प्रिंटर क्या है? प्रकार, कार्य एवं उपयोग? (Printer in Hindi)

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प्रिंटर क्या है? (What is Printer in Hindi) आज इस पेज पर आपको प्रिंटर के बारे में जानकारी प्राप्त होने वाली है। कंप्यूटर अथवा डेस्कटॉप या फिर लैपटॉप पर मौजूद किसी भी फोटो या फिर शब्दों को हार्ड कॉपी के तौर पर किसी कागज पर प्राप्त करने के लिए हमें एक ऐसे डिवाइस की आवश्यकता होती है जो ऐसा काम कर सके।

प्रिंटर क्या है? प्रकार, कार्य एवं उपयोग? (Printer in Hindi)


ऐसे डिवाइस को ही प्रिंटर कहा जाता है जो कि ऑनलाइन मौजूद ऑब्जेक्ट या फिर शब्दों को अथवा फोटो को हमें कागज पर ब्लैक एंड वाइट या फिर रंगीन कलर में प्रिंट करने की सुविधा प्रदान करता है। प्रिंटर को कंप्यूटर का एक्सटर्नल डिवाइस माना जाता है, क्योंकि इसे आप अलग से कंप्यूटर से कनेक्ट कर सकते हैं और जब चाहे तब कंप्यूटर, डेस्कटॉप, लैपटॉप से डिस्कनेक्ट कर सकते हैं।

आइए आगे बढ़ते हैं आर्टिकल में और विस्तार से जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करते हैं कि “प्रिंटर क्या है” और “प्रिंटर कैसे काम करता है” तथा “प्रिंटर के प्रकार कितने हैं” और “प्रिंटर कैसे खरीदें?

अनुक्रम

प्रिंटर क्या है? (What is Printer in Hindi)

प्रिंटर एक हार्डवेयर इनपुट डिवाइस है, इसका इस्तेमाल हार्ड कॉपी को जनरेट करने के लिए और किसी भी दस्तावेज को प्रिंट करने के लिए किया जाता है। प्रिंटर की सहायता से किसी भी दस्तावेज जैसे कि टेक्स्ट फाइल, फोटो या फिर दोनों को ही आसानी से हार्ड कॉपी के तौर पर प्राप्त किया जा सकता है।


आपके कंप्यूटर अथवा डेस्कटॉप पर अगर कोई चीज मौजूद है और आप उसे हार्ड कॉपी के तौर पर पेपर पर प्रिंट करवा कर प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाता है।

प्रिंटर डिवाइस की स्क्रीन पर मौजूद ऑब्जेक्ट या फिर शब्द अथवा फोटो को सेम टू सेम एक कागज पर प्रिंट करके देता है। प्रिंटर आपको यह भी सुविधा देता है कि आप ब्लैक एंड वाइट प्रिंट प्राप्त करें अथवा कलरफुल प्रिंट प्राप्त करें।

यूजर के द्वारा किसी कंप्यूटर या फिर दूसरे डिवाइस में जो इनपुट कमांड दिए जाते हैं, प्रिंटर उसे स्वीकार करता है और उसके पश्चात दस्तावेज को प्रिंट करने का काम करता है। उदाहरण के तौर पर अगर आपको अपने कॉलेज में प्रोजेक्ट रिपोर्ट को सबमिट करना है तो इसके लिए आपको अपने प्रोजेक्ट रिपोर्ट की सॉफ्ट कॉपी को बना लेना है और उसके पश्चात आपको प्रिंटर की सहायता से उसे हार्ड कॉपी के तौर पर प्रिंट कर लेना है।


प्रिंटर के कई प्रकार होते हैं जैसे कि 2डी प्रिंटर का इस्तेमाल पेपर पर शब्द और ग्राफिक को प्रिंट करने के लिए किया जाता है, वही 3D प्रिंटर का इस्तेमाल 3 डाइमेंशनल फिजिकल ऑब्जेक्ट को बनाने के लिए किया जाता है।

प्रिंटर के प्रकार (Types of Printer in Hindi)

वर्तमान के समय में प्रिंटर के कई प्रकार मार्केट में मौजूद है परंतु उनमें सबसे अधिक इंकजेट और लेजर प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाता है। नीचे हम आपको प्रिंटर के सभी प्रकारों की जानकारी विस्तार से दे रहे हैं।

1: इंकजेट प्रिंटर


वर्तमान के समय में बड़े पैमाने पर इंकजेट प्रिंटर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस प्रकार के प्रिंटर के द्वारा इंक की छोटी बूंद को स्प्रे करके पेपर पर कैरेक्टर और ग्राफिक को प्रिंट किया जाता है।

इंकजेट प्रिंटर में इंक ड्रॉप को छिड़कने के लिए Cartridge का इस्तेमाल किया जाता है। इंक कार्टेज में ही इंक मौजूद होती है। इंकजेट प्रिंटर हाई क्वालिटी वाले फोटो को बनाने की कैपेसिटी रखते हैं साथ ही इनकी कीमत भी बहुत ही कम होती है। इसके साथ ही इंकजेट प्रिंटर का इस्तेमाल दूसरे प्रिंटर की तुलना में करना बहुत ही आसान होता है।

इंकजेट प्रिंटर के फायदे

इंकजेट प्रिंटर के एडवांटेज निम्नानुसार है।


  • इंकजेट प्रिंटर के द्वारा हाई क्वालिटी का आउटपुट प्रदान किया जाता है अर्थात यह हाई क्वालिटी की फोटो को प्रिंट करने की और शब्दों को प्रिंट करने की कैपेसिटी रखते हैं।
  • इंकजेट प्रिंटर काफी सस्ते होते हैं और इन्हें इस्तेमाल करना काफी आसान होता है।
  • सामान्य तौर पर इस प्रकार के प्रिंटर स्टार्ट होने में ज्यादा अधिक समय नहीं लेते हैं।

