कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer in Hindi)

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आज इस पेज पर हम कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer in Hindi) के बारे में चर्चा करने वाले हैं। आज भले ही आप अपने घरों में कंप्यूटर का इस्तेमाल आसानी से कर पा रहे हैं परंतु एक समय ऐसा था जब पहली बार कंप्यूटर बनाया गया था तो उसका आकार आज के कंप्यूटर जैसा नहीं था, वह काफी बड़े आकार वाला था, परंतु जैसे-जैसे कंप्यूटर पर रिसर्च किया जाने लगा वैसे वैसे इसके आकार में और इसकी विशेषताओं में बदलाव होते गए।

कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer in Hindi)

इस प्रकार से अभी तक कंप्यूटर के कई प्रकार लांच हुए जिसमें से कुछ सफल हुए तो कुछ असफल हो गए। कंप्यूटर के प्रकारों में सबसे अधिक सफल डिजिटल कंप्यूटर हुआ, जो आज बड़े पैमाने पर लोगों के घरों में, बड़े-बड़े कॉरपोरेट ऑफिस में और मल्टीनेशनल कंपनी में इस्तेमाल किया जा रहा है।


आइए इस आर्टिकल में आज जानकारी प्राप्त करते हैं कि “कंप्यूटर क्या है” और “कंप्यूटर के कितने प्रकार हैं” तथा “कंप्यूटर के सभी प्रकारों के नाम क्या है।

अनुक्रम

कंप्यूटर क्या है?

कंप्यूटर एक प्रोग्रामेबल मशीन है। कंप्यूटर हमारे द्वारा दिए जाने वाले इनपुट पर काम करता है और आउटपुट डिवाइस की सहायता से रिजल्ट दिखाने का काम भी करता है। वर्तमान के जो कंप्यूटर है वह इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल कंप्यूटर है। कंप्यूटर के माध्यम से कई कामों को घर बैठे अंजाम दिया जा सकता है।


कंप्यूटर में मुख्य तौर पर चार कंपोनेंट होते हैं जिसमें सीपीयू होता है जिसे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट कहा जाता है और जीपीयू होता है जिसे ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट कहते हैं। इसके अलावा कंप्यूटर में रैंडम एक्सेस मेमोरी अर्थात रैम होती है और इसमें सॉलि़ड स्टेट ड्राइव तथा हार्ड डिस्क ड्राइव भी उपलब्ध होता है। यह सभी कंपोनेंट कंप्यूटर के मदरबोर्ड से कनेक्टेड होते है।

पहले मैकेनिकल कंप्यूटर का निर्माण 19वीं शताब्दी में चार्ल्स बैबेज नाम के व्यक्ति के द्वारा किया गया था, जो कि एक अंग्रेजी इंजीनियर थे। इसमें उनका साथ एडा लवलेस के द्वारा दिया गया था, जो कि एक गणितज्ञ थे। दुनिया में जो पहला डिजिटल कंप्यूटर था, उसका नाम और Atanasoff-Berry Computer था, जिसका निर्माण 1942 में लोगवा स्टेट यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले प्रोफेसर जॉन विंसेंट और ग्रेजुएट स्टूडेंट क्लिफ बेरी के द्वारा किया गया था।

कंप्यूटर न्यूमेरिकल और नॉन न्यूमेरिकल दोनों ही प्रकार की कैलकुलेशन करने को हमेशा तैयार रहता है और आसानी से ऐसी कैलकुलेशन को कर डालता है। पहले से ही जो प्रोग्राम लिखे हुए होते हैं कंप्यूटर उसी प्रोग्राम के हिसाब से काम करता है। कंप्यूटर के पास अपनी खुद की मेमोरी अवेलेबल होती है, जिसमें महत्वपूर्ण डाटा, प्रोग्राम और प्रोसेसिंग के रिजल्ट सुरक्षित होते हैं।


कंप्यूटर क्या है? उसकी पूरी जानकारी यहाँ है।

कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer in Hindi)

जब हम अपने आसपास नजर दौड़ाते हैं, तब हमें अलग अलग ब्रांड के द्वारा निर्मित अलग-अलग डिजाइन के कंप्यूटर दिखाई देते हैं। ऐसे में हम सोचते हैं कि जब कंप्यूटर एक जैसा ही काम करते हैं तो आखिर इनके डिजाइन अलग-अलग क्यों होते हैं।

बता देना चाहते हैं कि भले ही कंप्यूटर एक जैसा काम करते है, परंतु कंप्यूटर में कुछ ऐसी क्वालिटी होती है, जिसकी वजह से इनके आकार अलग-अलग होते हैं। जैसे कि कोई कंप्यूटर तेज गति के साथ काम करने की कैपेसिटी रखता है, तो कोई कंप्यूटर स्लो काम करता है। कंप्यूटर के प्रकार पर यह डिपेंड करता है कि वह कैसा काम करता होगा। इसीलिए ही कंप्यूटर के प्रकारों के बारे में जानना आवश्यक होता है।


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डाटा हैंडलिंग के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार

डाटा हैंडलिंग के आधार पर कंप्यूटर के तीन प्रकार है। जैसे कि एनालॉग कंप्यूटर, डिजिटल कंप्यूटर और हाइब्रिड कंप्यूटर। नीचे आपको डाटा हैंडलिंग के आधार पर कंप्यूटर के तीनों ही प्रकार की जानकारी विस्तार से दी गई है।

