आज कंप्यूटर से जुड़े अलग अलग कोर्स में टोपोलोजी और इसके अलग-अलग प्रकारों के बारे में जानकारी दी जाती है, स्टार टोपोलॉजी भी टोपोलोजी के अलग-अलग प्रकारों में से एक है। अगर आपके पास स्टार टोपोलॉजी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो यह लेख आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, इस लेख के माध्यम से हम स्टार टोपोलॉजी क्या है? आसान शब्दों में समझेंगे।
अगर आप एक स्टूडेंट है या नौकरी के इंटरव्यू की तैयारी कर रहे है तो आपके लिए टोपोलोजी का विषय एक जरूरी विषय होगा। वैसे तो टोपोलोजी का विषय बहुत पुराना है हालाकि पुराना होने के बावजूद भी यह एक जरूरी विषय है।
आज भारत कंप्यूटर और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के छेत्र में तेजी से उभर कर सामने आने वाले देशों में से एक है। आज भारत में कई बड़ी टेक कंपनिया मौजूद है। भारत में जगह जगह पर आईटी हब मौजूद है इसी के चलते आज टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर साइंस से जुड़े छेत्र में बहुत सी नौकरियां देखने को मिल रही हैं। वैसे तो कंप्यूटर का विषय बहुत बड़ा है हालाकि अगर आप कंप्यूटर साइंस में रुचि रखते है तो आपको कंप्यूटर से जुड़े सभी जरूरी जानकारी होनी चाहिए।
टोपोलॉजी क्या है?
जब भी स्टार टोपोलॉजी या किसी अन्य टोपोलॉजी की बात की जाती है तो आपको इसे अच्छी तरह से समझने के लिए सबसे पहले टोपोलॉजी को समझना होगा, टोपोलॉजी एक तरह की तकनीक होती है, जिसके इस्तेमाल से एक नेटवर्क में अलग-अलग कंप्यूटरों को जोड़ा जाता है।
अलग-अलग प्रकार से कंप्यूटरों को एक नेटवर्क से जोड़ने पर अलग-अलग प्रकार की टोपोलॉजी बनती है। टोपोलॉजी के कुछ मुख्य प्रकार है बस टोपोलॉजी, स्टार टोपोलोजी, ट्री टोपोलॉजी, आदि।
टोपोलॉजी क्या है? उसकी पूरी जानकारी यहाँ है।
स्टार टोपोलॉजी क्या है?
स्टार टोपोलॉजी को आसान शब्दों में समझा जाए तो यह एक ऐसी टोपोलॉजी है जिसमें अलग-अलग कंप्यूटर एक सेंट्रल हब से जुड़े हुए होते हैं, सभी कंप्यूटर एक ही सेंट्रल हब से जुड़े हुए होने के कारण यह एक स्टार की तरह का शेप देते है।
इसी के कारण इसे स्टार टोपोलॉजी कहा जाता है। स्टार टोपोलोजी में कंप्यूटर या नोड्स सीधे सेंट्रल हब से जुड़े हुए होते है और इस टोपोलोजी में एक कंप्यूटर का दूसरे कंप्यूटर से कोई डायरेक्ट कनेक्शन नहीं होता है।
स्टार टोपोलॉजी में डेटा फ्लो कैसे होता है?
