आज इस पेज पर हम आउटपुट डिवाइस क्या है? के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे, साथ ही आउटपुट डिवाइस के विभिन्न प्रकारों के बारे में भी चर्चा करेंगे। जैसा कि आप जानते हैं कि कंप्यूटर को सही प्रकार से काम करने के लिए विभिन्न प्रकार के कंपोनेंट की आवश्यकता होती है। कंप्यूटर के लिए जितना महत्वपूर्ण व उपयोगी इनपुट डिवाइस होता है उतना ही उपयोगी कंप्यूटर के लिए आउटपुट डिवाइस भी होता है।
कंप्यूटर से कनेक्टेड विभिन्न आउटपुट डिवाइस अलग-अलग प्रकार की सुविधाएं हमें देते हैं। किसी आउटपुट डिवाइस के द्वारा हमें ध्वनि सुनाई जाती है, तो किसी आउटपुट डिवाइस के द्वारा हमें कंप्यूटर के सभी ऑप्शन दिखाए जाते हैं।
आइए आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि “कंप्यूटर आउटपुट डिवाइस क्या है” और “कंप्यूटर आउटपुट डिवाइस के कितने प्रकार हैं।“
आउटपुट डिवाइस क्या है?
कंप्यूटर में आउटपुट डिवाइस ऐसे डिवाइस होते हैं जो Raw (कच्चे) डाटा को प्रोसेस करके उसका जो परिणाम होता है उसे स्क्रीन पर दिखाने का काम करते हैं। कंप्यूटर को कौन से डाटा को प्रोसेस करना है, इसका आदेश उसे इनपुट डिवाइस के माध्यम से हमारे और आप जैसे यूज़र के द्वारा ही दिया जाता है।
आउटपुट डिवाइस अलग-अलग प्रकार से आउटपुट डिस्प्ले करते हैं। जैसे कि शब्दों के तौर पर, फोटो के तौर पर, हार्ड कॉपी के तौर पर अथवा ऑडियो या फिर वीडियो के तौर पर। हिंदी में आउटपुट को निर्गम कहा जाता है तथा हिंदी भाषा में आउटपुट डिवाइस को निर्गम उपकरण कहते हैं।
आउटपुट डिवाइस की परिभाषा
इनपुट डिवाइस के माध्यम से जो इंस्ट्रक्शन कंप्यूटर को मिलते हैं, उसे प्राप्त करके तथा उस पर प्रोसेसिंग करके हार्ड कॉपी अथवा सॉफ्ट कॉपी के तौर पर डिस्प्ले करना या फिर प्रदान करने का काम आउटपुट डिवाइस के द्वारा संपन्न किया जाता है।
आउटपुट शब्द आउट और पुट इस प्रकार से 2 शब्दों को मिला करके बनाया गया है, जिसमें से आउट का मतलब होता है बाहर और पुट का मतलब होता है रखना।
कंप्यूटर के प्रमुख आउटपुट डिवाइस में मॉनिटर, स्पीकर, प्रिंटर इत्यादि की गिनती होती है। आप जब कंप्यूटर में कोई वीडियो देखते हैं या फिर कोई फिल्म देखते हैं अथवा म्यूजिक सुनते हैं या फिर किसी दस्तावेज का प्रिंटआउट निकालते हैं तो यह सभी काम आउटपुट डिवाइस के द्वारा ही पूरे किए जाते हैं। कंप्यूटर के साथ कनेक्टेड सभी आउटपुट डिवाइस के काम अलग-अलग होते हैं।
आउटपुट डिवाइस के प्रकार
कंप्यूटर के आउटपुट डिवाइस के बहुत सारे प्रकार हैं जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकारों की जानकारी नीचे आपको विस्तार से दी जा रही है।
1: मॉनिटर
कंप्यूटर के प्रमुख आउटपुट डिवाइस में मॉनिटर की गिनती होती है। यह कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण हार्डवेयर कंपोनेंट भी माना जाता है। कंप्यूटर पर मिलने वाली सभी इंफॉर्मेशन या फिर डेटा को मॉनिटर स्क्रीन पर सॉफ्ट कॉपी के तौर पर दिखाने का काम करता है।
कहने का मतलब है कि आप कंप्यूटर के सभी ऑप्शन को जिस स्क्रीन पर देखते हैं उसे ही मॉनिटर कहा जाता है और मॉनिटर की स्क्रीन को मॉनिटर स्क्रीन कहते हैं। इसके अलावा मॉनिटर को विजुअल डिस्प्ले यूनिट के नाम से भी जाना जाता है।
कंप्यूटर पर सभी कामों को सही प्रकार से अंजाम देना मॉनिटर की वजह से ही पॉसिबल हो पाता है, क्योंकि अगर मॉनिटर की स्क्रीन खराब हो जाती है या फिर कंप्यूटर में मॉनिटर स्क्रीन ना हो तो हमें कंप्यूटर के कोई भी ऑप्शन नहीं दिखाई देंगे।
जिससे हमें कंप्यूटर पर कोई भी काम करने में बहुत ही समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। मॉनिटर स्क्रीन की वजह से ही हम ईमेल भेज पाते हैं, कंप्यूटर पर गेम खेल पाते हैं, डाटा एंट्री और वेब ब्राउजिंग जैसे काम कर पाते हैं। कंप्यूटर के आउटपुट डिवाइस मॉनिटर के भी कई प्रकार होते हैं, आइए उनके बारे में भी जान लेते हैं।
CRT Monitor
सीआरटी मॉनिटर में कैथोड रे ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है, जोकि वैक्यूम ट्यूब की तरह ही होती है जो फोटो को वीडियो सिग्नल के तौर पर प्रोड्यूस करती है।
