दोस्तों ऑनलाइन दुनिया में यदि आपको एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में डाटा भेजना हो तो इस कार्य में Protocol आपकी सहायता करता है। क्या आपको पता है यदि यह न हो तो इंटरनेट Communication बिगड़ जाएगी! आपने अक्सर प्रोटोकॉल शब्द के बारे में कई बार सुना होगा। लेकिन शायद आपने यह जानने की कोशिश नहीं की होगी कि है प्रोटोकॉल क्या है? (What Is Protocol In Hindi) कैसे काम करता है? इसके फ़ायदे? कितने प्रकार का होता है? all about protocol in hindi?
दोस्तों इस ऑनलाइन World में प्रोटोकॉल का विशेष महत्व है, और टेक्नोलॉजी से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर यूजर के लिए आज प्रोटोकॉल के बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है। जिसे देखते हुए हमने आज का यह लेख तैयार किया गया है, तो दोस्तों यदि आप भी यह जानने के इच्छुक हैं कि यह प्रोटोकॉल क्या है? कैसे काम करता है? इसके कितने प्रकार के होते हैं? इसकी शुरुवात कब और किसने की थी!
- इंटरनेट क्या है – What Is Internet In Hindi
- नेटवर्क क्या है और इसके प्रकार – What Is Network In Hindi
यह सभी जानकारियां आप को विस्तार पूर्वक इस लेख में पढ़ने को मिलेगी। तो यदि आप तैयार हैं कुछ नया जानने के लिए तो आइए शुरू करते हैं और सबसे पहले जानते हैं कि यह प्रोटोकॉल क्या है? (What Is Protocol In Hindi)
प्रोटोकॉल क्या है? (What is Protocol in Hindi)
इस डिजिटल दुनिया में प्रोटोकॉल नियमों एवं दिशा निर्देशों का एक Set (समूह) होता है। जिसका उपयोग Data के कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है। यह नियम प्रत्येक Step तथा processing के लिए Define किए गए हैं, जहां पर भी दो या दो से अधिक कंप्यूटर्स के बीच संचार होता है।
तो दोस्तों internet पर डेटा को सफलतापूर्वक Transmit करने के लिए Networks के लिए इन नियमों का पालन करना जरूरी हो जाता है। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के समान ही प्रोटोकॉल्स Computing के लिए विशेष Rules एंड Regulations पर आधारित होते हैं, जिन्हें बेहतर योग्यता के लिए भी डिजाइन किया जाता है।
जिसमें विभिन्न Terms के लिए अलग-अलग Rules को डिफाइन किया गया है, और इनको एक Unique नाम दिया जाता है। इस प्रकार प्रोटोकॉल संचार के लिए स्टैंडर्ड Specify करते हैं, तथा Data ट्रांसमिशन के दौरान शामिल सभी प्रोसेस की पूरी जानकारी प्रदान करते हैं। इन प्रोसेस में निम्न प्रकार के कार्य शामिल हो सकते हैं।
- टास्क का प्रकार
- प्रोसेस की प्रकृति
- डाटा Flow Rate
- डाटा का प्रकार
- डिवाइस मैनेजमेंट इत्यादि।
इस प्रकार एक सिंगल प्रोसेस एक से अधिक प्रोटोकॉल द्वारा सफलतापूर्वक हैंडल की जाती है, और इस प्रकार प्रोटोकॉल्स का यह संबंध एक प्रोटोकॉल Family का निर्माण करता है। दोस्तों यदि हम संक्षेप में प्रोटोकॉल को समझें तो यह एक डिजिटल लैंग्वेज है, जिसके जरिए हम इंटरनेट पर Users से कम्युनिकेट कर पाते हैं। बिना प्रोटोकॉल के इस इंटरनेट युग की कल्पना भी नहीं कर सकते जी हाँ! आज हम एक दूसरे से simultaneously (एक ही समय पर) संचार कर पाते हैं तो इसमें प्रोटोकॉल का विशेष महत्व है।
उदाहरण के तौर पर Http (HyperText Transfer Protocol) यह एक एप्लीकेशन Layer प्रोटोकोल है! जिसका उपयोग इंटरनेट पर फाइल्स को ट्रांसफर करने हेतु किया जाता है, एचटीटीपी का उपयोग सर्वर तथा web browser के बीच कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है।
तो दोस्तों इस प्रकार प्रोटोकॉल क्या है? (What Is Protocol In Hindi) तथा इसके महत्व को समझ चुके हैं! आइए दोस्तों अब हम जानते हैं यह प्रोटोकॉल के कितने प्रकार होते हैं?