1: एनालॉग कंप्यूटर

एनालॉग कंप्यूटर का निर्माण ऐसे डेटा को प्रोसेस करने के लिए किया गया है, जो एनालॉग डाटा होते हैं। एनालॉग डाटा को कंटिन्यूस डाटा कहा जाता है, क्योंकि इसमें लगातार बदलाव होता रहता है। एनालॉग कंप्यूटर का इस्तेमाल ऐसी जगह पर किया जाता है जहां पर हमें स्पीड, टेंपरेचर, प्रेशर और करंट जैसे सटीक मान की जरूरत नहीं होती है।

एनालॉग कंप्यूटर के द्वारा डायरेक्ट मापने वाले डिवाइस से डाटा को पहले नंबर और कोड में परिवर्तित किए बिना ही एक्सेप्ट कर लिया जाता है।


एनालॉग कंप्यूटर फिजिकल क्वांटिटी में लगातार हो रहे बदलाव को मापने का काम करता है और सामान्य तौर पर डायल अथवा स्केल पर रीडिंग के फॉर्मेट में आउटपुट प्रजेंट करते हैं। यहां पर हम आपको बता देना चाहते हैं कि मरकरी थर्मामीटर और स्पीडोमीटर, एनालॉग घड़ी, वोल्टमीटर एनालॉग कंप्यूटर के प्रमुख उदाहरण है।

विलियम थॉमसन नाम के व्यक्ति के द्वारा साल 1876 में सबसे पहले एनालॉग कंप्यूटर का डेवलपमेंट किया गया था। इस एनालॉग कंप्यूटर का इस्तेमाल टाइड प्रिडिक्टर अर्थात ज्वार की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता था।

हालांकि सर्वप्रथम ज्ञात एनालॉग कंप्यूटर का नाम एस्ट्रोलैब्स था। इसका निर्माण ग्रीस देश में किया गया था। इस एनालॉग कंप्यूटर का इस्तेमाल करके ग्रह, सूरज और सितारों की स्पीड की भविष्यवाणी की जाती थी।

एनालॉग कंप्यूटर का इस्तेमाल करने के फायदे

  • एनालॉग कंप्यूटर एक ही टाइम में रियल टाइम ऑपरेशन और कैलकुलेशन करने की परमिशन देता है तथा एनालॉग मशीन लगातार सभी डाटा को रिप्रेजेंट करने का काम करती है।
  • कुछ एप्लीकेशन में यह इनपुट अथवा आउटपुट को डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में और इसके विपरीत कन्वर्ट करने के लिए ट्रांसड्यूसर की सहायता के बिना कैलकुलेशन करने की परमिशन भी देता है।
  • प्रोग्रामर के द्वारा एनालॉग कंप्यूटर की डायनेमिक रेंज के लिए प्रॉब्लम को मापा जा सकता है। यह प्रॉब्लम में अंदर तक देखने की क्षमता भी देता है, ताकि कमी और उसके प्रभाव को समझा जा सके।

एनालॉग कंप्यूटर के प्रकार

एनालॉग कंप्यूटर के भी कुछ प्रकार अवश्य उपलब्ध है जिनकी जानकारी निम्नानुसार है।

Slide Rules

स्लाइड रूल मैकेनिकल एनालॉग कंप्यूटर के सबसे आसान प्रकारों में से एक है। इसका निर्माण सामान्य कैलकुलेशन करने के लिए किया गया था। बता दें कि स्लाइड रूल को 2 छड के द्वारा बनाया गया है। कैलकुलेशन करने के लिए इसमें मौजूद रॉड को दूसरी रोड पर सिंबल के साथ मार्किंग करने के लिए स्लाइड करते हैं।

Differential Analysers

डिफरेंशियल एनालाइजर का निर्माण डिफरेंशियल कैलकुलेशन को करने के लिए किया गया था। डिफरेंशियल एनालाइजर इंटीग्रेशन कैलकुलेशन को सॉल्व करने के लिए व्हील एंड डिस्क मैकेनिज्म का इस्तेमाल करता है।

Castle Clock

कैस्टल क्लॉक का निर्माण अल-जराज़ी के द्वारा किया गया है। यह प्रोग्रामिंग इंस्ट्रक्शन को सुरक्षित रखने की कैपेसिटी रखता है। अगर इसके लंबाई के बारे में बात की जाए तो इसकी लंबाई तकरीबन 11 फीट के आसपास में है।

कैस्टल क्लॉक में टाइम, राशि चक्र और सोलर तथा लूनर ऑर्बिट को प्रदर्शित किया गया था। यह डिवाइस यूजर को वर्तमान मौसम के अनुसार दिन की लंबाई तय करने की परमिशन भी देने की कैपेसिटी रखता है।

Electronic Analogue Computer

इस प्रकार के एनालॉग कंप्यूटर में इलेक्ट्रिक सिग्नल कैपेसिटर और resistors की सहायता से फ्लो होते हैं, ताकि भौतिक घटनाओं का अनुकरण किया जा सके। यहां पर बता देना चाहते हैं कि इसमें कंपोनेंट की मशीनी भाषा में बातचीत नहीं होती है। यहां पर इलेक्ट्रिक सिग्नल का वोल्टेज उपयुक्त डिस्प्ले को जनरेट करने का काम करता है।

