आपको किसी भी चीज की जानकारी अगर प्राप्त करनी होती है तो निश्चित ही आप इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि आपको यह पता है कि जिस चीज की जानकारी आपको नहीं है उस चीज की जानकारी इंटरनेट को होती है और वह कुछ ही सेकंड में आपको, आपके द्वारा डिमांड की जा रही जानकारी की इंफॉर्मेशन दे देता है। आजके इस पोस्ट में हम जानिंगे की इंटरनेट कैसे चलता है? और इंटरनेट कैसे काम करता है?
इंटरनेट कैसे चलता है?
कई लोगों को यह लगता है कि इंटरनेट का डाटा कहीं पर स्टोर हो करके रखता है और उसी के द्वारा इंटरनेट चलता है, जबकि बता दे कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
इंटरनेट पहले इंसानों के द्वारा जो उपग्रह छोड़े गए थे उसी के कारण चलता था परंतु अब वो टेक्नोलॉजी काफी पुरानी हो चुकी है और उस टेक्नोलॉजी की वजह से डाटा भी काफी धीमे लोड होता है परंतु आज के आधुनिक इंजीनियर ने लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए फास्ट इंटरनेट सर्विस को चालू कर दिया है। इस टेक्निक को ऑप्टिकल फाइबर केबल कहा जाता है।
इंटरनेट के फास्ट काम करने के पीछे इसके ऑप्टिकल फाइबर केबल जिम्मेदार है जो कि समुद्र के अंदर तकरीबन 800000 किलोमीटर तक फैलाए गए हैं और उसके जरिए ही इंटरनेट का 90 परसेंट तक इस्तेमाल होता है। समुद्र में ऐसे ही फाइबर केबल को बिछाया जाता है जो हाई क्वालिटी के होते हैं और जिनके साइड इफेक्ट कम होते हैं, साथ ही जिन्हें लगाने में पैसे भी कम लगते हैं।
समुद्र के अंदर बड़े बड़े जहाज भी चलते हैं और यही वजह है कि कभी-कभी जहाज के लंगर की वजह से ऑप्टिकल फाइबर केबल को नुकसान होता है। साल 2008 में इजिप्त देश में 13 जनवरी के दिन एक जहाज के कारण ऑप्टिकल फाइबर को नुकसान हुआ था जिसके कारण इजिप्त में तकरीबन 70 पर्सेंट इंटरनेट स्टॉप हो गया था।
इसके बाद इस समस्या का समाधान करने के लिए एक ऐसी टीम को तैयार किया गया जो 24 घंटे पानी में ही रहती है और वह ऑप्टिकल फाइबर केबल की देखरेख करती है और अगर उसमें कोई खराबी होती है तो उसे जल्द से जल्द ठीक करने का काम करती है।
इंटरनेट के बारे में एक रोचक बात यह भी है कि सामान्य इंसान इंटरनेट का सिर्फ 90% तक का हिस्सा ही इस्तेमाल कर पाते हैं और 10 पर्सेंट तक का हिस्सा खुफिया एजेंसी के द्वारा एक्सेस किया जाता है जिसे सामान्य लोग एक्सेस नहीं कर पाते हैं।
इंटरनेट कैसे काम करता है?
इंटरनेट की काम करने की प्रणाली को समझने के लिए हमें इसे टोटल 3 हिस्से में डिवाइड करना होगा। इंटरनेट का पहला हिस्सा ई सरवर होता है, इसके अंदर दुनिया भर की तमाम प्रकार की इंफॉर्मेशन स्टोर हो करके रखती है।
इसका दूसरा हिस्सा इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर होता है, यह सर्वर से हमें जानकारी भेजने का काम करता है और इसका तीसरा हिस्सा स्मार्टफोन या फिर मोबाइल में उपलब्ध ब्राउज़र होता है जिसकी सहायता से हम किसी भी प्रकार की जानकारी को इंटरनेट से सर्च करते हैं।
अगर हम उदाहरण देकर के इंटरनेट के काम करने के तरीके के बारे में बताएं तो मान लीजिए आपको किसी वीडियो को सर्च करना है या फिर आपको किसी गाने को अथवा फोटो को सर्च करना है तो इसके लिए जब आप अपने ब्राउज़र में वीडियो, गाने या फिर फोटो को सर्च करते हैं तो आप की सर्चिंग की रिक्वेस्ट सबसे पहले इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के पास चली जाती है।
वहां पर पहुंचने के बाद सरवर के द्वारा इंटरनेट प्रोवाइडर हमने जो जानकारी सर्च की है वह हमें हमारी स्क्रीन पर दिखाता है। यह प्रक्रिया बहुत ही तेजी के साथ काम करती है और कुछ ही सेकंड में आपको जानकारी प्राप्त हो जाती है। हालांकि अगर आपके इंटरनेट की स्पीड धीमी है तो थोड़ा सा अधिक समय लग सकता है।
इंटरनेट क्या होता है?
