गेनाईजेशन की पूरी पर्सनल इंफॉर्मेशन मौजूद होती है।
कोई भी व्यक्ति या फिर ऑर्गेनाइजेशन डिजिटल सिग्नेचर तभी कर सकता है जब वो खुद को यानी कि अपनी जानकारी को chartered accountant से रजिस्टर्ड कराएं। अगर किसी को डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट चाहिए तो उन्हें पहले किसी licensed certifying authority से contact करना होगा।
जैसा की मैंने आपको कहा DSC में एक व्यक्ति की पूरी इंफॉर्मेशन जैसे उसका नाम, एड्रेस, पिन कोडस देश का नाम, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर, डिजिटल सिग्नेचर जारी करने वाले व्यक्ति का नाम, डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट जारी करने की तारीख, डीएससी जारी करने वाले अथॉरिटी का नाम ये सब कुछ मौजूद होता है।
GST, income tax, e-procurement, EPFO filing, tender submissions जैसी चीजों के लिए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट बहुत ही जरूरी माना जाता है।
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की जरूरत क्यों होती है?
अगर आप डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट बना रहे हैं या फिर किसी ने आपको डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट बनाने के लिए कहा है। तो आपको पता होना चाहिए कि इस सर्टिफिकेट की जरूरत कहां पड़ती है !
नीचे मैंने आपको कुछ points बताए हैं इन जगहों पर डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की जरूरत होती है –
- Income tax file करने के लिए E – Filling करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है।
- company incorporation के E – Filling करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की जरूरत होती है।
- chartered accountant, company secretary, cost accountant को E- attestation करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की आवश्यकता पड़ती है।
- trademark और copyright Application के लिए E – Filling करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की जरूरत होती है।
- इसके अलावा online agreement करने के लिए या फिर contract करने के लिए digital signature certificate की जरूरत पड़ती थी।
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट कितने तरह के होते हैं?
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट को 3 classes में भारत आ गया है जिसके बारे में हमने आपको नीचे बताया है –
1#. Class 1 Certificate
Class 1 certificates किसी भी व्यक्ति को या फिर प्राइवेटली भी किसी को दिया जा सकता है इस तरह के सर्टिफिकेट में उस व्यक्ति का नाम व एड्रेस होता है जो डिजिटल सर्टिफिकेट बनाने वाले अथॉरिटी के database में store रहता है।
2#. Class 2 Certificate
इस तरह के जो सर्टिफिकेट होते हैं वो बिजनेस के साथ साथ साधारण व्यक्ति या फिर किसी व्यक्ति को प्राइवेट में भी दिया जा सकता है। ये डिजिटल सिग्नेचर व्यक्ति की आइडेंटिटी की सत्यता को प्रमाणित करते हैं क्योंकि इस सिग्नेचर को करने के बाद व्यक्ति की जानकारी सिग्नेचर सर्टिफिकेट जारी करने वाले कंपनी के डेटाबेस में भी store हो जाता है।
3#. Class 3 Certificate
एक खास तरह के डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट होते हैं। इसे ऑर्गेनाइजेशन के लिए तो issue किया ही जाता है, पर साथ ही साथ इसे व्यक्ति के लिए भी issue किया जा सकता है।
Ecommerce application में डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की जरूरत ज्यादा पड़ती है। इस तरह के डिजिटल सर्टिफिकेट को कानून के द्वारा भी legal माना जाता है।
वैसे इन तीनों classes के अलावा भी डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट के और भी classes होते हैं लेकिन अलग-अलग कारणों की वजह से मुख्य रूप से इन्हीं तीन digital signature certificate का इस्तेमाल किया जाता है।
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट कैसे बनवाये?