टोपोलॉजी का इस्तेमाल एक नेटवर्क में डाटा या जानकारी भेजने के लिए किया जाता है, अलग-अलग प्रकार की टोपोलॉजी में अलग-अलग तरीके से डेटा फ्लो होता है जिसके कारण कंप्यूटर एक दूसरे से कम्युनिकेट कर पाते हैं।
स्टार टोपोलॉजी में डेटा फ्लो को समझने के लिए आपको यह पता होना चाहिए कि स्टार टोपोलॉजी में एक सर्वर या सेंट्रल हब मौजूद होता है।
इस टोपोलॉजी में अगर एक कंप्यूटर को दूसरे कंप्यूटर डिवाइस तक कोई डाटा भेजना होता है तो सबसे पहले यह डाटा कंप्यूटर के जरिए सेंट्रल हब तक भेजा जाएगा, इसके बाद अब के जरिए यह डाटा क्लाइंट कंप्यूटर या डिवाइस के एड्रेस पर भेजा जाएगा।
स्टार टोपोलोजी के फायदे:
टोपोलॉजी के अलग-अलग प्रकार हैं, इन सभी अलग-अलग प्रकारों के कुछ ना कुछ फायदे और नुकसान के साथ-साथ अलग-अलग इस्तेमाल भी हैं। स्टार टोपोलोजी के कुछ फायदे निम्नलिखित है।
नेटवर्क को मैनेज करना आसान
स्टार टोपोलॉजी एक ऐसी टोपोलॉजी है जिसमें एक सेंट्रल हो गया सरवर का इस्तेमाल किया जाता है जो कि सभी कंप्यूटरों से जुड़ा हुआ होता है, ऐसा होने के कारण सेंट्रल हब के जरिए नेटवर्क को मैनेज करना आसान हो जाता है।
डिवाइस को जोड़ना हटाना आसान
स्टार टोपोलॉजी एक ऐसी टोपोलॉजी है जिसमें आप आसानी से डिवाइस को जोड़ या हटा सकते हैं। इस टोपोलोजी में सेंट्रल हब में आप केबल का इस्तेमाल कर नए डिवाइस को जोड़ सकते है हालाकि डिवाइस हटाने के लिए आपको हब से केबल का कनेक्शन हटाना होगा। इन्ही के कारण स्टार टोपोलोजी में नेटवर्क फैलाना अभी आसन होता है।
ट्रबल शूट करना आसान
सेंट्रल हब का इस्तेमाल कर किसी भी डिवाइस में होने वाली परेशानी को आसानी से पकड़ा जा सकता है साथ ही में सेंट्रल हब का इस्तेमाल कर आसानी से परेशानी को ट्रबल सूट भी किया जा सकता है।
डिवाइस में खराबी होने पर भी नेटवर्क में परेशानी न होना
स्टार टोपोलोजी में अगर एक नेटवर्क में कोई भी डिवाइस खराब हो जाता है तो इसके बावजूद भी नेटवर्क काम करता है हालाकि जिस डिवाइस में खराबी है केवल वही काम करना बंद करता है।
अच्छी परफॉर्मेंस और स्पीड
स्टार टोपोलोजी में कनेक्शन की स्पीड और परफॉर्मेंस तेज होती है, ऐसा इसलिए होता है क्युकी हर एक कंप्यूटर या डिवाइस सीधे सर्वर से जुड़ा हुआ होता है, इसके कारण नेटवर्क में ट्रैफिक कम होता है और डाटा तेजी से एक जगह से दूसरी जगह जा पता है।
स्टार टोपोलोजी सुरक्षित होती है
स्टार टोपोलोजी में किसी भी डिवाइस को जोड़ने या हटाने के लिए सेंट्रल हब तक पहुंच होना जरूरी होता हैं, इसी कारण से स्टार टोपोलोजी को सुरक्षित माना जाता है। साथ ही में पूरे नेटवर्क को सेंट्रल हब के जरिए ही कंट्रोल किया जा सकता है।
स्टार टोपोलॉजी के नुकसान
स्टार टोपोलॉजी वैसे तो एक फायदेमंद टोपोलॉजी है हालांकि ढेरों फायदों के साथ-साथ इस टोपोलॉजी के कुछ नुकसान भी हैं। स्टार टोपोलॉजी के नुकसानों में से कुछ निम्नलिखित हैं:
महंगा होना
स्टार टोपोलॉजी का ज्यादा खर्चीला होना भी इसके कुछ नुकसान में से एक है, स्टार टोपोलॉजी में अच्छी क्वालिटी की केबल का इस्तेमाल होने के साथ-साथ एक अच्छे हब इस्तेमाल होना भी जरूरी है, यह दोनों ही चीज है आमतौर पर महंगी होती है।
छोटा नेटवर्क होना
स्टार टोपोलॉजी में हब और डिवाइस के बीच केबल के जरिए ही कनेक्शन किया जा सकता है जिसके कारण अगर आप नेटवर्क को बहुत ज्यादा बड़ा करना चाहते हैं तो आपको बहुत लंबी केबल का इस्तेमाल करना होगा जोकि आमतौर पर नहीं किया जा सकता है।
