आपने कभी ना कभी कोई ऐसा डिवाइस अवश्य देखा होगा, जिसके माध्यम से किसी अंधेरे कमरे में दीवार पर बड़े आकार में फोटो या फिर वीडियो दिखाई दे रहा होता है। ऐसे डिवाइस को ग्रामीण भाषा में लोग सिर्फ मशीन के नाम से जानते हैं, परंतु शहरी इलाकों में ऐसे डिवाइस को प्रोजेक्टर कहा जाता है। हम यहां इस आर्टिकल में आपको जानकारी प्रदान करेंगे कि “प्रोजेक्टर क्या है” और “प्रोजेक्टर काम कैसे करता है” तथा “प्रोजेक्टर की कीमत कितनी होती है।”
जिसके बारे में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोग जानते हैं परंतु काफी लोग ऐसे भी हैं जो प्रोजेक्टर के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते हैं, उनके लिए तो यह बस फिल्म देखने वाली एक मशीन होती है।परंतु प्रोजेक्टर सिर्फ यही तक सीमित नहीं है बल्कि इसके बारे में अन्य कई जानने लायक बातें अवश्य हैं।
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प्रोजेक्टर क्या है? (What is Projector in Hindi)
प्रोजेक्टर एक आउटपुट डिवाइस है, जो कंप्यूटर से कनेक्ट होने की कैपेसिटी रखता है। इसके अलावा यह मॉनिटर या फिर टेलीविजन से भी कनेक्ट हो सकता है। प्रोजेक्टर का इस्तेमाल बड़ी संख्या में लोगों को पिक्चर दिखाने के लिए किया जाता है।
प्रोजेक्टर के द्वारा blu-ray प्लेयर से बनाई गई फोटो को लिया जाता है अथवा कंप्यूटर प्रोजेक्ट के माध्यम से तैयार किए गए फोटो को लिया जाता है और उसे एक बड़े सरफेस जैसे कि स्क्रीन या फिर दीवाल पर दिखाने का काम किया जाता है।
प्रोजेक्टर विभिन्न प्रकार के आकार में मार्केट में उपलब्ध है जिनका इस्तेमाल कुछ कंडीशन जैसे कि क्लासरूम, होम सिनेमा, ऑफिस ट्रेनिंग अथवा प्रेजेंटेशन सेशन इत्यादि के लिए होता है। जिस प्रकार से कोई इनवर्टर दिखाई देता है उसी प्रकार से ही प्रोजेक्ट भी दिखाई देता है जो कि अलग-अलग रंगों में उपलब्ध होता है।
सामान्य तौर पर प्रोजेक्टर थोड़े इंच लंबे होते हैं और 1 फुट के आसपास चौड़े होते हैं। यह पोर्टेबल होते हैं अर्थात आप प्रोजेक्टर को अपने साथ किसी भी दूसरी जगह पर ले कर के जा सकते हैं। आप चाहे तो इनका एस्टेब्लिशमेंट छत पर भी कर सकते हैं।
सीलिंग माउंटेड प्रोजेक्टर 30 फीट या फिर उससे भी अधिक लंबी दूरी तक पिक्चर दिखाने की कैपेसिटी रखते हैं। इस प्रकार के प्रोजेक्टर का मुख्य तौर पर इस्तेमाल पूजा की जगह पर या फिर सेमिनार हॉल में अथवा क्लास में या फिर ऑडिटोरियम में होता है।
मार्केट में कुछ ऐसे भी प्रोजेक्टर आपको मिल जाते हैं जो वाईफाई और ब्लूटूथ कनेक्टिविटी को सपोर्ट करते हैं और अधिकतर प्रोजेक्टर इस प्रकार से डिजाइन किए जाते हैं कि उनके पास अलग-अलग इनपुट सोर्स हो सकते हैं।
पहले के समय में जब प्रोजेक्टर इतने अधिक एडवांस नहीं थे तब अच्छी क्वालिटी के प्रोजेक्टर को लेने के लिए हजारों डॉलर को खर्च करने की आवश्यकता होती थी और इसके अलावा भी अन्य कई खर्चे होते थे परंतु वर्तमान के समय में जो प्रोजेक्टर आ रहे हैं वह बहुत ही कम कीमत पर खरीदे जा सकते हैं।
प्रोजेक्टर की परिभाषा
प्रोजेक्टर को आप आउटपुट डिवाइस भी समझ सकते हैं या फिर ऑप्टिकल डिवाइस भी समझ सकते हैं। इसकी अगर सरल हिंदी भाषा में व्याख्या की जाए तो प्रोजेक्टर के माध्यम से आप सफेद दीवार पर बड़े साइज में कोई भी फोटो देख सकते हैं अथवा अगर आपको वीडियो देखना है तो उसे भी आप बड़े साइज में देख सकते हैं।
सफेद दीवार पर प्रोजेक्टर की जो स्क्रीन दिखाई देती है, उसे प्रोजेक्शन स्क्रीन कहा जाता है। आज के समय में सबसे सामान्य इस्तेमाल होने वाला जो प्रोजेक्टर है उसे वीडियो प्रोजेक्टर कहते हैं।
प्रोजेक्टर के प्रकार (Types of Projector in Hindi)
लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले और डिजिटल लाइट प्रोसेसिंग इत्यादि प्रोजेक्टर के सबसे सामान्य प्रकार है। हालांकि कैथोड रे ट्यूब भी एक ऐसा प्रोजेक्टर है जो कि काफी अधिक लोकप्रिय है। वर्तमान के समय में कैथोड रे ट्यूब प्रोजेक्टर का इस्तेमाल ज्यादा नहीं हो रहा है, क्योंकि इसके द्वारा लो लाइट आउटपुट दिया जाता है और इसका आकार काफी अधिक होता है। आइए आगे तीनों ही प्रोजेक्टर के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।