इंकजेट प्रिंटर के नुकसान

इंकजेट प्रिंटर के डिसएडवांटेज नीचे दिए गए हैं।

  • कभी-कभी इंकजेट प्रिंटर प्रिंट करने के लिए काफी अधिक समय ले लेते हैं।
  • इंकजेट प्रिंटर को सही प्रकार से रखने की कीमत ज्यादा होती है।
  • इंकजेट प्रिंटर हाईलाइट मार्रकर को अलाव नहीं करते हैं।
  • कई बार इंकजेट प्रिंटर खाली cartridge की गलत अनाउंसमेंट कर देते हैं।

2: लेजर प्रिंटर

लेजर प्रिंटर काफी तेज गति से हाई क्वालिटी में शब्दों और ग्राफिक को पेपर पर प्रिंट करने का काम करता है। लेजर प्रिंटर में भी कार्टेज का इस्तेमाल होता है। इसी के अंदर सुखी स्याही को डाला जाता है। किसी भी दस्तावेज को लेजर प्रिंटर के द्वारा जब प्रिंट किया जाता है तो लेजर बीम की वजह से दस्तावेज में जो शब्द और फोटो मौजूद होते हैं, वह एक स्पेशल प्रकार के कोटेड ड्रम मे जाते हैं।

इसी कोटेड ड्रम में टोनर चिपका हुआ होता है और इसके पश्चात जब ड्रम घूमना चालू करता है तो टोनर शब्द और फोटो को प्रिंट करने के लिए पेपर पर सेंड कर देते हैं और इस प्रकार से आपका जो दस्तावेज होता है वह हार्ड कॉपी के तौर पर प्रिंट हो करके बाहर निकल आता है।

लेजर प्रिंटर को सामान्य पर्सनल कंप्यूटर प्रिंटर कहा जाता है जिसे साल 1971 में पहली बार दुनिया से परिचित करवाया गया था। इसके पश्चात इसे Xerox PARC में Gary Starkweather के द्वारा डिवेलप किया गया।

लेजर प्रिंटर के फायदे

लेजर प्रिंटर के एडवांटेज नीचे बताए गए हैं।

  • लेजर प्रिंटर में अधिक पेपर कैपेसिटी होती है।
  • इंकजेट प्रिंटर की तुलना में लेजर प्रिंटर कम महंगे होते हैं।
  • लेजर प्रिंटर तेजी से दस्तावेज को प्रिंट करने की कैपेसिटी रखते हैं।
  • लेजर प्रिंटर प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने की कैपेसिटी भी रखते हैं।

लेटर प्रिंटर के नुकसान

लेजर प्रिंटर के डिसएडवांटेज निम्नानुसार है।

  • लेजर प्रिंटर को चालू होने में थोड़ा समय लग सकता है।
  • लेजर प्रिंटर भारी होते हैं क्योंकि इन्हें लेजर टेक्नोलॉजी और इमेजिंग ड्रम की आवश्यकता होती है।
  • लेजर प्रिंटर को अधिक वोल्टेज की आवश्यकता होती है।

3: 3D प्रिंटर

प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी के इतिहास में सबसे अच्छे प्रिंटर में 3D प्रिंटर की गिनती होती है, जिसे साल 1984 में चक हल नाम के व्यक्ति के द्वारा डिवेलप किया गया था। 3D प्रिंटर क्वालिटी रेसिंग का इस्तेमाल करके 3D ऑब्जेक्ट और आइटम को प्रोड्यूस करता है। 3D प्रिंटर प्लास्टिक, पॉलीमर, मेटल एलॉय तथा फूड इनग्रेडिएंट्स जैसे मटेरियल का इस्तेमाल करता है।

ऐसी कई जगह है जहां पर 3D प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि पुरातत्व में 3D प्रिंटर का इस्तेमाल होता है। इसके अलावा एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में भी इसका इस्तेमाल होता है, साथ ही साथ इंफॉर्मेशन सिस्टम, डेंटल हेल्थ और बायोटेक्नोलॉजी में भी 3D प्रिंटर का इस्तेमाल होता है।

उदाहरण के तौर पर 3D प्रिंटर का इस्तेमाल पुरातत्व की प्राचीन कलाकृतियों को भौतिक रूप से फिर से रिकंस्ट्रक्ट करने के लिए किया जाता है।

3D प्रिंटर के माध्यम से जिस किसी भी ऑब्जेक्ट की 3D प्रिंटिंग को करने की आवश्यकता होती है, सबसे पहले उस ऑब्जेक्ट को स्कैन करने के लिए 3D स्कैनर की सहायता ली जाती है। स्कैन कर लेने के पश्चात ऑब्जेक्ट की 3D फोटो बन करके तैयार हो जाती है।

इसके पश्चात उस फोटो को प्रोसेसिंग की प्रक्रिया के लिए आगे बढ़ाया जाता है। इसके अलावा जिस किसी ऑब्जेक्ट की प्रिंटिंग को बनाने की आवश्यकता होती है उसे सबसे पहले 3D मॉडलिंग सॉफ्टवेयर की सहायता से डिजाइन कर लिया जाता है और फिर उसे इंपोर्ट करके 3D प्रिंटर पर डाला जाता है जिससे उचित रिजल्ट हासिल हो जाते हैं।

