ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग क्या है (Object Oriented Programming Hindi)

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यदि आप कंप्यूटर में रुचि रखते हैं, तो आपको कंप्यूटर से संबंधित सभी जानकारी को धीरे-धीरे प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए, ताकि आप आगे चलकर के कंप्यूटर में ही अपना कैरियर बना सके। जैसा कि आप जानते हैं कि, कंप्यूटर से संबंधित बहुत सारी ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग होती है, जिसके बारे में शायद ही आपको पता हो। इसीलिए अगर आपको ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के बारे में जानना है तो इस आर्टिकल को अत तक अवश्य पढ़ें। इस आर्टिकल में हम जानकारी देंगे कि “ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग क्या है (Object Oriented Programming Hindi)” और “ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का कंसेप्ट क्या है।”

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग क्या है (Object Oriented Programming Hindi)


हम यहा इस आर्टिकल में आज आपको ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के बारे में जानकारी देने वाले हैं। हमें पता है कि आपको इसके बारे में कम ही जानकारी होगी या फिर बिल्कुल भी नहीं जानकारी होगी।

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग क्या है? (What is Object Oriented Programming in Hindi)

एक ऐसी लैंग्वेज जो प्रोग्रामिंग में ऑब्जेक्ट का इस्तेमाल करती हैं उन्हें ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग कहा जाता है जिसे की संक्षेप में ओओपीएस कहते हैं। ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के उद्देश्यों के बारे में बात की जाए तो ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग रियल वर्ल्ड के नंबर को जैसे कि हाईडिंग को प्रोग्रामिंग में लागू करता है।

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग डाटा और डाटा पर काम करने वाले फंक्शन को एक साथ बांधने का काम करता है, ताकि इस डाटा को कोई भी कोड का दूसरा भाग यूज़ ना कर सके।


अब आइए जान लेते हैं कि आखिर हमें ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की जरूरत क्यों होती है। इसके अंतर्गत प्रोजेक्ट डेवलपमेंट और उसके मेंटेनेंस को आसान बनाने के लिए हमें ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की आवश्यकता होती है। इसके अलावा सिक्योरिटी से संबंधित प्रॉब्लम के लिए डाटा छुपाने की सुविधा प्रदान करने के लिए भी ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की आवश्यकता हमें हो सकती है। 

अगर हमारे द्वारा ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो हम रियल वर्ल्ड की प्रॉब्लम को सॉल्व कर सकते हैं। ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग इस बात को भी सुनिश्चित करता है कि दोबारा से कोड का इस्तेमाल किया जा सके। 

यही नहीं ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग हमें जेनेरिक कोड को राइट करने की सुविधा भी प्रदान करता है, जो कि एक रेंज के डाटा के साथ काम करती है। इसलिए हमें बेसिक चीजों को बार-बार रिपीट करके लिखने की आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं होती है।


ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के फायदे 

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के लाभ क्या होते हैं अथवा ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के एडवांटेज कौन-कौन से हो सकते हैं, आइए इसके बारे में आगे जानने का प्रयास करते हैं।