1: सीआरटी प्रोजेक्टर
सीआरटी का पूरा मतलब कैथोड रे ट्यूब प्रोजेक्टर होता है जो की एक वीडियो प्रोजेक्टींग डिवाइस है। इस प्रोजेक्टर के द्वारा कैथोड रे ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है जो की बहुत ही छोटी होती है और अधिक ब्राइटनेस वाली होती है। कैथोड रे ट्यूब का इस्तेमाल सीआरटी प्रोजेक्टर के द्वारा फोटो जनरेटिंग एलिमेंट के तौर पर किया जाता है।
इस प्रोजेक्टर में सीआरटी के मुंह के बिल्कुल सामने एक लेंस रखा जाता है जिस पर इमेज फोकस होती है और सामने वाली स्क्रीन पर दिखाई देती है। पहले के समय में अर्थात साल 1950 के आसपास में पहली बार मार्केट में सीआरटी कलर प्रोजेक्टर आया था। अधिकतर सीआरटी प्रोजेक्टर में लाल, हरा और नीला इत्यादि ट्यूब मौजूद थे साथ ही उनके खुद के लेंस थे जिनके द्वारा कलर इमेज जनरेट किया जाता था।
वर्तमान के समय में सीआरटी प्रोजेक्टर का ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, क्योंकि इस प्रकार के जो प्रोजेक्टर होते हैं वह काफी अधिक बिजली की खपत करते हैं, साथ ही इनका वजन भी थोड़ा सा ज्यादा होता है और आकार भी अधिक ही होता है। इसके अलावा यह पोर्टेबल नहीं होते हैं जिसकी वजह से इन्हें दूसरी जगह पर ले जाना थोड़ा सा मुश्किल हो जाता है। हालांकि बहुत सारे यूजर के द्वारा ऐसा भी कहा गया है कि सीआरटी प्रोजेक्टर की पिक्चर क्वालिटी बहुत ही शानदार है।
2: एलसीडी प्रोजेक्टर
एलसीडी प्रोजेक्टर लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले पर आधारित प्रोजेक्टर का एक प्रकार है, जिसका बड़े पैमाने पर बिजनेस, सेमिनार, प्रेजेंटेशन और मीटिंग इत्यादि में इस्तेमाल किया जाता है। एलसीडी प्रोजेक्टर के द्वारा लिक्विड क्रिस्टल की सहायता से फोटो को या फिर डेटा को अथवा वीडियो को दिखाया जाता हैव इस प्रकार के जो प्रोजेक्टर होते हैं उनकी कलर रीप्रोडक्शन काफी शानदार होती है।
सामान्य तौर पर देखा जाए तो एलसीडी डिस्पले पैनल का इस्तेमाल सेलफोन, पोर्टेबल वीडियो गेम, लैपटॉप, कंप्यूटर और टीवी जैसे विभिन्न डिवाइस में किया जाता है। सीआरटी तकनीक की तुलना में एलसीडी तकनीक में डिस्प्ले का आकार बहुत ही पतला होता है।
3: डीएलपी प्रोजेक्टर
डीएलपी प्रोजेक्टर का पूरा नाम डिजिटल लाइट प्रोसेसिंग प्रोजेक्टर होता है। डीएलपी प्रोजेक्टर का इस्तेमाल फ्रंट और बैक प्रोजेक्शन यूनिट के लिए किया जाता है और इसे एक चिप अथवा तीन चिप के तौर पर डिवाइड किया जा सकता है।
एक चिप डीएलपी प्रोजेक्टर के द्वारा 16 मिलियन से ज्यादा कलर का प्रोडक्शन किया जा सकता है, वही तीन चीप मॉडल के द्वारा 35 ट्रिलियन से ज्यादा कलर का प्रोडक्शन किया जाता है, जो प्रोजेक्टर को ज्यादा प्राकृतिक चित्र प्रदान करने की कैपेसिटी देता है। इसका इस्तेमाल इंस्टीट्यूट और क्लास में फ्रंट प्रोजेक्टर के तौर पर किया जाता है और बताना चाहेंगे कि बैक प्रोजेक्शन के लिए टीवी में इसका इस्तेमाल होता है।
प्रोजेक्टर का उपयोग
प्रोजेक्टर का उपयोग इस बात पर डिपेंड करता है कि आपके पास कैसा प्रोजेक्टर मौजूद है। सामान्य तौर पर प्रोजेक्टर का इस्तेमाल वीडियो, स्लाइड और फोटो को स्क्रीन पर देखने के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा बिजनेस मीटिंग, कंफरेंस, क्लासरूम और प्रेजेंटेशन के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है।
मार्केट में विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्टर मौजूद है, जिसमें से कुछ का इस्तेमाल किसी अन्य उद्देश्य के लिए होता है तो किसी प्रोजेक्टर का इस्तेमाल दूसरे उद्देश्य के लिए होता है। हमारे दैनिक जीवन में प्रोजेक्टर के कुछ मुख्य उपयोग क्या है, उसके बारे में अब हम आगे आपको बता रहे हैं।
1: एजुकेशन और क्लासरूम