3D प्रिंटर के फायदे

3D प्रिंटर के फायदे नीचे बताए गए हैं।

  • 3D प्रिंटर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह यूजर को ऑब्जेक्ट को 3डी में प्रिंट करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • 3D प्रिंटर फुल कस्टमाइजेशन की कैपेसिटी भी रखता है।
  • 3D प्रिंटर को एक्सेस करना बहुत ही आसान है और यह कॉस्ट इफेक्टिव भी होता है।
  • 3D प्रिंटर के द्वारा जो दस्तावेज प्रिंट किए जाते हैं उनकी क्वालिटी बहुत ही शानदार होती है।
  • 3D प्रिंटर के द्वारा यूजर को अनलिमिटेड आकार और ज्योमेट्री उपलब्ध करवाया जाता है।

3D प्रिंटर के नुकसान

3D प्रिंटर की हानि क्या है, इसके बारे में आगे आपको बताया गया है।

  • बता देना चाहते हैं कि 3D प्रिंटर की शुरुआती लागत ज्यादा होती है।
  • वर्तमान में भी 3D प्रिंटिंग एक डेवलपिंग टेक्नोलॉजी है।
  • 3D प्रिंटर इंजेक्शन मोल्डिंग की तुलना में 50 से 100 गुना ज्यादा ऊर्जा की खपत करता है।
  • कभी कबार 3D प्रिंटर थोड़ा स्लो काम करता है।

4: एलईडी प्रिंटर

एलईडी प्रिंटर को लेजर प्रिंटर के समान ही माना जाता है। हालांकि जिस प्रकार से लेजर प्रिंटर के द्वारा दस्तावेज को प्रिंट करने के लिए लेजर बीम का इस्तेमाल किया जाता है वैसा एलईडी प्रिंटर में नहीं होता है।

बता देना चाहते हैं की एलईडी प्रिंटर के द्वारा दस्तावेज को प्रिंट करने के लिए एलईडी लाइट का इस्तेमाल किया जाता है। अगर आसान शब्दों में कहा जाए तो एलईडी प्रिंटर प्लेन कागज में फोटो को प्रिंट करने के लिए लेजर की जगह पर एलईडी लाइट का इस्तेमाल करता है।

ओकेआई के द्वारा साल 1989 में एलईडी प्रिंटर का आविष्कार किया गया था। परंतु यहां यह भी जानना आवश्यक है कि लेजर और इंकजेट प्रिंटर की कंपैरिजन में वर्तमान के समय में एलईडी प्रिंटर का इस्तेमाल करना कम कर दिया गया है, परंतु अब धीरे-धीरे लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता भी फिर से बढ़ने लगी है।

ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि एलईडी प्रिंटर के द्वारा लोगों को कुछ स्पेशल प्रकार की सुविधाएं दी जाती है। एलईडी प्रिंटर में चीजें इसलिए प्रिंट हो पाती है, क्योंकि इसमें एलईडी की एक पट्टी लगी हुई होती है। एलईडी प्रिंटर आपको मार्केट में छोटे आकार में भी मिल सकते हैं और बड़े आकार में भी मिल सकते हैं। यह प्रिंटर एक ही मिनट में 700 से भी ज्यादा पेज को प्रिंट करने की कैपेसिटी होल्ड करते हैं।

एलईडी प्रिंटर के फायदे

एलईडी प्रिंटर के एडवांटेज निम्नानुसार है।

  • अगर एलईडी प्रिंटर और लेजर प्रिंटर के द्वारा चीजों को प्रिंट करने की स्पीड की तुलना की जाए तो एलईडी प्रिंटर काफी तेजी से ऑब्जेक्ट को प्रिंट करने की कैपेसिटी रखता है।
  • एलइडी प्रिंटर के द्वारा बहुत ही कम इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से बिजली का बिल कम आता है।
  • एलइडी प्रिंटर की डेवलपमेंट कॉस्ट बहुत ही कम होती है जिसकी वजह से मार्केट में आपको यह प्रिंटर बहुत ही कम कीमत पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
  • अधिकतर एलईडी प्रिंटर बनाने वाली कंपनियों के द्वारा अपने आइटम पर फ्री वारंटी एक्सटेंशन दिया जाता है।
  • एलईडी प्रिंटर की एक शानदार विशेषता यह है कि इसके माध्यम से 3D कंटेंट या फिर आइटम को भी प्रिंट किया जा सकता है।
  • आप विश्वास नहीं करेंगे की एलईडी प्रिंटर 1 मिनट के अंदर 700 से भी अधिक पेज को प्रिंट करने की पावर रखता है।
  • एलईडी प्रिंटर की बनावट आसान होती है और इसका इस्तेमाल करना भी सरल होता है तथा यह आसानी से आपको मार्केट में मिल भी जाता है।

एलईडी प्रिंटर के नुकसान

एलइडी प्रिंटर के डिसएडवांटेज निम्नानुसार है।

  • टिकाऊ पन के मामले में अगर लेजर प्रिंटर की तुलना एलईडी प्रिंटर से की जाए तो लेजर प्रिंटर यहां पर बाजी मार ले जाता है अर्थात कहने का मतलब है कि एलईडी प्रिंटर लेजर प्रिंटर की तुलना में ज्यादा लंबे समय तक चलने की पावर नहीं रखते हैं।
  • आज के समय में एलईडी प्रिंटर बहुत ही कम लोकप्रिय है। इनसे ज्यादा इंकजेट और लेजर प्रिंटर लोकप्रिय है। इसलिए एलईडी प्रिंटर का इस्तेमाल होना बहुत ही कम हो गया है।

