एंटीवायरस क्या है? (What is Antivirus in Hindi)

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कंप्यूटर के द्वारा हम अपने कई आवश्यक कामो को करते हैं और अपने आवश्यक काम को करने के लिए कई बार हम कंप्यूटर में अपनी व्यक्तिगत जानकारियों को भी देते हैं। जैसे कि नेट बैंकिंग आईडी, पासवर्ड, एटीएम कार्ड नंबर अथवा अन्य आईडी। कई बार हैकर के द्वारा कंप्यूटर को हैक करने के लिए कंप्यूटर में वायरस सेंड किया जाता है ताकि यूजर के महत्वपूर्ण डेटा की हैकिंग की जा सके। एंटीवायरस की मदद से हम इस प्रकार की हैकिंग को रोक सकते हैं, आजके इस पोस्ट में हम Antivirus के बारे जानिंगे की आख़िर यह एंटीवायरस क्या है? (What is Antivirus in Hindi)

एंटीवायरस क्या है? (What is Antivirus in Hindi)

ऐसे में अधिकतर लोग अपने कंप्यूटर में एंटीवायरस का इस्तेमाल करते हैं ताकि वायरस से एंटीवायरस उनके सिस्टम को बचा कर रखें। आखिर यह एंटीवायरस क्या होता है इसके बारे में अधिकतर टेक्नोलॉजी लवर जानना चाहते हैं तो चलिए जानते हैं कि “एंटीवायरस क्या है” और “एंटीवायरस कैसे काम करता है।”


अनुक्रम

वायरस क्या है?

कंप्यूटर वायरस अपने आप नहीं बनता है बल्कि इनका निर्माण कंप्यूटर के डाटा को चोरी करने के लिए या फिर कंप्यूटर के सिस्टम को हैंग करने के लिए किया जाता है। यह एक प्रकार का मेलिसीएस सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है। इसका निर्माण किसी स्पेशल कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए किया जाता है।

वायरस बिना हमारी इंफॉर्मेशन के ही हमारे कंप्यूटर में आ जाता है और जब तक हम जान पाते है, तब तक यह काफी नुकसान हमारे कंप्यूटर सिस्टम को पहुंचा चुका होता है, परंतु अगर हमारे कंप्यूटर में एंटीवायरस होता है तो एंटीवायरस के द्वारा हमें इस बात की सूचना दे दी जाती है कि हमारे सिस्टम में कोई वायरस पहले से मौजूद है या फिर कोई वायरस आ रहा है। ऐसे में हम उचित कदम उठा सकते हैं और वायरस को रोक सकते हैं या फिर उसका खात्मा एंटीवायरस स्कैनिंग प्रक्रिया के द्वारा कर सकते हैं।


हिंदी भाषा में वायरस को विषाणु कहा जाता है। इस प्रकार से कंप्यूटर वायरस को हिंदी में संगणक विषाणु कहा जाएगा। वायरस के प्रमुख प्रकार Boot Sector Virus, Browser Hijacker, Resident Virus, Non Resistant Virus, Macro Virus, Partition Table Virus, File Infector Virus, Polymorphic Virus, Multipartite Virus, Overwrite Virus इत्यादि हैं।

एंटीवायरस क्या है?

एंटीवायरस एक पावरफुल और विभिन्न सुविधाओं से लैस सॉफ्टवेयर होता है, जिसका निर्माण अलग-अलग कंपनी के द्वारा किया जाता है। एंटीवायरस का मुख्य काम होता है सिस्टम के अंदर मौजूद वायरस को पहचानना, सिस्टम को वायरस से सुरक्षित रखना साथ ही वायरस अगर सिस्टम में मौजूद है तो उसे डिटेक्ट करके बाहर निकालना, ताकि सिस्टम को हानिकारक अलग-अलग प्रकार के वायरस से बचाया जा सके।

एंटीवायरस, वायरस को पहचान लेता है, वायरस की स्कैनिंग करता है और कंप्यूटर में से वायरस को डिलीट करने का काम भी करता है। एक बार जब किसी भी कंप्यूटर में या फिर डिवाइस में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल कर दिया जाता है तो वह उसके पश्चात ऑटोमेटिक बैकग्राउंड में काम करता रहता है और वायरस अटैक से रियल टाइम प्रोडक्शन प्रदान करता है।


