टचस्क्रीन का इस्तेमाल हमारे द्वारा दैनिक तौर पर किया ही जाता है। अधिकतर लोगों के पास स्मार्टफोन मौजूद है तो वह स्मार्ट फोन में इनबिल्ट टच स्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं और जिन लोगों के पास कंप्यूटर है वह कंप्यूटर में लगे हुए टचस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं। आजके इस पोस्ट में हम टच स्क्रीन से जुड़ी पूरी जानकारी देखेंगे और जनिंगे की टच स्क्रीन क्या है? कैसे काम करता है? प्रकार एवं फायदे? क्या हैं?
टच स्क्रीन क्या है? के बारे में लोगों को मालूम नहीं रहता है। अधिकतर लोगों को यही पता है कि टचस्क्रीन को हम सिर्फ टच कर सकते हैं और अपना काम कर सकते हैं परंतु क्या आप जानते हैं कि टच स्क्रीन के विभिन्न प्रकार हैं।
अगर नहीं तो आपको अवश्य ही टच स्क्रीन का पूरा इतिहास जानना चाहिए। इस आर्टिकल में हम आपको टच स्क्रीन क्या है? कैसे काम करता है? प्रकार एवं फायदे? से जुड़ी पूरी जानकारी देने वाले हैं।
टच स्क्रीन क्या है? (What is Touch Screen in Hindi)
टच स्क्रीन की गिनती इनपुट डिवाइस में होती है। इसे टच डिस्प्ले भी कहा जाता है।इसे हम अपने हाथों की उंगलियों के द्वारा ऑपरेट कर सकते हैं या फिर किसी दूसरे डिवाइस के द्वारा टच करके कंट्रोल कर सकते हैं।
यह किसी डिवाइस में फिट होती है। टच स्क्रीन पर हमें विभिन्न प्रकार के आइकन दिखाई देते हैं जिसे हम अपने उंगलियों के द्वारा टच करते हैं तो वह ओपन होता है अथवा यूज किया जा सकता है।
कीपैड, कीबोर्ड, माउस के द्वारा हम जैसे कंप्यूटर को इंस्ट्रक्शन देते हैं उसी प्रकार से हम टच स्क्रीन के साथ भी करते हैं। बड़े पैमाने पर वर्तमान समय में टच स्क्रीन का इस्तेमाल स्मार्टफोन, लैपटॉप, कंप्यूटर में हो रहा है। इसके साथ ही एटीएम, मॉल में भी टच स्क्रीन का यूज़ हो रहा है।
टच स्क्रीन के आविष्कारक
साल 1975 में अमेरिकी रिसर्चर Doctor Gorge Samual Hurst के द्वारा पहला प्रतिरोधी टच स्क्रीन की खोज की गई थी।
टच स्क्रीन के प्रकार (Types of Touch Screen in Hindi)
टच स्क्रीन के टाइप टोटल 4 है। नीचे उन चारों प्रकारों की इंफॉर्मेशन दी गई है।
1: प्रतिरोधी टच स्क्रीन
प्रतिरोधी टचस्क्रीन को अंग्रेजी भाषा में रेसिटेटिव टचस्क्रीन कहा जाता है और यह एक ट्रांस्प्रेंट कीबोर्ड की तरह होता है। जिसमें कंडक्टिंग पॉलिस्टर प्लास्टिक के द्वारा बना हुआ एक फ्लैक्सिबल अपर लेयर मौजूद होता है और एक कंडक्टिंग ग्लास से बना हुआ रीगिड ग्लोबल लेयर होता है और इन दोनों के बीच में थोड़ा सा स्पेस होता है।
जब हम इस स्क्रीन को दबाते हैं तो इसके द्वारा वोल्टेज का आदान होता है और जहां पर हम टच करते हैं उस जगह पर जाकर के प्रोसेसिंग का काम करता है।
दूसरे टच स्क्रीन की कीमत से इसकी बात करें तो यह थोड़े से सस्ते होते हैं और इस टच स्क्रीन की स्पष्टता तकरीबन 75 परसेंट होती है और ना तो यह टचस्क्रीन पानी से खराब होते हैं ना ही धूल से खराब होते हैं।
2: संधारित्र टच स्क्रीन
