GPS क्या है और कैसे काम करता है? (What is GPS in Hindi)

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GPS क्या है और कैसे काम करता है? (What is GPS in Hindi) अधिकतर लोगों के पास आज स्मार्टफोन उपलब्ध हो गया है। स्मार्ट फोन यूज करने वाले लोग जब किसी जगह पर जाना चाहते हैं तो खासतौर पर वह गूगल मैप की सहायता लेते हैं ताकि वह इस बात की जानकारी प्राप्त कर सके कि जिस जगह पर वह जाना चाहते हैं वह कितने किलोमीटर दूर है और वहां पर वह कैसे पहुंच सकते हैं।

GPS क्या है और कैसे काम करता है? (What is GPS in Hindi)

क्या आप जानते हैं कि आखिर गूगल मैप आपको यह सभी चीजें किस सुविधा की वजह से दिखा पाता है। हमें पता है कि आपको इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं होगी। इसलिए आइए आज इस आर्टिकल में जानते हैं कि जीपीएस क्या है? GPS क्या है और कैसे काम करता है? (What is GPS in Hindi)


GPS क्या है? (What is GPS in Hindi)

जीपीएस अर्थात ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम नव स्टार उपग्रह सिस्टम है। सेटेलाइट के नेटवर्क पर जीपीएस के द्वारा काम किया जाता है। यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के द्वारा इसका निर्माण किया गया था। हालांकि जब इसकी शुरुआत की थी तब यह पूरी तरह से काम नहीं करता था परंतु साल 1959 में 26 अप्रैल के दिन इसने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया।

जीपीएस की आधिकारिक वेबसाइट gps.gov है। अपनी शुरुआत में सिर्फ जीपीएस आर्मी के लिए ही काम करता था परंतु सामान्य जनता के लिए साल 1980 में इसे चालू कर दिया गया। जीपीएस के द्वारा समय और मौसम की सही इंफॉर्मेशन प्रदान की जाती है। यह तकरीबन 24 उपग्रहों के नेटवर्क से बना हुआ है।


दुनियाभर में जितने भी देश है और जितने भी इलाके हैं उन सभी देश और इलाके में जीपीएस काम करता है। चाहे ठंडी का मौसम हो या फिर गर्मी का अथवा बरसात का मौसम हो, सभी मौसम में जीपीएस काम करने की कैपेसिटी रखता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए हमें किसी भी प्रकार के पैसे देने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि यह निशुल्क नेटवर्क है। GPS क्या है? यह जानने के बाद चलिये अब GPS से जुड़ी अन्य जानकारिया देखते हैं।

GPS का फुल फॉर्म क्या होता है?

GPS: Global Positioning System

अंग्रेजी भाषा में जीपीएस का फुल फॉर्म ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम होता है और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम को हिंदी भाषा में वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली कहा जाता है।


GPS कैसे काम करता है?

जीपीएस के द्वारा काम करने के लिए तकरीबन 24 उपग्रह की सहायता ली जाती है, जो कि पृथ्वी की सतह से तकरीबन 12000 मील की दूरी पर अंतरिक्ष में मौजूद है। इन सभी उपग्रह के द्वारा 12 घंटे में पृथ्वी के चक्कर लगाए जाते हैं, क्योंकि यह काफी तेज गति के साथ चलते हैं। सभी उपग्रह को अंतरिक्ष में कुछ इस प्रकार से सेट किया गया है कि दूर से यह पृथ्वी को सरलता से कवर कर सकें।

जीपीएस सिस्टम 3 मानक प्रणाली स्पेस सेगमेंट, कंट्रोल सेगमेंट और यूजर सेगमेंट पर काम करते हैं। इन तीनों ही प्रणाली को सेटेलाइट के साथ कनेक्ट किया जाता है।