  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की सहायता से हम प्रोग्राम को स्टैंडर्ड वर्किंग मॉड्यूल से क्रिएट कर सकते हैं जो कि एक दूसरे के साथ कम्युनिकेट कर सकते हैं। इससे डेवलपमेंट का समय भी बचता है और अच्छी प्रोडक्टिविटी होती है।
  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इस बात की भी परमिशन देती है कि, प्रोग्राम को छोटी-छोटी समस्याएं में तोड़ा जाए और फिर आसानी से उनका समाधान निकाला जाए। इसके अंतर्गत एक समय पर एक ऑब्जेक्ट का समाधान निकाला जा सकता है।
  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की वजह से प्रोग्रामर की अच्छी प्रोडक्टिविटी, सॉफ्टवेयर की शानदार क्वालिटी और कम मेंटेनेंस इन्वेस्टमेंट की गारंटी हमें मिलती है।
  • ब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का सबसे बड़ा फायदा हमें यह है की अगर आपको इसे छोटे से बड़े सिस्टम में अपग्रेड करना है तो इसे आप बहुत ही आसानी से कर सकते हैं। यह बहुत ही कम समय में छोटे से बड़े सिस्टम में अपग्रेड हो जाती है, जिससे आपको अन्य कई विशेषताएं भी प्राप्त हो जाती हैं।
  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के अंतर्गत प्रोजेक्ट में वर्क को ऑब्जेक्ट पर आधारित डिवाइड करना बहुत ही सरल हो जाता है।
  • प्रॉब्लम फील्ड में वस्तु को काम करने योग्य रूप में मैप करना पॉसिबल होता है।
  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की एक और अच्छी विशेषता कह लीजिए या फिर फायदा कह लिजिए, यह है कि डाटा को हाइड करने के सिद्धांत के द्वारा प्रोग्रामर को सुरक्षित  प्रोग्राम तैयार करने में सहायता मिलती है, जिनमें कोड कोई दूसरे हिस्से में इंटर नहीं कर पाते हैं।
  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के अंतर्गत हमारे द्वारा इन्हेरिटेंस का इस्तेमाल करके अगर रेनडेंस कोड को खत्म करने का मन बना लिया गया है तो ऐसा वास्तव में किया जा सकता है। ऐसा करने पर वर्तमान के समय में जो क्लास अवेलेबल है, उसके इस्तेमाल को बढ़ाया जा सकता है।
  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग में ऑब्जेक्ट के बीच कम्युनिकेशन हो सके इसके लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल होता है उसे मैसेज पासिंग तकनीक कहा जाता है। यह तकनीक एक्सटर्नल सिस्टम के साथ इंटरफेस डिस्क्रिप्शन को बहुत ही आसान बना देता है।

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के नुकसान 

जिस प्रकार से ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के फायदे के बारे में जानना जरूरी होता है, उसी प्रकार से इसके नुकसान के बारे में जानना भी आवश्यक होता है। नीचे हम आपको ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के डिसएडवांटेज अथवा ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की हानि अथवा ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की कमी के बारे में जानकारी हिंदी भाषा में दे रहे हैं।

  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल करके जिस प्रोग्राम को डिवेलप किया जाता है उसकी लंबाई प्रोसीजरल अप्रोच से काफी ज्यादा होती है।
  • जैसा कि आप जानते हैं कि ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के द्वारा बनाया गया प्रोग्राम आकार में ज्यादा बड़ा होता है। इसलिए इसे एग्जीक्यूट होने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है जिसकी वजह से प्रोग्राम में एग्जीक्यूशन की प्रक्रिया धीमे होती है।
  • आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते हैं की ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग यूनिवर्सल लैंग्वेज नहीं होती है। यही वजह है कि आप इसे हर जगह अप्लाई नहीं कर सकते हैं। इसे तब ही अप्लाई किया जा सकता है जब इसकी आवश्यकता होती है। यह सभी प्रकार की प्रॉब्लम के लिए भी सूटेबल नहीं होती है।
  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल करने के लिए प्रोग्रामर को डिजाइनिंग कौशल की तथा प्रोग्रामिंग कौशल की अच्छी जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल करना थोड़ा सा जटिल होती है।
  • ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल करने में ज्यादा समय लग जाता है। इसमें जो विचार प्रोसेस शामिल होती है वह कुछ लोगों के लिए नेचुरल नहीं हो सकती है।
  • आपको हम यह भी बताना चाहते हैं की ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग में जो वस्तु होती है उसे वस्तु के तौर पर देखा जाता है। इसीलिए इसका इस्तेमाल करने से पहले वस्तु से संबंधित जानकारी को प्राप्त करने का प्रयास हमें करना चाहिए।

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का कंसेप्ट 

आईए नीचे आपको ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के कंसेप्ट की जानकारी देते हैं।


