Floppy Disk Kya Hai? – What Is Floppy Disk In Hindi? दोस्तों हार्ड डिस्क क्या है? – What Is Hard Disk In Hindi उसके बारे में मैंने पहेले से ही बताया हुआ है, लेकिन अगर आप फ्लॉपी डिस्क के बारे में डिटेल से जानना चाहते हो तो आज इस पोस्ट में मैं आपको बताऊँगा की फ्लॉपी डिस्क क्या है? इसके प्रकार? उपयोग और फ़ायदे? कैसे काम करती है? History of Floppy Disk & All about Floppy Disk in Hindi?
यदि आप एक कंप्यूटर उपयोगकर्ता है तो आपने hard disk के के साथ–साथ floppy डिस्क का नाम कभी न कभी अवश्य सुना होगा। परंतु क्या आप floppy डिस्क के बारे में जानते हैं? क्या आप जानते हैं इसका आपके कंप्यूटर में क्या काम होता है। और इसका इस्तेमाल क्यों किया जाता है। यदि नहीं तो आज का हमारा यह लेख floppy डिस्क के विषय पर ही है।
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दोस्तों floppy disk को आमतौर पर लोगों द्वारा floppy नाम से भी पुकारा जाता है। floppy का इस्तेमाल कई दशकों से कंप्यूटर में किया जा रहा है इसलिए एक कंप्यूटर उपयोगकर्ता होने के नाते आपका यह जानना जरूरी है। की फ्लॉपी डिस्क क्या होती है? इसके क्या क्या फायदे और उपयोग होते हैं। तथा कितने प्रकार के floppy disk होते हैं? floppy डिस्क का भविष्य कैसा है।
इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिल जाएंगे। इसलिए दोस्तों floppy डिस्क से जुड़ी सभी जानकारियां पाने के लिए आज के इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक अवश्य पढ़ें। चलिए सबसे पहले जान लेते हैं फ्लॉपी डिस्क क्या है? – What Is Floppy Disk In Hindi?
फ्लॉपी डिस्क क्या है? – What Is Floppy Disk In Hindi
दोस्तों फ्लॉपी डिस्क एक डाटा स्टोरेज डिवाइस होता है। यह एक Hardware Device है जिसका उपयोग कंप्यूटर का डाटा स्टोर करने के लिए किया जाता है। यह एक magnetic डिस्क होती है तथा अन्य hard डिस्क के मुकाबले floppy डिस्क portable होती है जिसे एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है। क्योंकि इन्हें कंप्यूटर के disk ड्राइव से आसानी से remove किया जा सकता है।
floppy disk के लिए जो disk drive लगे होते हैं उन्हें floppy driver के नाम से जाना जाता है। आपका यह जानना जरूरी है कि floppy डिस्क को access करते हुए समय अधिक लगता है साथ ही इसकी स्टोरेज कैपेसिटी भी काफी कम होती है। लेकिन floppy डिस्क का इस्तेमाल करने का मुख्य फायदा यह है कि यह सस्ते होते हैं। तथा सबसे महत्वपूर्ण है की यह पोर्टेबल होते हैं।
वर्तमान समय में फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल कम हो रहा है। क्योंकि यह हार्डवेयर storage का पहला प्रकार है जिसे कंप्यूटर के data को read & write करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। floppy डिस्क का प्रचलन अब खत्म हो चुका है तथा इनका स्थान usb एवं network फाइल ट्रांसफर ने ले लिया है।