5: सॉलि़ड इंक प्रिंटर

सॉलि़ड इंक प्रिंटर भी प्रिंटर का एक प्रकार है, जो कंटेंट को प्रिंट करने के लिए सॉलि़ड इंक का इस्तेमाल करता है। अगर दूसरी भाषा में कहा जाए तो सॉलि़ड इंक प्रिंटर इंक टेक्नोलॉजी पर काम करता है क्योंकि इसके द्वारा ऑब्जेक्ट को प्रिंट करने के लिए इंक टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल में लिया जाता है।

सॉलि़ड इंक प्रिंटर का निर्माण इसलिए किया गया ताकि जगह की भी बचत हो सके और पैसे की भी बचत हो सके, क्योंकि सॉलि़ड इंक प्रिंटर की विशेषताओं में यह शामिल है कि यह बहुत ही कम जगह का इस्तेमाल करता है और इसकी कीमत भी मार्केट में बहुत ही कम होती है। सॉलि़ड इंक प्रिंटर ऑब्जेक्ट को अथवा शब्दों को या फिर फोटो को प्रिंट करने के लिए ड्रम पर इंक का छिड़काव करता है।

सॉलिड इंक प्रिंटर के फायदे

सॉलि़ड इंक प्रिंटर के लाभ की इंफॉर्मेशन आपको नीचे प्रोवाइड करवाई गई है।

  • सॉलिड इंक प्रिंटर की क्वालिटी बहुत ही शानदार होती है और यह अच्छी क्वालिटी में ऑब्जेक्ट को प्रिंट करने की कैपेसिटी रखते हैं।
  • सॉलि़ड इंक प्रिंटर का सेटअप करना, इसे चलाना और इसे हैंडल करना बहुत ही आसान है।
  • सॉलि़ड इंक प्रिंटर ऑब्जेक्ट को काफी तेजी से प्रिंट कर सकता है।
  • इस प्रकार के प्रिंटर में इंक को लोड करना बहुत ही सरल होता है।
  • अगर सॉलि़ड इंक प्रिंटर और लेजर प्रिंटर के द्वारा जगह लेने की तुलना की जाए तो सॉलि़ड इंक प्रिंटर बहुत ही कम जगह ग्रहण करता है।

सॉलिड इंक प्रिंटर के नुकसान

सॉलि़ड इंक प्रिंटर की हानि निम्नानुसार है।

  • आप लगातार इसका इस्तेमाल लंबे समय तक नहीं कर सकते हैं क्योंकि लगातार इसका इस्तेमाल लंबे समय तक करने से यह गर्म होने लगता है।
  • सॉलिड इंक प्रिंटर लेजर प्रिंटर की तुलना में ज्यादा इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल करता है।
  • अगर प्रिंटिंग करने के दरमियान इसे बीच में ही बंद कर दिया जाता है तो उसके बाद इसे फिर से हिट होने में अधिक समय लग सकता है।

6: डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर को पिन प्रिंटर भी कहा जाता है जिसे आईबीएम के द्वारा साल 1957 में रिलीज किया गया था। इसके बाद साल 1970 में Centronics नाम की कंपनी के द्वारा पहले डॉट मैट्रिक्स इंपैक्ट प्रिंटर का निर्माण किया गया था।

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर फोटो और शब्दों को प्रिंट करने के लिए इंक वाले रिबन का इस्तेमाल करता है। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर एक समय में सिर्फ एक ही शब्दों को प्रिंट कर पाता है। इस प्रकार के प्रिंटर में एक हेड मौजूद होता है, जो फोटो और शब्दों को प्रिंट करने के लिए दाएं से बाएं और बाएं से दाएं रोल करता है।

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के बारे में एक महत्वपूर्ण इंफॉर्मेशन यह है कि वर्तमान के समय में इसका इस्तेमाल ज्यादा नहीं किया जा रहा है, क्योंकि लोगों को आज के समय में जो क्वालिटी चाहिए वह डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर नहीं दे पा रहा है।

इसलिए आज के समय में इस प्रकार के प्रिंटर का इस्तेमाल अधिकतर पैकेज डिलीवरी कंपनी और ऑटो पार्ट्स स्टोर में हो रहा है। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की कीमत ज्यादा होती है और इसे चलाना भी थोड़ा सा मुश्किल होता है।

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के फायदे

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के लाभ नीचे बताए गए हैं।

  • कुछ अन्य प्रकार के प्रिंटर की तुलना में डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की कीमत कम होती है और यह आसानी से मार्केट में आपको हासिल भी हो जाता है।
  • डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर यह क्षमता रखता है कि आप इसके माध्यम से किसी पर्टी कूलर प्रिंटआउट की कार्बन कॉपी को प्रिंट कर सकते हैं, जोकि नॉन इंपैक्ट प्रिंटर नहीं कर पाता है।
  • दूसरे प्रिंटर की तुलना में डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की प्रिंटिंग कॉस्ट कम होती है।
  • दूसरे प्रिंटर की तुलना में इस प्रिंटर की मेंटेनेंस कॉस्ट भी कम होती है।

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के नुकसान

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की हानियां निम्नानुसार है।

  • नॉन इंपैक्ट प्रिंटर की तुलना में डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की स्पीड कम होती है और इसका आउटपुट भी अधिक रेजोल्यूशन का नहीं होता है।
  • डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर में जैसे ही पिन रिबन से पेपर को छूती है वैसे ही यह तेज आवाज करता है।
  • डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर एक्स टाइम लेने वाला प्रिंटर है क्योंकि इसे मैनुअल रूप से लपेटने के लिए एक ही कागज की आवश्यकता होती है।