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प्रोटोकॉल के प्रकार? (Types Of Protocol In Hindi)
TCP
Transmission control protocol दोस्तों इस प्रकार के प्रोटोकॉल का उपयोग नेटवर्क के जरिए कम्युनिकेशन के लिए किया जाता है। Tcp data के अंतर्गत Data को छोटे-छोटे पैकेट्स में बांटा जाता है, तथा फिर इन पैकेट्स को Destination (लक्ष्य) तक भेजा जाता है।
हालांकि इस कार्य में आईपी (internet Protocol) यह सुनिश्चित करता है कि पैकेट्स को सही Address में ट्रांसमिट किया जा सके।
Internet Protocol
प्रोटोकॉल के अगला प्रकार IP है जो कि Tcp के साथ मिलकर कार्य करता है। यह एक Addressing प्रोटोकॉल है जिसका उपयोग एड्रेस का पता लगाने हेतु किया जाता है।
इंटरनेट प्रोटोकॉल का आविष्कार वर्ष 1970 में हुआ था जब Ip का नेटवर्क कम्युनिकेशन context में उपयोग किया जाता है। तो एक इंटरनेट प्रोटोकोल डिस्क्राइब करता है कि एक नेटवर्क में डाटा पैकेट किस तरह से Move करते हैं। दोस्तों यह प्रोटोकॉल सुनिश्चित करता है कि इंटरनेट world की सभी मशीन Network पर हैं या नहीं।
FTP
Files Transfer Protocol इसका उपयोग आमतौर पर Files को विभिन्न नेटवर्क पर ट्रांसफर करने के किया जाता है। यह फाइल्स टेक्स्ट, मल्टीमीडिया फाइल्स इत्यादि हो सकते हैं। आपको बता दें कि फाइल ट्रांसफर करने की यह विधि अन्य तरीकों से Fast होती है।
SMTP
Simple mail transfer protocol का उपयोग पूरे इन्टनेट पर Outgoing Mail तथा ट्रांसमिशन को मैनेज करना होता है। हम जिस ई-मेल सेवा का उपयोग करते हैं उसमें SMTP ip/Tcp Network के लिए एक Standard प्रोटोकॉल है।
अतः हम कह सकते हैं कि इंटरनेट पर ईमेल को Deliver करने का मुख्य जिम्मा इस प्रोटोकोल के पास होता है।
HTTP
अब बात करते हैं प्रोटोकॉल के मुख्य प्रकार Http की Http Client और सर्वर मॉडल पर आधारित है। अतः इसका उपयोग Web क्लाइंट तथा सर्वर के बीच कनेक्शन स्थापित करना होता है। यहाँ आपका जानना जरूरी ही कि वेब Client से तात्पर्य वेब ब्राउजर से होता है। तथा Http इंफॉर्मेशन को Web पेज पर डिस्प्ले करता है।
दोस्तों हम हमेशा Http प्रोटोकोल का उपयोग करते हैं, परंतु हमें इसके विषय पर अधिक जानकारी नहीं होती। इसलिए प्रोटोकॉल के बारे में पढ़ते हुए आइये हम Protocol के विषय पर अधिक जानकारी हासिल करते हैं।
Http एक Underlying प्रोटोकॉल है, जिसका उपयोग World Wide Web द्वारा किया जाता है! जो Define करता है की कैसे मैसेजेस Formatted तथा ट्रांसमिटेड होते हैं। इसके अलावा Http बताता है कि Web Server तथा ब्राउज़र द्वारा विभिन्न Commands के लिए कौन-सा Action लेना चाहिए।
इसके अलावा यह Http एक मुख्य स्टैंडर्ड है , जो कंट्रोल करता है कि वर्ल्ड वाइड वेब कैसे कार्य करता है? वास्तव में html वह भी होता है जिसका कार्य वेब pages को डिस्प्ले एवं फॉर्मेट करना होता है। दोस्तों Http को Stateless प्रोटोकोल भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें प्रत्येक कमांड स्वतंत्र रूप से Execute होती है।
Ethernet
इथरनेट प्रोटोकॉल का उपयोग LAN कम्युनिकेशन के लिए सबसे जरूरी होता है। क्योंकि दोस्तों जहां भी है Local एरिया नेटवर्क की बात आती है, तो इसका नाम सुनाई देता है।
Ethernet data को डिजिटल पैकेट्स में ट्रांसमिट करता है। और यदि किसी कंप्यूटर में ईथरनेट का उपयोग करना है, तो उसके लिए उस कंप्यूटर में Ethernet Network Interface Card (NIC). होना आवश्यक है। इस कार्ड में यूनीक एड्रेस समाहित होता है जिसमें माइक्रोचिप फिक्स होती है।