सीआरटी मॉनिटर में एक बहुत ही बड़ा ट्यूब लगा हुआ होता है जिसमें इलेक्ट्रॉन बीम का संचार होता रहता है। इलेक्ट्रॉन बीम को हाई वोल्टेज के द्वारा कंट्रोल किया जाता है। सीआरटी मॉनिटर की स्क्रीन जैसी टीवी की स्क्रीन होती है वैसी ही दिखाई पड़ती है।
सीआरटी मॉनिटर का मुख्य कंपोनेंट इलेक्ट्रॉन गन असेंबली, डिफलेक्शन प्लेट असेंबली, फ्लोरोसेंट स्क्रीन होता है। इस मॉनिटर के आउटर सरफेस में जहां पर इमेज प्रोड्यूस होती है उसे फेसप्लेट कहा जाता है, जिसका निर्माण fiber-optic के द्वारा किया गया होता है।
वर्तमान के समय में एलसीडी स्क्रीन ने सीआरटी मॉनिटर को पीछे छोड़ दिया है परंतु इसके बावजूद कलर क्वालिटी की वजह से आज भी ग्राफिक प्रोफेशनल के द्वारा सीआरटी मॉनिटर का इस्तेमाल किया जाता है।
LCD Monitor
एलसीडी मॉनिटर का पूरा नाम लिक्विडक्रिस्टल डिस्प्ले होता है। एलसीडी मॉनिटर में जो स्क्रीन होती है उसमें दो परत अवेलेबल होती है और उन दोनों ही परत के बीच में लिक्विड क्रिस्टल को भर कर के रखा गया होता है, जिसे वोल्टेज के द्वारा इफेक्ट पहुंचाया जाता है और डिस्प्ले हासिल की जाती है।
आज के समय में जो लैपटॉप का इस्तेमाल आप अपने घरों में कर रहे हैं, उसमें बड़े पैमाने पर एलसीडी मॉनिटर स्क्रीन का इस्तेमाल होता है।
एलसीडी मॉनिटर लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जिसका इस्तेमाल टेबलेट, स्मार्ट फोन और लैपटॉप की स्क्रीन पर किया जाता है। एलसीडी स्क्रीन में पिक्सेल का मैट्रिक्स होता है जो फोटो को स्क्रीन पर दिखाने का काम करता है।
आज के समय में जो एलसीडी मॉनिटर आ रहा है, वह एक्टिव मैट्रिक्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है और उसमें पतली फिल्म ट्रांजिस्टर कैपेसिटर के साथ होती है। इसकी वजह से स्क्रीन पर जो चीजें आती है वह धुंधली नहीं दिखाई पड़ती है, बल्कि साफ-साफ दिखाई देती है।
LED MONITOR
एलइडी मॉनिटर को एलसीडी मॉनिटर का इंप्रूव्ड वर्जन माना जाता है। एलइडी मॉनिटर का डिस्प्ले फ्लैट पैनल होता है और यह लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है। जैसे कि एलसीडी मॉनिटर में इस्तेमाल किया जाता है। एलइडी का पूरा मतलब लाइट एमिटिंग डायोड होता है।
एलईडी मॉनिटर में ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी सहायता से यह डिजिटल डिस्पले को प्रदर्शित करने की कैपेसिटी प्राप्त कर पाता है। आपकी जानकारी के लिए बता देना चाहते हैं कि एलइडी मॉनिटर का जो रिफ्रेश रेट होता है, वह बहुत ही शानदार होता है और एलसीडी मॉनिटर की तुलना में इसकी साइज बहुत ही पतली होती है।
इसलिए यह आसानी से दीवारों पर भी फिट हो जाता है और इसका वजन भी हल्का होता है। मॉडर्न इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे कि मोबाइल फोन, एलइडी टीवी, लैपटॉप और कंप्यूटर स्क्रीन इत्यादि में एलइडी डिस्पले का इस्तेमाल किया जा रहा है जिसकी वजह से इन डिवाइस की ब्राइटनेस की क्वालिटी बहुत ही शानदार हो गई है और यह डिवाइस बहुत ही कम पावर का इस्तेमाल कर रहे हैं।
Plasma Monitor
प्लाज्मा मॉनिटर में भी फ्लैट पैनल डिस्पले अवेलेबल होता है। इसमें प्लाजमा डिस्पले टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। प्लाज्मा मॉनिटर में छोटे सेल दो ग्लास पैनल के बीच मौजूद होते हैं। इन सेल में नोबल गैस और थोड़े अमाउंट में मरकरी भरी हुई होती है।
प्लाज्मा मॉनिटर में जैसे ही पावर सप्लाई चालू की जाती है वैसे ही सेल प्लाज्मा और अल्ट्रावॉयलेट लाइट में बदल जाते हैं, जिसकी वजह से स्क्रीन पर फोटो दिखाई पड़ती है। प्लाज्मा मॉनिटर के द्वारा 1920 X 1080 जैसे high-resolution प्रदान किए जाते हैं। इसके अलावा इस मॉनिटर का कॉन्ट्रैक्ट रेटियो भी बहुत ही शानदार होता है, साथ ही प्लाज्मा मॉनिटर का रिफ्रेश रेट भी बहुत ही बढ़िया होता है।
2: प्रिंटर
कंप्यूटर डिवाइस की स्क्रीन पर दिखाई देने वाले किसी भी ऑब्जेक्ट को अथवा शब्द को या फिर फोटो को किसी कागज पर प्रिंट करके हार्ड कॉपी के तौर पर पाने के लिए प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाता है। प्रिंटर किसी भी कंप्यूटर के साथ इनबिल्ट हो करके नहीं आते हैं बल्कि प्रिंटर आउटपुट डिवाइस होने के साथ-साथ एक्सटर्नल डिवाइस भी होता है।