एंटीवायरस का इस्तेमाल सिर्फ कंप्यूटर सिस्टम के लिए ही नहीं किया जाता है बल्कि कंप्यूटर सिस्टम के अलावा सोशल इंजीनियरिंग, इंटरनेट बैंकिंग और फिशिंग इत्यादि ऑनलाइन हमले से यूजर के सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए अथवा यूजर के गोपनीय डाटा को बचाने के लिए भी इसका इस्तेमाल अलग-अलग जगह पर किया जाता है।

Source: (Wikipedia)


एंटीवायरस का महत्व

एंटीवायरस के द्वारा मालवेयर और वायरस की पहचान की जाती है। इसकी वजह से कंप्यूटर को नुकसान से बचने में सहायता मिलती है। वर्तमान के समय में ऑनलाइन हैकिंग करने वाले हैकर की संख्या काफी अधिक बढ़ गई है। हैकर को यह अच्छी तरह से पता होता है कि उसे किसी सिस्टम में किस प्रकार से वायरस को इंटर कराना है और कैसे महत्वपूर्ण डाटा की चोरी करनी है।

परंतु एंटीवायरस उपलब्ध होने की वजह से हैकर के लिए ऐसा करना थोड़ा सा मुश्किल हो जा रहा है, क्योंकि जैसे ही वह किसी भी प्रकार का वायरस किसी सिस्टम में भेजते हैं वैसे ही एंटीवायरस के द्वारा उसकी सूचना यूजर को प्रदान कर दी जाती है, जिसकी वजह से यूज़र समय रहते हुए सावधान हो जाता है और अपने सिस्टम को प्रोटेक्ट कर लेता है तथा एंटीवायरस के द्वारा वायरस अटैक को निष्फल कर देता है।

अगर आप दैनिक तौर पर एक्सटर्नल डिवाइस को अपने पीसी के साथ जोड़ते हैं तो एंटीवायरस सॉफ्टवेयर आपके पर्सनल कंप्यूटर अथवा लैपटॉप को किसी भी ऐसे वायरस से बचाता है जो एक्सटर्नल डिवाइस में मौजूद होते हैं।


एंटीवायरस कैसे काम करता है?

एंटीवायरस से काम करवाने के लिए सबसे पहले इसे अपने सिस्टम में इंस्टॉल करने की आवश्यकता होती है। सिस्टम में इंस्टॉल होने के पश्चात एंटीवायरस के द्वारा ऑटोमेटिक ही डेटाबेस में जो भी फाइल मौजूद होती है, उनकी स्कैनिंग करने का काम चालू कर दिया जाता है। अगर स्कैनिंग के दरमियान डेटाबेस में कोई भी पैटर्न डुप्लीकेट पाया जाता है तो ऐसी अवस्था में एंटीवायरस के द्वारा उसे वायरस के तौर पर माना जाता है।

इसके बाद एंटीवायरस के द्वारा इसकी सूचना सिस्टम के यूजर को मैसेज के जरिए या फिर नोटिफिकेशन के जरिए प्रदान की जाती है। इसके साथ ही एंटीवायरस इस बात का भी ऑप्शन प्रदान करता है कि यूजर वायरस के साथ क्या करना चाहता है। यूज़र अलग-अलग प्रकार के ऑप्शन में से अपनी आवश्यकता के अनुसार किसी भी ऑप्शन का सिलेक्शन कर सकता है।

जिस ऑप्शन का सिलेक्शन यूजर के द्वारा किया जाता है, एंटीवायरस उसके ऊपर कार्रवाई करता है। अगर यूजर एंटीवायरस को डिटेक्ट किए गए बग/वायरस को डिलीट करने की परमिशन देता है तो एंटीवायरस ऑटोमेटिक वायरस को डिलीट करने की प्रक्रिया चालू कर देता है जिसकी वजह से हमारा सिस्टम सिक्योर होता है।

एंटीवायरस का इतिहास

कंप्यूटर में जो पहला वायरस पाया गया था उसका नाम क्रीपर था। यह वायरस साल 1970 के आसपास में कंप्यूटर में आईडेंटिफाई किया गया था। बता दें कि 1970 के आसपास में दुनिया में मेनफ्रेम कंप्यूटर काफी ज्यादा इस्तेमाल किए जाते थे। इसलिए इस वायरस के द्वारा बड़े पैमाने पर मेनफ्रेम कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाने का काम किया गया था।

जब इस वायरस को पहचाना गया तो फिर सिस्टम को वायरस से सुरक्षित बनाने के लिए रिसर्च करना शुरू कर दिया गया था और काफी रिसर्च करने के बाद साल 1980 के आसपास में एक एंटीवायरस बनाया गया, जिसका नाम द रीपर (The Reaper) था। इस एंटीवायरस ने सफलतापूर्वक क्रीपर वायरस का खात्मा कर दिया।