अगर आप नेटवर्क बढ़ा भी करना चाहे तो इसके लिए आपको तरह-तरह के इक्विपमेंट की आवश्यकता होगी। इसी के कारण स्टार टोपोलॉजी में नेटवर्क छोटा होता है।
परफॉर्मेंस की परेशानी
वैसे तो स्टार टोपोलॉजी में अच्छी परफॉर्मेंस देखने को मिलती है जिसके कारण डाटा ट्रांसफर आसानी से हो जाता है हालांकि एक ही सेंट्रल है आपसे बहुत ज्यादा देवाय जोड़ने पर नेटवर्क का ट्रैफिक बढ़ जाता है साथ ही में हब मैं ज्यादा जोर पड़ने के कारण परफॉर्मेंस में कमी देखने को मिल सकती है।
सर्वर या सेंट्रल हब का जरूरी होना
स्टार टोपोलॉजी में सेंट्रल हब का होना एक जरूरी हो जाता है, सेंट्रल हब ना होने पर या सेंट्रल है पर किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित हो जाता है।
स्टार टोपोलॉजी का इस्तेमाल
स्टार टोपोलॉजी एक बेहद जरूरी टोपोलॉजी है जिसका इस्तेमाल अलग-अलग जगहों पर किया जा सकता है, स्टार टोपोलॉजी का इस्तेमाल निम्नलिखित जगहों पर किया जाता है।
लोकल एरिया नेटवर्क
लोकल एरिया नेटवर्क में भी स्टार टोपोलॉजी इस्तेमाल में ली जा सकती है, स्टार टोपोलॉजी केबल के जरिए अलग-अलग डिवाइस कनेक्ट किए जाते हैं जिसके कारण एक लोकल एरिया नेटवर्क में इंटरनेट या डाटा ट्रांसफर के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऑफिसों में स्टार टोपोलॉजी का इस्तेमाल
स्टार टोपोलॉजी ऑफिस में भी इस्तेमाल में ली जा सकती है, डाटा ट्रांसफर या इंटरनेट को तेजी से इस्तेमाल करने के लिए ऑफिस में रखते हुए एक सेंट्रल हब से कनेक्ट किए जाते हैं जिसके कारण काम आसानी से हो जाता है।
स्कूल में स्टार टोपोलोजी का इस्तेमाल
विद्यालयों में भी स्टार टोपोलॉजी इस्तेमाल में ली जा सकती है, स्टार टोपोलॉजी के जरिए स्कूल मे कंप्यूटर लैब में अलग-अलग कंप्यूटर एक सेंट्रल हाथ से जोड़े जाते हैं जिसके कारण सभी कंप्यूटर में इंटरनेट और डाटा ट्रांसफर की सुविधा मिल पाती है।
घरों में स्टार टोपोलॉजी का इस्तेमाल करना
स्टार टोपोलॉजी का इस्तेमाल आमतौर पर घरों में भी देखने को मिलता है, इस टोपोलॉजी के जरिए आप एक सेंट्रल हब या घर में मौजूद राउटर के जरिए सभी डिवाइस को कनेक्ट कर सकते हैं जिसके कारण आप तरह-तरह के डिवाइस जैसे कंप्यूटर, प्रिंटर आदि को आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।
डाटा सेंटरों में स्टार टोपोलॉजी का इस्तेमाल
स्टार टोपोलॉजी का इस्तेमाल डाटा सेंटरों में भी देखने को मिलता है, इस टोपोलॉजी का इस्तेमाल करें डाटा सेंटरों में अलग-अलग डाटा स्टोर करने वाले डिवाइसों को एक सर्वर से जोड़ा जा सकता है जिसके बाद आसानी से डाटा को सेव किया जा सकता है।
स्टार टोपोलॉजी के प्रकार (Types of Star Topology in Hindi)
वैसे तो स्टार टोपोलॉजी खुद ही टोपोलॉजी के प्रकारों में से एक है हालांकि स्टार टोपोलॉजी के भी कुछ प्रकार हैं, स्टार टोपोलॉजी में अलग अलग तरीकों का इस्तेमाल कर डिवाइस को हब से जोड़े जाने पर इसके अलग अलग प्रकार बनते है, स्टार टोपोलॉजी के प्रकार निम्नलिखित हैं
फिजिकल स्टार टोपोलॉजी
फिजिकल स्टार टोपोलॉजी में एक सेंट्रल हब क्या सरवर से अलग-अलग डिवाइस एक केबल के जरिए जुड़े हुए होते हैं। स्टार टोपोलॉजी का यह प्रकार आमतौर पर छोटे ऑफिस, स्कूल और कॉलेजों और घरों में देखने को मिलता है।