इसका पूरा नाम इंटरनेशनल नेटवर्क ऑफ कंप्यूटर होता है जोकि दो कंप्यूटर को आपस में जोड़ने का काम करता है। हालांकि यह आवश्यक नहीं है कि यह दो कंप्यूटर को ही जोड़ें, यह दो से अधिक कंप्यूटर को भी आपस में कनेक्ट कर देता है।
अगर आपके पास कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है, जिसमें इंटरनेट चलता है तो आप उस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर दुनिया की किसी भी प्रकार की जानकारी को सर्च कर सकते हैं, हालांकि आपको वही जानकारी प्राप्त होगी जो इंटरनेट पर अपलोड की गई होंगी।
कहने का मतलब है अगर आप जनरल नॉलेज जानकारी इंटरनेट पर सर्च करते हैं तो आपको आसानी से मिल जाएगी परंतु वही अगर आप किसी व्यक्ति की पर्सनल इंफॉर्मेशन को इंटरनेट पर सर्च करते हैं तो वह आपको तब तक नहीं मिलेगी जब तक कि उस जानकारी को इंटरनेट पर किसी के द्वारा अपलोड किया जाए।
आपको यह पता होगा कि साल 1969 में इंसान ने पहली बार चांद पर पहुंचने में सफलता हासिल की थी और उस टाइम अमेरिका के रक्षा मंत्रालय ने एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी को नियुक्त किया था और उस वक्त उन्होंने डाटा एक्सचेंज को शेयर करने के लिए टोटल 4 कंप्यूटर के नेटवर्क को बनाया था।
और आगे चलकर के इसमें अन्य कई एजेंसी भी शामिल हो गई और यह धीरे-धीरे इतना बढ़ता गया कि इसे सामान्य लोगों के लिए चालू कर दिया गया। आपको यह जानकर भी काफी खुशी होगी कि इंटरनेट पर किसी भी एजेंसी का कंट्रोल नहीं है।
इंटरनेट क्या है? उसकी पूरी जानकारी आपको यहाँ मिल जाएगी।
इंटरनेट का मालिक कौन है?
ऊपर आपने इस बात की इंफॉर्मेशन प्राप्त की है कि इंटरनेट एक या फिर दो कंप्यूटर से जुड़ा हुआ रहता है। इसके साथ यह एक से अधिक कंप्यूटर के साथ भी जुड़ा हुआ रहता है। इस प्रकार से यह सिद्ध होता है कि इंटरनेट पर किसी भी व्यक्ति का या फिर किसी भी कंपनी का मालिकाना हक तो बिल्कुल भी नहीं है। इसके साथ जो भी नेटवर्क जुड़ा हुआ है,
उसकी खुद की जिम्मेदारी होती है परंतु फिर भी देखा जाए तो मुख्य तौर पर तीन ऐसे इंस्टीट्यूट है जो इसकी देखरेख करते हैं जिसकी जानकारी नीचे बताए अनुसार है।
1: Internet Engineering Task Force (IETF)
इंटरनेट कम्युनिकेशन के लिए नए प्रोटोकॉल को डिवेलप करने की जिम्मेदारी यही संस्था निभाती है और इसके साथ ही साथ जो पुराने प्रोटोकॉल बने हुए होते हैं, उन्हें समय-समय पर अपडेट करने या फिर मेंटेन करने की जिम्मेदारी भी इसी संस्था के ऊपर है।
2: Internet Research Task Force (IRTF)
लंबे समय से जो प्रॉब्लम चली आ रही है, उस पर रिसर्च करने का काम यह संस्था करती है।
3: Internet Architecture Bord (IAB)
अगर आईईटीएफ की तरफ से किसी भी प्रकार के बदलाव को इंटरनेट में किया जाता है तो उसे परमिशन देने का काम यही इंस्टीट्यूट करता है।
भारत में इंटरनेट की शुरुआत कब हुई?
साल 1970 के आसपास में दुनिया में इंटरनेट की स्टार्टिंग की गई थी और इसका श्रेय एजुकेशन रिसर्च नेटवर्क को जाता है जिसे शार्ट में ERNET कहा जाता है। बता दें कि एजुकेशन रिसर्च नेटवर्क यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम और डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉन ऑफ गवर्नमेंट ऑफ इंडिया का जॉइंट सेटअप था और वर्तमान के समय में भी यह वर्क कर रहा है।
परंतु आज के समय में इसका एक्सेस कुछ गिने-चुने रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन और एजुकेशन इंस्टिट्यूट के पास ही उपलब्ध है। साल 1995 में 15 अगस्त के दिन पहली बाद विदेश संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने प्राइवेट इंटरनेट एक्सेसिबल इंटरनेट सर्विस को स्टार्ट किया जिसे बाद में चलकर के गेटवे इंटरनेट एक्सेस सर्विस का नाम प्राप्त हुआ।
जब यह चालू हुआ था तब इसे सिर्फ मुंबई, दिल्ली, पुणे, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता जैसे इलाके में रहने वाले लोग ही इस्तेमाल कर पाते थे परंतु धीरे-धीरे इसे इंडिया के अन्य राज्य के लोगों के लिए भी चालू कर दिया गया और वर्तमान के समय में तो इसका इस्तेमाल इंडिया के अधिकतर राज्यों के लोग कर पा रहे हैं।
आज के समय में आइडिया, एयरटेल, वोडाफोन, रिलायंस जैसी कंपनी पूरे भारत देश में इंटरनेट सर्विस देने का काम कर रही है। इनमें से सबसे फास्ट इंटरनेट सर्विस रिलायंस जिओ की है। इसके लिए इसके ग्राहक वर्तमान के समय में करोड़ों में पहुंच चुके हैं। बता दें कि प्राइवेट इंटरनेट सर्विस देने वाली कंपनियों को इंटरनेट सर्विस सेक्टर में आने की परमिशन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के द्वारा साल 1998 में दिया गया था।
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