हम सलीके से तैयार होने के लिए कपड़ों का उपयोग करते है और उन कपड़ों को सिलने के लिए सिलाई मशीन का प्रयोग किया जाता है। एक समय ऐसा था जब सिलाई मशीन अस्तित्व में नहीं थी तो सोचिए आखिर किस प्रकार कपड़ों की सिलाई की जाती होगी। कई बार सिलाई मशीन को देखकर आपके मन में भी ख्याल आता होगा की सिलाई मशीन का आविष्कार किसने किया?
जिस समय सिलाई मशीन का अस्तित्व नहीं था उस समय हाथ से कपड़ों को सिला जाता था और उसके लिए जानवरों की हड्डियों या सींगो से बनी हुई सुई का प्रयोग किया जाता था। इसके बाद धीरे-धीरे लकड़ी की सुई बनी और फिर कुछ समय बाद सिलाई मशीन का निर्माण हुआ।
वर्तमान में आपने अनेक तरह की सिलाई मशीन देखी होंगी। समय के साथ-साथ सिलाई मशीनों में भी बदलाव आता गया है। आज इस लेख के जरिए आपको सिलाई मशीन का आविष्कार किसने किया? सिलाई मशीन का इतिहास व अन्य सभी जानकारियां भी प्रदान की जाएँगी।
अनुक्रम
सिलाई मशीन क्या है?
सिलाई मशीन एक यांत्रिक उपकरण ही है जिसका प्रयोग किसी कपड़े या किसी अन्य वस्त्र को धागे की मदद से सिलने के लिए किया जाता है। सिलाई मशीन के कारण ही आप वर्तमान समय में अलग-अलग प्रकार के सुंदर-सुंदर कपड़े पहन पाते हैं। इसके साथ ही मशीन के द्वारा कपड़ों पर सुंदर कढ़ाई करके उन्हें आकर्षक बनाया जाता है।
अब कपडे के साथ चमड़े को सिलने, बटन टांकने, काज बनाने, पतली या मोटी रजाई सिलने आदि के लिए सिलाई मशीन उपलब्ध है, जोकि बिजली की सहायता से बहुत तेज़ी के साथ कार्य करती है।
सिलाई मशीन का आविष्कार किसने किया?
सिलाई मशीन का आविष्कार करने का पूरा श्रेय किसी एक वैज्ञानिक को नहीं लिया जा सकता है। इसके लिए पांच व्यक्तियों वाल्टर हंट, एलियास होवे, जोसेफ मेडास्पगार, बर्थलेमी थिमोनियर व एलन बी विल्सन के द्वारा किया गया।
जोसेफ मेडास्पगार:- वर्ष 1814 मे जोसेफ के द्वारा सिलाई मशीन का आविष्कार किया गया था। इन्होने बुनाई मशीन को बनाया था जिससे प्रथम बार मशीन से बुनाई संभव हो पाई। इस अद्भुत आविष्कार के लिए इन्हें सम्मानित भी किया गया
बार्थलेमी थिमोनियर:- वर्ष 1829 मे बार्थलेमी ने सिलाई मशीन का आविष्कार किया था और इसके अगले साल 1830 मे अपने नाम पेटेंट जारी करवाने के लिए फ़्रांस सरकार को प्रस्ताव पेश किया। सिलाई मशीन का निर्माण करने के बाद इन्होने कपडे बनाने की कंपनी खोली और कई मजदूरों को रोजगार दिया।
वाल्टर हंट:- मैकेनिकलवाल्टर हंट ने सिलाई मशीन के निर्माण के अलावा कई छोटे व बड़े उपकरणों का निर्माण भी किया था जिनसे हमारी रोज की दिनचर्या आसान बनती है जैसे चाकू, शार्पनर, स्वीपिंग मशीन आदि। इन्होने फोल्कस्टिच सिलाई मशीन को बनाया था।
एलियास होवे:- एलियास होवे का जन्म मेसाचुसेट्स शहर मे 9 जुलाई 1819 को हुआ। इन्हें बचपन से ही मशीन रिपेयर करने और नए आविष्कार करने का शौक था। इसी शौक के चलते इन्होने मशीन पर रिसर्च शुरू की और साल 1845 मे अपनी पहली आविष्कार मशीन का पेटेंट अपने नाम करवाने का प्रस्ताव सरकार को दिया। इन मशीन के निर्माण कार्य मे बहुत से वैज्ञानिक लगे हुए थे लेकिन सफलता केवल एलियास को मिली।