1: इनहेरिटेंस (Inheritance)

इन्हेरिटेंस को एक सिस्टम कहा जाता है। ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग में इन्हेरिटेंस एक ऐसा सिस्टम होता है, जहां पर किसी भी दूसरी क्लास से एक क्लास प्रोग्रामर को प्राप्त हो सकती है अथवा वह प्राप्त कर सकता है। 

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का यह कांसेप्ट अर्थात अवधारणा वर्तमान के समय में मौजूद स्ट्रक्चर को कस्टम एनालिसिस देने और अलग-अलग मुद्दों की घोषणा करने में बहुत ही यूज़फुल साबित हो सकता है।

2: पॉलीमोर्फस (Polymorphism)

यह एनालिटिकल कोड का निर्माण करने की परमिशन किसी भी प्रोग्रामर को देता है। अगर ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की इस कॉन्सेप्ट अर्थात अवधारणा के बारे में चर्चा की जाए, तो इसके अंतर्गत एक ही इंटरफ़ेस की सहायता से अलग अलग टाइप के ऑब्जेक्ट तक आसानी से प्रोग्रामर पहुंचने में सफल हो सकता है।


यहां पर जितने भी प्रकार का इंटरफेस होता है, वह अलग ही प्रकार से काम करता है, तो इस प्रकार से आपने अभी तक ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की अवधारणा के बारे में जानकारी प्राप्त कर ली। अब हम आपको ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के तीसरे कंसेप्ट के बारे में आगे बताने वाले हैं जिसे एब्स्ट्रेक्शन कहा जाता है।

3: एब्स्ट्रेक्शन (Abstraction)

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की जो तीसरी अवधारणा अर्थात कांसेप्ट है उसे एब्स्ट्रेक्शन का नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत abstract होने या फिर ऑब्जेक्ट और प्रोसेस की जो सामान्य विशेषताएं होती है, उसे चुनने का अधिकार प्रोग्रामर को प्राप्त होता है। इसका इस्तेमाल करने के पीछे मुख्य मतलब इरेलीवेंट डिस्क्रिप्शन को छुपा कर के कॉम्प्लेक्शन को संभालना होता है।

4: एनकैप्सुलेशन (Encapsulation)

उपरोक्त शब्द को ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का मूल कांसेप्ट कहा जाता है। उपरोक्त ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का कांसेप्ट प्रोग्रामर को डाटा और फंक्शन को एक साथ अटैच करने में सहायता प्रदान करता है।

5: क्लास

क्लास एक यूजर डिफाइंड डाटा का प्रकार होता है जिसमें डाटा मेंबर और मेंबर फंक्शन अवेलेबल होते हैं जिन्हें उस क्लास के एक एग्जांपल को बनाकर पहुंचाया जा सकता है और उनका इस्तेमाल भी किया जा सकता है। 

क्लास एक ऐसी प्रॉपर्टी/ मेथड के ग्रुप को रिप्रेजेंट करता है जो एक टाइप के सभी चीजों के लिए शेयर होते हैं। यहां पर आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते हैं कि, क्लास एक वस्तु के लिए एक ब्लूप्रिंट की तरह ही होता है।

एग्जांपल के तौर पर आपको कारों की एक क्लास के बारे में सोचना चाहिए। जैसा कि आप जानते हैं कि कार के कई ब्रांड हो सकते हैं और ब्रांड के द्वारा लांच किए गए कार के मॉडल भी अलग-अलग हो सकते हैं या उनके नाम अलग-अलग हो सकते हैं परंतु उनमें सभी कारों के कुछ सामान्य गुण अवश्य होते हैं। 

जैसे कि उनके अंदर रोड पर चलने के लिए 4 टायर होते हैं और उनमें निश्चित स्पीड लिमिट भी दी गई होती है, उसी स्पीड लिमिट पर गाड़ी को रोड पर दौड़ाया जा सकता है। इसके अलावा उसमें किलोमीटर प्रति लीटर की दूरी जैसी क्लास भी होती है। इसलिए यहां पर कार एक क्लास है और पहिया, स्पीड लिमिट तथा दूरी यह सब उसकी प्रॉपर्टी है।