प्रेजेंटेशन के मामले में ओवरहेड प्रोजेक्टर क्लास में एजुकेशन और एजुकेशन परपज के लिए सबसे अच्छे माने जाते हैं। इसके माध्यम से विद्यार्थी अपनी प्रेजेंटेशन को भी क्लास में प्रस्तुत कर सकते हैं या फिर टीचर विद्यार्थियों को कुछ समझाने के लिए प्रेजेंटेशन दिखा सकते हैं। इस प्रोजेक्टर का इस्तेमाल विभिन्न पब्लिक स्कूल के द्वारा देशभर में किया जा रहा है साथ ही मीटिंग, नोट लेने, थिएटर में नाटक, अनाउंसमेंट, क्लब एक्टिविटी के लिए भी ओवरहेड प्रोजेक्टर का इस्तेमाल होता है।
इस प्रकार के प्रोजेक्टर ऐसी क्लास के लिए काफी सूटेबल माने जाते हैं जहां पर विद्यार्थी की संख्या काफी अधिक है। इस प्रोजेक्टर को स्थापित करना बहुत ही आसान है। इसे चाहे तो आप क्लास रूम के बिल्कुल आगे रख सकते हैं या फिर क्लासरूम के बिल्कुल पीछे की तरफ रख सकते हैं।
2: होम थिएटर
कई बार लोग ऐसा प्लान बनाते हैं, जिसके अंतर्गत वह अपने घर में कुछ लोगों को इकट्ठा करते हैं और फिर दीवाल की स्क्रीन पर पिक्चर देखते हैं। ऐसे मे भी प्रोजेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए अधिकतर किसी सफेद पेंट वाली दीवाल का इस्तेमाल किया जाता है और उस पर प्रोजेक्टर की लाइट को फोकस किया जाता है, जिसके बाद पिक्चर या फिर वीडियो दीवाल पर दिखाई पड़ता है।
3: एडवरटाइजिंग और आर्ट इंस्टॉलेशन
प्रोजेक्टर का इस्तेमाल एडवर्टाइजमेंट के लिए भी किया जाता है। प्रोजेक्टर के द्वारा किसी बिजनेस को प्रमोट करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की जाती है, क्योंकि प्रोजेक्टर स्क्रीन पर बड़ी फोटो बनाते हैं जिसकी वजह से लोग काफी ज्यादा अट्रैक्टिव होते हैं। प्रोजेक्टर के माध्यम से किसी भी आइटम को या फिर सर्विस को लोगों को समझाना काफी आसान होता है और लोगों को काफी जल्दी से समझ में भी आ जाता है।
4: प्रोफेशनल थिएटर
प्रोजेक्टर का इस्तेमाल प्रोफेशनल थिएटर में किया जाता है क्योंकि यहां पर बड़े पैमाने पर लोगों को एक साथ फिल्म दिखाने की आवश्यकता होती है। सिनेमा हॉल में इस्तेमाल होने वाले प्रोजेक्टर को फिल्म प्रोजेक्टर कहा जाता है। पहले के समय में प्रोजेक्टर के द्वारा साउंड नहीं दिया जा सकता था वह सिर्फ हिलने डुलने वाली पिक्चर दिखाने की ही कैपेसिटी रखते थे परंतु आज के समय के जो प्रोजेक्टर आ रहे हैं वह वीडियो फोटो, ऑडियो के साथ दिखाने की कैपेसिटी रख रहे हैं।
प्रोजेक्टर के फायदे
अलग-अलग क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रोजेक्टर का इस्तेमाल होता है और इसके कई बेनिफिट भी हो सकते हैं। नीचे आपको प्रोजेक्टर के कुछ एडवांटेज की जानकारी दी जा रही है।
1: बड़ी स्क्रीन
अगर आप बड़े आकार में किसी भी फोटो या फिर वीडियो को देखना चाहते हैं तो इसमें प्रोजेक्टर आपकी सहायता कर सकता है, क्योंकि जैसा कि आप पहले से ही जानते हैं कि प्रोजेक्टर के माध्यम से किसी दीवाल पर वीडियो या फिर फोटो को देखा जाता है, जो बहुत ही बड़ी दिखाई देती है और क्लियर भी दिखाई देती है। इसलिए आप अपनी पसंदीदा मूवी बड़ी स्क्रीन पर देखने के लिए प्रोजेक्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर स्टूडेंट, प्रोफेशनल और ग्रुप को कोई जानकारी विस्तार से देने के लिए प्रोजेक्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं तो यह हुआ प्रोजेक्टर का पहला फायदा।
2: विजुअलिटी
अगर आपको किसी अन्य व्यक्ति को बेहतरीन ढंग से फोटो, चार्ट, ग्राफ और तस्वीरों के बारे में समझाना है तो इसमें भी प्रोजेक्टर आपके लिए सहायक साबित होगा, क्योंकि इसके द्वारा सभी चीजों को बड़े आकार में दिखाया जाता है, जिसकी वजह से लोगों को दिखाई जा रही चीज समझने में बहुत ही आसानी हो जाती है और वह जल्दी से समझ भी जाते हैं कि उन्हें क्या समझाया जा रहा है।
3: लैंग्वेज के द्वारा कम्युनिकेशन
प्रोजेक्टर की सहायता से दिखाए जाने वाले ग्राफिक, टेक्स्ट और दूसरी इंफॉर्मेशन से लैंग्वेज के माध्यम से कम्युनिकेशन सुविधाएं काफी ज्यादा बढ़ जाती है जिसकी वजह से विद्यार्थियों को किसी भी चीज को समझने में बहुत ही सरलता होती है।