Telnet
Telnet में कुछ नियम स्थापित होते हैं, जिनका उपयोग किसी कंप्यूटर से Connect होने के लिए किया जाता है। Telnet का उपयोग मुख्यतः Remote Login प्रोसेस के लिए किया जाता है।
इस प्रक्रिया में जो कंप्यूटर कनेक्शन के लिए Request करता है,वहां एक Local कंप्यूटर होता है। तथा जो उस रिक्वेस्ट को Accept करता है उस कंप्यूटर को रिमोट कंप्यूटर कहा जाता है। और अब कनेक्शन स्थापित होने के बाद जब आप लोकल कंप्यूटर से कोई कमांड देते हैं, तो वह रिमोट कंप्यूटर में Excute होती है। दोस्तों टेलनेट Model भी Http की तरह वेब क्लाइंट तथा सरवर पर आधारित होता है।
Gopher
gopher एक एप्लीकेशन लेयर प्रोटोकोल है, जिसका उपयोग उसी स्तिथि में किया जाता है जब किसी रिमोट साइट से डाक्यूमेंट्स को search या Retrieve (पुनः प्राप्त) करने के लिए भी किया जाता है। इसके साथ ही Gopher का उपयोग किसी अन्य कंप्यूटर्स के साथ ऑनलाइन कनेक्शन स्थापित करने के लिए भी किया जा सकता है। तो इस प्रकार आपने प्रोटोकॉल के प्रकार की जानकारी ली।
दोस्तों यहां पर आपको बता दें कि इन सभी प्रोटोकॉल्स के types में से सबसे महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल Tcp/IP (transmission control protocol/Internet protocol) जिसका उपयोग इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर के Communication को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
इसलिए अब हमारा यह जानना जरूरी हो जाता है कि एक Tcp/ip प्रोटोकॉल के क्या-क्या उपयोग एवं फायदे होते हैं! इसे जानने के बाद मुझे पूरी उम्मीद है आपको प्रोटोकॉल के महत्व को अधिक समझने में मदद मिलेगी।
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TCP / Internet प्रोटोकॉल के फायदे?
ये एक इंडस्ट्री स्टैंडर्ड मॉडल है, जिसका प्रयोग नेटवर्किंग में समस्या के दौरान किया जा सकता है। यह interoperable (अंतर-संचालित) है, जो विषम नेटवर्क के बीच cross- प्लेटफॉर्म कम्युनिकेशन की सुविधा प्रदान करता है
यह ओपन प्रोटोकॉल सूट है, जिसका कोई मालिक नहीं है, अर्थात इसे किसी इंस्टीट्यूट द्वारा Run नहीं किया जाता। जिस वजह से इसका उपयोग व्यक्तिगत रूप से या संस्था द्वारा किया जाता है। यह scalable client सर्वर आर्किटेक्चर है। जिसे किसी नेटवर्क को वर्तमान सेवा से बाधित किए बिना कनेक्ट किया जा सकता है यह नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर को एक Ip ऐड्रेस प्रदान करता है, जिससे एक नेटवर्क के भीतर प्रत्येक कंप्यूटर को Identify किया जा सकता है।
इंटरनेट प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करने का एक मुख्य फायदा यह भी है की इसमें ip ट्रैफिक को लगभग सभी मौजूदा नेटवर्क के उपकरण पर ले जाया जा सकता है। तथा यह किसी स्पेसिफिक डिवाइस की आवश्यकताओं तक सीमित नहीं होता।
प्रोटोकॉल का इतिहास? (History Of Protocol In Hindi)
इंटरनेट Based प्रोटोकोल तथा सिस्टम मुख्य रूप से 1970 तथा 80 के दशक में तैयार किए गए। उस समय इन्हें स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य मेनफ्रेम कंप्यूटर को timesharing purpose के लिए connect करना था।
दोस्तों इस छोटी- से उद्देश्य की शुरुवात की गई इस प्रणाली ने बाद में Global मल्टीमीडिया इंफॉर्मेशन तथा कम्युनिकेशन सिस्टम का विस्तार किया। तथा उन हज़ारों मोबाइल, Pc तथा ऐसे ही अनेक कम्युनिकेशन डिवाइस को जोड़ने का कार्य किया।
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प्रोटोकॉल का आविष्कार किसने किया?