हमारे द्वारा जब किसी भी जगह की लोकेशन को सर्च किया जाता है तो ऐसी अवस्था में यह रिसीवर को सिग्नल सेंड करते हैं और उसके पश्चात रिसीवर के द्वारा सिग्नल की दूरी के साथ ही साथ उसके समय को भी मापा जाता है और इसके पश्चात जो जानकारी प्राप्त होती है वह आपको हासिल होती है। इस प्रकार से आपको पता चल गया होगा कि जीपीएस का काम करने का तरीका क्या है।


GPS का इतिहास (History of GPS in Hindi)

जीपीएस क्या है अथवा जीपीएस का फुल फॉर्म क्या है, के बारे में आपने जानकारी प्राप्त कर ली परंतु क्या आप जानते हैं कि आखिर जीपीएस की हिस्ट्री क्या है अथवा जीपीएस का इतिहास क्या है। बता दें कि जीपीएस से पहले डेका नेविगेटर और लोरेन नामक रेडियो नेवीगेशन सिस्टम को साल 1940 में डिवेलप किया गया था। इनका डेवलपमेंट इसलिए किया गया ताकि इनका इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध के दरमियान किया जा सके।

जीपीएस का निर्माण तब किया गया, जब साल 1957 में सोवियत संघ ने स्पूतनिक को लांच किया। GPS के आविष्कार करने का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि इसका आविष्कार विभिन्न लोगों की टीम ने मिलकर किया था। इसलिए कहा जाता है कि जीपीएस के आविष्कारक अमेरिकन साइंटिस्ट की एक टीम थी। यह वही टीम थी, जिनके द्वारा स्पूतनिक के रेडियो प्रसारण की देखरेख की जा रही थी।


GPS की संरचना?

इसके मुख्य तौर पर 3 सेगमेंट है, जो निम्नानुसार है।

Space Segment

हमारी पृथ्वी की सत्तह के तकरीबन 20000 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी के चारों ओर जीपीएस सेटेलाइट घूमती रहती है और आर्टिकल में अपने पहले ही जान लिया है कि अंतरिक्ष में टोटल 24 उपग्रह मौजूद है, जिनमें से 6 ऑर्बिट के ग्रुप में होते हैं और एक ऑर्बिट 4 जीपीएस सेटेलाइट का होता है।

Control Segment

सभी सेटेलाइट कंट्रोल सेगमेंट के अंतर्गत ऑर्बिट को मॉनिटर करने का काम करते हैं, ताकि इस बात की जानकारी हासिल हो सके की ऑर्बिट से सेटेलाइट में कोई भी समस्या अंतरिक्ष में है अथवा नहीं और यह भी पता लगाया जा सके कि जीपीएस टाइमिंग लेवल के अंदर काम कर रहा है अथवा नहीं।

User Segment

सेटेलाइट के द्वारा जो सिग्नल सेंड किए जाते हैं उन्हें रिसीव करने का काम यूजर सेगमेंट करता है। इन्हें जीपीएस रिसीवर भी कहा जाता है।

GPS का उपयोग?

जीपीएस के बारे में जब इतनी बात हो रही है तो जीपीएस के उपयोग के बारे में भी हमें अवश्य ही जानना चाहिए, ताकि हमें यह पता चल सके कि आखिर जीपीएस के उपयोग क्या है अथवा जीपीएस की उपयोगिता क्या है।

लोकेशन

जीपीएस का इस्तेमाल किसी जगह की अवस्था या फिर पोजीशन का पता लगाने के लिए किया जाता है। जैसे कि मान लीजिए कि आप वर्तमान में जिस जगह पर मौजूद है, आपको यह नहीं पता है कि उस जगह का नाम क्या है अथवा उस इलाके का नाम क्या है साथ ही आपको आसपास कोई ऐसा व्यक्ति भी नहीं दिखाई दे रहा है जिससे आप इलाके के बारे में पूछताछ कर सके या फिर कोई बोर्ड भी आपको आसपास नजर नहीं आ रहा है।