इसलिए जब आपको आवश्यकता होती है तब आप चाहें तो प्रिंटर को कंप्यूटर के साथ कनेक्ट कर सकते हैं और आवश्यकता ना होने पर प्रिंटर को कंप्यूटर से डिस्कनेक्ट कर सकते हैं।
जबसे प्रिंटर की खोज हुई है तब से लेकर के अभी तक प्रिंटर के कई प्रकार मार्केट में लांच हो चुके हैं, जिनमें कोई ना कोई खास विशेषताएं होती है। प्रिंटर के विभिन्न प्रकारों में मुख्य प्रकार की जानकारी निम्नानुसार है।
Dot Matrix printer
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर में इंक वाली रिबन मौजूद होती है। इसी रिबन के द्वारा फोटो और शब्दों को सादे पन्ने पर डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के द्वारा प्रिंट किया जाता है। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की गिनती इंपैक्ट प्रिंटर में होती है। इस प्रकार के प्रिंटर के द्वारा एक समय में सिर्फ एक ही शब्दों को प्रिंट किया जा सकता है।
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर में सबसे ऊपर एक हेड मौजूद होता है। यही हैड फोटो और शब्दों को प्रिंट करने के लिए एक तरफ से दूसरी तरफ राउंड करता है।
पहली बार साल 1957 में आईबीएम अर्थात इंटरनेशनल बिजनेस मशीन के द्वारा डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर को प्रस्तावित किया गया था। हालांकि साल 1970 में Centronics के द्वारा डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर का डेवलपमेंट किया गया। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के द्वारा प्रिंटिंग का काम करने के लिए पन्ने पर हजारों इंक छिड़की जाती है।
Laser printer
लेजर प्रिंटर एक नॉन इंपैक्ट प्रिंटर होता है। इसके द्वारा लेजरबीम का इस्तेमाल शब्दों को कागज पर प्रिंट करने के लिए किया जाता है। लेजर प्रिंटर में लेजर बीम ड्रम को टच करती है जिसकी वजह से पन्ने पर फोटो अथवा शब्द या फिर ऑब्जेक्ट प्रिंट हो करके आ जाते हैं। साल 1970 के आसपास से ही लेजर प्रिंटर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
हालांकि आईबीएम कंपनी के द्वारा अपने मेनफ्रेम कंप्यूटर के साथ इस्तेमाल करने के लिए 1975 में पहले लेजर प्रिंटर को प्रस्तुत किया गया था। इसके बाद साल 1984 में Hewlett-Packard ने नॉर्मल लोगों के लिए लेजर प्रिंटर का डेवलपमेंट और उसका आविष्कार किया है।
यह जो लेजर प्रिंटर होता है, इसकी टेक्नोलॉजी जेरॉक्स टेक्नोलॉजी की तरह ही होती है। वर्तमान के बड़े पैमाने पर लेजर प्रिंटर का इस्तेमाल हो रहा है, क्योंकि लेजर प्रिंटर के द्वारा बहुत ही तेजी से और हाई क्वालिटी में ऑब्जेक्ट, शब्द अथवा फोटो को प्रिंट किया जाता है।
Inkjet printer
इंकजेट प्रिंटर नोनिम्पैक्ट प्रकार का प्रिंटर है, जिसका इस्तेमाल फोटो, शब्द अथवा ऑब्जेक्ट को कंप्यूटर से प्रिंट करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार के प्रिंटर में दो तरह के कार्टेज इस्तेमाल में लाए जाते हैं जिसमें पहला काला और दूसरा कार्टेज कलर होता है।
इंकजेट प्रिंटर में कार्टेज के नीचे वाले हिस्से पर इसका हेड मौजूद होता है जिसमें बहुत ही छोटा नोजिल लगा हुआ होता है।
इसी के माध्यम से इनकी बूंद पेपर पर जाती हैं और प्रिंटिंग का काम करती है। इंकजेट प्रिंटर की सबसे अच्छी बात यह है कि इसके द्वारा जिस इंक का इस्तेमाल प्रिंटिंग करने के लिए जाता है वह कागज पर पडने के बाद बहुत जल्दी ही सूख जाती है। एक अच्छी क्वालिटी का इंकजेट प्रिंटर पर सेकंड में ढाई सौ शब्दों की प्रिंटिंग कर सकता है।
Line Printer
लाइन प्रिंटर इंपैक्ट प्रिंटर का प्रकार है, जिसे बार प्रिंटर भी कहा जाता है। लाइन प्रिंटर एक समय पर एक लाइन को प्रिंट करने की कैपेसिटी रखता है। यह हाई स्पीड इंपैक्ट प्रिंटर है जो 1 मिनट में 500 से लेकर के 3000 लाइन तक प्रिंट कर सकता है। लाइन प्रिंटर के प्रमुख उदाहरण ड्रम प्रिंटर और चैन प्रिंटर है।
3: स्पीकर
स्पीकर की भी गिनती कंप्यूटर के प्रमुख आउटपुट डिवाइस में होती है। जो स्पीकर कंप्यूटर के साथ इनबिल्ट हो करके आते हैं उन्हें इनबिल्ट कंप्यूटर स्पीकर कहा जाता है और जिस स्पीकर को आप अलग से कंप्यूटर के साथ जोड़ते हैं उसे एक्सटर्नल कंप्यूटर स्पीकर कहा जाता है।