एक्सटेंडेड स्टार टोपोलॉजी
एक्सटेंडेड स्टार टोपोलॉजी स्टार टोपोलॉजी का एक ऐसा प्रकार है जिसमें बहुत सारे सेंट्रल है और स्विच का इस्तेमाल कर नेटवर्क को बढ़ाया जाता हैं। इस प्रकार की स्टार टोपोलॉजी का इस्तेमाल नेटवर्क को पहुंच को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
हाइब्रिड स्टार टोपोलॉजी
वैसे तो स्टार टोपोलॉजी खुद ही एक बेहतरीन टोपोलॉजी है हालांकि अगर आप स्टार्ट करो जी को कुछ अन्य नेटवर्क टोपोलॉजी के साथ जोड़कर इस्तेमाल करते हैं तो यह एक हाइब्रिड स्टार टोपोलॉजी कहलाता हैं। हाइब्रिड स्टार टोपोलॉजी बाकी की स्टार टोपोलॉजी के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है।
वायरलेस स्टार टोपोलॉजी
वायरलेस स्टार टोपोलॉजी, बाकी की सभी स्टार टोपोलॉजी के प्रकारों से काफी अलग होता है, जैसा कि आप इस टोपोलॉजी के नाम से ही जान चुके होंगे कि इसमें किसी भी प्रकार के वायर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। वायरलेस स्टार टोपोलॉजी में अलग-अलग डिवाइस को बिना केबल के ही सेंट्रल हब से जोड़ा जाता है।
इस टोपोलोजी का फायदा यह है कि इसमें किसी भी तरह के फिजिकल कनेक्शन की आवश्यकता नहीं होती है हालाकि वायरलेस कनेक्शन होने के कारण इस टोपोलॉजी में परफॉर्मेंस में कमी देखने को मिल सकती है।
FAQ
स्टार टोपोलोजी आजकल अलग अलग जगहों पर इस्तेमाल में ली जा रही है। एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में बड़े स्तर पर स्टार टोपोलोजी का इस्तेमाल किया जाता है। हॉस्पिटल में भी स्टार टोपोलोजी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण तरह तरह के स्फ्टवेयर आसानी से काम कर पाते है। इन सभी जगहों के साथ-साथ बैंकों, ऑफिसों और एयरपोर्ट जैसी जगहों पर भी स्टार टोपोलोजी इस्तेमाल में ली जाती है।
स्टार टोपोलॉजी एक प्रकार की स्टार टोपोलॉजी का फायदा यह है कि इस टोपोलॉजी में आप आसानी से डिवाइस को जोड़ या हटा सकते हैं इसके अलावा इस टोपोलॉजी के अन्य फायदे भी हैं जैसे ट्रबलीशूट करना आसान, अच्छी स्पीड होना, आदि। वहीं दूसरी तरफ ज्यादा खर्चीला होना, सरवर की आवश्यकता होना, ज्यादा डिवाइस होने पर अच्छी परफॉर्मेंस ना होना इस टोपोलॉजी के नुकसानो में से एक है।
स्टार टोपोलोजी का इस्तेमाल ऑफिस, छोटे मोटे ऑर्गेनाइजेशन, कैंपस, एयरपोर्ट, के साथ साथ घरों में भी होता है। स्टार टोपोलोजी में डिवाइस को मैनेज करना आसान होता है इसी के साथ साथ कई और कारणों की वजह से स्टार टोपोलोजी बहुत उपयोगी है।
एक नेटवर्क में अलग अलग कंप्यूटर किस प्रकार से जुड़े हुए है, यह टोपोलोजी कहता है। टोपोलॉजी कई प्रकार की होती है जैसे बस टोपोलोजी, रिंग टोपोलोजी, ट्री टोपोलोजी, मेंश टोपोलोजी आदि।
आज के हमारे इस आर्टिकल में हमने आपको स्टार टोपोलॉजी क्या है? के बारे में बताया है। हमने आपको स्टार टोपोलॉजी क्या है? के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान की है।
- नेटवर्क टोपोलॉजी क्या है एवं इसके प्रकार
- रिपीटर क्या है? और कैसे काम करता है?
- ब्रूट फोर्स अटैक क्या है? कैसे होता है और कैसे बचे?
हम आशा करते है की आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी और आपने कुछ महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की होगी।
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