4: इस्तेमाल में आसान
प्रोजेक्टर का इस्तेमाल करना ज्यादा कठिन काम नहीं होता है। इसे बहुत ही आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि इसे बहुत ही सरलता से स्थापित भी कर सकते हैं और चला सकते हैं साथ ही एक्सपोर्ट भी कर सकते हैं। इसके अलावा प्रोजेक्टर खराब हो जाने पर इसे चेंज करना भी आसान होता है या फिर अलग-अलग यूजर के साथ इसे शेयर करना भी बहुत ही सरल होता है।
5: कीमत
अपने घर में एंटरटेनमेंट के लिए आप प्रोजेक्टर के टेक्निकल और प्रैक्टिकल फायदों को देखते हुए बहुत ही कम कीमत पर प्रोजेक्टर की खरीदारी कर सकते हैं क्योंकि इस प्रकार के प्रोजेक्टर ज्यादा अधिक दाम के नहीं होते हैं।
6: पोर्टेबिलिटी
होम इंटरटेनमेंट वाले प्रोजेक्टर का आकार छोटा होता है साथ ही इनका वजन भी ज्यादा नहीं होता है। इनका वजन 2 से लेकर के 20 पाउंड के बीच में ही होता है। इसलिए अगर आवश्यकता पड़ने पर प्रोजेक्टर मालिक को इसे किसी जगह पर ले करके जाने की आवश्यकता है, तो इसे ले जाने में कोई भी समस्या प्रोजेक्टर मालिक को नहीं होती है।
7: आंखों के लिए आरामदायक
आंखों के आराम के मामले में देखा जाए तो टीवी के मुकाबले में प्रोजेक्टर 2 गुना ज्यादा फायदा देते हैं, क्योंकि प्रोजेक्टर के द्वारा बड़ी फोटो को दिखाया जाता है, जो दूर से बैठकर देखने के बावजूद बिल्कुल साफ तौर पर दिखाई देती है, जिससे हमारी आंखों को काफी आराम मिलता है, क्योंकि छोटे अक्षरों की तुलना में बड़े अक्षरों को पढ़ना बहुत ही सरल होता है। बड़े अक्षरों को आप दूर से भी पढ़ सकते हैं। इसलिए प्रोजेक्टर के द्वारा दिखाई जाने वाली किसी भी चीज को हम देखते हैं तो हमारी आंखों पर कोई भी लोड नहीं पड़ता है
8: कस्टमाइजेबल स्क्रीन साइज
टीवी की कंपैरिजन में प्रोजेक्टर काफी अधिक फायदेमंद होते हैं, क्योंकि प्रोजेक्टर किसी भी सरफेस पर काम कर लेते हैं परंतु टीवी को एक ही जगह पर स्थापित करने की जरूरत होती है। आप अपने प्रोजेक्टर स्क्रीन को किसी भी आकार में बदल सकते हैं। जैसे कि अगर आपको बड़े आकार में फोटो, वीडियो देखना है तो बड़े आकार में कर सकते हैं और छोटे आकार में फोटो वीडियो देखना है तो छोटे आकार में कर सकते हैं।
प्रोजेक्टर के नुकसान
आगे हम आपको प्रोजेक्टर के डिसएडवांटेज की जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
1: डार्क रूम
जैसा कि आप जानते हैं कि फोटो हल्की और काफी शार्प होती है। इसीलिए जब प्रोजेक्टर लो लाइट सेटिंग में काम करता है, तो यह अच्छी फोटो दिखाता है परंतु यह क्लास जैसे कुछ जगह पर एक लिमिटेशंस रखता है अर्थात अगर प्रोजेक्टर के माध्यम से कम लाइट वाले किसी कमरे में कोई चीज दिखाई जा रही है तो किसी व्यक्ति को नींद भी आ सकती है। इसके अलावा अगर आप सेमिनार हॉल में है तो प्रोजेक्टर का इस्तेमाल करने में एक कमी यह हो सकती है कि आपको अच्छी फोटो की क्वालिटी नहीं मिले क्योंकि सेमिनार हॉल में पूरी तरह से अंधेरे से पटा हुआ कमरा मिलना मुश्किल होता है।
2: मेंटेनेंस
अगर टीवी और होम थिएटर प्रोजेक्टर के रखरखाव के बारे में बात की जाए तो होम थिएटर प्रोजेक्टर का मेंटेनेंस थोड़ा ज्यादा हो सकता है, साथ ही बताना चाहते हैं कि प्रोजेक्टर के टाइप और इस्तेमाल के आधार पर लैंप को बदलने की भी आवश्यकता होती है। इसलिए प्रोजेक्टर का दूसरा नुकसान यह है कि इसके रखरखाव के लिए आपको थोड़ा अधिक खर्चा करने की आवश्यकता होती है।
3: सेपरेट स्पीकर
वीडियो प्रोजेक्टर में बहुत कम ऑडियो हो सकता है जो फिल्में या दूसरे वीडियो देखने के लिए सही नहीं है। इसलिए आपको एक अलग से स्पीकर को अटैच करने की आवश्यकता होती है। इसलिए अगर अलग से स्पीकर खरीदना है तो आपको उसके लिए पैसे खर्चा करने की आवश्यकता होती है।
4: सीलिंग माउंटेड प्रोजेक्टर