7: मल्टीफंक्शन प्रिंटर

मल्टीफंक्शन प्रिंटर एक हार्डवेयर डिवाइसे है, जो अलग-अलग प्रकार के काम परफॉर्म कर सकता है। जैसे कि प्रिंटिंग करना, स्कैनिंग करना और कॉपी करना इत्यादि। मल्टीफंक्शन प्रिंटर को all-in-one प्रिंटर कहा जाता है।

यह प्रिंटर ऐसे लोगों के लिए सूटेबल है जो एक ही प्रिंटर में अन्य कई प्रिंटर की सुविधाओं को प्राप्त करना चाहते हैं। मल्टीफंक्शन प्रिंटर को कंप्यूटर से कनेक्ट करने के लिए वायरस वायरलेस कनेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। मल्टीफंक्शन प्रिंटर का इस्तेमाल ऑफिस और घरों में अलग-अलग प्रकार के ऑनलाइन कामों को पूरा करने के लिए किया जाता है।

मल्टीफंक्शन प्रिंटर के फायदे

मल्टीफंक्शन प्रिंटर के फायदे नीचे दिए गए हैं।

  • मल्टीफंक्शन प्रिंटर शुरुआती इन्वेस्टमेंट को बचा सकते हैं क्योंकि अलग-अलग प्रिंटर और फैक्स मशीन खरीदने की जगह पर आप अलग-अलग कामों के लिए सिर्फ एक मल्टीफंक्शन प्रिंटर की खरीदारी कर सकते हैं।
  • मल्टीफंक्शन प्रिंटर घर और ऑफिस के लिए बहुत ही फायदेमंद माने जाते हैं क्योंकि ये बहुत सी जगह की बचत कर लेते हैं। जहां फैक्स मशीन, प्रिंटर और स्कैनर के लिए घरों में या फिर ऑफिस में जगह ढूंढना थोड़ा सा मुश्किल होता है वही मल्टीफंक्शन प्रिंटर लिमिटेड स्पेस ग्रहण करते हैं और मल्टीटास्क वाले काम जैसे कि प्रिंटिंग करना, स्कैनिंग करना करते हैं।
  • मल्टीफंक्शन प्रिंटर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि एक लेजर प्रिंटर या दूसरे प्रिंटर की तुलना में इसकी ऑपरेशन की कार्य क्षमता बहुत ही तेज है साथ ही ऐसे कई मल्टीफंक्शन प्रिंटर है जो एक ही समय में दस्तावेज को प्रिंट कर सकते हैं तथा फोटो को भी स्कैन कर सकते हैं और कॉपी भी कर सकते हैं।
  • मल्टीफंक्शन प्रिंटर के पूरे सेटअप को पावर देने के लिए सिर्फ एक ही केबल की आवश्यकता होती है जिसकी वजह से बिजली की खपत कम होती है।
  • मल्टीफंक्शन प्रिंटर दूसरे प्रिंटर की तुलना में कम इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल करते हैं।

मल्टीफंक्शन प्रिंटर के नुकसान

मल्टीफंक्शन प्रिंटर की हानियां नीचे बताई गई है।

  • मल्टीफंक्शन प्रिंटर का ऑपरेशनल कॉस्ट ज्यादा है। इसके अलावा इसका रखरखाव लागत भी अधिक होती है, क्योंकि यह दूसरे प्रिंटर की तुलना में तेजी से इंक का इस्तेमाल करता है।
  • मल्टीफंक्शन प्रिंटर फर्स्ट इन फर्स्ट आउट रूल के आधार पर काम करते हैं। इसलिए सभी काम सीरीज में लग जाते हैं, जिससे यह स्लो काम करने लगता है। इस प्रकार से कुछ लोगों को इस मशीन का इस्तेमाल करने के लिए वेट करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • जब मल्टीफंक्शन प्रिंटर सर्विस से बाहर हो जाता है या फिर खराब हो जाता है तो स्कैनिंग, प्रिंटिंग, कॉपी करने तथा फैक्स करने का सारा काम पूरी तरह से बंद हो जाता है।

8: थर्मल प्रिंटर

Jack Kilby नाम के व्यक्ति के द्वारा थर्मल प्रिंटर का आविष्कार किया गया है। थर्मल प्रिंटर में गर्म पिन मौजूद होते हैं। यही गर्म पिन कागज पर ऑब्जेक्ट को प्रिंट करने के काम में आते हैं। थर्मल प्रिंटर को अन्य कई नामों से भी जानते हैं। जैसे कि इसे थर्मल ट्रांसफर प्रिंटर कहा जाता है, इसके अलावा थर्मल वैक्स-ट्रांसफर प्रिंटर और लेक्ट्रो थर्मल प्रिंटर भी कहते हैं।

दुनिया भर में बैंकिंग की फील्ड में, एयरलाइन, किराना, इंटरटेनमेंट, रिटेल और हेल्थकेयर इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर थर्मल प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे प्रिंटर की तुलना में थर्मल प्रिंटर काफी सस्ते आते हैं और यह बहुत ही तेज गति से ऑब्जेक्ट को प्रिंट करने का काम करते हैं। थर्मल प्रिंटर में दस्तावेज को प्रिंट करने के लिए थर्मल पेपर का इस्तेमाल होता है।

बड़ी-बड़ी कंपनियों में भी थर्मल प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि थर्मल प्रिंटर बिना अटके हुए ऑब्जेक्ट को प्रिंट करने की कैपेसिटी रखता है।