भारत में डिजिटल सिग्नेचर बनाना कोई बड़ी बात नहीं है ! अगर आप एक भारतीय हैं और आपको डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट बनाना है तो इसके लिए आपको एक CA यानी कि chartered accountant के पास जाना होगा।
लेकिन अगर आप ऑनलाइन या फिर किसी और माध्यम से डिजिटल सिग्नेचर प्राप्त करना चाहते हैं तो आप इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 के द्वारा मान्य किए गए authority CDAC, Safe Scrypt, Emudhra, N Code Capricorn के द्वारा भी डिजिटल सिग्नेचर प्राप्त कर सकते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि डिजिटल सिग्नेचर बनवाने के लिए आपको एक निश्चित राशि देनी पड़ती है। डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट बनाने में एक हफ्ता या फिर उसे ज्यादा का समय लगता है।
लेकिन एक बार डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट बना लेने के बाद आपको एक-दो साल तक इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट 2 सालों तक वैलिड रहता है। और जब डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की वैलिडिटी खत्म हो जाती है तब इसे वापस से renew किया जाता है।
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट बनाने के लिए आवश्यक दस्तावेज कौन से हैं?
अगर आपको डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट की जरूरत है और आप अपने लिए ये certificate बनाना चाहते हैं। तो मैं आपको बता दूं, इस सर्टिफिकेट को बनाने के लिए आपको कुछ दस्तावेजों की जरूरत होगी।
जब आप chartered accountant को अपने दस्तावेज देंगे तब जाकर वो आपका डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट बनाएंगे। डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट बनाने के लिए आपको निम्नलिखित दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी –
- PAN card
- आधार कार्ड
- एड्रेस प्रूफ करने के लिए कोई भी डॉक्यूमेंट भले ही वह ड्राइविंग लाइसेंस हो या फिर पासपोर्ट!
- Self attested passport size 4 copy photo
अगर आपके पास ये सारे दस्तावेज मौजूद है तो आप अपना डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट आसानी से बनवा सकते हैं।
डिजिटल सिग्नेचर का उदाहरण क्या है?
डिजिटल सिग्नेचर बोलते ही हमारे दिमाग में डिजिटल तरीके से लिखा हुआ सिग्नेचर आता है जो कि सही भी है लेकिन इसके अलावा भी अलग-अलग तरह के डिजिटल सिग्नेचर होते हैं।
जैसे जब आप किसी एप्लीकेशन पर अपना फ्री अकाउंट बनाते हैं और उसमें sign up करते हैं तो दोबारा लॉगिन करते वक्त login और password डाल देने से आप उस वेबसाइट पर लॉगिन कर सकते हैं।
यहां पर जो login process है वो डिजिटल सिग्नेचर के तरह काम करता है जब आप इसमें Login id और password डाल देते हैं तब ये ओपन हो जाता है।
क्या डिजिटल सिग्नेचर और डिजिटल सर्टिफिकेट में अंतर होता है?
जी हां, डिजिटल सिग्नेचर और डिजिटल सर्टिफिकेट दोनों में काफी ज्यादा अंतर होता है डिजिटल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किसी भी वेबसाइट या सॉफ्टवेयर के सत्यता को प्रमाणित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जबकि डिजिटल सिग्नेचर किसी डॉक्यूमेंट की सत्यता को प्रमाणित करता है और कानून को ये बताता है कि वो डॉक्यूमेंट वैलिड है या नहीं!
क्या डिजिटल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करना सुरक्षित है?
डिजिटल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करना पूरी तरह से सुरक्षित है चाहे आपने कितने ही कॉन्फिडेंशियल डॉक्यूमेंट पर डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल क्यों ना किया हो। डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल करने के बाद अगर आप private key को सुरक्षित तरीके से रखते हैं और उस डॉक्यूमेंट को खोलने के public key सिर्फ भरोसेमंद आदमी को देते हैं तो डिजिटल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करना सुरक्षित है।
डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किस उद्देश्य से किया जाता है?