आपको इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि अगर आप अपने टीवी स्टैंड पर कम जगह होने के कारण सीलिंग माउंटेन प्रोजेक्टर को स्थापित करना चाहते हैं, तो ऐसे में उसे स्थापित करने की प्रक्रिया थोड़ी मुश्किल हो सकती है। ऐसी अवस्था में आपको किसी और व्यक्ति की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा प्रोजेक्टर की स्क्रीन के लिए आपको अलग से इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया को अंजाम देना होता है।
5: बल्ब खराब होना
प्रोजेक्टर में इंटरनल बल्ब लगा हुआ होता है, जिसके द्वारा रोशनी पैदा की जाती है परंतु कभी-कभी कुछ समस्या की वजह से इंटरनल बल्ब खराब हो जाता है जिसे आप को चेंज करने की आवश्यकता होती है।
6: इमेज या वीडियो क्वालिटी कम होना
प्रोजेक्टर का इस्तेमाल जब किया जाता है, तो कुछ समय तक तो यह ठीक चलता है परंतु थोड़ा समय गुजर जाने के बाद इसकी फोटो या फिर वीडियो क्वॉलिटी में गिरावट दिखाई देती है, जिसकी वजह से दिखाई देने वाली फोटो आप को खराब क्वालिटी की लगती है।
7: इंटरनेट डैमेज
कभी-कभी प्रोजेक्टर में इंटरनल खराबी भी पैदा हो जाती है, जिसकी वजह से दिखाई देने वाली तस्वीर सही नहीं दिखाई देती है या फिर कलर का क्रम गलत हो जाता है या फिर तस्वीर धुंधली दिखाई पड़ती है या फिर तस्वीर पर आपको धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
8: वेंटीलेशन प्रॉब्लम
प्रोजेक्टर का इस्तेमाल अगर लंबे समय तक किया जा रहा है तो गर्मी की वजह से इसका इंटरनल हार्डवेयर हिट होने लगता है जिससे यह प्रॉब्लम पैदा होने लगती है कि प्रोजेक्टर ठंडा नहीं होता है या फिर कभी-कभी ऑटोमेटिक बंद हो जाता है।
प्रोजेक्टर कैसे काम करता है?
प्रोजेक्टर के द्वारा एक छोटे ट्रांसप्लांट लेंस के द्वारा लाइट को चमका कर काम किया जाता है। प्रोजेक्टर से काम लेने के लिए आपको करना यह होता है कि सबसे पहले आपको प्रोजेक्टर को किसी निश्चित जगह पर थोड़ी ऊंचाई पर सेट करना होता है और उसका मुंह उस तरफ करना होता है जहां पर प्रोजेक्टर की लाइट पड़ेगी अर्थात जहां पर प्रोजेक्टर चालू होने पर वीडियो या फिर फोटो दिखाई देगा।
प्रोजेक्टर स्थापित करने के बाद आपको कमरे में अंधेरा करना होता है और फिर आपको प्रोजेक्टर को पावर ऑन करना होता है। इसके पश्चात आप जिस डिवाइस के माध्यम से प्रोजेक्टर को चलाना चाहते हैं उसे प्रोजेक्टर के साथ कनेक्ट करना होता है। इसके बाद डिवाइस में संबंधित फोटो या वीडियो को चलाना होता है। ऐसा करने से प्रोजेक्टर के द्वारा सामने वाली स्क्रीन पर आप जो चीज चला रहे हैं उसे दिखाना चालू कर दिया जाता है। इस प्रकार से प्रोजेक्टर काम करता है।
आज प्रोजेक्टर का इस्तेमाल कैसे हो रहा है?
वर्तमान के समय में कई जगह पर प्रोजेक्टर का इस्तेमाल हो रहा है। उदाहरण के तौर पर बिजनेस मीटिंग में पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन देने के लिए प्रोजेक्टर का इस्तेमाल हो रहा है। इसके अलावा स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए प्रोजेक्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
यही नहीं इसका इस्तेमाल टीवी अथवा कंप्यूटर से बड़ी स्क्रीन पर मूवी दिखाने के लिए भी किया जा रहा है। किसी सर्विस अथवा प्रोडक्ट का डेमो कन्वेंशन सेंटर पर दिखाने के लिए प्रोजेक्टर का इस्तेमाल हो रहा है।
पहला प्रोजेक्टर कब बनाया गया?
साल 1965 में 11 मई के दिन David Hansen नाम के व्यक्ति के द्वारा पहले carousel slide projector का पेटेंट करवाया गया था। आज के समय में हम जिस डिजिटल प्रोजेक्टर को जानते हैं उसका निर्माण साल 1984 में Gene Dolgoff नाम के व्यक्ति के द्वारा किया गया था।
हालांकि उन्होंने इसका कांसेप्ट साल 1968 में ही प्रस्तुत कर दिया था। काफी लोग यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर प्रोजेक्टर को इनपुट कैसे मिलता है तो बताना चाहते हैं कि आज के समय में अधिकतर प्रोजेक्टर में एचडीएमआई केबल और वीजीए केबल आता है जिसके माध्यम से प्रोजेक्टर इनपुट प्राप्त करते हैं।
प्रोजेक्शन स्क्रीन क्या है?