ऐसी अवस्था में आपको करना यह है कि आपको अपने मोबाइल में गूगल मैप को ओपन करना है, साथ ही जीपीएस को भी ओपन कर देना है। अब गूगल मैप में आपको जो लोकेशन वाला आइकन दिखाई दे रहा है उस पर क्लिक करना है।

ऐसा करने से तुरंत ही आपके डिवाइस की स्क्रीन पर आप जिस जगह पर मौजूद है उस जगह का नाम आ जाएगा, साथ ही आसपास के इलाके के नाम भी आ जाएंगे। इस प्रकार से लोकेशन फाइंड करने में जीपीएस काफी उपयोगी साबित होता है।

नेवीगेशन

जीपीएस का इस्तेमाल लेविगेशन के लिए किया जाता है। यानी कि किसी एक जगह से किसी दूसरी जगह पर आपको जाना है या फिर पहुंचना है तो जीपीएस इसमें आपकी सहायता कर सकता है। आज के समय में हर व्यक्ति घूमने का शौकीन होता है परंतु कभी कबार वह ऐसी जगह पर जाने का प्रयास करता है जहां पर जाने का रास्ता उसे पता नहीं होता है।

ऐसी सिचुएशन में वह तुरंत ही जीपीएस का इस्तेमाल करता है क्योंकि जीपीएस के द्वारा आसानी से यह बता दिया जाता है कि व्यक्ति जिस जगह पर जाने वाला है उस जगह की दूरी उसके मूल स्थान से कितना किलोमीटर है साथ ही उस जगह पर जाने का रास्ता कैसा है और कौन से रास्ते से गुजरने के बाद व्यक्ति अपनी मंजिल तक पहुंचने में कामयाब हो सकेगा।

जैसे कि अगर आपको अहमदाबाद से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर जाना है तो आप जीपीएस के द्वारा अहमदाबाद से गोरखपुर शहर जाने का रास्ता पता कर सकते हैं और जीपीएस की सहायता से आसानी से अहमदाबाद से गोरखपुर पहुंच सकते हैं।

ट्रैकिंग

जीपीएस के द्वारा आप ट्रैकिंग की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। इसके अंतर्गत आप किसी भी वस्तु या फिर व्यक्तिगत मूवमेंट पर नजर बना करके रख सकते हैं।

मैपिंग

दुनिया का मानचित्र बनाने के लिए भी जीपीएस उपयोगी साबित होता है।

टाइमिंग

टाइम की सही जानकारी लगाने के लिए जीपीएस का इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे मान लीजिए कि अगर हमारे भारत देश में वर्तमान के समय में दिन के 12:00 बज रहे हैं और आपको यह जानना है कि इसी समय अमेरिका में कितना समय हो रहा है, तो आप जीपीएस का इस्तेमाल कर सकते हैं। जीपीएस के द्वारा ना सिर्फ आपको अमेरिका बल्कि दुनिया के विभिन्न देशों का रियल टाइम बताया जाता है।

सेफ्टी

अगर आपके द्वारा किसी उपकरण में जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस सेट किया गया है, तो आपकी काफी समस्या सॉल्व हो गई है। मान लीजिए कि आपने जिस उपकरण में जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस लगाया हुआ है, वह अगर चोरी हो जाता है या फिर खो जाता है तो आप आसानी से जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस लगे हुए होने की वजह से उसकी ट्रैकिंग कर सकेंगे और उसे सर्च करके उसे प्राप्त करने का प्रयास कर सकेंगे। यानी कि आप उसकी लोकेशन देख सकेंगे।

अगर हम इसे उदाहरण सहित समझाएं तो मान लीजिए कि आपकी कोई ट्रक चोरी हो गई है जिसमें आपने जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम लगाया हुआ था। ऐसे में आप सरलता से उसे ढूंढ सकते हैं। पुलिस के द्वारा अपराधियों को पकड़ने के लिए भी जीपीएस का इस्तेमाल किया जाता है। इसी प्रकार से आप अपने खोए हुए कुत्ते, बिल्ली या फिर दूसरे जानवर को ढूंढने के लिए जीपीएस का इस्तेमाल कर सकते हैं।

