आज के समय में लोग घर बैठे बड़े पैमाने पर ऑनलाइन बिजनेस कर रहे हैं तथा ऑनलाइन खरीदारी और बिक्री भी कर रहे है, जिसके लिए e-Commerce site का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसलिए ई कॉमर्स क्या है? इसके प्रकार? फायदे एवं उपयोग? जानना जरूरी है। आज हमें स्मार्टफोन, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक सामान या फिर फर्नीचर जैसी चीजों को लेने के लिए अब मार्केट जाने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि हम इन चीजों को ऑनलाइन बुक कर सकते हैं और घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं।
इंटरनेट के द्वारा हम जो खरीदारी करते हैं उसे ही ई-कॉमर्स कहा जाता है। काफी लोग ऑनलाइन शॉपिंग करना पसंद करते हैं परंतु उन्हें ई कॉमर्स क्या है? इसके प्रकार? फायदे एवं उपयोग? और “ई कॉमर्स का मतलब क्या है” के बारे में जानकारी नहीं होती है।
इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि ई कॉमर्स क्या है? (What is E-Commerce in Hindi)
ई कॉमर्स क्या है? (What is E-Commerce in Hindi)
सबसे पहली बार साल 1960 में ई कॉमर्स की शुरुआत हुई थी। इंटरनेट कॉमर्स और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स तथा ई-कॉमर्स यह तीनों एक ही है। इसलिए आप इन्हें अलग ना समझें। हम जब अपने बिजनेस को इंटरनेट के द्वारा संचालित करते हैं अर्थात ऑपरेट करते हैं तो इसी चीज को ई-कॉमर्स कहा जाता है।
अगर किसी व्यक्ति के द्वारा ई कॉमर्स के तहत बिजनेस किया जाता है तो इसकी वजह से टाइम और दूरी की काफी बचत होती है। काफी लोग ई कॉमर्स को ऑनलाइन शॉपिंग भी कह कर बुलाते हैं।
ई-कॉमर्स के अंतर्गत ऑनलाइन प्रोडक्ट की खरीदी- बिक्री तथा कस्टमर के साथ बिजनेस करना और दूसरी चीजें शामिल होती हैं। इसके अलावा ई-कॉमर्स में फंड का ट्रांजैक्शन और डाटा के ट्रांसफरिंग करने की प्रक्रिया भी होती है जिसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में दो या फिर दो से ज्यादा लोगों के बीच पैसे का या फिर डेटा का ट्रांसफर किया जाता है।
हमारे भारत देश में स्नैपडील, मिंत्रा, शॉपक्लूज, बिग बास्केट, अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, अलीबाबा जैसी ई-कॉमर्स बिजनेस वेबसाइट है जिनके द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट की बिक्री और खरीदी ऑनलाइन की जा रही है।
इसके अलावा नेट बैंकिंग, पेटीएम, टीवी रिचार्ज जैसी एप्लीकेशन के द्वारा भी इलेक्ट्रॉनिक बिजनेस को चलाया जा रहा है। यही नहीं हमारे और आपके द्वारा दैनिक जीवन में इस्तेमाल की जाने वाली सोशल मीडिया एप्लीकेशन जैसे कि व्हाट्सएप, फेसबुक इत्यादि के द्वारा भी इकॉमर्स बिजनेस को संचालित किया जा रहा है।