क्रीपर वायरस के अस्तित्व में आने के बाद और इसका खात्मा हो जाने के बावजूद भी समय-समय पर अलग-अलग प्रकार के वायरस को कंप्यूटर में पाया गया और जैसे-जैसे दुनिया भर में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती गई, वैसे-वैसे वायरस भी बड़े पैमाने पर कंप्यूटर सिस्टम में आने लगे और कंप्यूटर सिस्टम को नुकसान पहुंचाने लगे।

इसके अलावा टेक्नोलॉजी में बढ़ोतरी होने की वजह से वायरस का इस्तेमाल लोगों की पर्सनल जानकारियों को पाने के लिए और उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए भी किया जाने लगा, क्योंकि वायरस किसी सिस्टम में इनस्टॉल करवाने के बाद यूजर को सामने वाले यूजर की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होने लगती है।

बढ़ती हुई वायरस की संख्या को देखते हुए Andreas Luning और Kai Phasee के द्वारा वायरस स्कैन नाम का एंटीवायरस प्रोडक्ट बनाया गया। इस वायरस को बनाने वाली कंपनी का नाम McAfee था। आगे बढ़ते हुए वायरस को पहचानने के लिए और वायरस को सिस्टम से दूर भगाने के लिए अलग-अलग कंपनियों के द्वारा एंटीवायरस का निर्माण करना चालू कर दिया गया। साल 1990 में कंप्यूटर एंटीवायरस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना की गई थी। इसके 2 साल बाद साल 1992 में एवीजी टेक्नोलॉजी का डेवलपमेंट किया गया और इसी साल एंटीवायरस गार्ड के पहले वर्जन को लांच कर दिया गया।

एंटीवायरस के प्रकार

एंटीवायरस के मुख्य तौर पर तीन प्रकार हैं जिनकी जानकारी निम्नानुसार है।

1: स्टैंडअलोन एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर
2: सिक्यूरिटी सॉफ्टवेयर
3: क्लाउड-आधारित एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर

स्टैंडअलोन एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर

स्टैंडअलोन एंटीवायरस एक खास प्रकार का सॉफ्टवेयर होता है इसका निर्माण मुख्य तौर पर किसी स्पेशल प्रकार के वायरस का पता लगाने के लिए और वायरस का पता लगाने के बाद उसे हटाने के लिए किया जाता है। सिस्टम में स्टैंडअलोन एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को सरलता से आप यूएसबी ड्राइव का इस्तेमाल करके इंस्टॉल कर सकते हैं। स्टैंडअलोन एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को पोर्टेबल एंटीवायरस सॉफ्टवेयर के नाम से भी जानते हैं।

सिक्यूरिटी सॉफ्टवेयर

सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर पावरफुल एंटीवायरस होते हैं। यह बहुत ही आसानी से किसी भी वायरस का पता लगा सकते हैं साथ ही वायरस का पता लगाने के बाद उसे हटाने की कैपेसिटी भी रखते हैं। सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर के द्वारा लगातार कंप्यूटर के बैकग्राउंड में काम किया जाता रहता है और लगातार किसी भी हानिकारक वायरस की स्कैनिंग ऑटोमेटिक मोड के तहत की जाती रहती है।

क्लाउड-आधारित एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर

क्लाउड आधारित सॉफ्टवेयर में सामान्य तौर पर क्लाइंट और वेब सर्विस इस प्रकार के दो भाग होते हैं। बता दे कि क्लाउड आधारित एंटीवायरस सॉफ्टवेयर एक नए प्रकार का एंटीवायरस टेक्नोलॉजी है। इसके द्वारा कंप्यूटर की जगह पर आप की फाइल को क्लाउड में एनालिसिस के लिए डाला जाता है। इसकी वजह से कंप्यूटेशनल रिसोर्स का इस्तेमाल नहीं होता है और इस प्रकार से आपके कंप्यूटर की स्पीड में कोई भी कमी नहीं आती है।