इसे कैपिटेटिव टचस्क्रीन कहा जाता है और जब हम अपनी उंगलियों से इसे टच करते हैं तो यह इनपुट लेता है क्योंकि यह टचस्क्रीन इंसानी बॉडी की इलेक्ट्रिसिटी को अनुभव कर सकता है।
यह टचस्क्रीन बाहर से ग्लास और अंदर की साइड से कंडक्टिव मैटल से तैयार की हुई होती हैं और हमारी बॉडी में जो इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होता है उसी इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होने की वजह से जब हम अंगुली से इस टचस्क्रीन को छूते हैं तो यह काम करना प्रारंभ करता है।
अगर हम हाथ में दस्ताना पहन कर इसे चलाने का प्रयास करेंगे तो यह काम नहीं करेगा क्योंकि टच स्क्रीन और हमारी बॉडी के इलेक्ट्रिसिटी के बीच दस्ताना अवरोधक का काम करेगा।
3: अवरक्त टच स्क्रीन
अवरक्त टचस्क्रीन को अंग्रेजी भाषा में इंफ्रारेड टचस्क्रीन कहते हैं। इसमें एलईडी के ग्रीड पैटर्न और लाइट डिटेकटर फोटो सेल का यूज़ होता है। इसमें जो एलईडी होती है उसमें से इंफ्रारेड लाइट बाहर निकलती है और यह स्क्रीन के सामने से होकर के गुजरती है।
इसमें Beam के रास्ते में तब अवरोध पैदा होता है जब हम टचस्क्रीन को छूते हैं क्योंकि इसमें एक माइक्रोचिप फिट होती है। जिसका मुख्य कार्य जहां पर Beam में रुकावट आ रही है वहां पर भी इनकी संख्या को कैलकुलेट करना होता है और कंट्रोलर को उसे प्रोसेस करने के लिए इंस्ट्रक्शन सेंड करें।
4: सतह लहर टच स्क्रीन
इसे सरफेस वेब टचस्क्रीन कहते हैं और इसमें टच स्क्रीन के ऊपर की साइड से अल्ट्रासोनिक वेव को पास किया जाता है और जब टचस्क्रीन को छूते हैं तो स्क्रीन के किसी भी एक छोटी सी जगह पर वेब में कुछ बदलाव होते हैं।
और इसी बदलाव की वजह से टच किए गए लोकेशन का पता अल्ट्रासोनिक वेव लगाता है और वह प्रोसेसिंग के लिए इंस्ट्रक्शन कंट्रोलर को सेंड कर देता है।
टच स्क्रीन कैसे काम करता है?
इलेक्ट्रिसिटी कंडक्टिव लेयर नाम की चीज टच स्क्रीन के नीचे फिट होती है और फिर हम जब डिस्प्ले को टच करते हैं तो बिजली के प्रभाव में बदलाव आता है।
और इसी की वजह से यह पता चल जाता है कि टच स्क्रीन पर किस जगह पर टच किया गया है। टच स्क्रीन के काम करने के पीछे मुख्य तौर पर तीन चीजें जिम्मेदार होती है
- टच सेंसर
- नियंत्रक
- सॉफ्टवेयर ड्राइवर
1: टच सेंसर
जब टचस्क्रीन को छूते हैं तो बिजली में एक्टिविटी होना प्रारंभ हो जाती है। ऐसा सेंसर में इलेक्ट्रिसिटी प्रवाहित होने की वजह से होता है और इससे यह पता चलता है कि कौन सी लोकेशन पर टच स्क्रीन पर टच किया गया है।
2: कंट्रोलर
यह कंप्यूटर और टच सेंसर के बिल्कुल बीच में मौजूद होता है और इसका काम होता है सेंसर की जानकारी हासिल करना और उसे ट्रांसलेट करना ताकि कंप्यूटर को समझाया जा सके।
3: सॉफ्टवेयर ड्राइवर
कंप्यूटर और टच स्क्रीन के एक साथ वर्क करने के पीछे सॉफ्टवेयर ड्राइवर कारण भूत होता है। यह कंट्रोलर के द्वारा जो टच इवेंट की इंफॉर्मेशन होती है उसे ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ इंटरेक्ट करवाता है।
टच स्क्रीन का उपयोग?