थर्मल प्रिंटर के फायदे

थर्मल प्रिंटर के फायदे नीचे दिए गए हैं।

  • थर्मल प्रिंटर का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी भी रिबन या फिर cartridges की कोई भी आवश्यकता नहीं होती है। इसके लिए कंपनी इसका इस्तेमाल करके अपने समय की काफी बचत कर लेती है।
  • इस प्रकार के प्रिंटर का इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है क्योंकि इसमें बहुत ही कम बटन होती है।
  • थर्मल प्रिंटर का इस्तेमाल ऑफिस में करना फायदेमंद होता है क्योंकि यह ज्यादा आवाज नहीं करते हैं और एक शांत वातावरण देते हैं।
  • थर्मल प्रिंटर की कीमत अधिक नहीं होती है और यह आपको अलग-अलग मॉडल और आकार में प्राप्त हो जाते हैं।
  • थर्मल प्रिंटर तेजी से काम करते हैं।

थर्मल प्रिंटर के नुकसान

थर्मल प्रिंटर के डिसएडवांटेज आगे आपको बताए गए हैं।

  • सामान्य तौर पर थर्मल प्रिंटर सही प्रकार से कलर प्रिंट नहीं दे पाता है, जैसा कि स्टैंडर्ड प्रिंटर दे पाते हैं।
  • प्रिंटिंग के दरमियान अधिक गर्माहट की वजह से प्रिंटहेड को नुकसान हो सकता है।
  • अगर प्रिंटहेड खराब हो जाता है तो आपको उसे रिपेयर करवाने की आवश्यकता होती है या फिर नया खरीदने की आवश्यकता होती है।

9: प्लॉटर

इसे आप हार्डवेयर डिवाइस भी समझ सकते हैं और प्रिंटर भी समझ सकते हैं जिसका पहली बार आविष्कार रेमिंगटन रैंड के द्वारा साल 1953 में किया गया था। इसका निर्माण वेक्टर ग्राफिक को प्रिंट करने के लिए किया गया है।

प्लॉटर इंक अथवा इंक का इस्तेमाल करने की जगह पर पेंसिल, पेन, मार्कर या फिर दूसरे लिखने वाले डिवाइस का इस्तेमाल करता है। प्लॉटर के भी कई प्रकार होते हैं जिनके नाम Drum plotter, Electrostatic plotter, Inkjet Plotter, Cutting Plotter है।

प्लॉटर के फायदे

प्लॉटर के फायदे क्या हो सकते हैं, आईए इसके के बारे में इंफॉर्मेशन हासिल करते हैं।

  • प्लॉटर तकरीबन 2 फीट या फिर उससे ज्यादा बड़ी सीट पर अच्छी क्वॉलिटी के साथ काम करने की कैपेसिटी रखता है।
  • प्लॉटर कागज के अलावा स्टील, शीट, प्लास्टिक, एलुमिनियम, प्लाईवुड और किसी भी फ्लैट शीट कंटेंट पर प्रिंटिंग करने की कैपेसिटी भी रखता है‌।
  • प्लॉटर की विशेषता यह है कि यह सभी टेंपलेट और पैटर्न को डिस्क पर सुरक्षित करके रख सकता है। इस प्रकार से यह एक ही पैटर्न को बार-बार लोड करने की समस्या से छुटकारा दिलाता है।
  • इसके अलावा यह एक ही पैटर्न को बिना किसी गिरावट के बार-बार बना सकता है।

प्लॉटर के नुकसान

प्लॉटर के डिसएडवांटेज निम्नानुसार है।

  • पारंपरिक प्रिंटर की तुलना में इसका आकार काफी ज्यादा बड़ा होता है। इसलिए इसे अधिक जगह की आवश्यकता स्थापित होने के लिए लगती है।
  • पारंपरिक प्रिंटर की तुलना में इसकी कीमत मार्केट में ज्यादा होती है। इसलिए यह हर किसी के बजट में फिट नहीं बैठता है।

प्रिंटर का उपयोग

प्रिंटर का बड़े पैमाने पर स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के द्वारा प्रोजेक्ट बनाने के लिए या फिर जरूरी दस्तावेज को प्रिंट करने के लिए किया जाता है। बिजनेस करने वाले लोग बिजनेस कार्ड के साथ ही साथ दस्तावेज को प्रिंट करने के लिए प्रिंटर का इस्तेमाल करते हैं।

आवश्यक दस्तावेज की कॉपी निकालने के लिए प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाता है। किताबों से लेकर के कॉमिक को प्रिंट करने के लिए भी प्रिंटर का इस्तेमाल होता है। प्रिंटर सिर्फ शब्दों को ही नहीं बल्कि किसी भी प्रकार के ऑब्जेक्ट और फोटो को प्रिंट करने की क्षमता रखता है।

 जो प्रिंटर कलरफुल प्रिंट निकालने की कैपेसिटी रखते हैं उन के माध्यम से आप ऑब्जेक्ट, फोटो या फिर शब्दों को कलर फॉर्मेट में प्रिंट कर सकते हैं।

प्रिंटर के फायदे

प्रिंटर की सहायता से प्रिंट किए गए कंटेंट का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि यह सुविधाजनक होता है। आपके द्वारा जो कुछ भी प्रिंट किया गया है आप उसमें कुछ भी मार्क कर सकते हैं या फिर किसी भी चीज को नोट कर सकते हैं।

किसी भी वजह से प्रिंट किया गया दस्तावेज खो जाता है तो आपको ज्यादा नुकसान होने की संभावना नहीं होती है, क्योंकि आपके पास ओरिजिनल कॉपी पहले से ही मौजूद होती है। जो दस्तावेज प्रिंट किए जाते हैं उसे पढ़ना काफी आसान होता है।