ई कॉमर्स के प्रकार? (Types of E-Commerce in Hindi)
आइए अब चर्चा कर लेते हैं कि ई कॉमर्स के प्रकार क्या है अथवा ई-कॉमर्स के टाइप क्या है।
1: बिजनेस टू गवर्नमेंट ईकॉमर्स
गवर्नमेंट और विभिन्न कंपनी के बीच जो ट्रांजैक्शन होते हैं वह ऑनलाइन ही होते हैं। इसके अंतर्गत सोशल सिक्योरिटी, जॉब्स, कानूनी डॉक्यूमेंट, रजिस्ट्रार तथा वित्तीय जैसी चीजें शामिल होती है। इस प्रकार से ई-कॉमर्स के बिजनेस टू गवर्नमेंट प्रकार में काम होता है।
2: कंजूमर टू गवर्नमेंट ईकॉमर्स
कंजूमर टू गवर्नमेंट ई-कॉमर्स के अंतर्गत उपभोक्ता और गवर्नमेंट के बीच जो भी इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन होते हैं वह सभी शामिल होते हैं। जैसे कि टैक्स की पेमेंट, हेल्थ सर्विस की पेमेंट और डिस्टेंस एजुकेशन प्राप्त करना इत्यादि।
3: बिजनेस टू कंजूमरं ई कॉमर्स
बिजनेस टू कंजूमर ई-कॉमर्स के अंतर्गत सामान का निर्माण करने वाली कंपनी अपने प्रोडक्ट या फिर सर्विस को डायरेक्ट तौर पर अपनी वेबसाइट के जरिए कस्टमर को बेचती है अथवा कस्टमर तक पहुंचाती है।
जिसके अंतर्गत उपभोक्ता प्रोडक्ट से संबंधित सारी जानकारी को प्राप्त करता है और प्रोडक्ट का आर्डर करके घर बैठे ही अपने सामान को हासिल कर लेता है। इस प्रकार से ई-कॉमर्स के इस प्रकार को बिजनेस टू कंजूमर ई-कॉमर्स कहा जाता है। इस प्रकार का बिजनेस अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, शॉपक्लूज जैसी कंपनियां करती हैं।
4: कंजूमर टू कंजूमर कॉमर्स
ई-कॉमर्स के इस प्रकार में दो कस्टमर के बीच सर्विस और सुविधा का इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शन किसी तीसरे व्यक्ति के जरिए होता है, जिसके अंतर्गत एक उपभोक्ता अपने प्रोडक्ट की बिक्री करता है और दूसरा उपभोक्ता उस प्रोडक्ट की खरीदारी करता है। इसके लोकप्रिय उदाहरण ओएलएक्स, क्विकर और इबे जैसी कंपनी है।
5: बिजनेस टू बिजनेस ई-कॉमर्स
बिजनेस टू बिजनेस ई-कॉमर्स दो बिजनेस करने वाली कंपनी के बीच में होने वाले ट्रांजैक्शन से संबंधित होता है। इसके अंतर्गत कंपनी अपने खुद के प्रोडक्ट का निर्माण नहीं करती है बल्कि वह दूसरी कंपनी के द्वारा निर्माण किए गए प्रोडक्ट की खरीदारी करती है। इस प्रकार से इस बिजनेस को बिजनेस टू बिजनेस ई-कॉमर्स कहा जाता है।
6: कंजूमर टू बिजनेस ई-कॉमर्स
इसमें कस्टमर और बिजनेस के बीच आपस में ही ट्रांजैक्शन होता है जिसके अंतर्गत जब किसी एक उपभोक्ता को वेबसाइट को बनवाना होता है तो वह वेबसाइट का निर्माण करने वाले उपभोक्ता से संपर्क करता है। इसके पश्चात वेबसाइट बनाने वाला उपभोक्ता सामने वाले उपभोक्ता के लिए वेबसाइट को बना करके देता है।
ई कॉमर्स का इतिहास?
