आजकल तो हम हमारे घरों में आसानी से कंप्यूटर को स्थापित कर लेते हैं, परंतु क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा था, जब कंप्यूटर की स्थापना करने के लिए एक बड़ा सा कमरा भी कम पड़ जाता था, साथ ही इसे चलाना भी काफी परेशानी भरा था। आजके इस पोस्ट में हम आपको कंप्यूटर का इतिहास (History Of Computer In Hindi) के बारे में बतायेंगे।
परंतु लगातार कंप्यूटर में सुधार किया गया और इस प्रकार से आज हम 21वीं सदी में एक छोटे से टेबल पर ही कंप्यूटर को चला पा रहे हैं। कंप्यूटर का निर्माण करने में लगातार कई लोगों ने अपना योगदान दिया, जिसके बारे में जानने के लिए कंप्यूटर की हिस्ट्री पढ़ना अति आवश्यक होता है।
आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि “कंप्यूटर की हिस्ट्री क्या है” (History Of Computer In Hindi) अथवा “कंप्यूटर का इतिहास क्या है।”
कंप्यूटर क्या है?
तेज गति के साथ काम करने वाला कंप्यूटर ऐसा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जो हमें बहुत ही कम समय में अच्छा आउटपुट प्रदान करता है। कंप्यूटर की वजह से हम इंसानों के कई काम अब काफी आसान हो गए हैं। पहले जहां हमें सामान्य सी सामान्य गणना को करने के लिए 2 से 4 मिनट का समय लगता था, वहीं अब यही कैलकुलेशन कंप्यूटर के द्वारा सिर्फ 1 सेकेंड से भी कम का समय में पूरी की जा रही है।
यहां तक की पहले जहां किसी दूसरे व्यक्ति तक संदेश पहुंचाने के लिए हमें इंतजार करना पड़ता था, वहीं अब हम एक सिर्फ सिंगल क्लिक पर ही सामने वाले व्यक्ति को ईमेल भेजकर अपना संदेश पहुंचा सकते हैं। वर्तमान के समय में ऑनलाइन शॉपिंग, इलेक्ट्रिसिटी बिल पेमेंट, मोबाइल रिचार्ज, रेलवे टिकट बुकिंग इत्यादि कई काम कंप्यूटर के माध्यम से ही किए जा रहे हैं।
कंप्यूटर की उपयोगिता इतनी बढ़ चुकी है कि बड़े-बड़े कॉरपोरेट ऑफिस से लेकर के गवर्नमेंट सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। यही वजह है कि मार्केट में कंप्यूटर ऑपरेटर की डिमांड भी काफी अधिक बढ़ गई है, क्योंकि अब कंप्यूटर के द्वारा ही कई काम किए जा रहे हैं। हमारे द्वारा जो इंस्ट्रक्शन कंप्यूटर को दिए जाते हैं कंप्यूटर उन इंस्ट्रक्शन को इसलिए समझ पाता है क्योंकि कंप्यूटर में पहले से ही प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल करके आवश्यक इंस्ट्रक्शन को फिट कर दिया जाता है।
कंप्यूटर का इतिहास क्या है?