फ्लॉपी डिस्क का इतिहास – History Of Floppy Disk In Hindi
फ्लॉपी डिस्क ड्राइव का अविष्कार वर्ष 1967 में Alan Shugart द्वारा 1967 में किया गया। यह 8 इंच का पहला फ्लॉपी disk डिजाइन था । तथा 1970 के शुरुआती दौर में इसका इस्तेमाल होने लगा। उस समय इसका इस्तेमाल कंप्यूटर में read only format के लिए हुए तथा बाद read-write फॉरमैट के लिए भी किया गया।
हालांकि आपका यह जानना जरूरी है कि आमतौर पर डेस्कटॉप/ लैपटॉप कंप्यूटर floppy डिस्क का इस्तेमाल सपोर्ट नही करते। पहली floppy डिस्क एक फ्लेक्सिबल (लचीली) तथा पतली चुम्बकीय (magnetic) डिस्क से बनाई गई थी। दोस्तों आइए हम floppy डिस्क की साइज की बात कर लेते हैं।
फ्लॉपी डिस्क आमतौर पर 3 साइज में उपलब्ध होती है पहला 8 इंच दूसरा 5.25 इंच तथा 3.5 इंच दोस्तों floppy का लेटेस्ट 3.5 इंच version में अधिक cutting edge टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है। इसमें पहले के versions के मुकाबले अधिक डाटा स्टोर किया जा सकता है। दोस्तों जैसे जैसे टेक्नोलॉजी advanced हो रही है floppy disk का आकार भी कम होता जा रहा है।
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फ्लॉपी डिस्क के प्रकार – Types Of Floppy Disk In Hindi
दोस्तों इस डिस्क का इस्तेमाल आमतौर पर गवर्नमेंट, रिसर्च एवं बड़े बड़े कमर्शियल इंस्टिट्यूट जैसे कि mainframe computer में boot disk के लिए किया जाता था।
5.25 Inch Floppy Disk
परन्तु 5.25 इंच फ्लॉपी डिस्क एक पोर्टेबल स्टोरेज मीडिया था। और 1980-90 के दौरान इस डिस्क का इस्तेमाल पर्सनल कंप्यूटर में किया जाने लगा। 5.25 इंच फ्लॉपी डिस्क 360 kb से 1.2 mb के डाटा को स्टोर करने के लिए सक्षम था। तथा 5.25 इंच की कुछ फ्लॉपी डिस्क को मॉडिफाई किया जा सकता था तथा इनका इस्तेमाल disk के दोनों भागों में डाटा को write करने के लिए किया जाता था।
और यही कारण था कि फ्लॉपी disk निर्माताओं को double sides drives को बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जिससे डिस्क के दोनों साइड को read किया जा सके
3.5 Inch Floppy
3.5 इंच की लोकल डिस्क को आधुनिक floppy भी कहा जाता है। इसका आकार अन्य floppy ड्राइव्स की तुलना में काफी कम होता है। यह फ्लॉपी डिस्क double डेंसिटी डिस्क में 730 किलोबाइट (kb) स्टोर कर सकती है जबकि high डेंसिटी डिस्क पर 1.44 Mb स्टोर करने में सक्षम होती है।
पुराने कंप्यूटर मैं प्रोग्राम्स को load करने का यही तरीका था जैसे कि विंडोज 3.0 में किसी प्रोग्राम को इंस्टॉल करने के लिए मल्टीपल disk का इस्तेमाल किया जाता था। दोस्तों अब हम आगे बढ़ते हैं तथा जानते हैं कि फ्लॉपी डिस्क का क्या–क्या उपयोग होता है?
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फ्लॉपी डिस्क का उपयोग?