ब्रांडेनबर्गर ने साल 1994 में 11 अगस्त के दिन अपने कंप्यूटर के माध्यम से क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करके तकरीबन $12.48 में ऑनलाइन स्टोर के द्वारा स्टिंग की सीडी की खरीदारी की जिसका नाम Ten Summoners’ Tales’ था।
इस प्रकार से पहली ई-कॉमर्स ऑनलाइन ट्रांजैक्शन हुआ जिसमें इंक्रिप्शन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था जो वर्तमान के समय में बहुत ही सामान्य सी बात है।
इसके बाद आगे बढ़ते हुए इलेक्ट्रॉनिक कंपनी जैसे कि अमेजॉन, इबे की स्टार्टिंग हुई और इनकी लॉन्चिंग होने की वजह से ई कॉमर्स में काफी तेजी आई। इन कंपनी की लॉन्चिंग होने के पश्चात दूसरी कंपनियों की भी लॉन्चिंग हुई।
जैसे कि अलीबाबा, फ्लिपकार्ट, शॉपक्लूज, स्नैपडील इत्यादि और आज वर्तमान के समय में ई कॉमर्स एक बहुत ही बड़ा मार्केट बन गया है।
ई कॉमर्स के फ़ायदे?
ई-कॉमर्स के फायदे अथवा ई कॉमर्स के एडवांटेज की जानकारी नीचे प्रस्तुत की गई है। कस्टमर को बेहतरीन से बेहतरीन फैसिलिटी देने में ई कॉमर्स बहुत ही सहायक साबित हो रहा है।
- ई-कॉमर्स की वजह से कस्टमर जब चाहे तब तक अपने पसंदीदा प्रोडक्ट को सर्च कर सकते हैं और सस्ते से सस्ता प्रोडक्ट खरीद सकते हैं।
- व्यक्ति कभी भी दिन में 24 घंटे ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर सकता है।
- ई-कॉमर्स के अंतर्गत बिजनेस अधिकतर ऑनलाइन ही होता है अर्थात अधिकतर काम ऑनलाइन होते हैं जिसकी वजह से कागज का इस्तेमाल काफी हद तक कम हो गया है। इससे कागज की भी बचत हो रही है।
- ई-कॉमर्स के द्वारा भारत के ग्रामीण इलाके की और दूरदराज के महिलाओं को भी अपने सामान को देश और दुनिया में बेचने का प्लेटफार्म हासिल हो रहा है। इसके अलावा वह अपनी कंपनी को ब्रांड के तौर पर भी तब्दील करने में सफल हो रही हैं।
- कम पैसे में व्यक्ति ई-कॉमर्स के द्वारा नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर अपने बिजनेस को बढ़ावा दे सकता है।
- ई-कॉमर्स के द्वारा अलग-अलग कीमतों पर सामान की बिक्री की जाती है जिसकी वजह से आर्थिक तौर पर कमजोर लोग, मिडिल क्लास लोग या फिर उच्च क्लास के लोग अपने अपने बजट के हिसाब से सामान खरीद सकते हैं। अर्थात ई-कॉमर्स सभी को समान रूप से प्लेटफार्म को इस्तेमाल करने का मौका दे रहा है।
- लोकल मार्केट की तुलना में ऑनलाइन शॉपिंग करना काफी सरल होता है साथ ही पैसे की बचत होती है और समय की भी बचत होती है।
ई कॉमर्स के नुकसान?