GPS के प्रकार (Types of GPS in Hindi)

जीपीएस के मुख्य तौर पर 6 प्रकार है। आइए इन सभी प्रकारों की जानकारी हासिल करते हैं।

Assisted GPS (A-GPS)
Simultaneous GPS (S-GPS)
Differential GPS (D-GPS)
Non-differential GPS
Mapping GPS
Non-mapping GPS

Assisted GPS (A-GPS)

कुछ ऐसे इलाके हैं जहां पर सेटेलाइट के सिग्नल सरलता से नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे ही इलाकों में Assisted GPS का इस्तेमाल किया जाता है। इसे काम करने के लिए सेल्यूलर नेटवर्क की आवश्यकता होती है। बड़े पैमाने पर स्मार्टफोन यानी कि मोबाइल में Assisted GPS का इस्तेमाल किया जाता है। इमरजेंसी की अवस्था में कॉल करने के लिए यह बहुत ही सहायक साबित होता है।

Simultaneous GPS (S-GPS)

यह जीपीएस का एक एडिटेड वर्जन है, जो साउंड के डाटा और जीपीएस सिगनल इन दोनों को एक ही साथ मोबाइल पर ट्रांसमिट करने की परमिशन प्रदान करता है। इमरजेंसी की अवस्था में यह विशेष रूप से उपयोगी साबित होता है।

Differential GPS (D-GPS)

इसका इस्तेमाल पहले से ही चले आ रहे जीपीएस रिसीवर से जो लोकेशन डाटा प्राप्त हुआ है उसे पूर्ण एक्यूरेसी के साथ आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस जीपीएस की सहायता से किसी भी वस्तु या फिर व्यक्ति की करंट लोकेशन की बेहतरीन जानकारी प्राप्त हो जाती है।

Non-differential GPS

इसके द्वारा दिखाई देने वाले सेटेलाइट सिग्नल का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि यह डी जीपीएस की कंपैरिजन में थोड़ा सा कम सटीक रिजल्ट देता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि इसका इस्तेमाल कम किया जाता है। इसका इस्तेमाल भी बड़े पैमाने पर किया जाता है।

Mapping GPS

यह एक प्रकार का जीपीएस यूनिट होता है, जिसमें पहले से ही मैप इनबिल्ट करके दिया जाता है। हालांकि इसमें चाहे तो बाहर से भी मैंप को डाउनलोड कर सकते हैं। सामान्य तौर पर यह मोबाइल डिवाइस और दूसरे हैंडहेल्ड डिवाइस में उपलब्ध होता है।

Non-mapping GPS

यह ऐसा जीपीएस यूनिट होता है जिसमें मैप नहीं होता है। इसकी खासियत है कि यह सड़क या फिर जगह को डिवाइस पर देखे बिना किसी भी दूसरे पॉइंट पर जाने के लिए आपको इंस्ट्रक्शन देता है।

क्या भारत का नेविगेशन सिस्टम अलग है?

NAVIC

हमारे भारत देश के पास वर्तमान के समय में अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम मौजूद है, जिसका नाम इंडियन रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम है।

आसान भाषा में कहा जाए तो इंडियन रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम के द्वारा जिओलोकेशन और टाइम से संबंधित जानकारियों को जीपीएस यूजर के पास पहुंचाने का काम किया जाता है। इसका इस्तेमाल लोकेशन, नेवीगेशन, ट्रैकिंग, मैपिंग, टाइमिंग इत्यादि महत्वपूर्ण कामों के लिए किया जाता है।

GPS लोकेशन कैसे Trace करता है?