2: डिजिटल कंप्यूटर

डिजिटल कंप्यूटर का निर्माण इसलिए किया गया है ताकि तेज गति के साथ कैलकुलेशन और लॉजिकल ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सके। डिजिटल कंप्यूटर रो डाटा को इनपुट के तौर पर बायनरी नंबर के तहत एक्सेप्ट करने का काम करता है जैसे कि 0 और 1 और उसके पश्चात उस पर प्रोसेसिंग करता है और फिर आउटपुट देने का काम करता है।

वर्तमान के समय में जो लैपटॉप, डेस्कटॉप इत्यादि आप इस्तेमाल कर रहे हैं, वह सभी डिजिटल कंप्यूटर ही कहलाते हैं। यहां तक कि आप अपने हाथ में यह जो स्मार्टफोन चला रहे हैं, यह भी डिजिटल कंप्यूटर की श्रेणी में ही आता है।

मुख्य तौर पर इसका इस्तेमाल करके गणित की कैलकुलेशन को किया जाता है। इसलिए हिंदी भाषा में डिजिटल कंप्यूटर को संगणक भी कहा जाता है। आज जो डिजिटल कंप्यूटर मौजूद है, वह काफी एडवांस है क्योंकि उसमें एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है, वह सिर्फ कैलकुलेशन के लिए ही इस्तेमाल नहीं किए जा रहे हैं बल्कि उनके द्वारा अन्य कई कामों को कम समय में पूरा किया जा रहा है।

डिजिटल कंप्यूटर में स्टोरेज डिवाइस भी अवेलेबल होता है, जिसकी सहायता से यह काफी बड़े पैमाने पर डेटा को सुरक्षित करने की कैपेसिटी रखते हैं। इसके अलावा इनकी प्रोसेसिंग की स्पीड भी बहुत ही फास्ट होती है।

John Vincent Atanasoff नाम के व्यक्ति को डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार करने का श्रेय दिया जाता है। इन्होंने 1930 के दशक में पहले इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर का निर्माण किया था। बता दें कि यह अमेरिकन भौतिक विज्ञानी और आविष्कारक थे। डिजिटल कंप्यूटर इनपुट, प्रोसेसिंग और आउटपुट के सिद्धांत पर काम करता है। इनपुट डिवाइस, सीपीयू, अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट, कंट्रोल यूनिट, मेमोरी, आउटपुट डिवाइस इत्यादि डिजिटल कंप्यूटर के महत्वपूर्ण भाग है।

डिजिटल कंप्यूटर इस्तेमाल करने के फायदे

  • अगर आपके पास डिजिटल कंप्यूटर है तो आप बड़े पैमाने पर इंफॉर्मेशन को स्टोर कर सकते हैं और जब आपको आवश्यकता हो, तब आप उसे फिर से प्राप्त कर सकते हैं।
  • आप आसानी से अपने डिजिटल सिस्टम में नए फीचर्स को शामिल कर सकते हैं।
  • डिजिटल सिस्टम में आप अलग-अलग प्रकार की एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए बस आपको प्रोग्राम में बदलाव करना होगा, आपको इसके लिए हार्डवेयर में किसी भी प्रकार का बदलाव करने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • डिजिटल कंप्यूटर में जो हार्डवेयर लगते हैं उनकी कीमत बहुत ही कम होती है। इसलिए आपको डिजिटल कंप्यूटर के रखरखाव के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • डिजिटल कंप्यूटर बहुत ही तेज गति के साथ डाटा को प्रोसेस करने का काम करता है, जिसकी वजह से आपके काम जल्दी पुरे हो पाते हैं।
  • डिजिटल कंप्यूटर में पहले से ही एरर करैक्टर कोड होता है, जिसकी वजह से गलती का पता चल जाता है।

3: हाइब्रिड कंप्यूटर

हाइब्रिड कंप्यूटर ऐसा कंप्यूटर होता है, जिसमें एनालॉग और डिजिटल दोनों ही कंप्यूटर की विशेषताएं मौजूद होती है। यह एनालॉग कंप्यूटर की तरह फास्ट होता है और इसकी मेमोरी और सटीकता डिजिटल कंप्यूटर की तरह होती है।

बेहतरीन बात यह है कि हाइब्रिड कंप्यूटर लगातार डाटा को प्रोसेस कर सकता है। हाइब्रिड कंप्यूटर एनालॉग सिगनल को स्वीकार करता है और एनालॉग सिगनल को प्रोसेसिंग से पहले डिजिटल फॉर्मेट में चेंज कर देता है। इसलिए इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल एनालॉग और डिजिटल डाटा को प्रोसेस करने के लिए किया जाता है।

उदाहरण के तौर पर पेट्रोल पंप पर जो प्रोसेसर इस्तेमाल में लिए जाते है वह Fuel Flow के मेजरमेंट को क्वांटिटी और कीमत में कन्वर्ट कर देता है। इसी प्रकार से यह हॉस्पिटल, एयरप्लेन और साइंटिफिक एप्लीकेशन में भी काम करता है।

दुनिया में पहली बार जो हाइब्रिड कंप्यूटर बनाया गया था, उसका नाम हाईकॉम 250 था। Packard Bell नाम के व्यक्ति के द्वारा साल 1961 में इसका निर्माण किया गया था। इसके 2 साल के बाद ही 1963 में HYDAC 2400 नाम के एक अन्य हाइब्रिड कंप्यूटर का भी निर्माण कर दिया गया। आज के समय में विभिन्न प्रकार के हाइब्रिड कंप्यूटर अवेलेबल है, जिनके द्वारा अलग-अलग प्रकार के जटिल कामों को पूरा किया जाता है।