एंटीवायरस के फायदे

एंटीवायरस के एडवांटेज क्या है अथवा एंटीवायरस के लाभ क्या है, आइए जानते हैं।

स्पैम और एडवर्टाइजमेंट को ब्लॉक करता है

आपके कंप्यूटर में वायरस होने की वजह से बार-बार आपको पॉपअप एडवर्टाइजमेंट का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कंप्यूटर में स्पैम वेबसाइट की मौजूदगी की वजह से आपके कंप्यूटर कि जरूरी फाइल अपने आप ही नष्ट होने लगती है।मऐसी अवस्था में एंटीवायरस मौजूद होने की वजह से एंटीवायरस वायरस की पहचान करता है और इसकी वजह से वायरस का खात्मा करने का ऑप्शन आपको मिलता है।

जब आप वायरस का खात्मा कर देते हैं तो बार-बार आपकी स्क्रीन पर जो पॉपअप एडवर्टाइजमेंट आती होती है वह नहीं आती है। इसके अलावा ऐसी हानिकारक वेबसाइट को भी एंटीवायरस ब्लॉक करता है, जो आपके कंप्यूटर नेटवर्क को डायरेक्ट एक्सेस करने का प्रयास करती हैं।

वायरस प्रोटक्शन और ट्रांसमिशन प्रीवेंशन

कंप्यूटर में अगर एंटीवायरस इंस्टॉल है तो एंटीवायरस के द्वारा कंप्यूटर को प्रभावित करने वाले वायरस की पहचान कर ली जाती है और उसके पश्चात उसका खात्मा करने का ऑप्शन आपको दिया जाता है, ताकि कंप्यूटर के सिस्टम को सुरक्षित बनाया जा सके।

रेगुलर चेकिंग करता है

कंप्यूटर में एंटीवायरस इंस्टॉल करने के बाद यह दैनिक तौर पर आपके सिस्टम की चेकिंग करता है। चेकिंग के दरमियान अगर एंटीवायरस को किसी भी प्रकार का हैकिंग से संबंधित एप्लीकेशन या फिर अन्य कोई भी चीज नेटवर्क पर मिलती है।

तो यह उसकी जानकारी आपको देता है, जिससे आप समय रहते हुए उचित कदम अपनी सिक्योरिटी अथवा अपने कंप्यूटर की सिक्योरिटी के लिए उठा सकते हैं। इस प्रकार से हैकर के cyber-attack के हमले को भी एंटीवायरस के द्वारा बेकार कर दिया जाता है जिसकी वजह से आपके महत्वपूर्ण डाटा चोरी होने से बच जाते हैं।

अलग किए जा सकने वाले डिवाइस से सुरक्षा

एंटीवायरस के द्वारा ऐसे सभी डिवाइस की चेकिंग की जाती है जो कंप्यूटर के साथ कनेक्ट किए जा सकते हैं और निकाले जा सकते हैं। अगर ऐसे किसी डिवाइस में कोई भी वायरस होता है तो कंप्यूटर उसकी सूचना आपको देता है। इसके अलावा इस बात का भी ख्याल रखता है कि ऐसे डिवाइस का कोई भी वायरस आपके सिस्टम में प्रवेश ना कर सके।

वेबसाइट एक्सेस प्रतिबंधित करता है

इंटरनेट चलाने के दरमियान कई बार हम ऐसी वेबसाइट पर चले जाते हैं जो वेबसाइट हमारे लिए सही नहीं होती है अर्थात जो वेबसाइट फर्जी होती है जिससे हमें कुछ नुकसान हो सकता है परंतु जब आपके डिवाइस में एंटीवायरस इंस्टॉल होता है तो यह आपको अनाधिकृत नेटवर्क एक्सेस करने से रोकने के लिए आपके ऑनलाइन एक्सेस को प्रतिबंधित कर देता है। एंटीवायरस ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह चाहता है कि आप ऐसी वेबसाइट पर विजिट करें जो आपके कंप्यूटर के लिए सुरक्षित रहे और जिससे आपके सिस्टम को कोई भी नुकसान ना हो।

पासवर्ड की सुरक्षा देता है

जितने भी एंटीवायरस वर्तमान के समय में आ रहे हैं उन सभी एंटीवायरस में आपको पासवर्ड मैनेजर की सुविधा मिल जाती है। आप पासवर्ड मैनेजर का इस्तेमाल करके अपने लिए एक्स्ट्रा सुरक्षा क्रिएट कर सकते हैं।

फायर वोल की सुविधा

वर्तमान के समय में जो एंटीवायरस आ रहे हैं उनमें आपको फायर वाल की सुविधा मिल जाती है। किसी एंटीवायरस में अगर फायरवॉल मौजूद है तो यह आपके कंप्यूटर सिस्टम में जो जानकारी आती है या फिर जो जानकारी जाती है उसकी दो बार चेकिंग करने का काम करता है, जिसकी वजह से आपका पर्सनल इंफॉर्मेशन आसानी से हैक नहीं किया जा सकता है।