जीपीएस लोकिंग के द्वारा किसी भी जगह की लोकेशन को बिल्कुल सही सही बताया जाता है। अगर उदाहरण के सहित समझाया जाए तो मान लीजिए किसी व्यक्ति के द्वारा कोई गाड़ी चलाई जा रही है तो उसकी लोकेशन की गणना सही सटीकता के साथ नहीं हो सकेगी।

इसे इस प्रकार से भी समझा जा सकता है कि जैसे-जैसे उसकी गाड़ी आगे बढ़ेगी वैसे-वैसे उसकी लोकेशन में बदलाव होता है। इसलिए उसकी सही लोकेशन को पता लगाने में थोड़ा सा अधिक समय लगता है।

सिलेबस में शामिल है जीपीएस

स्कूलों में खासतौर पर जियो फिजिक्स के विद्यार्थियों को जीपीएस के बारे में अवश्य ही पढ़ाया जाता है। इसके अलावा जिन विद्यार्थियों के द्वारा इंजीनियरिंग की पढ़ाई की जा रही है, उन्हें भी जीपीएस से संबंधित पढ़ाई करवाई जाती है और उन्हें इस फील्ड में ट्रेंड भी किया जाता है।

यहां तक कि देश में आयोजित होने वाली कई प्रतियोगी एग्जाम में भी जीपीएस से संबंधित सवालों को स्थान दिया जाता है। ऑनलाइन जो लोग पढ़ाई करते हैं, उन्हें यूट्यूब पर जीपीएस से संबंधित बहुत सारे लेसन मिल जाते हैं। इसके अलावा सोलर, स्पेस स्टडी भी जीपीएस की सामान्य जानकारी के बिना कंप्लीट नहीं हो पाती है।

जीपीएस ट्रैकिंग के प्रकार?

जीपीएस ट्रैकिंग के मुख्य तौर पर 3 प्रकार हैं, जिनके नाम और उनकी जानकारी निम्नानुसार है।

1.Data Pushers
2.Data Pullers
3.Data Loggers

Data Pushers

इस प्रकार की ट्रैकिंग का इस्तेमाल व्यक्तिगत ट्रैकिंग या फिर किसी भी गाड़ी को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। इसके अंतर्गत किसी भी व्यक्तिगत गाड़ी या फिर आइटम की लोकेशन को बहुत ही कम समय में सरवर के पास सेंड कर दिया जाता है, जहां पर पहले से ही बहुत सारे डेटा स्टोर होते हैं, वहां पर जानकारियों को बहुत ही गहराई से एग्जामिन किया जाता है।

जीपीएस ट्रैकिंग यूनिट के द्वारा सिर्फ गाड़ी की पोजीशन की ही जानकारी प्रदान नहीं की जाती है बल्कि गाड़ी की स्पीड को भी एनालाइज किया जाता है। इन यूनिट के द्वारा सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को सरवर के पास लगातार सेंड किया जाता रहता है।

Data Pullers

इसके द्वारा भी लोकेशन को ट्रैक करने का काम किया जाता है। हालांकि इनके द्वारा सर्वर पर इंफॉर्मेशन नहीं सेंड किया जाता है बल्कि जरूरी डाटा भेजने के लिए रिक्वेस्ट की जाती है। डाटा पुल्लर हमेशा पावर ऑन रहते हैं और किसी भी टाइमिंग पर डेटा retrieve करने के लिए उपयोग में लिए जा सकते हैं।

Data Loggers

किसी भी आदमी की पोजीशन अथवा गाड़ी की पोजीशन को इंटरनल मेमोरी में स्टोर करने के लिए डाटा लोगर का इस्तेमाल किया जाता है।

एटॉमिक क्लॉक क्या है?

एटॉमिक क्लॉक के द्वारा टाइम को कैलकुलेट करने के लिए पीरियोडिक मोमेंट का सहारा लिया जाता है अर्थात पीरियोडिक मूवमेंट की सहायता से टाइम की गणना करने का यह बहुत ही साधारण तरीका है।

GPS सिस्टम के फायदे?