कंप्यूटर में जब आप कोई भी वीडियो चलाते हैं या फिर ऑडियो चलाते हैं तो उसमें जो आवाज होती है वह स्पीकर जैसे आउटपुट डिवाइस की वजह से ही हमें सुनाई देती है।
क्योंकि स्पीकर के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक चैनल को साउंड में कन्वर्ट किया जाता है, जिसकी वजह से हमें साउंड सुनाई देता है फिर चाहे वह किसी भी भाषा में क्यों ना हो। कंप्यूटर में साउंड कार्ड नाम का एक कंपोनेंट भी उपलब्ध होता है, जिसकी सहायता से कंप्यूटर में साउंड पैदा होता है।
अब ऐसे में यह जो स्पीकर है, यह इसी साउंड कार्ड से निकलने वाले साउंड को काफी तेजी से प्रोड्यूस करता है। बहुत सारे कंप्यूटर में पहले से ही स्पीकर लगे हुए आते हैं, वही बहुत सारे कंप्यूटर में अलग से स्पीकर को लगाया जा सकता है।
स्पीकर का भी दो प्रकार होते हैं जिसमें से पैसिव स्पीकर में किसी भी प्रकार का इंटरनल एंपलीफायर उपलब्ध नहीं होता है। आपको इस स्पीकर को एंपलीफायर के साथ जोड़ने के लिए वायर का इस्तेमाल करना होता है, वही पावर स्पीकर में इंटरनल एंपलीफायर पहले से ही इनबिल्ट होते हैं।
स्पीकर के कुछ अन्य प्रकार है जिनके नाम निम्नानुसार हैं।
- कंप्यूटर स्पीकर
- लाउडस्पीकर
- सबवूफर
- स्टूडियो मॉनिटर
- ब्लूटूथ स्पीकर
- आउटडोर स्पीकर
- फ्लोर स्टैंडिंग स्पीकर
- सेटेलाइट स्पीकर
- इन वॉल सीलिंग स्पीकर
- बुक्शेल्फ स्पीकर
- टावर स्पीकर
4: प्रोजेक्टर
प्रोजेक्टर भी कंप्यूटर का महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइसे है। इसकी आवश्यकता कभी-कभी ही व्यक्ति को पड़ती है। अगर आप कंप्यूटर पर चल रही किसी चीज को किसी दीवाल पर बड़ी स्क्रीन पर दिखाना चाहते हैं, तो ऐसी अवस्था में आपको प्रोजेक्टर की आवश्यकता पड़ती है।
प्रोजेक्टर के द्वारा जिस चीज को प्रोजेक्ट करना होता है उसकी लाइट को किसी बड़े पर्दे अथवा दीवार पर भेजा जाता है, जिससे कंप्यूटर में जो गतिविधि होती है वह दीवार पर या फिर बड़े पर्दे पर दिखाई देना चालू हो जाती है।
बता दे कि प्रोजेक्टर का इस्तेमाल करने के लिए सतह का सीधा और सफेद रंग का होना आवश्यक होता है, तभी आप को साफ तौर पर ऑब्जेक्ट दिखाई पड़ेंगे। प्रोजेक्टर का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल सामान्य तौर पर ऐसी जगह पर होता है जहां पर एक बड़े ग्रुप के लोगों को किसी वीडियो को या फोटो को या फिर किसी कंटेंट को दिखाने की आवश्यकता होती है।
वर्तमान के समय में अधिकतर बिजनेस मीटिंग, ट्रेनिंग, मूवी हॉल और क्लासरूम में प्रोजेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। CRT Projector, LCD Projector, DLP Projector इत्यादि प्रोजेक्टर के मुख्य प्रकार हैं।
5: प्लॉटर
प्लॉटर भी प्रिंटर की तरह ही काम करने वाले एक महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस है। हालांकि इसमें और प्रिंटर में काफी भिन्नता होती है।
आप प्लॉटर की सहायता से किसी बड़े साइज के कागज पर अच्छी क्वालिटी में ग्राफिक को हासिल कर सकते हैं। बता देना चाहते हैं कि प्लॉटर में एक मल्टी कलर पेन अवेलेबल होती है।
इसी की सहायता से प्लॉटर के द्वारा कंप्यूटर के द्वारा जो इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं, उसी के आधार पर किसी सादे पन्ने पर रेखा चित्र बनाया जाता है। अगर आप बैनर, पोस्टर अथवा मैप अथवा चार्ट या फिर ग्राफ का निर्माण करना चाहते हैं तो आप प्लॉटर जैसे आउटपुट डिवाइस का इस्तेमाल कंप्यूटर के साथ कर सकते हैं।
Drum Plotters, Flatbed plotters, Cutting Plotters, Inkjet Plotters, Electrostatic Plotters इत्यादि प्लॉटर के मुख्य प्रकार हैं।
6: हेडफोन
कंप्यूटर में चल रहे किसी भी ऑडियो की आवाज को सुनने के लिए या फिर किसी भी गाने के साउंड को सुनने के लिए हेडफोन का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ऐसा आउटपुट डिवाइस है, जिसकी आवश्यकता आपको तभी पड़ती है।
जब आप कंप्यूटर में जो साउंड आ रहा है उसे साफ तौर पर सुनना चाहते हैं। हेडफोन को आपको अपने कानों में लगाना होता है और इसके ऑडियो जैक को आपको कंप्यूटर के निश्चित पोर्ट में डालना होता है।
ऐसा करने से कंप्यूटर पर चल रहे साउंड की आवाज साफ तौर पर आपको अपने कानों में बिल्कुल पास से सुनाई देगी, जिससे आपको साउंड क्वालिटी काफी ज्यादा मिलेगी।