Data Storage
फ्लॉपी डिस्क का मुख्य इस्तेमाल डाटा स्टोरेज के लिए किया जाता है। यूज़र्स फ्लॉपी के जरिए data को स्टोर करने के साथ ही जरूरी information backup कर सकते हैं।
पहले के समय में floppy डिस्क डाटा को रिकॉर्ड करने तथा उस डाटा को स्टोर कर जानकारी को बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका था। उस समय इस माध्यम को सबसे अधिक कुशल इसलिए माना जाता था क्योंकि इसमें 1.45 MB की कैपेसिटी तथा cross प्लेटफॉर्म support था।
Software and Drivers
3.5 इंच के floppy डिस्क का सबसे महत्वपूर्ण एप्लीकेशन (अनुप्रयोग) programmes तथा सेवाओं का वितरण (distribute) करना था। उदाहरण के लिए developers द्वारा ग्राहक के लिए सॉफ्टवेयर और ड्राइवर अपडेट दिया जाना।
इसके साथ ही आपका जानना जरूरी है कि पहले सॉफ्टवेयर का साइज काफी अधिक होता था। मेमोरी, pendrive आदि साधन उपलब्ध नहीं थे। उस समय फ्लॉपी डिस्क के जरिए यह सॉफ्टवेयर computer डिवाइस में इंस्टॉल होते थे। हालांकि अभी भी कुछ मॉडर्न drivers के लिए हार्डवेयर components floppy डिस्क में फिट होते हैं।
File Transfer
3.5 इंच floppy डिस्क विभिन्न कंप्यूटर्स के बीच files को को ट्रांसफर करने के लिए यूनिवर्सल स्टैंडर्ड मानक के रूप में जानी जाती थी। 3.5 इंच फ्लॉपी डिस्क की मदद से यूजर्स डाटा को efficiently एवं विश्वसनीयता से ट्रांसफर कर सकते हैं।
floppy डिस्क की कुशलता तथा लोकप्रियता की वजह से इस टेक्नोलॉजी को apple तथा unix-based सिस्टम् में भी लसम्मिलित किया गया। जिससे विभिन्न प्लेटफॉर्म के बीच फाइल्स को ट्रांसफर करना सरल हो गया। तो यह थे कुछ floppy डिस्क के मुख्य उपयोग अब हम इसे इस्तेमाल करने के फायदे जान लेते हैं।
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फ्लॉपी डिस्क के फायदे – Benefits Of Floppy Disk In Hindi
Portability
फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल करने का मुख्य लाभ यह है कि फ्लॉपी डिस्क का आकार छोटा होता है। तथा यह पोटेबल होते हैं। यहां आपका जानना जरूरी है कि 3.5 इंच की फ्लॉपी डिस्क का आकार Cd (compact disk) की तुलना में काफी कम होता है।
तथा फ्लॉपी डिस्क के बाहर प्लास्टिक की casing होती है जिस वजह से फ्लॉपी डिस्क अंदर से सुरक्षित रहती है। यह एक मुख्य कारण है कि CD की तुलना में floppy डिस्क के स्क्रैच या खराब होने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं। फ्लॉपी डिस्क में bulit-in write protection होता है। जो डाटा को गलती से erased या overwritten होने से बचाता है।
अतः फ्लॉपी डिस्क की पोर्टेबिलिटी छोटे साइज के फाइल्स जैसे डाक्यूमेंट्स को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में ट्रांसफर करने में सहायक होती है।
Compatibility
इसके अलावा floppy डिस्क का फायदा यह है कि यह उन पुराने कंप्यूटर्स device के लिए भी supportable होते हैं जो अन्य data स्टोरेज डिवाइस को सपोर्ट नहीं करते हैं। इसे आप एक उदाहरण की सहायता से समझ सकते हैं कि 1990 के दशक में कंप्यूटर में cd और dvd ड्राइव अधिकतर कंप्यूटर्स में नहीं होता था। उस समय फाइल ट्रांसफर करने हेतु floppy डिस्क एकमात्र साधन था।