हाइब्रिड कंप्यूटर का इस्तेमाल करने के फायदे

  • अगर आप वास्तव में तेजी के साथ कैलकुलेशन करना चाहते हैं, तो आपको हाइब्रिड कंप्यूटर का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि इसकी कैलकुलेशन करने की स्पीड बहुत फास्ट है।
  • हाइब्रिड कंप्यूटर के द्वारा जो रिजल्ट आपको मिलते हैं, वह बहुत ही तेजी से मिलते हैं साथ ही उनमें गलती होने की संभावना ना के बराबर होती है और जो रिजल्ट आपको प्राप्त होता है वह आपके काफी काम का भी साबित होता है।
  • हाइब्रिड कंप्यूटर यह कैपेसिटी रखता है कि वह रियल टाइम में बड़ी प्रॉब्लम का सलूशन निकाल सके।
  • हाइब्रिड कंप्यूटर ऑनलाइन डाटा प्रोसेसिंग के लिए भी फायदेमंद साबित होता है।

आकार के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार

आकार के आधार पर कंप्यूटर के पांच प्रकार हैं जिनके नाम सुपर कंप्यूटर, मेनफ्रेम कंप्यूटर, मिनी फ्रेम कंप्यूटर, वर्क स्टेशन कंप्यूटर और माइक्रो कंप्यूटर है। आगे आपको इन 5 प्रकारों के कंप्यूटर की जानकारी दी गई है।

1: सुपर कंप्यूटर

जैसा की नाम से ही प्रतीत हो रहा है कि सुपर कंप्यूटर बड़े साइज के कंप्यूटर होते हैं और बाकी सभी कंप्यूटर से इनके काम करने की स्पीड बहुत ही तगड़ी होती है। सुपर कंप्यूटर का निर्माण इसलिए किया गया है, ताकि बड़े पैमाने पर एक साथ बड़े डाटा को प्रोसेस किया जा सके। यहां पर हम आपको इस बात से भी अवगत करवा देना चाहते हैं कि सुपर कंप्यूटर के डाटा को प्रोसेस करने की कैपेसिटी इतनी होती है कि यह एक ही सेकंड में अरबों खरबों का डाटा प्रोसेस कर सकता है।

सुपर कंप्यूटर में हजारों से भी अधिक इंटरकनेक्टेड प्रोसेसर मौजूद होते हैं। दुनिया भर के बड़े-बड़े साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट और इंजीनियरिंग एप्लीकेशन जैसे कि मौसम फॉर कास्टिंग, साइंटिफिक सिमुलेशन और न्यूक्लियर एनर्जी रिसर्च में सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है।

हमारे भारत देश में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन, डीआरडीओ में भी सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है। साल 1976 में पहले सुपर कंप्यूटर का निर्माण Roger Cray नाम के व्यक्ति के द्वारा किया गया था।

सुपर कंप्यूटर की विशेषताएं

सुपर कंप्यूटर की विशेषताएं निम्नानुसार है।

  • सुपर कंप्यूटर multi-task को सपोर्ट करता है जिसका मतलब यह होता है कि आप यहां पर एक ही समय में अलग-अलग कामों को कर सकते हैं। इसलिए सुपरकंप्यूटर को मल्टीटास्किंग कंप्यूटर भी कहते हैं।
  • सुपर कंप्यूटर में एक साथ एक से ज्यादा यूजर भी काम कर सकते हैं। इसीलिए सुपरकंप्यूटर को multi-user कंप्यूटर भी कहा जाता है।
  • सुपर कंप्यूटर में बड़े पैमाने पर प्रोसेसर अर्थात सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का इस्तेमाल होता है। सुपरकंप्यूटर अर्थमैटिक और लॉजिकल जैसे गणना को आसानी से कर पाता है। सुपर कंप्यूटर में जितने भी प्रोसेसर होते हैं वह पारलेल प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी पर काम करते हैं।
  • सुपर कंप्यूटर के काम करने की स्पीड बहुत ही फास्ट होती है। यह तेजी से सेकंड में ही सभी कामों को पूरा कर देता है, जिसकी वजह से समय की काफी बचत होती है। सुपर कंप्यूटर के कार्य करने की स्पीड को फ्लोटिंग प्वाइंट ऑपरेशन पर सेकंड के द्वारा नापा जाता है।
  • सुपर कंप्यूटर का आकार काफी ज्यादा बड़ा होता है और विकसित होता है। यह बड़ी संख्या में हार्डवेयर का इस्तेमाल करता है। इसलिए मार्केट में सुपरकंप्यूटर की कीमत काफी ज्यादा होती है जिसे खरीदना सामान्य यूजर के बस की बात नहीं होती है।
  • सुपर कंप्यूटर को मॉनिटर करने के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति के द्वारा इसकी मॉनिटरिंग करवाई जाती है। सुपर कंप्यूटर को सही रखने के लिए हजारों गैलन का इस्तेमाल होता है।
  • सुपर कंप्यूटर के द्वारा पासवर्ड को डिक्रिप्ट करके अच्छी सिक्योरिटी दी जाती है। इसकी वजह से हैकर के द्वारा आसानी से सुपर कंप्यूटर को हैक नहीं किया जा सकता है।
  • भारी से भारी कैलकुलेशन को करना, साइंटिफिक रिसर्च, 3D ग्राफिक इत्यादि कामों को पूरा करना सुपर कंप्यूटर का मुख्य काम होता है।
  • मौसम फोरकास्टिंग, जलवायु अनुसंधान, एटॉमिक रिसर्च इत्यादि क्षेत्रों में सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है।
  • सुपर कंप्यूटर एनीमेशन में शानदार रिजल्ट को प्रोड्यूस करता है।
  • सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल न्यूक्लियर हथियार और क्रिटिकल मेडिकल टेस्ट को वर्चुअल टेस्ट करने के लिए किया जाता है।
  • सुपर कंप्यूटर डाटा स्टोरेज सेंटर अथवा क्लाउड सिस्टम से इंपॉर्टेंट जानकारियों को निकालने में सहायक साबित होता है। एग्जांपल के लिए बीमा कंपनियों की जानकारियों को निकालने में सहायक साबित होता है।
  • सुपर कंप्यूटर ने शेयर मार्केट और बिटकॉइन जैसी ऑनलाइन क्रिप्टो करेंसी की दुनिया के मैनेजमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
  • सुपर कंप्यूटर अलग-अलग प्रकार की गंभीर बीमारियों की ट्रीटमेंट में और दिमाग की चोट, स्ट्रोक इत्यादि में सटीक जानकारी देने में सहायक साबित होता है।