अक्सर लोगों के द्वारा हेडफोन का इस्तेमाल कंप्यूटर के साथ किसी ऐसी जगह पर किया जाता है जहां पर वह कंप्यूटर पर मौजूद किसी चीज को देख रहे है परंतु उन्हें साफ आवाज नहीं आ रही है।
ऐसे में जब वह हेडफोन लगा लेते हैं तो उन्हें कंप्यूटर की सभी चीजें बिल्कुल साफ तौर पर सुनाई देती है। कंप्यूटर से कनेक्टेड हेडफोन में जो साउंड आता है, इसे सिर्फ वही व्यक्ति सुन सकता है जिसने हेड फोन लगाया हुआ है।
ऐसे बहुत सारे हेडफोन आते हैं जिसमें माईक भी लगा हुआ होता है, जिसके द्वारा आप बातचीत भी कर सकते हैं। हेडफोन को ईयर फोन का बड़ा वर्जन माना जाता है।
यूजर की आवश्यकता के हिसाब से हेडफोन के कई प्रकार होते हैं जिनके नाम निम्नानुसार है।
- Circumaural Over-Ear Headphone
- Supra-aural Headphone
- Earphone
- In-ear Headphone
- Open- or closed-back
7: स्पीच सिंथेसाइजर
यह एक लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाला कंप्यूटर का आउटपुट डिवाइस है, जिसकी सहायता से जो शब्द लिखे गए हैं उसे आवाज के फॉर्मेट में चेंज कर सकते हैं।इस आउटपुट डिवाइस का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल अंधे और गूंगे लोगों की ट्रीटमेंट के लिए अथवा ऐसे लोगों के लिए किया जाता है।
8: जीपीएस
जीपीएस का पूरा मतलब ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम होता है। यह सेटेलाइट पर आधारित रेडियो नेवीगेशन सिस्टम है, जो यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका के अंडर में काम करती है और यूनाइटेड स्टेट स्पेस बल के द्वारा इसे संचालित किया जाता है।
जीपीएस का इस्तेमाल जमीन, समुद्र और आकाश में सटीक लोकेशन, समय तथा स्पीड का पता लगाने के लिए किया जाता है।
चाहे किसी भी प्रकार का मौसम क्यों न हो, जीपीएस आसानी से काम करता है। इसके माध्यम से आप किसी भी जगह पर आसानी से पहुंच सकते हैं फिर चाहे आपको उस जगह का रास्ता पता ना हो।
इसके लिए आपको बस जीपीएस की सहायता लेनी होती है और इसमें से आप जिस जगह पर है वहां से आप जिस जगह पर जाना चाहते हैं वहां की लोकेशन को सेट करना होता है। इसके बाद ऑटोमेटिक आपको जीपीएस यह बताता है कि आपको कौन से रास्ते से अपनी मंजिल तक पहुंचना है।
जीपीएस के भी कई प्रकार होते हैं जिनमें से मुख्य प्रकारों के नाम निम्नानुसार हैं।
- Assisted GPS (A-GPS)
- Simultaneous GPS (S-GPS)
- Differential GPS (D-GPS)
- Non-differential GPS
- Mapping GPS
- Non-mapping GPS
9: 3D प्रिंटर
3D प्रिंटर भी कंप्यूटर का आउटपुट डिवाइस है जो यूजर को किसी ऑब्जेक्ट को 3D डायमेंशन में फोटो के तौर पर प्रिंट करने की सुविधा प्रदान करता है।3D प्रिंटर को एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग भी कहते हैं। बता दें कि 3D प्रिंटर एक लेटेस्ट टेक्नोलॉजी है जो बिजनेस को इन्वेस्टमेंट में कटौती करने और प्रोडक्शन कैपेसिटी के नए तरीके को डिवेलप करने में सहायता करती है।
10: वीडियो कार्ड
वीडियो कार्ड को Graphics card, Display card, Graphics adapter, GPU, VGA card, VGA ,Video adapter, Video controller या Display adapter के नाम से भी जानते हैं। वीडियो कार्ड एक एक्सटेंशन कार्ड के तौर पर काम करता है।
वीडियो कार्ड कंप्यूटर में डिस्पले डिवाइस जैसे कि प्रोजेक्टर पर आउटपुट फोटो की फीट को जनरेट करने का काम करता है। वीडियो कार्ड को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए कंप्यूटर के मदरबोर्ड में एक Expansion Slot लगा हुआ होता है, वहीं पर लगाना होता है।
कंप्यूटर को आउटपुट डिवाइस क्यों जरूरी होती है?
बता देना चाहते हैं कि बिना आउटपुट डिवाइस के भी कंप्यूटर अपना काम कर सकते हैं परंतु जब आपके द्वारा कंप्यूटर को कमांड दिया जाएगा तब आप रिजल्ट को नहीं देख सकेंगे तो आखिर आप कंप्यूटर पर काम कैसे कर सकेंगे, तो इसलिए एक कंप्यूटर के लिए आउटपुट डिवाइस का होना बहुत ही जरूरी माना जाता है।
उदाहरण के तौर पर अगर आपको कंप्यूटर में गाना सुनना है तो आपको दो आउटपुट डिवाइस की आवश्यकता होगी, जिसमें पहला है मॉनिटर और दूसरा है स्पीकर, क्योंकि मॉनिटर होने पर ही आप गाना चलाने का कमांड कंप्यूटर को दे सकेंगे और स्पीकर होने पर ही गाना स्पीकर में बजेगा।