जीपीएस सिस्टम के एडवांटेज क्या है अथवा जीपीएस सिस्टम के लाभ क्या है, आइए जानते हैं।

जीपीएस की वजह से ही नेवीगेशन करना बहुत ही सरल हो जाता है अर्थात आपको अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि जीपीएस आपकी मंजिल तक जाने के लिए रास्ते में आने वाले सभी मोड की दिशा आपको बताता है।

जीपीएस सिस्टम का मालिकाना अधिकार अमेरिकन गवर्नमेंट के पास है और अमेरिका एक विकसित देश है। इसीलिए समय-समय पर अमेरिकन गवर्नमेंट के द्वारा जीपीएस सिस्टम को अपडेट किया जाता रहता है। इसलिए इसमें आपको एडवांस सुविधाएं प्राप्त होती हैं।

जीपीएस का सबसे अधिक अट्रैक्टिव फीचर हमारी धरती पर इसकी कवरेज है जोकि 100 पर्सेंट है।

जीपीएस की सहायता से आप किसी भी प्रकार के मौसम के बारे में सरलता से और सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि जीपीएस किसी भी प्रकार के मौसम में आसानी से काम करता है और इस पर मौसम का कोई भी इफेक्ट नहीं पड़ता है।

दूसरे नेवीगेशन सिस्टम से अगर जीपीएस की तुलना की जाए तो जीपीएस की कॉस्ट बहुत ही कम होती है। जीपीएस का इस्तेमाल करने के लिए आपको पैसे देने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इसका इस्तेमाल निशुल्क किया जा सकता है।

अगर आपको अपने घर के आस-पास में मौजूद किसी रेस्टोरेंट्स, होटल या फिर पेट्रोल पंप अथवा गैस स्टेशन या फिर नई जगह की जानकारी प्राप्त करनी है तो यह सभी जानकारी आपको जीपीएस के द्वारा दी जाती हैं।

समुद्र के अंदर नेविगेट करने के लिए भी जीपीएस बेस्ट सिस्टम माना जाता है।

GPS सिस्टम के नुकसान?

जीपीएस सिस्टम के डिसएडवांटेज क्या है अथवा जीपीएस सिस्टम की हानियां क्या है, आइए जानते हैं। कई बार कुछ अनजान कारणों की वजह से जीपीएस सिस्टम काम करना स्टाप कर देता है। ऐसी अवस्था में आपको बैकअप मैप या फिर डायरेक्शन पर ही डिपेंड होना पड़ता है।

कभी-कभी कुछ रुकावट जैसे की बिल्डिंग, पेड़ और मैग्नेटिक फील्ड की वजह से जीपीएस सिगनल के द्वारा पूरी एक्यूरेसी का पालन नहीं किया जाता है।

अगर आपके द्वारा या फिर किसी भी व्यक्ति के द्वारा किसी बैटरी से चलने वाले डिवाइस में जीपीएस का इस्तेमाल किया जा रहा है तो आपको बैटरी फेलियर का सामना करना पड़ सकता है। ऐसी अवस्था में आपको इमरजेंसी में एक्सटर्नल पावर सप्लाई की आवश्यकता पड़ सकती है जो कि मिलना थोड़ा सा मुश्किल होता है।

जीपीएस कौन सा डिवाइस है?

जीपीएस को आउटपुट डिवाइस की कैटेगरी में रखा गया है। इसमें जो सेंडर होते हैं, उनके द्वारा उपग्रह को एक रेडियो सिगनल सेंड किया जाता है, जिसके द्वारा जगह, स्पीड और टाइम जैसे डाटा को इकट्ठा किया जाता है और फिर उनका एनालिसिस किया जाता है और उसे रिसेप्शन कंप्यूटर तक सेंड कर दिया जाता है। बता दें कि इस प्रोसेस में डाटा का इस्तेमाल मूल्यांकन इंफॉर्मेशन को पाने के लिए किया जाता है। इसलिए जीपीएस को आउटपुट डिवाइस कहते हैं।