टच स्क्रीन के उपयोग अथवा टच स्क्रीन का इस्तेमाल निम्नानुसार है।
- चाहे गैस स्टेशन में बिल भरना हो या फिर रेस्टोरेंट अथवा मॉल में आर्डर देना हो या फिर बिल भरने की सुविधा लेनी हो, इसके लिए टचस्क्रीन का ही इस्तेमाल किया जाता है।
- बड़े पैमाने पर ऑफिस के अंदर भी टच स्क्रीन का इस्तेमाल होता है।
- बड़े-बड़े सेमिनार का जब आयोजन होता है तो उसमें टचस्क्रीन लगाई जाती है ताकि चीजें बड़ी दिखाई दे सके और दूर तक दिखाई दे सके।
- पैसे निकालने के लिए एटीएम मशीन के अंदर भी टच स्क्रीन का ही इस्तेमाल होता है। वही किसी भी प्रकार के बिल की पेमेंट करनी है तो इसके लिए भी टच स्क्रीन का इस्तेमाल होता है।
टच स्क्रीन का इस्तेमाल कैसे करें?
हर टच स्क्रीन के फंक्शन अलग-अलग होते हैं। इसलिए नीचे हमने कुछ ऐसे फंक्शन के बारे में आपको बताया है जो सामान्य फंक्शन होते हैं।
1: Tap
टच स्क्रीन पर एक बार क्लिक करने के द्वारा आप किसी भी प्रकार की एप्लीकेशन को ओपन कर सकते हैं।
2: Swipe
टच स्क्रीन पर अगर आप स्क्रीन को ऊपर की तरफ स्वाइप करेंगे तो फोटो चेंज हो जाएगी।
3: Pinch
अपनी दो उंगलियों को आप टच स्क्रीन पर रखे और उसे pinch करेंगे तो टच स्क्रीन की कोई भी जगह जूम होगी या फिर जूम आउट हो जाएगी।
4: Double-tap
टच स्क्रीन पर डबल क्लिक करने से अलग-अलग प्रकार के फंक्शन ओपन हो सकते हैं। एग्जांपल के तौर पर अगर हम किसी फोटो पर डबल क्लिक करेंगे तो वह जूम हो जाएगी।
5: Touch and hold
अगर हम टच स्क्रीन को टच करके कुछ देर तक होल्ड करेंगे तो ऐसा करने पर हमें टेक्स्ट को कॉपी करने का ऑप्शन प्राप्त होता है या फिर लिंक को कॉपी करने का ऑप्शन प्राप्त होता है। इसके अलावा शेयर वाला ऑप्शन भी हमें प्राप्त होता है और कभी कबार अगर शब्द है तो वह हाईलाइट हो जाता है।
6: Drag
किसी आइटम या फिर ऑब्जेक्ट के ऊपर अगर हम क्लिक करते हैं और उसे होल्ड करते हैं तो हम उसे एक जगह से किसी दूसरी जगह पर ड्रैग करके ले जा सकते हैं। मतलब की अगर आपने टच स्क्रीन पर किसी चीज को ऊपर क्लिक किया और उसे ड्रैग के नीचे लाए तो वह आ जाएगा।
टच स्क्रीन के फायदे?
स्क्रीन के फायदे निम्नानुसार है।
- हमें किसी भी प्रकार के अन्य डिवाइस की आवश्यकता टच स्क्रीन को ऑपरेट करने के लिए नहीं होती है। इसके लिए हमें सिर्फ अपनी उंगलियों का ही इस्तेमाल करना होता है।
- टच स्क्रीन को साफ करना बहुत ही सरल है।
- इसमें कोई बटन नहीं होती है परंतु इसके बावजूद हम सरलता के साथ काम को अंजाम दे सकते हैं।
- हम अपने काम को बहुत ही एक्यूरेसी के साथ कर सकते हैं क्योंकि जो टच स्क्रीन वाले डिवाइस होते हैं उसमें स्क्रीन बड़ी होती है। इसलिए हमें सभी चीजें बिल्कुल साफ साफ दिखाई देती हैं।
- दूसरे डिवाइस की कंपैरिजन में टच स्क्रीन का इंटरफ़ेस बहुत ही बढ़िया होता है अर्थात यूजर फ्रेंडली होता है।
टच स्क्रीन का नुकसान?