Vint Cerf तथा Robert E. Kahn नामक दो व्यक्तियों को प्रोटोकॉल के आविष्कारक के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें Vint Cerf को इंटरनेट के Father के रूप में भी जाना जाता है। तथा इस अमेरिकी व्यक्ति को इंटरनेट पर उनके विशेष योगदान के लिए कई अवॉर्ड्स भी मिले हैं।
Robert Elliot Kahn एक अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर हैं, इन दोनों व्यक्तियों ने मिलकर Tcp/आईपी प्रोटोकोल को विकसित किया। तो दोस्तों आपके मन में यह सवाल आ सकता है कि tcp-ip को create करने के पीछे क्या वजह थी? तथा यह क्यों महत्वपूर्ण हैं?
दोस्तों क्योंकि Tcp वह उपकरण है, जो डाटा पैकेट को collect तथा रीसेंबल करता है। जबकि Ip अर्थात इंटरनेट प्रोटोकॉल का कार्य इन पैकेट्स को सही डेस्टिनेशन पर पहुंचाना होता है। अतः इंटरनेट पर डेटा ट्रांसमिशन के कार्य के लिए प्रोटोकॉल की जरूरत पड़ी! और आज जब भी इंटरनेट वर्ल्ड में प्रोटोकॉल की बात आती है, तो Tcp/Ip सबसे विशेष होता है।
तो यदि हम बेहद सरल शब्दों में इस उत्तर को समझे तो प्रोटोकॉल इसलिए महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इनके जरीये Reciver को Sender के बारे में पता चलता है। और यदि हम बात करें कंप्यूटर कम्युनिकेशन की तो प्रोटोकॉल इस मैसेज को उचित Destination (लक्ष्य) तक पहुंचने के लिए सुनिश्चित करते हैं। इस प्रकार आप समझ चुके होंगे कि इंटरनेट की इस दुनिया में प्रोटोकॉल का होना क्यों जरूरी हो जाता है!
प्रोटोकॉल कैसे कार्य करते हैं?
प्रोटोकॉल की कार्यप्रणाली को समझने के लिए यहां हम एक उदाहरण लेते हैं,
जब आप इंटरनेट पर किसी वेबपेज को सर्च करते हैं, तो server उस Web Page को स्टोर होता है, अब उस सर्वर पर ब्राउज़र रिक्वेस्ट भेजता है! इसके बाद सरवर उस वेब page की Html फाइल को वेब ब्राउज़र तक पहुँचाता है।
अब उस फ़ाइल को Client तक लाने की इस प्रक्रिया के दौरान ही प्रोटोकॉल अपना कार्य करते हैं। दोस्तों इसमें सबसे पहले Http प्रोटोकोल का काम होता है, जिसके बिना किसी भी file का ट्रांसमिशन संभव नहीं होता है। उसके बाद अगला कार्य Tcp प्रोटोकॉल का होता है, इन दोनों प्रोटोकॉल की विषय पर अभी हम अधिक जानकारी लेंगे।
अब टीसीपी प्रोटोकोल Server एवं वेब ब्राउज़र के बीच कनेक्शन स्थापित करने का कार्य करता है, अतः जब एक बार सफलतापूर्वक संपर्क बन जाता है। टीसीपी उस html file को विभिन्न भागों में बांट देता है। जिन्हें हम Data Packets के नाम से भी जानते हैं।
अंत में इंटरनेट प्रोटोकोल का काम आता है। जो Tcp प्रोटोकोल को उस ब्राउज़र का एड्रेस बताता है, जहां फाइल भेजनी होती है। और इस एड्रेस का पता करते ही टीसीपी उस फाइल को उस destination तक पहुंचा देता है। उसके बाद वह फाइल वापस Assemble होकर अपने वास्तविक रूप में ब्राउज़र को प्राप्त हो जाती है।
तो दोस्तों इस प्रकार आपने आज के इस लेख में प्रोटोकॉल के विषय पर विस्तारपूर्वक जानकारी ली!
तो दोस्तों उम्मीद है की अब आपको प्रोटोकॉल से जुड़ी पूरी जानकारी मिल चुकी होगी, और आप जान गये होगा की प्रोटोकॉल क्या है? कैसे काम करता है? इसके प्रकार एवं फायदे?