6: ऑब्जेक्ट

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग की जो मूल इकाई होती है अर्थात बेसिक यूनिट होता है उसे ऑब्जेक्ट कहा जाता है, जो कि रियल लाइफ की वस्तुओं को रिप्रेजेंट करता है। यहां पर बताना चाहेंगे कि, एक ऑब्जेक्ट किसी भी क्लास का एक बेहतरीन एग्जांपल हो सकता है। 

जब किसी क्लास को परिभाषित करने का काम किया जाता है तो कोई भी मेमोरी का आवंटन नहीं किया जाता है परंतु जब इसे इंस्टेंटिएट करते हैं अर्थात एक ऑब्जेक्ट को तैयार किया जाता है तो मेमोरी का आवंटन किया जाता है। बताना चाहेंगे कि, हर ऑब्जेक्ट में डाटा और डाटा को मैनेज करने के लिए एक कोड अवेलेबल होता है। 

7: डायनेमिक बाइंडिंग

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग में एक अन्य कांसेप्ट भी शामिल है, जिसे डायनेमिक बाइंडिंग कहा जाता है।  किसी भी दिए गए प्रोसेस कॉल के साथ जो कोड कनेक्टेड होते हैं उसे कॉल करने के समय तक की इंफॉर्मेशन नहीं होती है। यह रनटाइम पर होता है।

अगर डायनेमिक बाइंडिंग के फायदे के बारे में चर्चा की जाए तो किसी भी प्रोड्यूस क्लास डी में उसकी बेस क्लास बी के सभी मेंबर अवेलेबल होते हैं और जब डी किसी भी पब्लिक मेंबर को हाइड करने वाला नहीं होता है तो डी का एक ऑब्जेक्ट बी को रिप्रेजेंट कर सकता है।

8: मैसेज पासिंग

मैसेज पासिंग को आप एक ऐसा मेथड समझ सकते हैं जो ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग और पार्लल अर्थात समरेखित प्रोग्रामिंग में इस्तेमाल में ली जाती है। यहां पर आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि, ऑब्जेक्ट आसानी से एक दूसरे के साथ कम्युनिकेशन स्थापित कर लेते हैं जिसमें वह एक दूसरे को इंफॉर्मेशन सेंड करते हैं और इंफॉर्मेशन में प्राप्त करते हैं। 

मैसेज पासिंग में ऑब्जेक्ट का जो नाम होता है, वह भी शामिल होता है। इसके अलावा फंक्शन का नाम शामिल होता है तथा मैसेज पासिंग में भेजने वाले की इंफॉर्मेशन के टेबल भी शामिल होते हैं।

टॉप 10 ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज

नीचे हमारे द्वारा आपको टॉप 10 ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की जानकारी दी जा रही है, जिसके बारे में हर डेवलपर को पता होना चाहिए। इसमें पाइथन, जावा और अन्य कई लैंग्वेज शामिल है।

1: पाइथन

कंप्यूटर की हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में शामिल पाइथन एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। इसका इस्तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में किया जाता है। इसके अलावा मशीन लर्निंग में भी इसका इस्तेमाल होता है तथा डाटा एनालिटिक्स एप्लीकेशन प्रोग्राम में भी पाइथन जैसी हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल होता है। पाइथन जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की टॉप टेन लैंग्वेज में हमेशा से ही शामिल रहती है। 

पाइथन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की गिनती फ्री और ओपन सोर्स प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में होती है। आप अगर किसी ऑपरेटिंग सिस्टम में पाइथन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के कोड का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल मुफ्त में इसके कोड का इस्तेमाल किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम में कर सकते हैं फिर चाहे वह विंडोज हो या फिर लिनक्स हो। 