जीपीएस की विशेषता

  • जीपीएस अर्थात ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम की विशेषताएं निम्नानुसार है।
  • लगातार अपनी सिचुएशन और टाइम का कम्युनिकेशन जीपीएस सेटेलाइट के द्वारा किया जाता है।
  • तूफान और दूसरी स्पेस में आने वाली प्रॉब्लम की वजह से जीपीएस साधन खराब हो जाते हैं।
  • द ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम ट्रिलैटरेशन के मैथमेटिकल आइडिया पर डिपेंड है।

जीपीएस टेक्नोलॉजी में किसी भी प्रकार के डाटा को सेंड करने की आवश्यकता यूजर को नहीं होती है, क्योंकि यह इंटरनेट रिसेप्शन से फ्री होकर के काम करते हैं।

जीपीएस का उद्देश्य

अलग-अलग इंडस्ट्री में बिजनेस और इंस्टिट्यूट के लिए एक बहुत ही पावरफुल और भरोसेमंद टूल जीपीएस है। पायलट, सर्वेयर, साइंटिस्ट, जलयान के कप्तान जैसे कुछ ऐसे लोग हैं जो दैनिक आधार पर जीपीएस का इस्तेमाल करते हैं।

सही माप लेने के लिए या फिर सही स्थान या फिर सिचुएशन पर नजर बनाने के लिए और नेवीगेशन के लिए जीपीएस का इस्तेमाल किया जाता है। जीपीएस किसी भी मौसम में काम करने की कैपेसिटी रखता है।

जीपीएस का उदाहरण

जीपीएस एप्लीकेशन सामान्य तौर पर पांच प्रमुख कैटेगरी में आते हैं।

स्थान: एक सिचुएशन ट्राई करना
नेविगेशन: एक जगह से दूसरी जगह पर जाना है
ट्रैकिंग: किसी चीज की निगरानी करना
मैप: दुनिया का नक्शा बनाना
समय: दुनिया का सही समय जानना

फोन पर जीपीएस कितना सटीक है?

अंतरिक्ष में जीपीएस उपग्रह के द्वारा जो सिग्नल सेंड किया जाता है उसे निश्चित एक्यूरेसी के साथ सेंड किया जाता है, परंतु आपको जो सिग्नल प्राप्त होता है वह दूसरे फैक्टर पर डिपेंड करता है, जिसमें उपग्रह ज्यामिति, सिग्नल बाधा, वायुमंडल की सिचुएशन और रिसीवर डिजाइन इत्यादि शामिल है।

एग्जांपल के तौर पर जिन डिवाइस में अर्थात मोबाइल में जीपीएस होता है वह एक खुले आसमान के नीचे अच्छा काम करते हैं परंतु अगर वही मोबाइल या डिवाइस व्यक्ति लेकर के किसी इमारत, पुल या फिर पेड़ के नीचे आ जाता है तो जीपीएस को काम करने में थोड़ी सी दिक्कत आती है।

जीपीएस ऑन कैसे करें?

जीपीएस को चालू अर्थात जीपीएस को ऑन करने के लिए सबसे पहले आपको अपने मोबाइल में सेटिंग वाले ऑप्शन में चले जाना है। सेटिंग वाले ऑप्शन में जाने के बाद आपको लोकेशन वाले ऑप्शन पर क्लिक करना है और उसके बाद आपको लोकेशन वाले ऑप्शन को ऑन कर देना है।

जैसे ही आपके द्वारा लोकेशन वाले ऑप्शन को ऑन किया जाता है वैसे ही जीपीएस चालू हो जाता है। वर्तमान के समय में जो फोन आते हैं उनमें ऊपर की तरफ से नीचे की तरफ जब आप स्क्रीन को स्लाइड करते हैं तो वहां पर जो लोकेशन वाला ऑप्शन आता है उस पर क्लिक करने के तुरंत बाद ही जीपीएस चालू हो जाता है।

जीपीएस कैसे चलाते हैं?