ई-कॉमर्स के नुकसान क्या है अथवा ई कॉमर्स के डिसएडवांटेज क्या है, आइए जानकारी हासिल करते हैं।
- ऑनलाइन शॉपिंग करने के दरमियान सामान के बारे में जो जानकारी सामान विक्रेता के द्वारा लिखी जाती है हमें उसी पर भरोसा करके सामान को खरीदना पड़ता है जो कि सही है अथवा नहीं इसके बारे में कोई भी गारंटी नहीं होती है।
- ऑफलाइन मार्केट से सामान खरीदने के दरमियान ग्राहक अपनी आंखों से सामान को देखता है और उसे टच कर सकता है जिसकी वजह से ग्राहक को आत्म संतुष्टि मिलती है।
- परंतु ऑनलाइन खरीदारी में यह पॉसिबल नहीं होता है क्योंकि ऑनलाइन खरीदारी में ना तो आप सामान को टच कर सकते हैं ना ही आप सही प्रकार से सामान को हर एंगल से देख सकते हैं।
- ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए आपको पढ़ा लिखा होना चाहिए। इसके अलावा आपको नेट बैंकिंग, इंटरनेट और कंप्यूटर की भी जानकारी होनी चाहिए। अगर आपको इन सभी की जानकारी नहीं है तो आपको ऑनलाइन शॉपिंग करने में थोड़ी सी दिक्कत होगी।
- ऑनलाइन शॉपिंग करने के दरमियान फ्रॉड होने की संभावना काफी अधिक होती है जो कि सामान्य ग्राहक को समझ में ही नहीं आता है। इसीलिए ऑनलाइन शॉपिंग करने के लिए कस्टमर को यह सलाह दी जाती है कि वह किसी विश्वसनीय वेबसाइट का ही इस्तेमाल करें।
- ऑनलाइन हैकर के द्वारा कस्टमर से फिशिंग, कीलॉगर से या फिर डुप्लीकेट यूआरएल के द्वारा धोखाधड़ी की जाती है।
- ऑफलाइन स्टोर से जब आप सामान की खरीदारी करते हैं तब आप सामान से संबंधित सारी शंकाओं का समाधान दुकानदार से कर सकते हैं।
- आप मैनेजर, क्लर्क और कैशियर से डायरेक्ट तौर पर बातचीत कर सकते हैं परंतु जब आप ऑनलाइन स्टोर से खरीदारी करते हैं तो यह सुविधा आपको हासिल नहीं होती है। आपको सवाल का जवाब पाने के लिए निश्चित समय तक इंतजार करना होता है।
- प्रोडक्ट की बुकिंग करने के पश्चात आपको तुरंत ही सामान नहीं मिल जाता है बल्कि आपको तीन से चार दिनों तक का इंतजार करना पड़ता है।
- अगर आप ग्रामीण इलाके में रहते हैं तो आपको 7 से 8 दिनों का इंतजार करना पड़ता है। वही ऑफलाइन जब आप सामान खरीदने के लिए जाते हैं तब आप अपने साथ सामान को ले करके आते हैं।
ई-कॉमर्स की विशेषताएं?
ई-कॉमर्स के फीचर याने की विशेषताएं क्या है, आइए जानकारी प्राप्त करते हैं।
- ई-कॉमर्स के अंतर्गत जब आप ऑनलाइन किसी सामान को खरीदने के लिए जाते हैं तब आपको सामान के डिस्क्रिप्शन में यह बताया जाता है कि उस सामान की खासियत क्या है?
- इसके साथ ही साथ ऑनलाइन शॉपिंग के अंतर्गत मोलभाव करने की संभावना बिल्कुल भी नहीं होती है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि आप से अधिक पैसे लिए जाए जो उचित होते हैं वही पैसे लिए जाते हैं।
- कुल मिलाकर ऑनलाइन शॉपिंग में हर चीज बिल्कुल पारदर्शी होती है। आपको यह पता रहता है कि ऑनलाइन शॉपिंग करने के बाद सामान घर तक आने में डिलीवरी चार्ज सहित कितने रुपए आपको देने होंगे।