यदि आप पाइथन सीखना चाहते हैं तो आप इसे आसानी से सीख सकते हैं, क्योंकि इसके कोड को लिखना सरल होता है। कोड पढ़ना भी आसान होता है और आसानी से पाइथन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को समझा जा सकता है।

2: जावा

जावा एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है जो कि क्लास और ऑब्जेक्ट पर आधारित होती है। यह भी ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के लैंग्वेज के उदाहरण में शामिल होती है। दुनियाभर में टॉप टेन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में जावा की गिनती होती है। 

एप्लीकेशन बनाने में सबसे ज्यादा जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का ही इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा बताना चाहेंगे कि ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के सभी कॉन्सेप्ट जैसे कि इन कैप्सूलेशन, एब्स्ट्रेक्शन, इन्हेरिटेंस इत्यादि में भी जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का फॉर्म होता है।

जावा की गिनती हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में होती है। यह प्लेटफार्म पर आधारित नहीं होती है अर्थात जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को किसी भी प्लेटफार्म पर चलाया जा सकता है। इसे सीखना बहुत ही आसान होता है और इसे सुरक्षित और तेजी से काम करने वाले प्रोग्रामिंग लैंग्वेज माना जाता है। 

जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में जो कोड होते हैं वह अच्छे स्ट्रक्चर में होते हैं और उनका दोबारा से इस्तेमाल किया जा सकता है। जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के द्वारा मल्टीथ्रेडिंग और मल्टीटास्किंग जैसे कांसेप्ट को भी सपोर्ट किया जाता है। जावा इकोसिस्टम में जावा डेवलपमेंट किट, जावा रनटाइम एनवायरमेंट और जावा वर्चुअल मशीन शामिल होती है। जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सी प्लस प्लस और सी लैंग्वेज के जैसा ही होती है। यह कॉमन सिंटेक्स और कमेंट स्टाइल को शेयर करती है।

3: सी प्लस प्लस

सी प्लस प्लस एक प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है, जिसका इस्तेमाल वेब डिजाइनिंग में किया जाता है। इसके अलावा web-application में भी इसका इस्तेमाल होता है। बताना चाहेंगे कि, सी नाम की भी एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज होती है जिसका एडवांस वर्जन जो होता है उसे ही सी प्लस प्लस कहा जाता है। सी प्लस प्लस जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल करके विभिन्न प्रकार के ब्राउज़र का निर्माण किया जाता है।

इसके अलावा सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन को तैयार करने के लिए भी इसी का इस्तेमाल होता है तथा ऑपरेटिंग सिस्टम में भी सी प्लस प्लस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा डाटा स्ट्रक्चर में भी इसका इस्तेमाल होता है। इस लैंग्वेज के द्वारा अलग अलग टाइप के मेमोरी मैनेजमेंट को प्रोवाइड करवाया जाता है। सी प्लस प्लस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज lambda एक्सप्रेशन को भी सपोर्ट करता है। 

इसके अलावा सी प्लस प्लस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज दूसरे प्रकार के प्रोग्रामिंग पैराडिग्मा जैसे कि procedural और functional का भी काम करती है। यह प्रोग्रामिंग लैंग्वेज फ्लैक्सिबल अर्थात लचीली होती है और बहुत ही पावरफुल लैंग्वेज होती है। बताना चाहेंगे कि, एक्लिप्स, विजुअल स्टूडियो कोड और देव सी प्लस प्लस इत्यादि सबसे सामान्य डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म सी प्लस प्लस प्रोग्राम के लिए है।

4: जावास्क्रिप्ट

वर्ल्ड वाइड वेब में सबसे अधिक जावास्क्रिप्ट जैसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है जिसे सीखना आसान होता है और यह डायनेमिक वेबसाइट को बनाने में बहुत ही सहायक साबित होती है। जावास्क्रिप्ट प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल मल्टीमीडिया को कंट्रोल करने के लिए और ऑब्जेक्ट को एनिमेट करने के लिए होता है। 