2: मेनफ्रेम कंप्यूटर

मेनफ्रेम कंप्यूटर का आकार काफी ज्यादा बड़ा होता है। मेनफ्रेम कंप्यूटर में काफी अधिक स्टोरेज उपलब्ध होता है। इसके अलावा इसमें हाई मेमोरी भी होती है, साथ ही बेहतरीन क्वालिटी के प्रोसेसर भी यहां पर मौजूद होते हैं।

अगर मेनफ्रेम कंप्यूटर की तुलना सामान्य डिजिटल कंप्यूटर से की जाए, तो मेनफ्रेम कंप्यूटर बहुत ही पावरफुल होते हैं और यह तेजी से काम को करते हैं। मेनफ्रेम कंप्यूटर किसी भी डाटा को तेजी से प्रोसेस करने का काम करते हैं।

तेजी से डाटा को प्रोसेस करने की वजह से ही मेनफ्रेम कंप्यूटर का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर गवर्नमेंट डिपार्टमेंट, बैंकिंग, बड़ी कंपनी, साइंटिफिक रिसर्च सेंटर और जनगणना डाटा इत्यादि के लिए किया जाता है। आपको हम यह भी बता देना चाहते हैं कि इस प्रकार का कंप्यूटर अल्ट्रा स्पीड में एक ही साथ कई कामों को अंजाम देने की कैपेसिटी रखता है और एक ही साथ कई यूजर मेनफ्रेम कंप्यूटर पर काम कर सकते हैं।

मेनफ्रेम कंप्यूटर को स्थापित करने के लिए तकरीबन 2000 स्क्वायर फीट से लेकर के 10000 स्क्वायर फीट की जगह की आवश्यकता हो सकती है। इस प्रकार के कंप्यूटर में स्टोरेज कैपेसिटी भी काफी ज्यादा होती है। अगर मेनफ्रेम कंप्यूटर की तुलना माइक्रो कंप्यूटर और मिनी कंप्यूटर की कीमत से की जाए तो मेनफ्रेम कंप्यूटर ज्यादा महंगे मिलते हैं परंतु सुपर कंप्यूटर की तुलना में मेनफ्रेम कंप्यूटर कम पावर रखते हैं।

Harvard Mark I को दुनिया का पहला मेनफ्रेम कंप्यूटर कहा जाता है, जिसका निर्माण साल 1930 में Howard Aiken नाम के व्यक्ति के द्वारा किया गया था, जो कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले एक रिसर्चर थे।

कंप्यूटर के आकार के बारे में बात करें तो यह कंप्यूटर एक बड़े कमरे का आकार लेता था और इसका वजन तकरीबन 5 टन के आसपास था। वर्तमान के समय में आईबीएम, हिताची, अमदहल और यूनीसिस जैसी कंपनियों के द्वारा हाइब्रिड कंप्यूटर का निर्माण किया जा रहा है।

मेनफ्रेम कंप्यूटर के उदाहरण  IBM Z Series – IBM Z15, IBM Z14, IBM System Z13, IBM System Z10, IBM System Z9 Etc, Tianhe-1A; NUDT YH Cluster, Jaguar; Cray XT5, Nebulae; Dawning TC3600 Blad, IBM 370, S/390, Fujitsu’s ICL VME, Hitachi’s Z800, I Series System इत्यादि हैं।

प्रोसेसिंग यूनिट, कंट्रोल यूनिट, स्टोरेज यूनिट, मल्टिप्रोसेसर कलस्टर कंट्रोल सिस्टम इत्यादि मेनफ्रेम कंप्यूटर के महत्वपूर्ण घटक है।