प्रोजेक्टर के द्वारा जहां पर फोटो या फिर वीडियो को दिखाया जाता है उसे ही प्रोजेक्शन स्क्रीन कहते हैं। यह स्क्रीन किसी सफेद दीवाल की सत्तह भी हो सकती है या फिर कोई बड़ा सा दीवाल पर चिपकाया हुआ सफेद कागज भी हो सकता है।
प्रोजेक्शन स्क्रीन को मूवी थिएटर में या फिर किसी सेमिनार हॉल में परमानेंट रूप से स्थापित कर दिया जाता है, क्योंकि अक्सर मूवी थिएटर या फिर सेमिनार हॉल में लोगों की भीड़ किसी ना किसी चीज को देखने के लिए आती ही रहती है। प्रोजेक्शन स्क्रीन की भी बहुत सारी वैरायटी है। जैसे कि डिजिटल प्रोजेक्टर, मूवी प्रोजेक्टर स्क्रीन, ओवरहेड प्रोजेक्टर स्क्रीन, स्लाइड प्रोजेक्टर स्क्रीन इत्यादि।
कौन सा प्रोजेक्टर अच्छा है?
बाय द वे प्रोजेक्टर की बहुत सारी वैरायटी है जिसमें से आप अपनी आवश्यकता के हिसाब से प्रोजेक्टर की खरीदारी कर सकते हैं। हालांकि किसी भी प्रोजेक्टर की खरीदारी करने से पहले यह अवश्य चेक कर ले कि आपको जिस क्वालिटी का प्रोजेक्टर चाहिए वह क्वालिटी उस प्रोजेक्टर में है या नहीं जिसे कि आप लेना चाहते हैं।
हमने आपकी सुविधा के लिए नीचे कुछ प्रोजेक्टर की लिस्ट आपको दी हुई है जिसकी खरीदारी आप ऑनलाइन कर सकते हैं या फिर अपने घर के आस-पास स्थित लोकल स्टोर से भी प्रोजेक्टर की खरीदारी कर सकते हैं।
- WZATCO Yuva
- ZEBRONICS Android Smart LED Projector
- Egate O9 Android Full HD Projector
- WZATCO Pixel
- Boss S28A Ultra HD 3840 x 2160p Home Theatre Projector
- BenQ TK700 4K HDR Gaming Projector
- BenQ TH690ST 4LED Short Throw Gaming Projector
प्रोजेक्टर के भाग
एक आधुनिक जमाने के टिपिकल प्रोजेक्टर का निर्माण निम्न भागों से किया जाता है।
1: लेंस
प्रोजेक्टर में लेंस लगा हुआ होता है जो दी हुई स्क्रीन की और फोटो को बीम या फिर प्रोजेक्ट करने का काम करता है। बताना चाहते हैं कि कुछ लेंस जूम अथवा टेलीस्कोपिक टाइप के होते हैं जो आपको फोटो पर लेंस जूम करने में सक्षम बनाने का काम करते हैं जिससे प्रोजेक्टर को बिना फिजिकल रूप से टच किए हुए आप फोटो को छोटा या फिर बड़ा कर सकते हैं।
2: प्रोजेक्शन लैंप
प्रोजेक्शन लेंप हैलोजन अथवा एलईडी टाइप का होता है जिसके द्वारा फोटो को दिखाने में सहायता मिलती है। प्रोजेक्टर के द्वारा दीवार पर कितनी ब्राइटनेस में फोटो को या वीडियो को दिखाया जाएगा यह डिपेंड करता है कि आपके प्रोजेक्टर में कितना पावरफुल प्रोजेक्शन लैंप मौजूद है।
3: एचडीएमआई और यूएसबी कनेक्टर
यूएसबी कनेक्टर और एचडीएमआई केबल के माध्यम से प्रोजेक्टर को इनपुट प्राप्त होता है। आप इनका इस्तेमाल करके दूसरे सोर्स मीडिया जैसे कि ब्लूरे और डीवीडी प्लेयर को प्रोजेक्टर के साथ कनेक्ट कर सकते हैं साथ ही गेमिंग कंसोल को भी प्रोजेक्टर के साथ इसी के माध्यम से जोड़ा जा सकता है।
4: पावर कनेक्टर
यह वह जगह होती है जहां पर आपको केबल प्लग करना होता है। जो केबल आपके प्रोजेक्टर को पावर सॉकेट में प्लग करने में सक्षम बनाता है।
5: स्पीकर
कुछ प्रोजेक्टर ऐसे है, जिसमें पहले से ही इनबिल्ट स्पीकर लगा हुआ होता है। हालांकि आप चाहे तो प्रोजेक्टर के साथ ब्लूटूथ स्पीकर, वायर साउंड बार या फिर होम सिनेमा साउंड सिस्टम को भी कनेक्ट कर सकते हैं।
6: कंट्रोल पैनल
कंट्रोल पैनल वह जगह होती है जहां से आप प्रोजेक्टर को कंट्रोल कर सकते हैं। जैसे कि अगर आपको प्रोजेक्टर की ब्राइटनेस को घटाना है अथवा बढ़ाना है तो यह कंट्रोल पैनल में मौजूद बटन के माध्यम से ही होगा अथवा प्रोजेक्टर की आवाज को कम अथवा ज्यादा करना है तो इसके लिए भी आपको बटन यहीं पर मिलेगी। यहां पर विभिन्न प्रकार की बटन होती है जिनका अलग-अलग इस्तेमाल होता है।
7: रिमोट कंट्रोल
रिमोट कंट्रोल को रिमोट रिसीवर भी कहा जाता है। रिमोट कंट्रोल का इस्तेमाल दूर बैठे हुए प्रोजेक्टर को कंट्रोल करने के लिए होता है। इसके माध्यम से आपको प्रोजेक्टर को टच नहीं करना होता है बस प्रोजेक्टर में दिखाई दे रही लाइट के सामने अपने रिमोट कंट्रोल को लाना होता है और रिमोट कंट्रोल में निश्चित बटन दबानी होती है।
8: एलइडी लैंप
एलइडी लैंप के द्वारा इंटेक वेंड का इस्तेमाल किया जाता है और प्रोजेक्टर के चारों तरफ हवा को सोख लिया जाता है और इसके बाद एक अच्छे कूलिंग एक्शन का इस्तेमाल करके गर्मी को खत्म कर दिया जाता है।
कंप्यूटर में प्रोजेक्टर क्या है?