वर्तमान समय में आधुनिक कंप्यूटर में फ्लॉपी डिस्क का फीचर नहीं दिया जाता परंतु अभी भी कई सारे नई कंप्यूटर्स में floppy ड्राइव्स पाई जाती है। तथा कंप्यूटर निर्माता कंपनियां custom made कंप्यूटर बनाते समय floppy drives का फ़ीचर दे सकते हैं।
Boot Disks
जी हां। दोस्तों डिस्क से boot करने का मुख्य फायदा होता है कि जब आप ऑपरेटिंग सिस्टम के बजाय हार्ड ड्राइव को किसी disk से boot करते हैं तो यह आपको कहीं सारे टास्क जैसे errors के लिए मेमोरी चेक करना,
या troubleshooting के सिस्टम के अन्य errors को चेक करने में मदद करता है। अतः इस तरह भी floppy डिस्क फायदेमंद होती है।
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फ्लॉपी डिस्क का भविष्य – Future Of Floppy Disk In Hindi
दोस्तों अंत में यहां आप को समझना होगा कि वर्तमान समय में 5.25 तथा 3.5 इंच के floppy disk का प्रचलन खत्म हो चुका है। हालांकि अभी भी system में प्रॉब्लम की स्थिति में command prompt पर boot करने के लिए floppy डिस्क ड्राइव का उपयोग किया जाता है।
और आज भी कभी–कभी कंप्यूटर्स में bios upgrade हेतु फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल होता है। परंतु यह उपयोग भी धीरे–धीरे खत्म हो रहा है। और वर्तमान समय में कंप्यूटर निर्माता कंपनियां नई machines में फ्लॉपी डिस्क ड्राइव को इंस्टॉल नहीं कर रहे हैं।
संक्षेप में कहें तो “floppy डिस्क तकनीक का इस्तेमाल आज के समय में लगभग खत्म हो चुका था। तथा इसकी जगह आज usb एवं अन्य network file transfer का उपयोग होता है। और उम्मीद है आने वाले समय में कुछ नई टेक्नोलॉजी कंप्यूटर निर्माता कंपनियों द्वारा यूजर्स के लिए उपलब्ध की जाएगी।
फ्लॉपी डिस्क कैसे काम करती है? How Floppy Disk Works In Hindi
floppy disk एक मैग्नेटिक मीडिया होती है मैग्नेटिक मीडिया एक स्टोरेज डिवाइस होती हैं। जो इंफॉर्मेशन स्टोर करने के लिए मैग्नेटिक पैटर्न का इस्तेमाल करती है। एक फ्लॉपी डिस्क डाटा को स्टोर एवं रीड करने का कार्य Floppy डिस्क के read head के जरिए करती है।
3.5 इंच की फ्लॉपी डिस्क को जब किसी ड्राइव में insert किया जाता है, तो मेटल स्लाइड door ओपन हो जाता है। जो फ्लॉपी डिस्क में मैग्नेटिक डिस्क को expose कर देता है। floppy डिस्क के read/write हेड्स 0 से 1 की मैग्नेटिक पोलैरिटी का इस्तेमाल करते हैं और कंप्यूटर इसे एक बायनरी डाटा समझकर यह पता कर लेता है letter में कौन सा डाटा है।
यदि कंप्यूटर को लेटर में इंफॉर्मेशन को राइट करना तो read/write हेड्स की magnetic polarity को align कर देता है, जिन्हें बाद में रीड किया जा सके।
हार्ड डिस्क और फ्लॉपी डिस्क में क्या अंतर है?
हार्ड डिस्क क्या है? इसके पार्ट्स और इसके फीचर्स के बारे में मैं डिटेल से पिछले आर्टिकल में बता चुका हूं। लेकिन हार्ड डिस्क और फ्लॉपी डिस्क के बीच अंतर को कई सारे यूजर्स नहीं जानते तो आइए जानते हैं। floppy disks Small और Portable होती है, जबकि हार्ड डिस्क साइज में अधिक होने की वजह से पोर्टेबल आमतौर पर नहीं होती।