मेनफ्रेम कंप्यूटर की विशेषताएं

मेनफ्रेम कंप्यूटर की विशेषताएं निम्नानुसार है।

  • मिनी और माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में मेनफ्रेम कंप्यूटर का आकार काफी ज्यादा बड़ा होता है।
  • इस प्रकार का कंप्यूटर एक ही साथ बड़ी मात्रा में डाटा को एक साथ प्रोसेस करने की कैपेसिटी रखता है।
  • मेनफ्रेम कंप्यूटर के अंदर मौजूद मेमोरी काफी बड़ी होती है, जिसकी वजह से इसके द्वारा शानदार परफॉर्मेंस दी जाती है।
  • मेनफ्रेम कंप्यूटर के द्वारा सेंट्रलाइज कंप्यूटिंग सिस्टम को सपोर्ट किया जाता है।
  • इस प्रकार का कंप्यूटर अलग-अलग जटिल ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे कि यूनिक, वीएमएस इत्यादि को मैनेज करने की कैपेसिटी रखते हैं।
  • एक बार जब इन्हें स्थापित कर दिया जाता है, तो उसके बाद यह तकरीबन 50 से 60 साल आसानी से सही ढंग से काम कर सकते हैं।
  • मेनफ्रेम कंप्यूटर मल्टी यूजर कंप्यूटर होता है अर्थात एक ही समय पर इस पर अलग-अलग यूज़र काम कर सकते हैं।
  • मेनफ्रेम कंप्यूटर में एक ही साथ अलग-अलग प्रोग्रामों को एक्सीक्यूट कर सकते हैं।
  • इस प्रकार के कंप्यूटर में डाटा को प्रोसेस करने के दरमियान कोई भी गड़बड़ी होने की संभावना बहुत ही कम होती है।
  • इस प्रकार के कंप्यूटर के द्वारा वर्चुअल स्टोरेज सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है।
  • मेनफ्रेम कंप्यूटर अधिकतर इनपुट और आउटपुट डिवाइस को सपोर्ट करने का काम करता है।

मेनफ्रेम कंप्यूटर का उपयोग

मेनफ्रेम कंप्यूटर का इस्तेमाल अलग-अलग फील्ड में किया जाता है, जिसकी जानकारी नीचे आपको दी गई है।

  • हॉस्पिटल में लाखों मरीजों की बीमारी, उनकी मेडिसिन और उनके अपॉइंटमेंट की जानकारियों के रिकॉर्ड को रखने के लिए मेनफ्रेम कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है।
  • सिक्योरिटी की फील्ड में इसका इस्तेमाल अलग-अलग इलाके की जमीन, जहाज, विमान इत्यादि के साथ बड़ी मात्रा में इंफॉर्मेशन को सेंड करने के लिए भी किया जाता है।
  • बड़ी यूनिवर्सिटी में वर्कर, विद्यार्थी और टीचर इत्यादि के डाटा को ट्रैक करने के लिए इसका इस्तेमाल होता है।
  • बैंकिंग की फिल्ड में पैसे के ट्रांजैक्शन के लिए, कस्टमर के अकाउंट की रिपोर्ट को रखने के लिए मेनफ्रेम कंप्यूटर को यूज में लेते हैं।
  • एक साथ भारी मात्रा में डाटा को प्रोसेस करने के लिए कंपनियों के द्वारा इसका इस्तेमाल होता है।

3: मिनी फ्रेम कंप्यूटर

मिनी फ्रेम कंप्यूटर को मिनी कंप्यूटर भी कहा जाता है। इस कंप्यूटर का आकार मीडियम साइज का होता है और यह मल्टिप्रोसेसिंग करने की कैपेसिटी रखता है। इस प्रकार के कंप्यूटर पर एक ही समय के दरमियान 4 से लेकर के 200 यूजर काम कर सकते हैं।

इंस्टिट्यूट और डिपार्टमेंट में मिनी फ्रेम कंप्यूटर का इस्तेमाल कुछ काम को करने के लिए किया जाता है। जैसे कि बिलिंग का काम करना, एकाउंटिंग का काम करना या फिर इन्वेंटरी मैनेजमेंट के लिए इसका इस्तेमाल होता है। मिनी कंप्यूटर को आप मेनफ्रेम कंप्यूटर और माइक्रो कंप्यूटर के बीच का समझ सकते हैं, क्योंकि यह मेनफ्रेम कंप्यूटर से छोटा होता है परंतु माइक्रो कंप्यूटर से बड़ा होता है।

इस प्रकार के कंप्यूटर का विकास 1960 के दशक के बीच के दरमियान होना चालू हुआ था। आईबीएम कंपनी के द्वारा साल 1960 के दशक में दुनिया का पहला मिनी कंप्यूटर बनाया गया था, जिसका नाम प्रोग्रामेबल डाटा प्रोसेसर एक रखा गया था।

आईबीएम के द्वारा इस मिनी कंप्यूटर को बिजनेस को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था। मिनी कंप्यूटर के उदाहरण IBM’s AS/400e, Honeywell200,

TI-990, Control Data’s CDC 160A And CDC 1700, Interdata 7/32 And 8/32, Apple Mac Mini इत्यादि है।

मिनी फ्रेम कंप्यूटर की विशेषताएं

  • इस प्रकार का कंप्यूटर वजन में बहुत ही हल्का होता है और यही वजह है कि आप इसे किसी भी जगह पर लेकर जा सकते हैं और किसी भी जगह पर आसानी से फिट कर सकते हैं।
  • मेनफ्रेम कंप्यूटर की तुलना में मिनी कंप्यूटर की कीमत बहुत ही कम होती है।
  • छोटा साइज होने के बावजूद भी मिनीकंप्यूटर बहुत ही तेज गति के साथ विभिन्न ऑपरेशन को अंजाम देता है।
  • मिनी कंप्यूटर लंबे समय तक काम करने की कैपेसिटी रखता है।
  • बड़े पैमाने पर छोटे-छोटे संगठन में मिनी कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है।
  • मिनी कंप्यूटर मल्टीटास्क को सपोर्ट करता है यानी कि आप एक ही समय पर कई कामों को कर सकते हैं।