प्रोटोकॉल से जुड़े FAQs
समाज में अधिकतर सार्वजनिक कार्यों को करने के लिए कुछ नियम कानून बनाए जाते हैं। ठीक उसी तरह इंटरनेट के माध्यम से एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में डाटा इनफार्मेशन का संचार करने के लिए भी एक प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है इस प्रोटोकॉल को ही इंटरनेट प्रोटोकॉल कहा जाता है।
इंटरनेट प्रोटोकॉल में TCP/IP प्रोटोकॉल सूट का प्रयोग करके डिजिटल संदेशों को एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में स्थानांतरित किया जाता है।संदेशों का यह आदान प्रदान इंटरनेट प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर किया जाता है। इस तरह डाटा या संदेशों को एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में भेजने की प्रक्रिया डेटाग्राम के मदद से पूरी होती हैं।
एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में डाटा को छोटे-छोटे टुकड़ों में भेजा जाता है। संदेश भेजने कि इस प्रक्रिया को Packet switching के नाम से जाना जाता है। जिन टुकड़ों में संदेशों को भेजा जाते हैं उसे IP Packets या Datagram कहते हैं।
माइम प्रोटोकॉल इंटरनेट प्रोटोकॉल का एक प्रकार है। माइम प्रोटोकोल का पालन ईमेल भेजने के लिए किया जाता है। ई-मेल भेजते समय जिस प्रोटोकॉल का प्रयोग किया जाता है, उसे माइम प्रोटोकॉल कहते हैं। यह प्रोटोकॉल इंटरनेट प्रोटोकोल की तरह स्वतंत्र रूप में काम नहीं करता है। बल्कि यह प्रोटोकॉल SMTP जैसे दूसरे प्रोटोकॉल के साथ मिलकर उसके कैपेबिलिटी को बढ़ाता है। माइम एक एक्सटेंशन प्रोटोकॉल है। इस प्रोटोकॉल को सर्वप्रथम 1991 में Nathan Borenstein के द्वारा Bell Communications नाम की कंपनी में बनाया गया था।
HTTP यानी हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकोल एक ऐसा प्रोटोकॉल है, जो इंटरनेट में कनेक्ट क्लाइंट को आईपी ऐड्रेस असाइन करता है। इंटरनेट पर या यूं कहें कि world wide web में जितने भी वेबसाइट/ब्लॉग काम करते हैं। सभी इसी प्रोटोकॉल का पालन करते हैं।
Hypertext transfer protocol सर्वर क्लाइंट मॉडल का इस्तेमाल करता है। कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल यह सभी device क्लाइंट के अन्तर्गत आते हैं। सर्वर पर चलने वाला यह एक वेब होस्ट प्रोटोकोल है। जब आप कंप्यूटर या मोबाइल में किसी वेबसाइट को खोलते हैं, तब आपका ब्राउज़र वेबसाइट से रिलेटेड रिक्वेस्ट वेब सर्वर को भेजता है।
ब्राउज़र के रिक्वेस्ट पर आईपी http के प्रोटोकॉल को फॉलो करती है। URL प्राप्त होने पर ब्राउज़र के रिक्वेस्ट पर वेब पेज तुरंत ओपन होता है।
इंटरनेट में सबसे ज्यादा IPv4 Internet Protocol का इस्तेमाल किया जाता है। IPv4 का पूरा नाम internet protocol version 4 हैं। इस प्रोटोकॉल को इंटरनेट का आधार भी माना जाता है। कंप्यूटर नेटवर्क के इस नियम को डाटा का संचार एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में करने के लिए बनाया गया था। इस इंटरनेट प्रोटोकॉल को सर्वप्रथम 1970 में बनाया गया था। इस प्रोटोकॉल के कारण ही हम इंटरनेट में किसी भी वेबसाइट, ब्लॉग, सर्वर के address पर पहुंच पाते है।
IPv4 transmission control protocol और internet protocol के स्टैक के नेटवर्क लेयर पर काम करता है। इस प्रोटोकॉल का मुख्य उद्देश्य sender host के द्वारा भेजे गए IP packets को destination host तक पहुंचाना है। इस प्रोटोकॉल के मदद से sender और receiver के एड्रेस को पहचानता है।
इंटरनेट में मौजूद सभी नेटवर्क और वेब सर्वर के एड्रेस की सही पहचान करने के लिए इस इंटरनेट प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया जाता हैं। नेटवर्क के एड्रेस को पहचानने के बाद इस प्रोटोकॉल के जरिए एक नेटवर्क दूसरे नेटवर्क से सूचनाओं का आदान प्रदान करता हैं। अगर इंटरनेट IPv4 प्रोटोकॉल का उपयोग नहीं करता हैं तो फिर इंटरनेट में मौजूद नेटवर्क और सर्वर के एड्रेस को पहचान पाना मुश्किल हो जायेगा। जिसके कारण sender कंप्यूटर, receiver कंप्यूटर को डाटा ट्रांसफर करने में फेल हो जाता हैं।
उम्मीद है यह जानकारी आपको पसंद आई होगी और अब आप जान गये होगे की प्रोटोकॉल क्या है? (What Is Protocol In Hindi) कैसे काम करता है? इसके फ़ायदे? कितने प्रकार का होता है? all about protocol in hindi?
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