जावास्क्रिप्ट को क्लाइंट साइड स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज कहा जाता है। जावास्क्रिप्ट प्रोग्रामिंग लैंग्वेज स्टोरेज स्टैंडर्ड के माध्यम से यूजर को डिवाइस में डाटा को इंस्टॉल करने की परमिशन देती है। जावास्क्रिप्ट की वजह से ही यूजर वेब पेज के साथ बातचीत कर सकता है और बटन फंक्शन का इस्तेमाल कर सकता है। 

जावास्क्रिप्ट प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का फायदा यह है कि यह बहुत ही सिंपल होती है और जावा स्क्रिप्ट प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की स्पीड बहुत ही शानदार होती है। अगर आपने जावा स्क्रिप्ट प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को सीखा हुआ है तो आप अपने इसी कौशल के बदौलत वर्तमान के मार्केट में अच्छा पैसा भी कमा सकते हैं।

5: C# 

उपरोक्त लैंग्वेज सी लैंग्वेज के परिवार से संबंध रखती है। उपरोक्त लैंग्वेज के द्वारा भी मल्टीपल प्रोग्रामिंग पैराडिग्मा जैसे कि फंक्शनल, जेनेरिक, डिक्लेरटिव इत्यादि को सपोर्ट किया जाता है। अधिकतर हमने देखा है कि उपरोक्त प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल प्रोफेशनल अथवा डायनेमिक वेबसाइट का निर्माण करने के लिए किया जाता है। बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल गेम डेवलपर के द्वारा भी किया जाता है।

6: रूबी

रूबी भी एक अच्छी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है जिसका ज्यादातर इस्तेमाल सरवर का डेवलपमेंट करने के लिए अथवा डाटा की प्रोसेसिंग करने के लिए या फिर वेब क्राउलिंग के लिए ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में किया जाता है। रूबी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज हाई लेवल की और इंटरप्रिटेड लैंग्वेज होती है। 

इसे सर्वर साइड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कहा जाता है। यह ठीक ऐसे ही काम करती हैं, जैसे कि पाइथन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज काम करती है। जिस प्रकार से पाइथन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का सिंटेक्स होता है उसी प्रकार से रूपी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का भी सिंटेक्स होता है जिसकी वजह से इस लैंग्वेज को सीखना यूजर के लिए आसान होता है।

7: पीएचपी

पीएचपी, हाइपर टेक्स्ट प्रीप्रोसेसर एक इंटरप्रिटेड ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। पीएचपी को सर्वर साइड स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज भी माना जाता है, जोकि एचटीएमएल में एंबेडेड होती है। इस लैंग्वेज का अधिकतर इस्तेमाल एप्लीकेशन का निर्माण करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा अगर कभी डायनेमिक अथवा स्टैटिक वेबसाइट का निर्माण करने की आवश्यकता होती है तो ऐसे में भी पीएचपी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जा सकता है।

यह लैंग्वेज सरवर में कुछ स्पेशल एक्शन परफॉर्म करती है। जैसे कि एडिशन, डीलीशन, मॉडिफिकेशन इत्यादि तथा फाइल को ओपन करना और क्लोज करने जैसा भी परफॉर्म यही लैंग्वेज करती है। इस लैंग्वेज का इस्तेमाल डाटा को इंक्रिप्ट करने के लिए भी किया जाता है। 

पीएचपी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज किसी भी प्लेटफार्म पर डिपेंड नहीं होती, इसलिए इसे प्लेटफॉर्म इंडिपेंडेंट लैंग्वेज कहा जाता है। आप इस लैंग्वेज को अलग-अलग सर्वर पर चला सकते हैं। पीएचपी के जितने भी नए वर्जन लॉन्च होते हैं उसमें कई विशेषताओं को शामिल किया जाता है। पीएचपी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की इंस्टॉलेशन और सेटअप प्रोसेस बिल्कुल मुफ्त होती है और बहुत ही आसान होती है।