हिंदी भाषा में कंप्यूटर को गणित यंत्र कहा जाता है। इसके पीछे मुख्य वजह है कि जब शुरुआत में कंप्यूटर बनाए गए थे, तब उनका इस्तेमाल मुख्य तौर पर गणना करने के लिए अर्थात कैलकुलेशन करने के लिए ही किया जाता था।
परंतु जैसे-जैसे कंप्यूटर की नई जनरेशन आती गई, वैसे-वैसे कंप्यूटर में अन्य सुविधाएं भी प्राप्त होती गई और इस प्रकार से आज ना सिर्फ कैलकुलेशन करने के लिए बल्कि अन्य कई कामों को निपटाने के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाने लगा है। वर्तमान के समय के जो कंप्यूटर है, वह काफी स्मार्ट है, जिसकी वजह से हम अपने कई काम आसानी से कुछ ही समय में पूरा कर सकते हैं।
History Of Computer In Hindi
कंप्यूटर की हिस्ट्री निम्नानुसार है।
अबेकस
आज से लगभग 4000 पहले चाइना देश के लोगों के द्वारा अबेकस का निर्माण किया गया था। इसमें लकड़ी की एक रैक होती थी, जिसमें धातु की छड़ फिट होती थी। इसके द्वारा कैलकुलेशन करने के लिए कुछ इंस्ट्रक्शन के साथ इसमें लगे हुए मोती को आगे पीछे किया जाता था जिसकी वजह से गणना की जाती थी।
नेपियर की हड्डी
इसे तैयार करने का काम जॉन नेपियर के द्वारा किया गया था। इसलिए इसका नाम नेपियर की हड्डी रखा गया। इसे हाथों से चलाया जाता था। इसलिए इसे मैन्युअल रूप से गणना करने वाला उपकरण माना गया। बता दे कि इसमें 9 अलग-अलग हाथी दांत हड्डियों का इस्तेमाल किया गया था और कैलकुलेशन करने के लिए इसी के द्वारा गुणा और विभाजन किया जाता था। दशमलव बिंदु प्रणाली का उपयोग करके कैलकुलेशन करने वाली यह पहली मशीन थी।
पास्कलाइन
फ्रांस में रहने वाले एक गणितज्ञ और दार्शनिक थे जिनका नाम Biase Pascal था। इन्ही के द्वारा साल 1642 में एक मशीन बनाई गई। इस मशीन का नाम Pascaline रखा गया। इसे पहला ऑटोमेटिक कैलकुलेटर माना जाता था। इसमें जो लकड़ी का बक्सा मौजूद था उसमें पहिए के साथ ही साथ गियर भी अवेलेबल है।
स्टेप्ड रेकोनर या लीबनिज व्हील
Gottfried Wilhelm Leibniz के द्वारा साल 1673 में स्टेप्ड रेकोनर या लीबनिज व्हील उपकरण का निर्माण किया गया था। इसे डिजिटल मैकेनिकल कैलकुलेटर अथवा स्टेप्ड रेकोनर के तौर पर भी जाना जाता था। इसमें जिस प्रकार से पास्कलाइन बीयर का इस्तेमाल किया गया था, वैसा नहीं किया गया था बल्कि इसमें फ़्लूटेड ड्रम का इस्तेमाल किया गया था।
डिफरेंस इंजन
डिफरेंस इंजन को हिंदी भाषा में अंतर इंजन कहा जाता है। आपकी जानकारी के लिए हम बता देना चाहते हैं जब साल 1820 की शुरुआत हो रही थी तो उसी दरमियान चार्ल्स बैबेज के द्वारा इसका निर्माण कर लिया गया था। हालांकि यह एक ऐसा इलेक्ट्रिकल कंप्यूटर था जो बेसिक गणित की कैलकुलेशन को करने की कैपेसिटी रखता था। यह भाप के ऊपर चलने वाली मशीन थी। इसका इस्तेमाल न्यूमेरिकल और लॉजिकल गणना को सॉल्व करने के लिए किया जाता था।
एनालिटिकल इंजन
एनालिटिकल इंजन को हिंदी भाषा में विश्लेषणात्मक इंजन कहा जाता है। चार्ल्स बैबेज के द्वारा ही एक और कैलकुलेशन मशीन का निर्माण किया गया, जिसे एनालिटिकल इंजन कहा गया। इसका निर्माण साल 1830 में किया गया।
एनालिटिकल इंजन में इनपुट देने के लिए पंच कार्ड का इस्तेमाल किया जाता था। इसके द्वारा किसी भी गणित से संबंधित प्रॉब्लम को सॉल्व किया जा सकता था। इसके अलावा एनालिटिकल इंजन की एक खास विशेषता यह भी थी कि यह मेमोरी में डाटा को स्टोर करने की कैपेसिटी रखता था।