हार्ड डिस्क की तुलना में फ्लॉपी डिस्क की कीमत कम होती है मार्केट में। आपको यह काफी सस्ते दाम पर मिल जाती है। जबकि हार्ड डिस्क विभिन्न स्टोरेज कैपेसिटी के साथ मार्केट में अवेलेबल है, जिनकी कीमत आपको कम से कम से लेकर ज्यादा से ज्यादा में मिल जाएगी।
स्टोरेज कैपेसिटी कम होने की वजह से फ्लॉपी डिस्क में डाटा काफी कम मात्रा में स्टोर किया जा सकता है। जबकि हार्ड डिस्क कंप्यूटर का मुख्य स्टोरीज मीडियम माना जाता है जिसमें बड़ी मात्रा में डाटा को स्टोर किया जा सकता है। हार्ड डिस्क की तुलना में फ्लॉपी डिस्क में store डाटा को एक्सेस करने में स्पीड की प्रॉब्लम आती है, क्योंकि इसमें डाटा Accessing स्पीड काफी कम होती है। वही हार्ड डिस्क में फ्लॉपी डिस्क की तुलना में काफी अच्छी स्पीड देखी जा सकती है।
सिक्योरिटी के नजरिए से भी देखा जाए तो फ्लॉपी डिस्क में स्टोर किया गया डाटा safe नहीं माना जाता। जबकि दूसरी ओर हार्ड डिस्क में जो डाटा होता है वह अधिक safe माना जाता है, इसीलिए सालों का डाटा भी हार्ड डिस्क में स्टोर किया गया हम उसे इस्तेमाल कर पाते हैं।
डैमेज होने की समस्या की वजह से फ्लॉपी डिस्क आसानी से डैमेज हो सकती है जबकि हार्ड डिस्क के आसानी से डैमेज होने की संभावनाएं काफी कम होती हैं। एक floppy डिस्क सिंगल flat piece होता है तथा यह आयरन ऑक्साइड तथा प्लास्टिक कोटेड से मिलकर बना होता है। जबकि हार्ड डिस्क में एक या एक से अधिक meta प्लेट्स की कोटिंग होती हैं जिसमें आईरन ऑक्साइड भी शामिल होती है।
दुनिया में कोई भी ऐसी चीज नहीं है जिसके फायदे और नुकसान ना हो इसी प्रकार प्रॉपर्टीज के आकार&साइज के आधार पर इसके कुछ नुकसान भी हैं। आइए अब हम नुकसान के बारे में जान लेते हैं.
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फ्लॉपी डिस्क के नुक़सान – Disadvantage of Floppy Disk in Hindi
स्टोरेज कैपेसिटी लिमिटेड होती है, स्टोरेज के विभिन्न मीडियम जैसे हार्ड डिस्क से इसकी तुलना करें इसकी स्टोरीज कैपेसिटी काफी कम होती है। उसको हैंडल करना कठिन होता है क्योंकि इसकी यदि केयर ना किया जाए तो धूल इत्यादि से इसके जल्दी डैमेज होने की संभावना होती है।
सबसे बड़ा खतरनाक पहलू यह है कि आज के दौर में इसका चलन समाप्त हो चुका है। बदलती टेक्नोलॉजी के साथ अन्य स्टोरेज मीडियम भी सामने आए हैं जिस वजह से आज कंप्यूटर में हमें फ्लॉपी ड्राइव नहीं देखने को मिलती है। जिस वजह से इसके बारे में आजकल हमें कम ही चर्चा सुनने को मिलती है।
क्योंकि इतनी ज्यादा secure नहीं होती है, वायरस आने के चांसेस इसमें बने रहते हैं और यदि वायरस आ जाए और एक मशीन से दूसरी मशीन में भी इसके जरिए वायरस प्रवेश हो सकता है।
Floppy Disk Components In Hindi
किसी भी फ्लॉपी डिस्क ड्राइव में कुछ बेसिक कंपोनेंट्स होते हैं उन कॉम्पोनेंट्स के बारे में आइए हम जानते हैं।
Magnetic Read/Write Heads (one or two):
फ्लॉपी डिस्क में मैग्नेटिक read/write हेड्स होते हैं, जिस वजह से यह दोनों जगह को रीड करने में सक्षम होता है। साथ ही सेम हैड डिस्क को रीड एंड राइट करने का भी कार्य करता है। जबकि फ्लॉपी डिस्क में मौजूद दूसरे वाइडर हेड का उपयोग ट्रैक को erase करने के लिए किया जाता है।
फ्लॉपी डिस्क में मौजूद यह हेड्स एक दूसरे के विपरित नहीं होते।