इनके जरिये बनाई गयी मशीन की विशेषता थी कि इसमे सुई मे छेद, लॉक चैन स्टिचिंग के लिए कपडे के नीचे शटल बनाये गए थे और इस मशीन को सबसे पहले ब्रिटेन के रहने वाले एलायज के भाई ने करीब 250 पाउंड मे बेचा।इन्हें यूनाइटेड स्टेट्स पेटेंट से वर्ष 1846 मे सम्मानित किया गया।
एलन बी विल्सन:- एलन बी विल्सन ने साल 1851 मे रोटरी सिलाई मशीन को तैयार किया था।
सिलाई मशीन का इतिहास
प्राचीन समय मे सिलाई हाथ से ही की जाती थी जिसके लिए जानवरों की हड्डियों या सींगो से सुई बनती थी लेकिन धीरे-धीरे हम आधुनिकता की ओर बढ़ते चले गए और सिलाई की तकनीको मे सुधार होने लगा। 18 वी शताब्दी मे हाथ से सिलाई को कम करने की कवायद शुरू हुई
उस समय Charles Weisenthal ने वर्ष 1755 में सबसे पहले सिलाई मशीन का आविष्कार किया था। इन्होंने जिस सिलाई मशीन का निर्माण किया था उसमें दो नुकीली सुई का प्रयोग किया गया था जिसका उद्देश्य कढ़ाई के काम को पूरा करना था।इन्होने इस मशीन के लिए ब्रिटिश पेटेंट भी जरी किया लेकिन उसका प्रयोग नहीं किया गया। इसी समय से सिलाई मशीन अस्तित्व मे आई
इनके बाद साल 1790 मे अंग्रेज थामस ने दूसरी सिलाई मशीन बनाई जो हैंड क्रैक सिस्टम पर आधारित थी।इस मशीन से जब कपडे पर सिलाई की जाती थी तो नीचे के हुक से धाग ऊपर की ओर आता था।थामस के द्वारा बनाई गयी मशीन का प्रोटोटाइप बना था या नहीं इस बात को कोई नहीं जानता है परन्तु साल 1874 मे विल्लियम न्यूटन ने थामस की मशीन को समझा और उसका पेटेंट चित्र बनाया।
सिलाई मशीन के कितने प्रकार है?
प्राचीन काल से वर्तमान समय तक अनेक तरह की सिलाई मशीनों का आविष्कार हुआ है जिनमे से सबको अलग-अलग केटेगरी मे बांटा गया है। सिलाई मशीन के मुख्य तीन प्रकार है जिनके बारे मे हम आपको यहाँ जानकारी प्रदान करेंगे
यांत्रिक सिलाई मशीन
आपने अक्सर अपने घरो मे हाथ से चलने वाली सिलाई मशीन या पेडल से चलने वाली सिलाई मशीन को देखा होगा, यही दोनों प्रकार यांत्रिक सिलाई मशीन के है। यह घरो मे उपयोग करने के लिए काफी उचित रहती है। इसमे मशीन के हैंडल को एक पहिये से जोड़ दिया जाता है और जब आप अपने हाथो से मशीन को घुमाते है तो यह सिलाई का कार्य करती है।
वही जब भी आप दर्जी के पास कपडे सिलवाने जाते है तो अपने देखा होगा कि वह पेडल वाली सिलाई मशीन से सिलाई का काम करता है।इसमे मशीन का हैंडल छर्रो की बेल्ट से जुडा होता है और हाथो का प्रयोग करने की जरूरत नहीं होती। बस नीचे लगे पेडल को अपने पैरो से हिलाना होता है जिसके बाद मशीन चलने लगती है।
इलेक्ट्रॉनिक सिलाई मशीन
इलेक्ट्रॉनिक मशीन साल 1970 मे लोकप्रिय हुई थी क्योकि यह मशीन मोटर के जरिये नियंत्रित की जाती थी।इसमे आपको पैरो का इस्तेमाल भी नहीं करना होता था और यह बिजली के प्रयोग से चलती थी। इस मशीन की खासियत यह थी कि यह आधुनिक सुविधाओ से पूर्ण थी जिससे सिलाई करना और आसान हो गया। इस मशीन के प्रयोग के कारण कई तरह के कपडे सिले जाने लगे।
कंप्यूटराइज्ड सिलाई मशीन
इस मशीन के नाम से ही ज्ञात होता ही कि यह कंप्यूटर सॉफ्टवेर के आधार पर कार्य करती होगी।कंप्यूटराइज्ड मशीन मे कई तरह के डिजाईन सॉफ्टवेर के द्वारा स्टोर किये जाते है और बाद मे इस मशीन की मदद से किसी भी प्रकार की एम्ब्रॉयडरी फैब्रिक, जेक्कवार्ड फैब्रिक बनाये जाते है।
सिलाई मशीन के कितने पार्ट होते है?