टेबुलेटिंग मशीन
साल 1890 में हरमन होलेरिथ के द्वारा इस टेबुलेटिंग मशीन को बनाया गया था। बता दे कि हरमन अमेरिका के गणितज्ञ थे। यह मशीन पंच कार्ड पर आधारित थी। इसका इस्तेमाल संख्या की कैलकुलेशन करने के लिए या फिर इंफॉर्मेशन को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता था।
डिस्क्रिमिनेंट एनालाइजर
वन्नेवर बुश के द्वारा डिफरेंशियल एनालाइजर का निर्माण साल 1930 में किया गया था। डिफरेंस एनालाइजर का अन्य नाम डिस्क्रिमिनेंट एनालाइजर भी है। यह मशीन वेक्यूम ट्यूब के द्वारा निर्मित हुई थी और इसमें कैलकुलेशन के लिए इलेक्ट्रिकल आवेग इस्तेमाल में लिए जाते थे। 1 मिनट में तकरीबन 25 से भी ज्यादा कैलकुलेशन करने की कैपेसिटी यह मशीन रखती थी।
मार्क
1937 के आसपास में हॉवर्ड ऐकेन के द्वारा एक ऐसी मशीन का निर्माण करने की योजना बनाई गई, जो बड़ी से बड़ी कैलकुलेशन को कर सकें या फिर भारी से भारी संख्या का इस्तेमाल करके गणना कर सकें। इस प्रकार से मार्क का निर्माण हुआ।
अधिक जानकारी के लिए यह वीडियो देखें।
कंप्यूटर के आविष्कारक
कंप्यूटर को बेहतरीन बनाने में समय-समय पर अलग-अलग लोगों के द्वारा अपना योगदान दिया गया, परंतु इसके बावजूद इतिहास के पन्नों में कंप्यूटर के फादर के तौर पर चार्ल्स बैबेज का नाम दर्ज है। इस प्रकार से फादर ऑफ कंप्यूटर के तौर पर चार्ल्स बैबेज का नाम लिया जाता है।
आपको बता दें कि वर्तमान के समय के जो कंप्यूटर हैं, उनके डेवलपमेंट में भी अलग-अलग लोगों के द्वारा योगदान दिया गया था, परंतु उनमें से सबसे ज्यादा महत्व एलन टयूरिंग को दिया गया। इसलिए एलन टयूरिंग को आधुनिक कंप्यूटर का जनक अर्थात फादर ऑफ मॉडर्न कंप्यूटर कहा जाता है।
कंप्यूटर की जनरेशन
कंप्यूटर की पहली पीढ़ी
1940 से लेकर के 1956 तक जिन कंप्यूटर का निर्माण हुआ, उन्हें इतिहास के पन्ने में पहली पीढ़ी के कंप्यूटर अर्थात पहली जनरेशन के कंप्यूटर के तौर पर जाना जाता है। पहली पीढ़ी के जो कंप्यूटर थे, उसमें Circuitry के लिए मैग्नेटिक ड्रम का इस्तेमाल मेमोरी और वेक्यूम ट्यूब के लिए किया जाता था।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पहली पीढ़ी के कंप्यूटर इतने ज्यादा बड़े थे, कि यह एक टेबल पर स्थापित नहीं हो पाते थे बल्कि इन्हें स्थापित करने के लिए एक बड़े कमरे की आवश्यकता पड़ती थी।
कमरे में भी यह कोई छोटी जगह नहीं लेते थे बल्कि इन्हें पूरे कमरे के सभी जगह की आवश्यकता पड़ती थी। पहली पीढ़ी के कंप्यूटर में निर्माण के लिए Machine Language का इस्तेमाल किया गया था। पहली पीढ़ी के कंप्यूटर के प्रमुख उदाहरण ENAIC, UNIVAC, EDVAC है।
कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी
IBM 7094, CDC 1604, CDC 3600 इत्यादि कंप्यूटर का निर्माण 1956 से लेकर 1963 के दरमियान किया गया था। इसलिए इन सभी कंप्यूटर की गिनती कंप्यूटर की दूसरी जनरेशन के कंप्यूटर में होती है।
इनकी खासियत यह थी की लंबे समय तक उन्हें चलाने के बावजूद भी यह बहुत ही कम इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल करते थे। दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का निर्माण करने के लिए डेवलपर के द्वारा हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल किया गया था जिसमें COBOL, FORTRAN प्रमुख थी।