कंप्यूटर आउटपुट डिवाइस का महत्व
कंप्यूटर के लिए उसके सभी भाग बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। इसी प्रकार से कंप्यूटर के लिए आउटपुट डिवाइस भी काफी इंपॉर्टेंस रखते हैं। कंप्यूटर के मॉनिटर जैसे आउटपुट डिवाइस रिजल्ट को दिखाने का काम करते हैं, साथ ही कंप्यूटर में मौजूद सभी ऑप्शन को दिखाने का काम करते हैं।
इसके अलावा कंप्यूटर के स्पीकर जैसे आउटपुट डिवाइस हमें कंप्यूटर में चल रहे एक्टिविटी का साउंड सुनाने में सहायक साबित होते हैं।
कंप्यूटर के ही आउटपुट डिवाइस हेडफोन के माध्यम से हम साफ तौर पर अपने कानों में कंप्यूटर में चल रहे साउंड को सुन सकते हैं। यह आउटपुट डिवाइस की वजह से ही संभव हो पाया है कि आप कंप्यूटर में वीडियो देख सकते हैं, गाना सुन सकते हैं।
कंप्यूटर की स्क्रीन पर मौजूद किसी शब्द को पढ़ सकते हैं या फिर किसी ऑब्जेक्ट को देख सकते हैं अथवा किसी दस्तावेज का प्रिंट आउट निकाल सकते हैं। एक कंप्यूटर के लिए जितना महत्वपूर्ण इनपुट डिवाइस है, उतना ही महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस भी है।
आउटपुट डिवाइस के उदाहरण
कंप्यूटर आउटपुट डिवाइस के कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नानुसार है।
- मॉनिटर
- प्रिंटर
- स्पीकर
- प्रोजेक्टर
- प्लॉटर
- हेडफोन
- स्पीड सिंथेसाइजर
- ईयर फोन
- साउंड कार्ड
आउटपुट डिवाइस की परिभाषा
कंप्यूटर के ऐसे डिवाइस जिसके माध्यम से कंप्यूटर परिणाम हासिल कर पाता है, उसे कंप्यूटर का आउटपुट डिवाइस कहा जाता है। अगर इससे भी आसान भाषा में कहा जाए तो जिस डिवाइस के माध्यम से कंप्यूटर रिजल्ट दिखाने का काम करता है, वह डिवाइस आउटपुट डिवाइस कहलाए जाते हैं। जैसे कि स्पीकर, प्रिंटर, मॉनिटर इत्यादि।
आउटपुट डिवाइस की अनुपलब्धि में कंप्यूटर से रिजल्ट हासिल करना पॉसिबल नहीं है। आप बिना आउटपुट डिवाइस के यह भी नहीं जान सकते हैं कि कंप्यूटर के द्वारा क्या कार्यवाही की गई है और कौन से रिजल्ट दिए गए हैं साथ ही कंप्यूटर वर्तमान के समय में कौन सी प्रोसेसिंग कर रहा है।
जैसे कि अगर कंप्यूटर का मॉनिटर जैसा आउटपुट डिवाइस खराब हो जाए, तो ऐसी अवस्था में अगर आप कोई कैलकुलेशन करना चाहते हैं तो वह नहीं कर सकेंगे, क्योंकि आपको यह पता ही नहीं होगा कि आप जो टाइप कर रहे हैं वास्तव में वह टाइप हो रहा है या नहीं क्योंकि मॉनिटर ही कंप्यूटर की स्क्रीन पर सभी ऑप्शन को दिखाता है।
आउटपुट डिवाइस का काम
कंप्यूटर के एक ही नहीं बल्कि बहुत सारे आउटपुट डिवाइस होते हैं, जिनका काम अलग अलग होता है। जैसे कि अगर कंप्यूटर के मॉनिटर आउटपुट डिवाइस की बात की जाए तो मॉनिटर के द्वारा हमें सभी ऑप्शन कंप्यूटर की स्क्रीन पर दिखाई जाते हैं। इसके अलावा यह भी दिखाया जाता है कि हम जो कार्रवाई कर रहे हैं वह हो रही है अथवा नहीं।
इसके अलावा कंप्यूटर पर जब हम कोई वीडियो चलाते हैं या साउंड चलाते हैं या फिर गेम खेलते हैं तो उसका साउंड सुनाने का काम कंप्यूटर के स्पीकर नाम के आउटपुट डिवाइस के द्वारा किया जाता है।
इसके अलावा अगर हमें कंप्यूटर पर मौजूद किसी शब्द या फिर फोटो अथवा ऑब्जेक्ट को कागज पर प्रिंट करवाने की आवश्यकता होती है, तो इसके लिए प्रिंटर जैसे आउटपुट डिवाइस को काम पर लगाया जाता है। इस प्रकार से कंप्यूटर से जुड़े हुए सभी आउटपुट डिवाइस अलग-अलग कामों को हैंडल करते हैं।
20 आउटपुट डिवाइस के नाम
नीचे आपको 20 आउटपुट डिवाइस के नाम प्रोवाइड करवाए गए हैं।
- मॉनिटर
- प्रिंटर
- ऑडियो
- स्पीकर
- हेडफोन
- प्रोजेक्टर
- जीपीएस
- साउंड कार्ड
- वीडियो कार्ड
- ब्रेल रीडर
- प्लॉटर
- ईयरपोड
- टेलीविजन
- थर्मामीटर
- ऑक्सीमीटर
- ऑस्किलोस्कोप
- प्रोजेक्टर
- टच स्क्रीन
- ब्रेल प्रिंटर
- थर्मल प्रिंटर
- 3D प्रिंटर
आउटपुट डिवाइस के 10 उदाहरण
आउटपुट डिवाइस के 10 उदाहरण निम्नानुसार है।
- मॉनिटर
- प्रिंटर
- ऑडियो
- स्पीकर
- हेडफोन
- प्रोजेक्टर
- जीपीएस
- साउंड कार्ड
- वीडियो कार्ड
- प्लॉटर
5 आउटपुट डिवाइस के नाम
पांच आउटपुट डिवाइस के नाम निम्नानुसार है।
- मॉनिटर
- प्रिंटर
- ऑडियो
- स्पीकर
- हेडफोन
आउटपुट डिवाइस कौन कौन से होते हैं?