- सामान बेचने वाले और सामान लेने वाले के बीच डायरेक्ट तौर पर कांटेक्ट होता है और बीच में कोई भी दलाली नहीं होती है अथवा दलाल नहीं होता है।
- इलेक्ट्रॉनिक बिजनेस को करने के लिए सामान बेचने वाले व्यक्ति को अलग से दुकान लेने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इस बिजनेस को वह चाहे तो अपने घर से ही प्रारंभ कर सकता है।
- प्रोडक्ट की खरीदारी करने के लिए व्यक्ति को किसी भी दुकान पर नहीं जाना होता है ना ही किसी स्थान पर जाने की आवश्यकता होती है। वह आसानी से ऑनलाइन ई-कॉमर्स के द्वारा सामान की बुकिंग कर सकता है और घर बैठे ही सामान को प्राप्त कर सकता है।
- ई-कॉमर्स के द्वारा प्रोडक्ट की खरीदारी करने की वजह से यातायात के खर्चे की भी बचत होती है साथ ही टाइम की भी बचत होती है, क्योंकि हम अपने स्मार्टफोन या फिर डेस्कटॉप के द्वारा ऑनलाइन सामान की बुकिंग करते हैं।
- और इसके पश्चात सामान हमारे घर तक लाने की सारी जिम्मेदारी कुरियर कंपनी या फिर कूरियर डिलीवरी पार्टनर की होती है।
ई-कॉमर्स के प्लेटफार्म
विभिन्न प्रकार के टूल्स का इस्तेमाल इकॉमर्स इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के लिए किया जाता है और ऑनलाइन स्टोर को क्रिएट करने के लिए अलग-अलग प्रकार के टूल्स का इस्तेमाल भी किया जाता है।
और इस प्रकार से ऑनलाइन स्टोर को बना करके तैयार किया जाता है। ऑनलाइन स्टोर को टोटल दो पार्ट में डिवाइड किया जाता है जो निम्नानुसार है।
- ऑनलाइन स्टोर फ्रंट
- ऑनलाइन मार्केटप्लेस
1: ऑनलाइन स्टोर फ्रंट
ऑनलाइन स्टोर को क्रिएट करने के लिए सामान्य तौर पर मर्चेंट के द्वारा किसी वेबसाइट का इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि वेबसाइट ही उन्हें ऑनलाइन स्टोर क्रिएट करने का मौका देती है और व्यक्ति के द्वारा ऑनलाइन स्टोर के द्वारा ही अधिकतर ऑनलाइन बिजनेस किया जाता है।
ऑनलाइन स्टोर बनाने के दरमियान पेमेंट गेटवे, मर्चेंट शॉपिंग कार्ट और ई-कॉमर्स टूल्स का इस्तेमाल किया जाता है और इस प्रकार से ऑनलाइन स्टोर तैयार होता है। इसके पश्चात उस पर अपनी सर्विस और अपने प्रोडक्ट की बिक्री की जाती है। ऑनलाइन स्टोर तैयार करने के लिए बहुत सारे स्टोरफ्रंट मौजूद हैं जिनमें से कुछ बेस्ट स्टोरफ्रंट के नाम निम्नानुसार हैं।
- मैग्नेटो
- डिमांडवेयर
- ओरकल कॉमर्स
- शोपिफाई
- वूकॉमर्स
- बिककॉमर्स
- द्रुप कॉमर्स
- इंस्टामोजो
2: ऑनलाइन मार्केटप्लेस
ऑनलाइन मार्केटप्लेस सामान बेचने वाले व्यक्ति को अथवा कंपनी को और सामान खरीदने वाले व्यक्ति अथवा कंपनी को एक जरिया प्रदान करता है। ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर कस्टमर भी इकट्ठा होते हैं और सामान विक्रेता भी इकट्ठा होते हैं।
यहां पर कस्टमर का डायरेक्ट मरचेंट से संपर्क नहीं होता है बल्कि उसका संपर्क ऑनलाइन मार्केटप्लेस से होता है। इंडिया में ऑनलाइन मार्केटप्लेस के द्वारा हर साल अरबों रुपए का व्यापार किया जाता है। नीचे भारत के कुछ प्रसिद्ध ऑनलाइन मार्केटप्लेस की सूची दी गई है।
- अलीबाबा
- अमेजॉन
- शॉपक्लूज