जहां पहली पीढ़ी वाले कंप्यूटर में वेक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था, वहीं दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में वेक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल नहीं किया गया था, बल्कि इसकी जगह पर डेवलपर के द्वारा ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया गया था। पहली पीढ़ी के कंप्यूटर के मुकाबले में दूसरी पीढ़ी के जो कंप्यूटर थे उनका आकार थोड़ा सा कम हो गया था। इसलिए यह कम स्पेस लेते थे।
कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी
कंप्यूटर की थर्ड जनरेशन में ऐसे कंप्यूटर को शामिल किया गया, जिनका निर्माण 1964 से लेकर के 1971 के बीच हुआ था। ऊपर ही हमने आपको बताया कि कंप्यूटर की पहली पीढ़ी में वेक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था और दूसरी पीढ़ी में वैक्यूम ट्यूब की जगह पर ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया गया था, परंतु कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी में वेक्यूम ट्यूब और ट्रांजिस्टर की जगह पर इंटीग्रेटेड सर्किट का इस्तेमाल किया गया, जिसे संक्षेप में आईसी कहा जाता है।
इस प्रकार से पहली और दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना अगर तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर से की जाए तो तीसरी जनरेशन के कंप्यूटर काफी ज्यादा एडवांस थे। इसमें आईसी का इस्तेमाल हुआ था।
इसी वजह से पहली, दूसरी पीढ़ी के मुकाबले में तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर का साइज और भी कम हो गया। इसमें डाटा इनपुट को देने के लिए माउस और कीबोर्ड जैसे इनपुट डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता था। इसलिए तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में इनपुट देना भी काफी आसान हो गया था। कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी के प्रमुख उदाहरण IBM 360, ICL 2900 है।
कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी
1971 से लेकर 1985 के दरमियान निर्मित हुए चौथी पीढ़ी के जो कंप्यूटर थे, उसमें वेक्यूम ट्यूब, ट्रांसिस्टर और आईसी की जगह पर माइक्रो प्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया। दरअसल चौथी पीढ़ी के जो कंप्यूटर थे, उसमें जो आईसी लगी हुई थी, उसमें एक ही साथ भारी मात्रा में सिलिकॉन चिप को लगा दिया गया था, जिसकी वजह से पहली, दूसरी, तीसरी जनरेशन के मुकाबले में चौथी जनरेशन के दरमियान जो कंप्यूटर बनाए गए उनका आकार पहले से काफी कम हो गया।
अभी तक जितने कंप्यूटर बनाए गए थे, उनमें से सबसे अधिक एडवांस कंप्यूटर के चौथी पीढ़ी के दरमियान बनाए गए कंप्यूटर साबित हुए। इनकी विशेषताएं यह थी कि यह आकार में भी छोटे थे परंतु इसके बावजूद यह काफी लंबे समय तक चलने वाले थे और मार्केट में इनकी कीमत भी काफी कम ही रखी गई थी।
इसलिए धीरे-धीरे सामान्य लोगों तक भी कंप्यूटर की पहुंच होने लगी क्योंकि कंप्यूटर खरीदना लोगों के बजट में बैठने लगा था। DEC 10, STAR 1000 इत्यादि चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर के उदाहरण है।
कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ी