हमने आपको ऊपर सभी प्रकार की सिलाई मशीन के बारे मे जानकारी प्रदान की है। अब हम आपको सिलाई मशीन के कितने पार्ट है इसके विषय मे जानकारी देंगे:-
- हाथ का पहिया:- हाथ की सिलाई मशीन मे हाथ का पहिया होता है जो मशीन की गति ज्यादा और कम करने का काम करता है।
- उल्टा लीवर:– यह सिलाई मशीन के सामने की तरफ होता है
- स्पूल पिन व होल्डर:– सिलाई करने के लिए प्रयोग किये जाने वाले धागे को नियंत्रित करने के लिए स्पूल पिन व होल्डर का प्रयोग किया जाता है
- पैर रखने वाला पेडल:-जो मशीन पैरो के प्रयोग से चलाई जाती है उसमे पेडल लगा होता है जो मशीन को सिलाई करने के लिए गति प्रदान करता है
- पैटर्न चयनकर्ता:-इलेक्ट्रॉनिक मशीन मे पैटर्न को चुनने का ऑप्शन दिया जाता है जिसके प्रयोग से आप किसी भी प्रकार के डिजाईन की सिलाई कर सकते हो
- टेक-अप लीवर:- आधुनिक मशीन मे अतिरिक्त धाग प्रयोग करने के लिएटेक-अप लीवर की सुविधा दी गयी है
भारत मे सिलाई मशीन कब आई?
19 वी सदी के अंत तक भारत मे सिलाई मशीन आ गयी और साल 1935 मे भारत मे सिलाई मशीन का चलन प्रारंभ हुआ और कोलकाता मे उषा नाम की पहली सिलाई मशीन कंपनी स्थापित की गयी। इस मशीन के सभी पुर्जे भारत मे ही बनाये गए।
आप मे से बहुत से लोगो ने उषा सिलाई मशीन का नाम तो सुना ही होगा। उस समय से लेकर आज तक उषा ब्रांड सिलाई मशीन के निर्माण मे पहले नंबर पर बना हुआ है, लेकिन इसके साथ ही अब कई सिलाई मशीन की कंपनी बाज़ार मे आ गयी है। भारत से अब विदेशो मे भी सिलाई मशीन की सप्लाई की जाती है।
सिलाई मशीन एक बहुत ही उपयोगी वस्तु है क्योकि हमे कभी न कभी इसकी आवश्यकता पड़ती ही है। यदि कभी आपको हाथ से सिलाई करनी पड़ती है तो उसमे बहुत समय लगता है और उसी काम को सिलाई मशीन के माध्यम से कुछ ही मिनटों मे कर दिया जाता है। उम्मीद है की अब आपको सिलाई मशीन का आविष्कार किसने किया और कब किया? से जुड़ी पूरी जानकारी मिल चुकी होगी।
FAQ
बार्थलेमी थिमोनियर, साल 1830
साल 1935
सिलाई मशीन को अंग्रेजी मे Sewing Machine के नाम से जानते है।
आज के इस लेख के जरिए हमने आपको बताया कि सिलाई मशीन का आविष्कार किसने किया और कब किया? और इससे जुड़ी अन्य जानकारियां भी आपके साथ सांझा की। हम आशा करते है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। इसे अपने दोस्तों व सोशल मीडिया पर भी जरुर शेयर करे तथा इससे जुड़े प्रश्न आप हमसे कमेंट बॉक्स में पूछे।
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Hope की आपको सिलाई मशीन का आविष्कार किसने किया और कब किया? का यह पोस्ट पसंद आया होगा, और हेल्पफ़ुल लगा होगा।
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