मिनी कंप्यूटर का उपयोग

मिनी कंप्यूटर के उपयोग की जानकारी निम्नानुसार है।

  • बिजनेस में अकाउंटिंग से संबंधित कामों को करने के लिए मिनी कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है।
  • मिनी कंप्यूटर का इस्तेमाल फाइल, डाटाबेस, इन्वेंटरी इत्यादि के मैनेजमेंट के लिए भी किया जाता है।
  • अलग-अलग डिपार्टमेंट में मिनी कंप्यूटर का इस्तेमाल मेनफ्रेम कंप्यूटर के वर्क लोड को कम करने के लिए होता है।
  • हमारे दैनिक जीवन के काम जैसे की वीडियो एडिटिंग, गेमिंग और दूसरे कंप्यूटिंग कामों के लिए भी मिनी कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है।
  • साइंटिफिक कैलकुलेशन करने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है।

4: वर्क स्टेशन

वर्क स्टेशन एक सिंगल यूजर कंप्यूटर होता है जिसको टेक्निकल अथवा साइंटिफिक एप्लीकेशन के लिए डिजाइन किया जाता है। वर्क स्टेशन कंप्यूटर में बहुत ही तेज काम करने वाला माइक्रोप्रोसेसर मौजूद होता है।

इसके अलावा इसके अंदर जो रेंडम एक्सेस मेमोरी होती है वह भी काफी अधिक होती है, साथ ही वर्कस्टेशन कंप्यूटर में हाई स्पीड ग्राफिक एडिटर भी मजबूत होता है। किसी पर्टिकुलर काम के साथ यह काफी बेहतरीन परफॉर्मेंस देता है।

वर्कस्टेशन कंप्यूटर के भी कई प्रकार है। जैसे कि ग्राफिक वर्क स्टेशन, म्यूजिक वर्क स्टेशन और इंजीनियरिंग डिजाइन वर्क स्टेशन। वर्क स्टेशन कंप्यूटर के उदाहरण Sun Microsystems Sparkstation, Silicon Graphics IRIX Machines, Apple Power Mac G5, HP Z Series, apple macbook pro, Dell Precision, apple mac pro इत्यादि है।

वर्कस्टेशन कंप्यूटर का निर्माण यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका मे साल 1981 में नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के द्वारा अपोलो स्पेस कार्यक्रम के लिए किया गया था और साल 1983 में वर्क स्टेशन कंप्यूटर को व्यवसायिक रूप से पेश कर दिया गया था।

वर्क स्टेशन कंप्यूटर की विशेषताएं

  • बिजनेस इस्तेमाल के लिए या फिर प्रोफेशनल इस्तेमाल के लिए वर्कस्टेशन कंप्यूटर काफी बढ़िया माना जाता है, क्योंकि इसकी परफॉर्मेंस बहुत ही तगड़ी होती है।
  • वर्क स्टेशन कंप्यूटर में स्टोरेज कैपेसिटी बहुत ही ज्यादा होती है। इसमें आपको बेहतर ग्राफिक मिलते हैं और पावरफुल सीपीयू मिलता है जो कि पर्सनल कंप्यूटर से भी ज्यादा पावरफुल होता है।
  • वर्कस्टेशन कंप्यूटर एनिमेशन, डाटा एनालिसिस, सीएडी, ऑडियो और वीडियो क्रिएशन तथा एडिटिंग को हैंडल करता है।

5: माइक्रो कंप्यूटर

माइक्रो कंप्यूटर छोटे आकार में उपलब्ध होते हैं। माइक्रो कंप्यूटर में सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट की जगह पर माइक्रोप्रोसेसर को इनबिल्ट करके रखा जाता है। माइक्रो कंप्यूटर का निर्माण एक व्यक्ति के द्वारा चलाने के लिए किया गया है। वर्तमान के समय में आप जिसे पर्सनल कंप्यूटर कहते हैं उसे ही आपको माइक्रोकंप्यूटर समझना चाहिए।

अगर आपके पास माइक्रोकंप्यूटर मौजूद है तो एक समय पर सिर्फ आप ही अपने माइक्रो कंप्यूटर पर काम कर सकते हैं। रेंडम एक्सेस मेमोरी, माइक्रोप्रोसेसर, रीड ओनली मेमोरी, इनपुट और आउटपुट पोर्ट तथा इंटरकनेक्टिंग वायर सभी माइक्रो कंप्यूटर में एक ही यूनिट में रखे जाते हैं, जिसे हम और आप मदरबोर्ड के नाम से जानते हैं।

कुछ नॉर्मल कामों को करने के लिए माइक्रो कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि ऑफिस, कॉलेज, स्कूल के काम इत्यादि। माइक्रो कंप्यूटर को जनरल परपज कंप्यूटर कहां जाता है। लैपटॉप ओर डेस्कटॉप माइक्रो कंप्यूटर के प्रमुख उदाहरण है।