Desktop, Laptop को पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर में गिना जाता है। 1985 के बाद जो कंप्यूटर बनाए गए, उन्हें पांचवी जनरेशन के कंप्यूटर में शामिल किया जाता है। पांचवी जनरेशन के कंप्यूटर में बड़े पैमाने पर यूएलएसआई अर्थात अल्ट्रा लार्ज स्केल इंटीग्रेशन का इस्तेमाल किया गया।
इसी टेक्नोलॉजी की वजह से एक ही माइक्रोप्रोसेसर चिप में भारी मात्रा में कंपोनेंट को सेट कर दिया गया। अभी तक जितने भी कंप्यूटर बनाएंगे, उनमें से सबसे अधिक एडवांस और चालाक पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर साबित हुए, क्योंकि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करते हैं। इसलिए जो भी डिसीजन होते हैं, उन्हें लेने में यह खुद ही सक्षम होते हैं।
शुरुआत के कुछ प्रसिद्ध कंप्यूटर
शुरुआत के कुछ प्रसिद्ध कंप्यूटर के नाम और उनकी जानकारी निम्नानुसार है।
• Mark 1 (मार्क 1)
आईबीएम कंपनी के द्वारा और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले प्रोफेसर Howard Aiken के द्वारा पहला प्रोग्रामेबल डिजिटल कंप्यूटर बना करके तैयार किया गया जिसे मार्क 1 का नाम दिया गया।
इस कंप्यूटर में इलेक्ट्रिकल और यांत्रिक दोनों ही प्रकार के उपकरण को सेट किया गया था। इस कंप्यूटर का आकार काफी अधिक बड़ा था और इसका जो स्ट्रक्चर था वह भी थोड़ा जटिल था। इस कंप्यूटर के द्वारा गणित की जोड़, घटाव, गुना, भाग जैसी कैलकुलेशन को सरलता से अंजाम दिया जा सकता था।
• ABC (Atanasoff Berry Computer)
गणित के प्रोफ़ेसर डॉ. जाँन एटानासॉफ और क्लिफार्ड-बैरी ने आपस में मिलकर के लंबे समय तक रिसर्च की, जिसके परिणाम स्वरुप पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर बन करके तैयार हुआ, जिसका नाम Atanasoff Berry Computer रखा गया, जिसे संक्षेप में एबीसी कहा जाता है।
एक ही साथ अलग-अलग इक्विटेशन का सलूशन निकालने के लिए इस कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता था। इसमें तकरीबन 300 वेक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा इसमें मेमोरी कैपेसिटर, लॉजिकल ऑपरेशन और पंच कार्ड भी मौजूद थे।
• ENIAC (एनिअक)
इसे दुनिया का पहला बेसिक उद्देश्यों की पूर्ति करने वाला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर कहा जा सकता है जिसका निर्माण पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले जे. प्रेस्पर एकर्ट और जॉन मौशली (J. Prosper Eckert and John Mauchly) के द्वारा साल 1946 में किया गया था।
इस कंप्यूटर का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर व्यवसायिक वर्क को पूरा करने के लिए किया जाता था। इसके अलावा यह कंप्यूटर अलग-अलग प्रकार के कामों को भी अंजाम देने की कैपेसिटी रखता था।
• EDSA
इसका पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक डिले स्टोरेज ऑटोमेटिक कैलकुलेटर होता है। हिंदी भाषा में इलेक्ट्रॉनिक डीले स्टोरेज ऑटोमेटिक केलकुलेटर को इलेक्ट्रॉनिक देरी भंडारण स्वचालित गणना प्रणाली कहा जाता है। साल 1940 के आसपास में प्रोफेसर मांस विलेज के द्वारा इसका निर्माण किया गया था।
यह पहला ऐसा कंप्यूटर था जिसमें प्रोग्राम स्टोर थे और पहली बार इसी कंप्यूटर पर प्रोग्राम को भी चलाया गया था। पहली बार इस पर साल 1949 में 6 मई के दिन काम किया गया था। इस पर किए गए काम के अंतर्गत वर्ग संख्या की तालिका को बनाया गया था। हालांकि साल 1958 में इसे बंद कर दिया गया था।