सभी लोगों के मोबाइल में पहले से ही गूगल मैप नाम की एप्लीकेशन इनबिल्ट होकर आती है। अगर आपके मोबाइल में यह एप्लीकेशन नहीं है तो आप इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। जीपीएस चलाने के लिए आपको इसी गूगल मैप एप्लीकेशन की सहायता लेनी पड़ेगी।

जब आप गूगल मैप एप्लीकेशन को ओपन करते हैं तब आपको वहां पर एक छोटा सा हरे रंग का डॉट दिखाई देता है, वही आपकी लोकेशन होती है। अगर आप किसी दूसरी जगह की लोकेशन के बारे में जानकारी पाना चाहते हैं तो ऊपर दिखाई दे रहे सर्च बॉक्स पर क्लिक करके आपको जिस जगह की जानकारी पानी है उस जगह का नाम लिखना है और सर्च कर देना है।

ऐसा करने से आपको उस जगह की लोकेशन अपने मोबाइल की स्क्रीन पर दिखाई देगी और आपको यह भी पता चलेगा कि आप की वर्तमान जगह से जिस जगह को आपने सर्च किया है वह कितनी दूर है, वहां पर जाने में आपको कितना समय लगेगा, किलोमीटर कितना है इत्यादि।

आप चाहे तो सेटेलाइट वाले ऑप्शन पर क्लिक करके उसे जगह की लोकेशन और आसपास की बिल्डिंग को भी काफी हद तक देख सकते हैं। तो दोस्तों आशा करते हैं की अब आपको जीपीएस और GPS से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी मिल चुकी होगी और आप जान गये होगे की GPS क्या है और कैसे काम करता है? (What is GPS in Hindi)

FAQ

GPS क्या है और कैसे काम करता है?

आप जीपीएस के द्वारा अपनी सही पोजीशन का पता लगा सकते हैं।

GPS से आप क्या समझते हैं?

जीपीएस अर्थात ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम

जीपीएस से क्या क्या फायदे हैं?

जीपीएस से आप लोकेशन जान सकते हैं, किसीजगह पर जाने का रास्ता पता कर सकते हैं, ट्रैकिंग कर सकते हैं, गाड़ी चलने की स्पीड को भी देख सकते हैं।

जीपीएस कितने प्रकार के होते हैं?

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जीपीएस कितने का आता है?

अलग-अलग ब्रांड के जीपीएस की कीमत अलग-अलग होती है।

आज हमने आपको इस आर्टिक्ल के माध्यम से GPS क्या है? के बारे मे जानकारी दी है और Gps का इस्तेमाल कैसे करे के बारे मे भी बताया है।

यह भी पढ़े:

Hope अब आपको GPS क्या है और कैसे काम करता है? (What is GPS in Hindi) समझ आ गया होगा, और आप जान गये होगे की जीपीएस का इस्तेमाल कैसे किया जाता है। 

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17 COMMENTS

  1. बोहोत ही अच्छा आर्टिकल है । gps के बड़े में अच्छा जानकारी मिला इस आर्टिकल से । आप kon सा hosting इस्तेमाल करते हैं sir ।

  2. sir aap ne kaha ki mobil nomber ka exact location nahi niklta per mera to ik ladke nikal kar di hai aur mere id per sim bhi nahi hai lekin us per mera naam bhi aaya hai suka scrrn short hai mere pa mai aap ke fesbook per bhej dunga mere fb kajal ke naam se hai kajal raw
    jab maine usse link manga to usne
    http://truecaller.com/r/mPsP60ashk/ha
    diya hai lekin kuchh ho nahi raha hai esse plz hell me

  3. gps ke badhe mein padh kar maja hi agaya ek aur ek baat aapka article ka style mujhe accha laga ekdum simple hindi aesehi article padhna pasand ata hain mujhko. aap ka website ka nam accha hain mein bhi website banana chata hun kaise banau pls bataye mujhe janna hain.

  4. Article बोहोत अच्छा है दोस्त में एक पत्रिका से हूं मुझे आपका लिखने का style पसंद आया है।

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