आउटपुट डिवाइस के तौर पर प्रसिद्ध कंप्यूटर को ऑप्टिकल डिवाइस भी कहते हैं, जो डीवीडी प्लेयर अथवा कंप्यूटर अथवा ब्लूरे प्लेयर से कनेक्ट होता है और इसके द्वारा जो फोटो पैदा होती है।
उसे बड़ी स्क्रीन दीवार या दूसरे किसी फ्लैट सत्तह पर प्रोजेक्शन के माध्यम से बड़े आकार में दिखाने का काम करता है। प्रोजेक्टर के द्वारा बड़ी मात्रा में लोगों को फोटो या वीडियो दिखाने का काम किया जाता है। आप प्रोजेक्टर के द्वारा बनाई गई प्रोजेक्शन स्क्रीन को दूर बैठे हुए भी बिल्कुल साफ तौर पर देख सकते हैं।
प्रोजेक्टर का मतलब क्या होता है?
प्रोजेक्टर का मतलब क्या होता है अथवा प्रोजेक्टर का हिंदी अर्थ क्या होता है, इसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं, तो यहां पर हम आपको बताना चाहते हैं कि प्रोजेक्टर को हिंदी भाषा में छवि प्रक्षेपित कहा जाता है, जो कि एक ऐसा आउटपुट डिवाइस होता है।
जो किसी भी फोटो को किसी सत्तह के ऊपर दिखाने की कैपेसिटी रखता है। प्रोजेक्टर में लेंस लगा हुआ होता है। प्रोजेक्टर इसी लेंस की सहायता से सामने किसी भी दीवार पर या फिर पर्दे पर फोटो को दिखा सकता है। अगर आप वीडियो चला रहे हैं तो वीडियो को भी दिखा सकता है।
प्रोजेक्टर का क्या कार्य है?
प्रोजेक्टर का मुख्य काम होता है आप जो वीडियो या फिर फोटो बड़ी स्क्रीन पर देखना चाहते हैं उसे बड़ी स्क्रीन पर प्रजेंट करना। प्रोजेक्टर को कंप्यूटर के साथ कनेक्ट कर सकते हैं और बड़ी संख्या में लोगों के ग्रुप को फोटो को एडिट करने के लिए मॉनिटर या फिर टेलीविजन को चेंज कर सकते हैं।
प्रोजेक्टर अलग-अलग आकार में और अलग-अलग कीमत में आते हैं। इनका इस्तेमाल अलग-अलग जगह पर होता है। जैसे कि आप अपने घर में भी प्रोजेक्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा परमानेंट प्रोजेक्टर का इस्तेमाल ऑडिटोरियम और मूवी थिएटर में होता है।
प्रोजेक्टर का शिक्षा में उपयोग
कॉलेज या फिर स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्रोजेक्टर के माध्यम से आसानी से एजुकेशन उपलब्ध करवाई जा सकती है। कॉलेज या फिर विद्यालय में बच्चों को एजुकेशन का अधिक से अधिक ज्ञान हो सके, इसके लिए प्रोजेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रोजेक्टर के माध्यम से किसी भी सब्जेक्ट की स्टडी विद्यार्थियों को गहराई से करवाई जा सकती है। प्रोजेक्टर की वजह से ही जिन विद्यार्थियों को पढ़ने में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं होता है वह भी पढ़ने के लिए प्रेरित होते हैं। देश में ऐसे कई विद्यालय हैं जो प्रोजेक्टर के माध्यम से आसान प्रोसेस को अपना करके बहुत ही कम टाइम में ज्यादा ज्यादा ज्ञान विद्यार्थियों को अर्जित करवा पाने में सफल हो रहे हैं।
प्रोजेक्टर की कीमत कितनी होती है?