• EDVAC
इसका पूरा नाम इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वेरिएबल ऑटोमेटिक कंप्यूटर था, जिसका निर्माण साल 1950 में किया गया था और इसके निर्माण करता के तौर पर Bon Newman को जाना जाता है। इसके द्वारा अंकगणित की गणना को किया था तथा इसके लिए यह कंप्यूटर बायनरी अंक प्रणाली का इस्तेमाल करता था।
इस कंप्यूटर के द्वारा इंस्ट्रक्शन को डिजिटल फॉर्मेट में स्टोर किया गया था। पहली बार जिस डिवाइस में कंप्यूटर गेम को चलाया गया था, वह यही डिवाइस था। मैग्नेटिक टेप का इस्तेमाल इसमें किया गया था। यही वजह है कि यह दिनभर वर्क कर सकता था।
• UNIVAC
Eckert एवं Mauchly नाम के व्यक्तियों ने आपस में मिलकर के रिसर्च की और उसके परिणाम स्वरूप साल 1946 में UNIVAC कंप्यूटर का निर्माण हुआ। हालांकि मार्केट में इसे उतनी सफलता नहीं मिली, जितना कि इसे मिलना चाहिए थी।
आगे बढ़ते हुए इसी का एक विकसित रूप Univac 1 का निर्माण किया गया। इसमें तकरीबन 5000 से भी ज्यादा वैकेंसी लगी हुई थी और इसके वजन की बात करें तो यह तकरीबन 9 टन से भी अधिक भारी था।
भारी होने की वजह से बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल भी इस कंप्यूटर के द्वारा किया जाता था। इसके साइज की बात करें तो यह 35 स्क्वायर मीटर की जगह लेता था और इसमें इनपुट देने के लिए tape driver का इस्तेमाल किया जाता था। इसकी जो मुख्य मेमोरी थी, उसमें 1000 शब्द स्टोर हो सकते थे।
• IBM
हर्मन होलेरिथ के द्वारा साल 1924 में टेबुलेटिंग मशीन कंपनी का नाम चेंज किया गया और इसका नया नाम आईबीएम रखा गया। पहली बार आईबीएम के द्वारा आईबीएम 701 नाम का कंप्यूटर बनाया गया था जो कि एक इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था। इस कंप्यूटर पर सरलता से कैलकुलेशन को किया जा सकता था।
बता दें कि आईबीएम का पूरा नाम इंटरनेशनल बिजनेस मशीन होता है। आईबीएम कंपनी के द्वारा एटीएम आईबीएम 2984 का निर्माण साल 1972 में किया गया, उसके पश्चात आईबीएम के द्वारा आईबीएम पीसी नाम का एक पर्सनल कंप्यूटर भी बनाया गया है, जिसका निर्माण 1981 में किया गया था।
कंप्यूटर के विकास पर एक नजर
● आज से लगभग 4000 साल पहले बेबीलोन में अबेकस का अविष्कार करने का काम किया गया था।
● 1800 ईसा पूर्व बेबीलोन के लोगों ने संख्या की प्रॉब्लम को हल करने के लिए एल्गोरिदम की खोज की थी।
● 500 ईसा पूर्व मिस्र के लोगों ने तार और मणिका अबेकस का निर्माण किया।
● 200 ईसा पूर्व पहले कंप्यूटिंग ट्रे का इस्तेमाल जापान में करना शुरू कर दिया गया था।
● 1000 साल पहले नया अबेकस ऑरिलीक के गरबर्ट के द्वारा लाया गया था।
● स्कॉटलैंड के रहने वाले और आविष्कारक जॉन नेपियर के द्वारा घटाव की प्रक्रिया की सहायता से भाग करने और जोड़ के द्वारा गुणा करने की प्रणाली के बारे में साल 1617 में दुनिया को बताया गया। इन्हीं के द्वारा नेपियर की हड्डी नाम के कैलकुलेशन यंत्र की भी खोज की गई थी।
● स्लाइड रूल का डेवलपमेंट साल 1622 में हुआ। इसका डेवलपमेंट विलियम आउट्रेड के द्वारा किया गया था।
● हिड बर्ग यूनिवर्सिटी के विल्हेम सिकार्ड के द्वारा पहला कैलकुलेटर घड़ी का निर्माण किया गया था। यह काम 1624 में हुआ था।