8: टाइप्स्क्रिप्ट

टाइप्स्क्रिप्ट भी एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। यह पोर्टेबल लैंग्वेज होती है। इसीलिए सभी प्लेटफार्म पर इसे एक्सेस किया जा सकता है। इस लैंग्वेज के द्वारा भी जावास्क्रिप्ट लाइब्रेरी को सपोर्ट किया जाता है। टाइप स्क्रिप्ट प्रोग्रामिंग लैंग्वेज ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के कांसेप्ट को सपोर्ट करती है, जैसे कि क्लास, इंटरफेस और इन्हेरिटेंस।

 9: Kotlin

कोटलिन statically टाइप प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है। इस लैंग्वेज के द्वारा सिक्योरिटी और सहायता दी जाती है ताकि प्रोडक्टिविटी को बूस्ट किया जा सके, जिसकी वजह से डेवलपर संतुष्ट हो। इस लैंग्वेज का सबसे अधिक इस्तेमाल एंड्रॉयड डेवलपमेंट में किया जाता है। 

यही नहीं एंड्रॉयड डेवलपमेंट के अलावा कोटलिन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल डाटा साइंस में भी होता है तथा सर्वर साइड की जो एप्लीकेशन होती है उसमें भी इसका इस्तेमाल होता है और वेब डेवलपमेंट में भी इस लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है।

आप इस लैंग्वेज को ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड और फंग्शनल प्रोग्रामिंग पैराडिग्मा का मिक्सचर समझ सकते हैं। यह लैंग्वेज भी प्लेटफॉर्म इंडिपेंडेंट लैंग्वेज होती है अर्थात किसी प्लेटफार्म पर यह लैंग्वेज आधारित नहीं होती है। अधिकतर यह लैंग्वेज जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के साथ कंपैटिबल होती है। बैक एंड डेवलपमेंट के लिए भी कोटलिन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को बेस्ट लैंग्वेज माना जाता है।

10: R 

आ र प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर एनालिसिस के लिए किया जाता है। इसके अलावा ग्राफिक रिप्रेजेंटेशन तथा रिपोर्टिंग के लिए भी आर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल होता है। इस प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के द्वारा ऑपरेटर को बहुत सारे उद्देश्य दिए जाते हैं। आर एक क्लियर और एक्सेसिबल प्रोग्रामिंग टूल होता है जो कि अलग-अलग प्लेटफार्म पर चलता है।

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग में ऑब्जेक्ट क्या है?

एक class instance को एक ऑब्जेक्ट के तौर पर जाना जाता है। अगर रियल वर्ल्ड ऑब्जेक्ट के बारे में बात की जाए तो यह कुछ भी हो सकता है। जैसे कि लैपटॉप, कोई मोबाइल, कोई बेड, कंप्यूटर का माउस अथवा कंप्यूटर का कीबोर्ड या फिर कोई कुर्सी। 

आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते हैं कि किसी भी फिजिकल यूनिट को वस्तु कहा जा सकता है। अगर जावा की बात की जाए तो उसमें ऑब्जेक्ट का निर्माण करने के लिए बहुत सारे मेथड होते हैं जिनमें नए कीवर्ड और फैक्ट्री मेथड शामिल होते हैं।

इनहेरिटेंस क्या है?

एक ऐसा मैकेनिज्म जिससे एक ओल्ड क्लास से न्यू क्लास को बना करके तैयार किया जाता है उसे इनहेरिटेंस के नाम से जाना जाता है जो कि कंप्यूटर से संबंधित होता है।‌इसके बारे में अगर और भी सरल भाषा में बताया जाए तो इन्हेरिटेंस की सहायता से जो पुरानी क्लास होती है उसकी प्रॉपर्टी को जो नई क्लास बनाई जाती है उसमें शामिल किया जाता है।