आउटपुट डिवाइस ऐसे डिवाइस होते हैं, जो कंप्यूटर के इनपुट डिवाइस के द्वारा जो इंस्ट्रक्शन दिए जाते हैं उन पर प्रोसेसिंग होने के पश्चात उसके रिजल्ट को हार्ड कॉपी के तौर पर प्रदर्शित करने का काम करते हैं।
कंप्यूटर में अलग-अलग प्रकार के आउटपुट डिवाइस होते हैं जिनके काम करने का तरीका और उनका काम अलग अलग होता है। कंप्यूटर का मॉनिटर, प्रिंटर, प्लॉटर, प्रोजेक्टर, हेडफोन इत्यादि सभी आउटपुट डिवाइस ही होते हैं।
आउटपुट डिवाइस के उपयोग
कंप्यूटर के सभी आउटपुट डिवाइस का उपयोग अलग अलग होता है। नीचे आपको प्रमुख आउटपुट डिवाइस के उपयोग की जानकारी दी जा रही है।
हेडफोन
कंप्यूटर के हेडफोन नाम के आउटपुट डिवाइस का इस्तेमाल आपको तब करने की आवश्यकता होती है, जब आप कंप्यूटर में चल रहे किसी साउंड को साफ तौर पर अपने कानों के बिल्कुल पास से सुनना चाहते हैं। इसके लिए आपको हेडफोन को अपने कंप्यूटर से जोड़ना होता है। इसके बाद कंप्यूटर के सभी साउंड आपको हेडफोन के माध्यम से अपने कानों में तेज आवाज में सुनाई देते हैं।
मॉनिटर
सभी कंप्यूटर में पहले से ही मॉनिटर नाम का आउटपुट डिवाइस इनबिल्ट हो करके आता है। कंप्यूटर पर किसी भी चीज को देखने के लिए मॉनिटर नाम के आउटपुट डिवाइस का इस्तेमाल होता है। फिर चाहे वह चीज कोई वीडियो हो, कोई ऑडियो हो, कोई ऑब्जेक्ट हो, कोई शब्द हो अथवा किसी व्यक्ति का चेहरा हो।
प्रिंटर
मान लीजिए आपको कंप्यूटर पर कोई शब्द दिखाई दे रहा है या फिर कोई फोटो दिखाई दे रहा है और उसे आप किसी सादे पन्ने पर रंगीन कलर में या फिर ब्लैक एंड वाइट फॉर्मेट में हासिल करना चाहते हैं।
तो ऐसे में आपको प्रिंटर नाम के आउटपुट डिवाइस को अपने कंप्यूटर के साथ जोड़ने की आवश्यकता होगी। प्रिंटर आउटपुट डिवाइस एक सादे पन्ने पर कंप्यूटर की स्क्रीन पर दिखाई दे रहे किसी भी चीज को प्रिंट करने की पावर रखता है।
साउंड
अधिकतर कंप्यूटर में इनबिल्ट साउंड अर्थात स्पीकर होता है, तो कुछ कंप्यूटर में आप एक्सटर्नल साउंड भी लगा सकते हैं। कंप्यूटर पर जो कुछ भी चलता है अगर उसमें आवाज है तो वह आवाज आपको साउंड की वजह से ही सुनाई पड़ती है।
अगर कंप्यूटर का स्पीकर खराब हो जाता है तो आपको आवाज सही प्रकार से नहीं सुनाई देगी या फिर सुनाई ही नहीं देगी।
प्रोजेक्टर
मान लीजिए आप को कंप्यूटर पर चल रही किसी चीज को किसी दीवाल पर या फिर किसी सफेद पर्दे पर बड़े साइज में दिखाने की आवश्यकता आन पड़ी है, तो ऐसे में आपको कंप्यूटर के आउटपुट डिवाइस के तौर पर प्रोजेक्टर का इस्तेमाल करना चाहिए।
प्रोजेक्टर के माध्यम से किसी भी समतल सतह पर वीडियो को या फिर फोटो को दिखाया जा सकता है। आप कंपनी में प्रेजेंटेशन प्रस्तुत करने के लिए भी प्रोजेक्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इनपुट और आउटपुट डिवाइस के 10 उदाहरण
इनपुट और आउटपुट डिवाइस के 10 उदाहरण निम्नानुसार है।
इनपुट डिवाइस के 10 उदाहरण
- कीबोर्ड
- माउस
- लाइट पेन
- ऑप्टिकल/मैग्नेटिक स्कैनर
- टचस्क्रीन
- माइक्रोफोन
- ट्रैकबॉल
- जॉय स्टिक
- कैमरा
- वेबकैम
आउटपुट डिवाइस के 10 उदाहरण
- मॉनिटर
- प्रिंटर
- ऑडियो
- स्पीकर
- हेडफोन
- प्रोजेक्टर
- जीपीएस
- साउंड कार्ड
- वीडियो कार्ड
- प्लॉटर
इनपुट और आउटपुट डिवाइस के नाम
इनपुट और आउटपुट डिवाइस के नाम निम्नानुसार हैं।
इनपुट डिवाइस
- कीबोर्ड
- माउस
- लाइट पेन
- ऑप्टिकल/मैग्नेटिक स्कैनर
- टचस्क्रीन
- माइक्रोफोन
- ट्रैकबॉल
- जॉय स्टिक
- कैमरा
- वेबकैम
आउटपुट डिवाइस
- मॉनिटर
- प्रिंटर
- ऑडियो
- स्पीकर
- हेडफोन
- प्रोजेक्टर
- जीपीएस
- साउंड कार्ड
- वीडियो कार्ड
- प्लॉटर
सॉफ्ट कॉपी आउटपुट डिवाइस क्या है?
सॉफ्ट कॉपी आउटपुट डिवाइस ऐसे आउटपुट डिवाइस होते हैं, जिनके द्वारा जो आउटपुट दिया जाता है वह इन Intangible form में होता है। इसका मतलब यह होता है कि हम उसे टच नहीं कर सकते हैं। सॉफ्ट कॉपी का कोई भी आकार नहीं होता है और यह भौतिक अस्तित्व भी नहीं रखते हैं।
अगर पावर सप्लाई कट जाने के पश्चात इन्हें मेमोरी में सेव नहीं किया जाता है, तो यह आउटपुट खो जाते हैं। कहने का मतलब है कि सॉफ्ट कॉपी आउटपुट टेंपरेरी होते हैं।
हार्ड कॉपी आउटपुट डिवाइस क्या है?