● पेरिस के रहने वाले ब्लेज पास्कल के द्वारा पहला न्यूमेरिकल गणना करने वाली मशीन बनाई गई थी। इस मशीन को बनाने का काम 1642 में किया गया था।
● बेंजामिन फ्रैंकलिन के द्वारा इलेक्ट्रिसिटी की खोज साल 1780 में की गई।
● एलेग्जेंडर ग्राहम बेल के द्वारा टेलीफोन का आविष्कार सन 1876 में किया गया।
● विलियम बरोग नाम के व्यक्ति के द्वारा साल 1886 में पहला व्यवसायिक यांत्रिक कैलकुलेशन मशीन बनाई गई, जो काफी सक्सेसफुल भी रही।
● हॉलेरीथ टेबुलेटिंग मशीन के द्वारा साल 1889 में पेटेंट जारी करने का काम किया गया।
● हॉलरीथ के द्वारा साल 1896 में टेबुलेटिंग मशीन कंपनी के द्वारा छटाई मशीन का निर्माण करना शुरू कर दिया गया था।
● साल 1911 में टेबूलेटिंग कंपनी का विलय हो गया था। इसके पश्चात कंप्यूटर टेबूलेटिंग रिकॉर्डिंग कंपनी अस्तित्व में आई। यह कंपनी तब अस्तित्व में आई, जब कंप्यूटिंग स्केल कंपनी और इंटरनेशनल टाइम रिकॉर्डिंग कंपनी आपस में एक हो गई।
● केरेल चेपेक के द्वारा रोशम यूनिवर्सल रोबोट का इस्तेमाल साल 1921 में किया गया।
● वन्नेवर बुश के द्वारा एमआईटी में साल 1925 में डिफरेंटियल एनालाइजर लार्ज स्केल एनालॉग कैलकुलेटर का निर्माण किया गया। इसके द्वारा तेजी से गणना की जाती थी।
● लंदन और न्यूयॉर्क के बीच पहला पब्लिक रेडियो टेलीफोन का इस्तेमाल साल 1927 में हुआ।
● कोनार्ड ज्यूस के द्वारा जेड 1 नाम का पहला कैलकुलेटर बनाया गया। बता दें कि कोनार्ड जर्मनी देश के रहने वाले थे। इन्होंने कैलकुलेटर का निर्माण साल 1931 में किया था।
● अँगरेज एलेन एम. टर्निंग के द्वारा एक ऐसी मशीन को बना करके तैयार किया गया जो कैलकुलेशन करने की कैपेसिटी रखती थी। इस मशीन का निर्माण 1936 में किया गया था।
● जार्ज स्टिब्ज के द्वारा पहला द्विघाती कैलकुलेटर बनाया गया। इसका निर्माण बेल टेलीफोन लेबोरेटरी में साल 1937 में किया गया।
● एसोसिएशन फॉर कंप्यूटिंग मशीनरी की स्थापना साल 1947 में हुई।
● आईबीएम के द्वारा 604 नाम का इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर साल 1948 में जारी किया गया।
● इंटरनेशनल सुपर कंप्यूटर के पहले समिट का आयोजन साल 1951 में हुआ।
● जापान एन.ई.सी. में पहले इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर
● एन.ई.सी- 1101 व 1102 का डेवलपमेंट साल 1958 में हुआ।
● डिजिटल एक्यूप्वाइंट कंपनी के द्वारा पहला मिनीकंप्यूटर पीडीपी 8 साल 1958 में लांच किया गया।
● डिजिटल इक्विपमेंट कंपनी के द्वारा 16 बाइट का मिनी कंप्यूटर पीडीपी 11/20 साल 1969 में बना करके तैयार किया गया।
● इंटेल कंपनी के द्वारा साल 1972 में माइक्रो प्रोसेसर बनाया गया। यह 8 बाइट का माइक्रो प्रोसेसर था।
● पर्किन एल्मर व गाउल्ड एस.ई.एल के द्वारा पहला सुपर मिनी कंप्यूटर मार्केट में लॉन्च किया गया। यह मिनी कंप्यूटर साल 1976 में मार्केट में लाया गया था।
● एप्पल कंपनी के द्वारा साल 1977 में एप्पल 2 पर्सनल कंप्यूटर मार्केट में लांच किया गया।
● साल 1980 में अकेले अमेरिका में कंप्यूटर की संख्या 1000000 से भी अधिक हो गई थी।
● एक करोड़ से भी अधिक कंप्यूटर की संख्या अमेरिका देश में साल 1983 में हो गई थी।
● माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के द्वारा वर्क ग्रुप के लिए विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का शुभारंभ साल 1992 में किया गया।
भारत में पहली बार कंप्यूटर कब आया?