प्रिंटर के नुकसान

इस बात से आप भली-भांति परिचित होंगे कि पेड़ की सहायता से ही कागज का निर्माण किया जाता है और इसीलिए पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई की जाती है, जिसकी वजह से पर्यावरण को भी नुकसान होता है और इंसानों को भी विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

प्रिंटर की सहायता से कई बार यूजर एक ही दस्तावेज के बहुत सारे प्रिंट तैयार कर लेते हैं जो कि कागज का नुकसान ही होता है‌। इस प्रकार से यह प्रिंटर का नुकसान है। इसके अलावा कुछ प्रिंटर ऐसे हैं जो ज्यादा बिजली की खपत करते हैं जिसकी वजह से आपके बिजली का बिल अधिक आ सकता है।

 इसके अलावा प्रिंटर में जो टोनर और इंक का इस्तेमाल होता है, वह ऐसे केमिकल से बने हुए होते हैं जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक माने जाते हैं।

प्रिंटर कैसे खरीदें?

प्रिंटर कंप्यूटर का एक सामान्य एक्सटर्नल डिवाइस माना जाता है। इसलिए यह आपको आसानी से किसी भी कंप्यूटर हार्डवेयर की दुकान पर या फिर कंप्यूटर अथवा लैपटॉप रिपेयरिंग की दुकान पर प्राप्त हो जाता है।

मार्केट में आपको सेकंड हैंड प्रिंटर भी मिल जाते हैं। इसलिए अगर आपका बजट कम है तो आप कंप्यूटर रिपेयरिंग की दुकान से सेकंड हैंड प्रिंटर की खरीदारी कर सकते हैं।

इसके अलावा अगर आप नया प्रिंटर लेना चाहते हैं तो आपको नया प्रिंटर भी मार्केट में मिल जाएगा। अगर आप किसी ऐसे एरिया में निवास करते हैं जहां पर आपके आसपास प्रिंटर की बिक्री करने वाली दुकान नहीं है या फिर आपको अपने मनपसंद ब्रांड का प्रिंटर प्राप्त नहीं हो पा रहा है।

या फिर आपको महंगा प्रिंटर मिल रहा है तो ऐसी अवस्था में आप अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, शॉपक्लूज जैसी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर अपने मनपसंद ब्रांड का प्रिंटर सर्च कर सकते हैं और अपने बजट के हिसाब से ऑनलाइन प्रिंटर की बुकिंग करके उसे घर बैठे ही प्राप्त कर सकते हैं।

प्रिंटर का इंटरफ्रेंस

ऐसे कई तरीके है, जिसके माध्यम से प्रिंटर कंप्यूटर से कनेक्ट हो सकता है और कम्युनिकेशन कर सकता है, जिसे इंटरफेस कहा जाता है। वर्तमान के समय में सबसे सामान्य कनेक्शन टाइप यूएसबी केबल और वाईफाई के माध्यम से है। नीचे आपको यह बताया जा रहा है कि कंप्यूटर को एक प्रिंटर से कनेक्ट करने के लिए कौन से केबल और इंटरफ़ेस का इस्तेमाल होता है।

  • कैट 5
  • फायर बार
  • एमपीपी 1150
  • पार्लल पोर्ट
  • एससीएसआई
  • सीरियल पोर्ट
  • यूएसबी
  • वाईफाई

प्रिंटर के आविष्कारक

जैसा कि हमने आपको बताया कि प्रिंटर के कई प्रकार है और हर प्रकार के प्रिंटर को खोजने वाले व्यक्तियों के नाम अलग-अलग है। नीचे हम आपको प्रमुख प्रिंटर को खोजने वाले व्यक्तियों के नाम बता रहे हैं।

मैकेनिकल प्रिंटर

पहले मैकेनिकल प्रिंटर का आविष्कार चार्ल्स बैबेज के द्वारा किया गया था जिसका इस्तेमाल चार्ल्स बैबेज के द्वारा निर्मित डिफरेंस इंजन के साथ किया जाता था।

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर

पहला डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर साल 1957 में आईबीएम के द्वारा बनाया गया था। हालांकि पहला डॉट मैट्रिक्स इंपैक्ट प्रिंटर साल 1970 में सेंट रोनिक्स के द्वारा परिचित करवाया गया।

इंकजेट प्रिंटर

इंकजेट प्रिंटर का निर्माण करने का काम साल 1950 के आखिरी महीने से चालू हुआ था। हालांकि इसमें सफलता साल 1970 के आसपास में मिली परंतु इंकजेट प्रिंटर के आविष्कारक के तौर पर किसी एक व्यक्ति या फिर कंपनी का नाम नहीं लिया जा सकता है।

क्योंकि इंकजेट प्रिंटर के आविष्कार में कैनन कंपनी, एप्शन कंपनी जैसी कंपनियों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

लेजर प्रिंटर

Gary Starkweather नाम के व्यक्ति के द्वारा साल 1970 के दशक के शुरुआत में ही लेजर प्रिंटर का आविष्कार कर दिया गया था।

3D प्रिंटर

Chuck Hull नाम के व्यक्ति के द्वारा साल 1984 में 3D प्रिंटर का निर्माण किया गया था।

प्रिंटर बनाने वाली कंपनी के नाम

प्रिंटर बनाने वाली कई कंपनियां है जिनके द्वारा बेहतरीन क्वालिटी के और अलग-अलग प्रकार के तथा अलग-अलग आकार के प्रिंटर का निर्माण किया जाता है।

नीचे हम आपको टॉप प्रिंटर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के नाम बता रहे हैं, ताकि अगर कभी आपको प्रिंटर खरीदने की आवश्यकता हो, तो आप इन्हीं कंपनियों के द्वारा निर्मित बेस्ट प्रिंटर की खरीदारी करें जो लंबे समय तक चले और अच्छी सर्विस आपको प्रदान करें।

  • कैनन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
  • ब्रदर इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
  • एपशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
  • कलरजेट ग्रुप
  • जेटइंक प्राइवेट लिमिटेड
  • एचपी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
  • सैमसंग
  • पैनासोनिक

क्या मुझे अपने कंप्यूटर के साथ प्रिंटर की आवश्यकता है?