हार्ड कॉपी आउटपुट डिवाइस ऐसे आउटपुट डिवाइस होते है, जिनके द्वारा जो आउटपुट दिया जाता है, उसे आप देख भी सकते हैं और टच भी कर सकते हैं तथा अगर बिजली की सप्लाई चली जाती है तो भी यह खोते नहीं है अर्थात हार्ड कॉपी आउटपुट परमानेंट होते हैं।
आउटपुट डिवाइस बनाने वाली कंपनी
देश और दुनिया में आउटपुट डिवाइस का निर्माण करने वाली कई कंपनियां है, परंतु उनमें से कुछ ही ऐसी कंपनी है, जिनकी गिनती टॉप आउटपुट डिवाइस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी में होती है। नीचे आपको प्रमुख आउटपुट डिवाइस का निर्माण करने वाली कंपनियों के नाम दिए गए हैं।
- Kodak
- Amkette
- BenQ
- CTI Electronics
- Lenovo
- Logitech
- Microsoft
- MSI
- Antec
- ASUS
- BenQ
- BIOSTAR
- BTC
- Cherry
इनपुट और आउटपुट डिवाइस में अंतर
अपने कंप्यूटर में काम करने के लिए यूजर को इनपुट और आउटपुट डिवाइस का इस्तेमाल करना होता है। हर इनपुट और आउटपुट डिवाइस के उद्देश्य और उनका उपयोग अलग अलग होता है।
अगर इनपुट और आउटपुट डिवाइस में डिफरेंस की बात की जाए तो इनपुट डिवाइस ऐसे डिवाइस होते हैं, जिनका इस्तेमाल करके हम कंप्यूटर में डाटा इनपुट करते हैं अर्थात कंप्यूटर को आदेश देते हैं। जैसे कि कीबोर्ड के माध्यम से कुछ टाइप करना या फिर माउस बटन की सहायता से किसी चीज पर क्लिक करना, वहीं दूसरी तरफ आउटपुट डिवाइस ऐसे डिवाइस होते हैं।
जिनका इस्तेमाल हम इस बात को देखने के लिए करते हैं कि कंप्यूटर पर क्या चीज टाइप की जा रही है और हमें कंप्यूटर पर कौन सी प्रक्रिया का आगे पालन करना है।
आउटपुट डिवाइस कैसे काम करता है?
आउटपुट डिवाइस कंप्यूटर से सिग्नल हासिल करके संचालित होते हैं और विभिन्न रूपों में आउटपुट प्रदान करने के लिए किसी काम को पूरा करने के लिए उसी सिग्नल का इस्तेमाल करते हैं। जब हम कीबोर्ड जैसे इनपुट डिवाइस के माध्यम से कोई बटन दबाते हैं।
तो यह कंप्यूटर को सिग्नल सेंड कर देता है और उसके बाद कंप्यूटर के द्वारा इनपुट को प्रोसेस किया जाता है और मॉनिटर को सिग्नल सेंड किया जाता है।
इसके पश्चात मॉनिटर को जो सिग्नल प्राप्त हुए हैं मॉनिटर उसे ट्रांसलेट करता है और स्क्रीन पर रिजल्ट अर्थात आउटपुट फुट दिखाता है। इस प्रकार से आउटपुट डिवाइस काम करता है।
अगर हमारे कंप्यूटर से कोई भी आउटपुट डिवाइस नहीं जुड़ा हुआ है तो भी हम कीबोर्ड पर बटन को दबा सकते हैं। कंप्यूटर इस पर भी प्रोसेस करेगा। हालांकि हम यह नहीं देख सकेंगे की हमने जो बटन दबाई हुई है, उसी पर कार्यवाही हो रही है या नहीं अथवा क्या कार्यवाही हो रही है।
FAQ:
कंप्यूटर के इनपुट डिवाइस के माध्यम से जो इंस्ट्रक्शन प्रोसेस होने के लिए आते हैं और प्रोसेसिंग होने के बाद जिस डिवाइस में उसका रिजल्ट हार्ड कॉपी के तौर पर दिखाई पड़ता है, वह आउटपुट डिवाइस कहा जाता है।
मॉनिटर वन आउटपुट डिवाइस है।
मॉनिटर, स्पीकर, हेडफोन इत्यादि कंप्यूटर के आउटपुट डिवाइस है।
आउटपुट डिवाइस का मतलब क्या होता है और आउटपुट डिवाइस के एग्जांपल क्या है, इसकी पूरी जानकारी आर्टिकल में विस्तार से दी गई है। इसलिए आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें।
दोस्तों इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद अब आप जान गए होंगे कि आउटपुट डिवाइस क्या है? इस आर्टिकल में हमने आपको आउटपुट डिवाइस के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की है।
- प्रिंटर क्या है? इसके प्रकार एवं उपयोग? (Printer in Hindi)
- Excel Formulas in Hindi (महत्वपूर्ण एक्सेल फार्मूला)
- हार्डवेयर क्या है? इसके प्रकार, उदाहरण एवं उनके कार्य?
इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद भी आपके मन में कोई सवाल है तो आप अपना सवाल कमेंट करके पूछ सकते हैं।
Sir ji mere mail pe aapka blog nahi a raha hai plz sir ji help kariye meri mera mail([email protected])
Please sir ji mere mail pe blog bhejiye plz plz plz
aap sidebar se newsletter ko subscribe kr sakte ho.
Sir ji newsletter ye kaha hai mujhe mil nahi raha hai
sidebar me blue color ka hai, usme apna email enter karna hai.
sir ji is waqt koi fb liker website work nahi kar rahi kya qki mai kafhi koshish kar chuka aapke har trick ko follow kiya par sab bekaar aur n hi koi hacking website work kar rahi hai maine z shadow, anomor ko try kiya koi work nahi kar rahi hai sir koi new trick ho to bataeye n plz plz plz
working auto like: Facebook Par Like Kaise Badhaye (New Trick In Hindi)
create own hacking site for phishing: Facebook Account कैसे हैक करे – ID हैक करने के 5 तरीक़े
Sir ji aapka daily article bhi nhi aata mere mail pe ([email protected])plz sir ji kuch kariye
Sir ji is wat instagram pe followers bhi nahi bad rahe hai maine apki ye website (4gram.io) ko use kiya ab work hi nahi kar rahi plz sir ji kii new trick bataeye
ok me update krta hu.