कई बार ऐसा होता है कि हम ईमेल के जरिए बहुत ही कॉन्फिडेंशियल डॉक्यूमेंट को शेयर करते हैं और जैसे कि आपको पता ही है कि इंटरनेट पर बहुत से hackers बैठे हुए हैं जो लोगों के confidential चीजों को हैक करके उनसे पैसा लें।
इसीलिए ई-मेल से डॉक्यूमेंट भेजने को और सुरक्षित बनाने के लिए डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं इंटरनेट की मदद से लेनदेन करने के लिए भी डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया जाता है।
ताकि लेनदेन सुरक्षित तरीके से हो सके। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति E-trading करता है तो उस व्यक्ति के लिए registration करने और income tax file करने के लिए डिजिटल सिग्नेचर का यूज किया जाता हैं।
डिजिटल सिग्नेचर की कानूनी तौर पर मान्यता
जैसे की मैंने आपको बताया शुरुआत में अमेरिका के कानून में digital signature को कानूनी मान्यता दी गई थी। लेकिन फिर बाद में अमेरिका के अलावा भारत में भारतीय सरकार ने डिजिटल सिग्नेचर को मान्यता दे दी है।
ऐसे में अगर आप भारत में डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल करते हैं। तो ये पूरी तरह से legal है! 2008 में section 3 information technology Act 2000 को अपडेट किया गया था। और सेक्शन 35 में डिजिटल सिग्नेचर से संबंधित सारी जानकारी दी हुई है।
भारत में डिजिटल सिग्नेचर को तभी valid माना जाएगा जब उस डिजिटल सिग्नेचर को किसी chartered accountant के द्वारा pass किया जाएगा।
डिजिटल सिग्नेचर और पेपर सिग्नेचर में क्या अंतर है?
डिजिटल सिग्नेचर और पेपर सिग्नेचर दोनों ही अलग-अलग बातें हैं हालांकि दोनों ही सिग्नेचर होते हैं पर दोनों का काम अलग होता है।
1. डिजिटल सिग्नेचर इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर होता है जो इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में मौजूद होता है। जबकि पेपर सिग्नेचर तो पेपर पर ही मौजूद होता है।
2. डिजिटल सिग्नेचर encrypted होती है तो उसे सिर्फ वही देख सकता है जिसके पास public key होती है। लेकिन पेपर पर जो sign किया जाता है उसे कोई भी बिना किसी key की मदद से आसानी से देख सकता है।
3. डिजिटल सिग्नेचर के द्वारा व्यक्ति की सहमति तो दी जाती है पर साथ ही साथ उस व्यक्ति की सारी जानकारी भी दी जाती है जबकि पेपर सिग्नेचर पर सिर्फ व्यक्ति की सहमति दी जाती है।
4. पेपर सिग्नेचर को कॉपी करना आसान होता है लेकिन डिजिटल सिग्नेचर को कॉपी नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि डिजिटल सिग्नेचर इतना ज्यादा सुरक्षित होता है।
FAQs
डिटेल सिग्नेचर का नुकसान यह है कि अगर इसकी key किसी गलत हाथों में लग गई तो फिर मुसीबत हो सकती है।
डिजिटल हस्ताक्षर प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को चार्टर्ड अकाउंटेंट से बात करनी पड़ती है।
डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल गवर्नमेंट से लेकर बिजनेस, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी हेल्थ केयर हर जगह पर किया जाता है।
ऑनलाइन डॉक्यूमेंट को भेजने के लिए उसमें सुरक्षा हेतु डिजिटल सिग्नेचर की आवश्यकता पड़ती है।
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इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद अब आप जान गए होंगे कि डिजिटल सिग्नेचर क्या है? इस आर्टिकल में मैंने आपको डिजिटल सिग्नेचर से संबंधित सारी जानकारी दी है साथ ही हमने आपको ये भी बताया है कि आप अपना डिजिटल सिग्नेचर कैसे बना सकते हैं?
मुझे उम्मीद है कि आर्टिकल को पढ़ने के बाद अब आपको डिजिटल सिग्नेचर के बारे में सब समझ आ गया होगा और आपको डिजिटल सिग्नेचर क्रिएट करने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी। इस आर्टिकल में बताई जानकारी अगर आपको अच्छी लगी हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर कीजिए। क्योंकि डिजिटल सिग्नेचर के बारे में जानकारी होना सबके लिए जरूरी है।
gud post about digital signature in hindi. thanks.
thanks & keep visit.