माइक्रो कंप्यूटर की विशेषताएं

माइक्रो कंप्यूटर की कुछ शानदार विशेषताएं निम्नानुसार है।

  • कंप्यूटर के सभी प्रकारों में माइक्रो कंप्यूटर सबसे छोटे आकार का कंप्यूटर माना जाता है।
  • माइक्रो कंप्यूटर में लिमिटेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • माइक्रो कंप्यूटर को पर्सनल काम के लिए डिजाइन किया गया है।
  • एक समय में सिर्फ एक ही व्यक्ति माइक्रो कंप्यूटर पर काम कर सकता है।
  • माइक्रो कंप्यूटर की कीमत ज्यादा नहीं होती है और इसे चलाना भी काफी सरल होता है।
  • माइक्रो कंप्यूटर को चलाने के लिए व्यक्ति को किसी स्पेशल कौशल की आवश्यकता नहीं होती है, ना ही उसे कोई खास ट्रेनिंग लेने की आवश्यकता होती है।
  • सामान्य तौर पर माइक्रोकंप्यूटर सिंगल सेमीकंडक्टर चिप के साथ आता है।
  • माइक्रो कंप्यूटर के माध्यम से मल्टीटास्क करना जैसे कि प्रिंटिंग, स्कैनिंग, ब्राउज़िंग और वीडियो देखना पॉसिबल है।

कंप्यूटर के 7 प्रकार क्या हैं?

नीचे हमने आपको कंप्यूटर के 7 प्रकार की जानकारी दी हुई है।

  • सुपर कंप्यूटर
  • मेनफ़्रेम कंप्यूटर
  • वर्कस्टेशन कंप्यूटर
  • पर्सनल कंप्यूटर
  • मैकिन्टौश कंप्यूटर
  • लैपटॉप और नोटबुक
  • स्मार्टफ़ोन और टेबलेट

कंप्यूटर के 3 प्रकार क्या हैं?

कंप्यूटर के 3 प्रकार निम्नानुसार है।

  • एनालॉग कंप्यूटर
  • डिजिटल कॉम्प्यूटर
  • हाइब्रिड कम्प्यूटर

कंप्यूटर के 10 प्रकार

कंप्यूटर के 10 प्रकारों के नाम निम्नानुसार हैं।

  • सुपर कंप्यूटर
  • मेनफ़्रेम कंप्यूटर
  • वर्कस्टेशन कंप्यूटर
  • पर्सनल कंप्यूटर
  • मैकिन्टौश कंप्यूटर
  • लैपटॉप और नोटबुक
  • स्मार्टफ़ोन और टेबलेट
  • मिनी फ्रेम कंप्यूटर
  • एनालॉग कंप्यूटर
  • डिजिटल कंप्यूटर

आकार के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार कितने हैं?

आकार के आधार पर अगर कंप्यूटर के प्रकारों के बारे में बात की जाए तो आकार के आधार पर कंप्यूटर के चार प्रकार होते हैं, जिनके नाम माइक्रो कंप्यूटर, मिनी कंप्यूटर, मेनफ्रेम कंप्यूटर और सुपरकंप्यूटर है। इनमें से सबसे बड़ा सुपरकंप्यूटर होता है, जिसे स्थापित होने के लिए एक बड़े से कमरे की आवश्यकता होती है।

सुपर कंप्यूटर को खरीदना हर किसी व्यक्ति के बस की बात नहीं होती है, क्योंकि यह काफी महंगे आते हैं और इनका इस्तेमाल बड़े-बड़े रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन में किया जाता है। जैसे कि हमारे देश में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन और डीआरडीओ जैसी संस्था में सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल होता है।

पर्सनल कंप्यूटर के प्रकार

पर्सनल कंप्यूटर के प्रकारों के नाम निम्नानुसार हैं।

  • डेस्कटॉप
  • नोटबुक
  • टैबलेट
  • स्मार्टफोन
  • वर्कस्टेशन कंप्यूटर
  • अल्ट्रा मोबाइल पर्सनल कंप्यूटर
  • पॉकेट पर्सनल कंप्यूटर

FAQ:

हाइब्रिड कंप्यूटर कितने प्रकार के होते हैं?

अभी तक हाइब्रिड कंप्यूटर एक ही प्रकार का है।

कंप्यूटर के चार प्रकार कौन कौन से है?

सुपर कंप्यूटर, माइक्रो कंप्यूटर, मिनी फ्रेम कंप्यूटर, पर्सनल कंप्यूटर इत्यादि कंप्यूटर के चार प्रकार है।

सबसे बड़ा सुपर कंप्यूटर कौन सा है?

सबसे बड़ी सुपर कंप्यूटर का नाम समीत (यूएसए) है।

सुपर कंप्यूटर कितने प्रकार के होते हैं?

सुपर कंप्यूटर जनरल परपज सुपर कंप्यूटर और स्पेशल परपज सुपर कंप्यूटर इस प्रकार से दो प्रकार के होते हैं।

दोस्तों मुझे उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद अब आप जान गए होंगे कि कंप्यूटर क्या है? कंप्यूटर के प्रकार क्या है? वैसे इस आर्टिकल में हमने आपको इस बारे में तो पूरी जानकारी दी ही है।

अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो आपको इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करना है। हम आपके लिए इस तरह के आर्टिकल अपने ब्लॉग पर डालते हैं तो हमारे ब्लॉग से भी जुड़े रहे।

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