Drive Motor
फ्लॉपी डिस्क के diskette एक छोटी सी spindle मोटर लगी होती है? यह मोटर 360rpm स्पीड से हर मिनट घूमती रहती है यह फ्लॉपी डिस्क की सबसे महत्वपूर्ण पार्ट्स में से ही होती है।
Circuit Board
फ्लॉपी डिस्क में मौजूद सर्किल बोर्ड वह भाग होता है। जहां फ्लॉपी डिस्क के सभी महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स होते हैं। जो डाटा को read/write करन के लिए हैंडल करते हैं यह सर्किट बोर्ड फ्लॉपी डिस्क मोटर को भी हैंडल करने का कार्य करती है। जिसका काम रीड राइट heads को move करना होता है साथ ही diskette सरफेस में रीड राइट हेड्स की जो मूवमेंट होती है उसे भी सर्किट बोर्ड कंट्रोल करने का काम करता है।
दोस्तों इस प्रकार Stepper Motor के अलावा फ्लॉपी डिस्क में एक और महत्वपूर्ण पार्ट मैकेनिकल फ्रेम होता है जो रीड राइट हेड्स को dual-sided diskette media. को टच करने में सहायता करता है।
तो दोस्तों आशा करते हैं की अब आपको फ्लॉपी डिस्क से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी मिल चुकी होगी, और आप जान गये होगे की फ्लॉपी डिस्क क्या है? इसके प्रकार एवं उपयोग? (Floppy Disk in Hindi)
F.A.Qs
फ्लॉपी डिस्क एक ऐसी डिस्क होती है जिसके दोनों साइड में मैग्नेटिक मेटेरियल लगा होता है और साथ में प्लास्टिक की बारीकी से कोटिंग की होती है। हालांकि दिखने में यह एक floppy disk की तरह ही दिखाई देती है। साल 2000 से पहले फ्लॉपी डिस्क का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में होता था लेकिन उसके बाद इसका स्थान CD ने ले लिया और वर्तमान में सीडी का भी उपयोग काफी कम हो चुका है।
फ्लॉपी डिस्क के आविष्कार का श्रेय IBM नामक कंपनी के इंजीनियर्स को जाता है। वर्ष 1971 में पहली बार आईबीएम नामक कंपनी द्वारा एक मेमोरी डिस्क को लांच किया। जिसे बाद में फ्लॉपी डिस्क का नाम दिया गया। यह 8 इंच की एक flexible plastic डिस्क थी जिसकी magnetic iron oxide के साथ coating की गई थी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें, एक फ्लॉपी डिस्क मात्र 100KB डाटा को स्टोर करने में सक्षम भी। उस जमाने में चूंकि एमबी में डाटा ट्रांसफर नहीं होता था इसलिए 100 KB बहुत अधिक मानी जाती थी।
जिस तरह समय के साथ प्रत्येक टेक्निकल डिवाइस में बदलाव आता रहता है। इसी प्रकार फ्लॉपी डिस्क के शुरुआती दौर में इसकी कैपेसिटी मात्र 80 से 100 केबी तक थी। लेकिन वर्ष 1986 में आईबीएम ने एक floppy disk लॉन्च की जिसका स्टोरेज स्पेस 1.4 MB था। वर्तमान की तुलना में यह काफी कम था लेकिन उस समय इससे बड़े स्टोरेज स्पेस की कल्पना भी नहीं की जाती थी।
समय के साथ मार्केट मे दो तरह के फ्लॉपी डिस्क लांच किए गए, पहला 3.5 इंच की जिसकी storage capacity 1.44 mb थी वहीं दूसरी तरफ फ्लॉपी डिस्क 5.25-inch का साइज 2 MB था।
एक फ्लॉपी डिस्क में मुख्यतः दो साइड होती हैं।
तो दोस्तों आज के इस लेख में इतना ही उम्मीद है अब आप समझ चुके होंगे कि फ्लॉपी डिस्क क्या है? इसके प्रकार? उपयोग और फ़ायदे? कैसे काम करती है? History of Floppy Disk & All about Floppy Disk in Hindi?
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