स्क्रीन की हानि अथवा टच स्क्रीन के डिसएडवांटेज क्या है।
- टच स्क्रीन की जो बैटरी लाइफ होती है वह ज्यादा अधिक नहीं होती है।
- अगर तेज धूप है तो हम आसानी के साथ टच स्क्रीन का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं क्योंकि तेज धूप की वजह से टच स्क्रीन की चीजें हमें साफ साफ नहीं दिखाई देती है। इसके लिए हमें ब्राइटनेस बढ़ाने की आवश्यकता होती है।
- अगर थोड़ी भी ऊंचाई से टच स्क्रीन नीचे गिर जाता है तो उसके टूटने की संभावना काफी अधिक होती है।
- टच स्क्रीन को हाथों के द्वारा चलाया जाता है। इसलिए निश्चित समय के बाद उसमें कुछ ना कुछ खराबी आना प्रारंभ हो जाती है।
- टच स्क्रीन को खराब हो जाने के बाद रिपेयर करवाना टेड़ा काम होता है क्योंकि इसमें काफी छोटे-छोटे सर्किट लगे हुए होते हैं।
- टच स्क्रीन की कीमत सामान्य स्क्रीन की तुलना में थोड़ी सी अधिक होती है।
टच स्क्रीन का इतिहास?
ब्रिटेन में रोयाल रडार एस्टेब्लिशमेंट में काम करने वाले EA Jhonson के मन में सबसे पहली बार टच स्क्रीन का आईडिया पैदा हुआ था और इनके द्वारा ही वर्तमान समय में स्मार्टफोन में जो कैपिटेटिव टचस्क्रीन लग रही है उसके बारे में बताया गया था।
1970 के दशक में टच स्क्रीन की एक और डिजाइन प्रस्तुत हुई जिसे प्रतिरोध स्क्रीन कहा था। इसका निर्माण डॉक्टर सैमुअल के द्वारा परमाणु भौतिकी का अध्ययन करते समय तब किया गया था जब वह कैंटकी यूनिवर्सिटी में स्टडी कर रहे थे।
और उस टाइम पर इसका नाम एलोग्रफिक्स रखा गया था। हालांकि जब इसकी खोज हुई थी तो यूनिवर्सिटी को लगा था कि यह सिर्फ रिसर्च लैब में ही अप्लाई होती है परंतु डॉक्टर जॉर्ज सैमुअल के पास कुछ अलग ही आईडिया था। डॉक्टर जॉर्ज ने साल 1975 में संसार के लिए पहला रेसिटेटिव टचस्क्रीन तैयार किया। हालांकि तैयार हो जाने के बावजूद इसे अगले 6 से 7 सालों तक दुनिया के सामने प्रस्तुत नहीं किया गया और ना ही इसका कहीं पर इस्तेमाल किया गया।
हालांकि यहां पर एक बात यह भी है कि साल 1982 के पहले दूसरे टचस्क्रीन आ चुके थे परंतु जितने भी टच स्क्रीन का निर्माण हुआ था वह प्रेशर सेंसिटिव नहीं थे। मतलब कि उन्हें इंसानो के द्वारा कंट्रोल नहीं किया जा सकता था अथवा वह इंसानों से कंट्रोल ही नहीं होते थे।
इस प्रकार से टच स्क्रीन में काफी बदलाव समय-समय पर किए गए और साल 1982 में पहला मानव कंट्रोलिंग मल्टी टच स्क्रीन डिवाइस निमिष मेहता के द्वारा बनाया गया। निमिष मेहता उस समय टोरंटो यूनिवर्सिटी में स्टडी कर रहे थे। इनके द्वारा जो मल्टी टच डिवाइस बनाया गया था उसमें जो कैमरा था उसके सामने एक गिलास पैनल था। यह ग्लास पैनल स्क्रीन पर जो काले धब्बे दिखाई देते थे उन्हें पहचान लेता था।
तो दोस्तों उम्मीद है की अब आपको Touch Screen से जुड़ी पूरी जानकारी मिल चुकी होगी, और आप जान गये होगा की टच स्क्रीन क्या है? कैसे काम करता है? प्रकार एवं फायदे?
FAQ:
इनपुट डिवाइस
Doctor Gorge Samual Hurst
1975
अलग-अलग वैरायटी के डिवाइस में।
इनपुट
इस लेख मे टच स्क्रीन क्या है? के बारे मे विस्तार से बताया गया है और आपको यह समझने का प्रयास किया गया है की टच स्क्रीन क्या है? कैसे काम करता है? प्रकार एवं फायदे?
Hope अब आपको टच स्क्रीन क्या है? समझ आ गया होगा, और आप जान गये होगे की टच स्क्रीन क्या है? कैसे काम करता है? प्रकार एवं फायदे? और इस टेक्नॉलजी की कुछ अन्य जानकारियों को भी समझ पाए होंगे।
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