कंप्यूटर प्रिंटर को पेरीफेरल माना जाता है। इसका मतलब यह होता है कि कंप्यूटर के लिए प्रिंटर कोई आवश्यक उपकरण नहीं माना जाता है।

क्योंकि अगर कंप्यूटर के लिए प्रिंटर आवश्यक डिवाइस माना जाता तो लोग रोजाना अपने दैनिक जीवन में कंप्यूटर पर काम करने के दरमियान इसे कंप्यूटर के साथ कनेक्ट करके रखते, परंतु कई लोग हैं जो रोजाना बिना प्रिंटर के ही कंप्यूटर पर काम करते हैं।

हालांकि जब ऐसा समय आता है जब उन्हें किसी चीज को प्रिंट करने की आवश्यकता होती है, तो उन्हें ऐसे समय में प्रिंटर की आवश्यकता आन पड़ती है।

क्या एक प्रिंटर को इस्तेमाल करने के लिए कंप्यूटर की आवश्यकता होती है?

पहले के समय में जो प्रिंटर आते थे, उन्हें इस्तेमाल करने के लिए और चलाने के लिए कंप्यूटर की आवश्यकता पड़ती थी परंतु वर्तमान के समय में जो प्रिंटर आ रहे हैं वह लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ आ रहे हैं जिसमें वायरलेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

ऐसे प्रिंटर ब्लूटूथ के माध्यम से या फिर वाई फाई के माध्यम से आपके कंप्यूटर अथवा स्मार्टफोन या फिर टेबलेट के साथ कनेक्ट हो जाते हैं और आप जो कुछ भी प्रिंट करना चाहते हैं वह ऐसे प्रिंटर तेजी से प्रिंट कर देते हैं।

 इस प्रकार से कहा जा सकता है कि सिर्फ वायरलेस प्रिंटर के मामले में आपको कंप्यूटर की आवश्यकता नहीं होती है। अगर आपका प्रिंटर वायरलेस नहीं है तो आपको उसे अपने कंप्यूटर के साथ कनेक्ट करने की आवश्यकता होगी तभी आप प्रिंट निकाल सकेंगे।

क्या कंप्यूटर प्रिंटर में मेमोरी होती है?

जी हां! वर्तमान के समय में जो लेटेस्ट टेक्नोलॉजी वाले कंप्यूटर प्रिंटर आ रहे हैं, उसमें प्रिंटर सेटिंग, प्रिंटर जॉब और प्रिंटर प्वाइंट को स्टोर करने के लिए थोड़ी मात्रा में मेमोरी अवेलेबल होती है। हालांकि आपको यह सुविधा सभी प्रिंटर में हासिल नहीं होती है। कुछ गिने-चुने प्रिंटर ही है जिसमें मेमोरी अवेलेबल होती है।

FAQ:

प्रिंटर क्या होता है इसके प्रकार बताइए?

प्रिंटर फोटो, ऑब्जेक्ट और शब्दों को प्रिंट करने वाला एक डिवाइस होता है। इसके प्रकारों की चर्चा हमने आर्टिकल में विस्तार से की हुई है।

प्रिंटर के क्या उपयोग है?

प्रिंटर के द्वारा आप ऑनलाइन मौजूद किसी भी फोटो अथवा शब्द को या फिर ऑब्जेक्ट को ब्लैक एंड वाइट में या फिर कलर में प्रिंट कर सकते हैं और हार्ड कॉपी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रिंटिंग कितने प्रकार के होते हैं?

प्रिंटिंग इंपैक्ट प्रिंटिंग और नॉन इंपैक्ट प्रिंटिंग इस प्रकार से दो प्रकार की होती है।

प्रिंटिंग से आप क्या समझते हैं?

प्रिंटिंग अर्थात किसी चीज को किसी कागज पर या फिर किसी अन्य सत्तह पर प्रिंट करके हासिल करना।

प्रिंटर की कीमत क्या है?

अलग-अलग ब्रांड के द्वारा अलग-अलग साइज और क्वालिटी वाले प्रिंटर बनाए जाते हैं। इसलिए उनकी कीमत अलग-अलग हो सकती है। किसी भी ब्रांड के प्रिंटर की कीमत की इंटरनेट से आप हासिल कर सकते हैं।

दोस्तों इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद अब आप जान गए होंगे कि प्रिंटर क्या है? इस आर्टिकल में हमने आपको प्रिंटर के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की है।

इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद भी आपके मन में कोई सवाल है तो आप अपना सवाल कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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हेलो दोस्तों, मेरा नाम अंकुर सिंह है और में New Delhi से हूँ। मैंने B.Tech (Computer Science) से ग्रेजुएशन किया है। और में इस ब्लॉग पर टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर, मोबाइल और इंटरनेट से जुड़े लेख लिखता हूँ।

6 COMMENTS

  1. आपका ब्लॉग एक मात्र ऐसा ब्लॉग है, जिस पर सभी जानकारी विस्तार से मिलती है। और आप लिखते भी बहुत अच्छा हो भाई जी।

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