- स्नैपडील
- ईबे
- इंडिया मार्ट
- फीवर
ई-कॉमर्स के उदाहरण
नीचे ई-कॉमर्स के अलग-अलग रूपों के बारे में चर्चा की गई है।
1: रिटेल
इसे खुदरा बिजनेस कहते हैं जिसके अंतर्गत कस्टमर और विक्रेता दोनों एक दूसरे के साथ बिना किसी बिचौलिए के डायरेक्ट जुड़े हुए होते हैं।
2: डिजिटल प्रोडक्ट
ऐसे प्रोडक्ट जिसे डाउनलोड किया जा सकता है जैसे कि टेंपलेट, कोर्स, ग्राफिक, फोटो, पेंटिंग इत्यादि इस बिज़नेस में आता है।
3: सर्विस
जब किसी प्रोफेशनल कंपनी के द्वारा अथवा प्रोफेशनल व्यक्ति के द्वारा अपने कौशल के बदले में फीस चार्ज के तौर पर ली जाती है तो वह इस प्रकार के बिजनेस मॉडल में आती है।
4: होलसेल
इसे थोक व्यापार कहते हैं जिसमें एक साथ बड़े पैमाने पर प्रोडक्ट की बिक्री की जाती है। होलसेल बिजनेस को स्टार्ट करने की लागत सामान्य बिजनेस की तुलना में अधिक आती है।
5: ड्रॉपशिपिंग
इसमें प्रोडक्ट की सेलिंग करने वाले कंपनी या फिर व्यक्ति का कांटेक्ट सिर्फ कस्टमर से होता है। इसमें खुद से प्रोडक्ट को नहीं बनाया जाता है बल्कि किसी अन्य कंपनी के द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट को ड्रॉपशिपिंग के माध्यम से कस्टमर तक पहुंचाया जाता है। यानी की इसमें सामान कोई और बनाता है और उसकी डिलीवरी कोई और करता है।
6: क्राउडफंडिंग
मार्केट में प्रोडक्ट को लॉन्च करने के पहले ही प्रोडक्ट के बदले में लोगों से पैसे इकट्ठे करने की प्रक्रिया को ही क्राउडफंडिंग कहा जाता है। अधिकतर स्टार्टअप बिजनेस आइडिया वाली कंपनी या फिर लोग इस प्रकार से पैसे इकट्ठा करते हैं। इसमें अलग-अलग लोग पैसे देते हैं। इसमें क्राउड का मतलब भीड़ होता है और फंडिंग का मतलब पैसे देना होता है।
7: सब्सक्रिप्शन
किसी प्रोडक्ट/ सर्विस को निश्चित समय पूरा होने के पश्चात फिर से खरीदने की जो प्रक्रिया होती है उसे ही सब्सक्रिप्शन कहा जाता है। अधिकतर यह प्रक्रिया सॉफ्टवेयर एस ए सर्विस वाले बिजनेस मॉडल के तहत आजमाई जाती है।
8: फिजिकल प्रोडक्ट
जो सामान फिजिकल फॉर्मेट में होता है उसे इसमें बेचना शामिल होता है। इस के दरमियान प्रोडक्ट की बुकिंग होती है, उसका आर्डर लिया जाता है और फिर सामान कस्टमर के घर तक डिलीवर किया जाता है।
तो दोस्तों उम्मीद है की अब आपको E-Commerce से जुड़ी पूरी जानकारी मिल चुकी होगी, और आप जान गये होगा की ई कॉमर्स क्या है? इसके प्रकार? फायदे एवं उपयोग? क्या हैं।
FAQ:
ऑनलाइन बिजनेस चलाना अथवा खरीदारी या फिर बिक्री करना
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Fabmart
इस लेख मे हमने आपको बताया की ई कॉमर्स क्या है? What is e-Commerce in Hindi और कैसे e-Commerce का इस्तेमाल तेजी से बड़ रहा है और आप इसका इतिहास क्या है।
Hope अब आपको What is e-Commerce in Hindi? समझ आ गया होगा, और आप जान गये होगे की ई कॉमर्स क्या है? इसके प्रकार? फायदे एवं उपयोग? e-Commerce का इस्तेमाल कैसे करते है और इसका इतिहास क्या है।
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