प्रोजेक्टर की सहायता से आप किसी भी जगह पर बड़ी स्क्रीन को बहुत ही कम समय में तैयार कर सकते हैं, क्योंकि बड़ी स्क्रीन को तैयार करने के लिए ही प्रोजेक्टर का आविष्कार किया गया है। अगर आप इसकी खरीदारी करना चाहते हैं और जानना चाहते हैं कि इसकी कीमत कितनी होती है।
तो बताना चाहते हैं कि, एक अच्छी क्वालिटी के प्रोजेक्टर को पाने के लिए आपको ₹18000 से लेकर के ₹25000 तक खर्च करने की आवश्यकता होती है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि इतना पैसा खर्च करके ही आप अच्छी क्वालिटी का प्रोजेक्टर प्राप्त कर सकते हैं।
इंटरनेट पर आप चाहे तो कम कीमत वाले प्रोजेक्टर के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कुल मिलाकर आपकी जैसी आवश्यकता है आप उसी हिसाब से प्रोजेक्टर को खरीदने के लिए पैसा खर्च कर सकते हैं। मार्केट में लो बजट वाले प्रोजेक्टर भी उपलब्ध है जिनकी कीमत ₹3000 के आसपास से शुरू हो जाती है।
अलग-अलग कंपनी के द्वारा बनाए गए प्रोजेक्टर की कीमत जानने के लिए आपको इंटरनेट पर जाना है और अंग्रेजी लैंग्वेज में लो बजट प्रोजेक्टर लिस्ट इन हिंदी लिखना है और सर्च करना है। इसके बाद आपको कम कीमत वाले बहुत सारे प्रोजेक्टर के नाम दिखाई देते हैं, साथ ही उनकी कीमत और उनकी विशेषताओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो जाती है।
प्रोजेक्टर का इतिहास
Christian Huygens नाम के एक डच साइंटिस्ट थे जिनके द्वारा साल 1659 में एक ऐसा डिवाइस बनाया गया था जिसे मैजिक लांटर्न कहा जाता था। यह बिल्कुल प्रोजेक्टर की तरह ही दिखाई पड़ता था। Leonhard Euler और Swiss physicist नाम के दो लोगों के द्वारा साल 1756 में ओपेक प्रोजेक्टर का आविष्कार किया गया था जिसे एपिसकोप भी कहा जाता है।
इसके बाद आगे बढ़ते हुए साल 1940 से लेकर के 1960 के दशक के दरमियान स्लाइड प्रोजेक्टर और ओवरहेड प्रोजेक्टर का आविष्कार हुआ। इसके बाद साल 1970 से लेकर के 1990 के दशक के दरमियान डॉक्यूमेंट कैमरा प्रोजेक्टर और डीएलपी प्रोजेक्टर कैमरा का अविष्कार हुआ है।
एलसीडी प्रोजेक्टर का आविष्कार भी इसी दरमियान हुआ था। इसके बाद आगे के सालों में अन्य कई एडवांस टेक्नोलॉजी वाले प्रोजेक्टर मार्केट में लॉन्च हुए, जिनमें पहले के मुकाबले में काफी ज्यादा सुविधाएं थी और उनकी क्वालिटी भी शानदार थी। आगे के दशक में 4K and UHD projectors, PICO Projectors, Laser Projectors, Smart Projectors इत्यादि प्रोजेक्टर के आविष्कार भी हुए।
प्रोजेक्टर का थ्रो डिस्टेंस क्या है?
बहुत से लोग नहीं जानते हैं कि प्रोजेक्टर का
थ्रो डिस्टेंस क्या होता है। बताना चाहते हैं कि प्रोजेक्टर और स्क्रीन के बीच की जो दूरी होती है उसे ही थ्रो डिस्टेंस कहा जाता है। यानी कि प्रोजेक्टर के द्वारा जिस जगह पर स्क्रीन प्रोजेक्ट किया जा रहा है वहां से लेकर के जिस जगह पर प्रोजेक्टर स्थापित है उसके बीच कितनी दूरी है, इसे ही थ्रो डिस्टेंस कहते हैं। हर प्रोजेक्टर की थ्रो डिस्टेंस निश्चित होती है। यानी कि प्रोजेक्टर किसी निश्चित दूरी तक ही स्क्रीन को प्रोजेक्ट कर सकता है, उससे ज्यादा दूरी पर स्क्रीन प्रोजेक्ट होने से स्क्रीन धुंधली दिखाई देती है।
प्रोजेक्टर की विशेषताएं
प्रोजेक्टर की विशेषताएं निम्नानुसार है।
- टीवी की तुलना में प्रोजेक्टर पोर्टेबल होता है और इसका वजन भी काफी ज्यादा हल्का होता है। इसलिए एक जगह से दूसरी जगह पर इसका ट्रांसफर आसानी से हो जाता है।
- इसका सेट अप करना ज्यादा मुश्किल काम नहीं होता है। यह सरलता से सेटअप हो जाता है और इसे मैनेज करना भी काफी आसान होता है।
- प्रोजेक्टर के द्वारा लाइट के फोकस का इस्तेमाल करते हुए बड़े आकार में फोटो या वीडियो दिखाया जाता है।
- इसके द्वारा जो पिक्चर क्वालिटी दी जाती है वह 1080p की होती है जो कि अच्छी पिक्चर क्वालिटी मानी जाती है।
- अंधेरे वाले कमरे में प्रोजेक्टर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके द्वारा अंधेरे कमरे में पिक्चर की क्वालिटी बहुत ही अच्छी दिखाई पड़ती है।
FAQs
सबसे सस्ता प्रोजेक्टर का नाम Clubics Portable Mini Latest LED Projector with 1080p Video Quality 400 lm LED Corded Portable Projector है।
प्रोजेक्टर का अर्थ क्या होता है और इसका इस्तेमाल क्यों होता है, हमने इसकी पूरी जानकारी आर्टिकल में दी हुई है।
क्वालिटी के हिसाब से प्रोजेक्टर की खरीदारी करने में अलग-अलग खर्चा आता है।
प्रोजेक्टर किस आकार का होता है?
मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर को वीडियो प्रोजेक्टर कहा जाता है।
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Hope की आपको प्रोजेक्टर क्या है?, का यह पोस्ट पसंद आया होगा तथा आपके लिए हेल्पफुल भी रहा होगा।
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