ऐसा करने के लिए पुराने क्लास की जो भी प्रॉपर्टी है उसे नई क्लास में इन्हेरीट करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए डेरी वेशन पब्लिक, प्राइवेट और प्रोटेक्टेड इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है।

यहां पर आपका यह भी जानना आवश्यक है कि आखिर इन्हेरिटेंस में पुरानी क्लास अर्थात ओल्ड क्लास को क्या कहा जाता है। बताना चाहते हैं कि पुरानी क्लास को बेस क्लास अथवा पैरंट क्लास या फिर सुपर क्लास भी कहा जाता है, वही नई क्लास को चाइल्ड क्लास अथवा सबक्लास भी कहा जाता है। इनहेरिटेंस के टोटल 5 प्रकार होते हैं जिनके नाम Single, Multiple, Multilevel, Hierarchical, Hybrid हैं।

कंस्ट्रक्टर क्या है?

बताना चाहेंगे कि क्लास के डाटा मेंबर की जो कीमत होती है, उसे इंटेलाइज करने के लिए कंस्ट्रक्टर का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा आपको यह भी जानना चाहिए कि जो नाम कंस्ट्रक्टर का होगा वही नाम क्लास का भी होगा, क्योंकि कंस्ट्रक्टर क्लास का मेंबर फंक्शन होता है। जब क्लास का ऑब्जेक्ट बन करके तैयार हो जाता है तो कंस्ट्रक्टर को ऑटोमेटिक कॉल हो जाता है। 

कंस्ट्रक्टर के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह कभी भी वर्चुअल नहीं होते हैं और यह हमेशा सर्वजनिक सेक्शन में डिक्लेअर होते हैं। कंस्ट्रक्टर के मुख्य तौर पर तीन प्रकार होते हैं जिनके नाम default, parameterized तथा copy constructors हैं। हमारे द्वारा जब कोई भी कंस्ट्रक्टर प्रोग्राम में नहीं प्रदान किया जाता है तो ऐसी अवस्था में कंपाइलर के द्वारा अपना काम करना चालू कर दिया जाता है और वह डिफॉल्ट कंस्ट्रक्टर को बना देता है।

FAQs

C++ में manipulators क्या है?

यह एक ऐसे स्पेशल फंक्शन होते हैं जो आउटपुट के फॉर्मेट को उसे तय करने के लिए इस्तेमाल में लिए जाते हैं। इनका इस्तेमाल आईओएस फंक्शन की जगह पर किया जाता है।

कंस्ट्रक्टर कितने प्रकार के होते हैं?

default, parameterized तथा copy constructors जैसे तीन प्रकार के कंस्ट्रक्टर होते हैं। हम जब प्रोग्राम में कंस्ट्रक्टर नहीं प्रदान करते हैं तो यहां पर कंपाइलर के द्वारा डिफॉल्ट कंस्ट्रक्टर को तैयार कर दिया जाता है।

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग भाषा का उदाहरण क्या है?

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उदाहरण भाषा, क्लास और मेथड होता है।

OOPS क्या है इसके लाभ लिखिए?

हमने आपको इसी आर्टिकल में ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के बारे में पूरी जानकारी हिंदी भाषा में दी है, साथ ही इसके फायदे क्या हो सकते हैं और ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के नुकसान क्या हो सकते हैं, इसके बारे में भी बताया हुआ है। इसलिए आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें।

ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का बेसिक प्रिंसिपल क्या है?

Abstraction, Encapsulation, Inheritance और Polymorphism इत्यादि ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग का बेसिक प्रिंसिपल होता है। हालांकि इसके अलावा ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड प्रोग्रामिंग के बहुत से क्लास और ऑब्जेक्ट हो सकते हैं।

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हेलो दोस्तों, मेरा नाम अंकुर सिंह है और में New Delhi से हूँ। मैंने B.Tech (Computer Science) से ग्रेजुएशन किया है। और में इस ब्लॉग पर टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर, मोबाइल और इंटरनेट से जुड़े लेख लिखता हूँ।

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