हमारे देश के आजाद होने के मुश्किल से मुश्किल 4 से 5 सालों के पश्चात ही हमारे देश में पहला कंप्यूटर आ गया था। देश में पहला कंप्यूटर लाने का श्रेय डॉक्टर Dwijish Dutta को जाता है। उन्होंने पहला कंप्यूटर भारत देश के पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता शहर में मौजूद भारतीय विज्ञान संस्थान के अंदर ला करके स्थापित किया था।
इनके द्वारा जो कंप्यूटर लाया था, वह एक एनालॉग कंप्यूटर था। इसके पश्चात बेंगलुरु शहर में मौजूद भारतीय विज्ञान संस्थान के अंदर भी एक एनालॉग कंप्यूटर की स्थापना कर दी गई। इस प्रकार से पहले कोलकाता शहर में और उसके पश्चात बेंगलुरु शहर में कंप्यूटर आया।
हालांकि अगर वास्तविक तौर पर देखा जाए तो हमारे देश में साल 1956 में कंप्यूटर युग की शुरुआत हुई थी, क्योंकि साल 1956 के दरमियान ही कोलकाता के साइंस इंस्टिट्यूट में एक कंप्यूटर की स्थापना की गई जो कि डिजिटल कंप्यूटर था। इसका नाम HEC-2M था।
भारत में कंप्यूटर के आ जाने की वजह से इंडियन वैज्ञानिकों के मन में भी कंप्यूटर का निर्माण करने की ललक पैदा हुई और इस प्रकार से साल 1966 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान कोलकाता और जादवपुर यूनिवर्सिटी ने आपस में हाथ मिलाया और बेहतरीन काम करते हुए देश का पहला डिजिटल कंप्यूटर बनाने में सफलता हासिल की। इसका नाम ISIJU रखा गया। इसमें ट्रांजिस्टर मौजूद था।
भारत में निर्मित सुपर कंप्यूटर
इंडिया में बनाए गए सुपर कंप्यूटर के नाम निम्नानुसार है।
● एका
● अनुपम अध्या
● सागा 220
● परम युवा II
● आदित्य
● परम इशान
● प्रत्युष
● परम – सिद्धि
इतिहास का पहला कंप्यूटर कौन सा है?
शुरुआती तौर पर जो कंप्यूटर बनाए जाते थे, वह सिर्फ कैलकुलेशन करने की ही कैपेसिटी रखते थे। इसलिए उन्हें इतिहास के पहले कंप्यूटर के तौर पर नहीं माना जा सकता है। अगर हिस्ट्री पर नजर डाले तो इतिहास का पहला कंप्यूटर डिफरेंस इंजन को कहा जाता है,भजिसका निर्माण चार्ल्स बैबेज के द्वारा किया गया था।
इसकी डिजाइनिंग भी चार्ल्स बैबेज के द्वारा साल 1822 में की गई थी। यह पहला मैकेनिकल कंप्यूटर था। वर्तमान के समय में हम जिस आधुनिक कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं, उसका आधार यही डिफरेंस इंजन था।
जब इसका निर्माण किया गया था तब इसका वजन भी नापा गया था। वजन में यह तकरीबन 700 पाउंड से भी अधिक का निकला था और इसमें वेक्यूम ट्यूब का यूज किया गया था।
भारत में कंप्यूटर के जनक कौन है?
हमारे भारत देश में कंप्यूटर के जनक के तौर पर विजय भाटकर का नाम लिया जाता है। इनका पूरा नाम विजय पांडुरंग भाटकर था जोकि इंडियन सुपर कंप्यूटर के जनक के तौर पर काफी लोकप्रिय है। इनका जन्म भारत देश के महाराष्ट्र राज्य में 11 अक्टूबर 1946 को हुआ था।
साल 1965 में इन्होंने आईआईटी दिल्ली से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी और साल 1968 में विजय ने मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री आईआईटी दिल्ली से प्राप्त की। इनके द्वारा साल 1987 में पुणे में मौजूद सेंटर फॉर डेवलपमेंट आफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग में सुपरकंप्यूटर बनाने की योजना को प्रस्तुत किया गया था और इस योजना का नेतृत्व भी किया गया था।
कंप्यूटर का पूरा नाम क्या है?
कंप्यूटर का पूरा मतलब अर्थात कंप्यूटर का फुल फॉर्म निम्नानुसार है।
Common Operating Machine Purposely used for Technological and Educational research
कॉमन ऑपरेटिंग मशीन पर्पसली यूज्ड फॉर टेक्नोलॉजिकल एंड एजुकेशनल रिसर्च।
तो दोस्तों आशा करते हैं की अब आपको कंप्यूटर का इतिहास एवं विकास (History of Computer in Hindi) से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी मिल चुकी होगी।
FAQ
चार्ल्स बैबेज के द्वारा कंप्यूटर का आविष्कार किया गया।
1991
परम 8000
चार्ल्स बैबेज
1833
इस लेख मे आपको कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi) से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी मिल गई होगी और आप जान गए होंगे की कंप्युटर कैसे काम करता है और कंप्युटर कहाँ से आया है। इसकी मदद से आप कंप्युटर की कार्य प्रक्रिया को अच्छे से समझ गए होंगे।
Hope अब आपको कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi) समझ आ गया होगा, और आप जान गये होगे की कंप्युटर कैसे काम करता है।
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