एंटीवायरस सस्ता होता है

एंटीवायरस की कीमत ज्यादा नहीं होती है। आप आसानी से ₹500 से लेकर के ₹1000 सालाना तौर पर एंटीवायरस को अपने सिस्टम में इनस्टॉल करवा सकते हैं और अपने कंप्यूटर को वायरस से बचा सकते हैं।

एंटीवायरस के नुकसान

एंटीवायरस के डिसएडवांटेज अथवा एंटीवायरस की हानियां के बारे में आइए आगे जानते हैं।

सिस्टम की स्पीड धीमी करता है

आपके कंप्यूटर में अगर एंटीवायरस इंस्टॉल है तो इसकी वजह से आपके कंप्यूटर का सिस्टम धीमे काम करने लगता है, क्योंकि एंटीवायरस चलने के लिए आपके कंप्यूटर के रिसोर्सेज जैसे की रेंडम एक्सेस मेमोरी और हार्ड ड्राइव का इस्तेमाल करता है, जिसके परिणाम स्वरूप कंप्यूटर की स्पीड धीमी हो जाती है, जिसकी वजह से कंप्यूटर पर पहले जो काम आप तेजी से करते थे वह एंटीवायरस को इंस्टॉल करने के बाद नहीं कर पाते हैं।

बहुत एडवर्टाइजमेंट आती है

अगर आप खरीदे गए एंटीवायरस का इस्तेमाल करते हैं तो उसमें आपको ज्यादा एडवर्टाइजमेंट नहीं दिखाई देती है परंतु अगर आपके द्वारा किसी फ्री एंटीवायरस का इस्तेमाल किया जा रहा है तो ऐसे एंटीवायरस को बनाने वाली कंपनी के द्वारा फायदा कमाने के लिए बार-बार एंटीवायरस में कुछ ऐसा सिस्टम कर दिया जाता है।

जिसकी वजह से आपके सिस्टम में एडवर्टाइजमेंट आना चालू हो जाती है, जिसकी वजह से आपके आवश्यक काम देरी से होते हैं क्योंकि आपको बार-बार ऐसी एडवर्टाइजमेंट को हटाना पड़ता है। कई बार तो कुछ ऐसी भी एडवर्टाइजमेंट आ जाती है जो समाज के लिहाज से गलत होती है।

एंटीवायरस में कुछ ना कुछ कमी अवश्य होती है

एंटीवायरस चाहे कितना भी पावरफुल क्यों ना हो, उसमें कोई ना कोई ऐसी खामी अवश्य उपलब्ध होती है, जिसकी वजह से वायरस आपके सिस्टम में प्रवेश कर जाते हैं और जब तक एंटीवायरस के द्वारा उस वायरस को पहचाना जाता है और उसकी सूचना दी जाती है तब तक वायरस अपना अधिकतर काम कर चुका होता है।

कस्टमर सर्विस की सुविधा नहीं

ऐसे बहुत सारे एंटीवायरस है जिसमें आपको तब तक कस्टमर सर्विस नहीं मिल पाती है, जब तक कि आप प्रीमियम वर्जन की खरीदारी नहीं कर लेते हैं। ऐसी अवस्था में अगर किसी भी प्रकार की समस्या का सामना आपको करना पड़ता है तो उस समस्या का समाधान पाने के लिए आपको फोरम और नॉलेज रिसॉर्स का इस्तेमाल करना होता है।

अपडेशन के लिए पैसा देना होता है

अगर आपके द्वारा पेड एंटीवायरस का इस्तेमाल किया जा रहा है तो हर साल आपको उसका नवीनीकरण करवाना होता है और इसके बदले में आपको पैसा भी देना होता है। इस प्रकार से साल भर में एक निश्चित रकम आपको एंटीवायरस को अपडेट करने के पीछे खर्च करनी होती है।

एंटीवायरस की विशेषताएं

नीचे आपको एंटीवायरस की कुछ प्रमुख विशेषताओं के बारे में बताया गया है।

एंटीवायरस में आपको फुल स्कैनिंग वाला ऑप्शन मिलता है। जब आप इस वाले ऑप्शन पर क्लिक करते हैं तो एंटीवायरस के द्वारा आपके पूरे कंप्यूटर की स्कैनिंग करने की प्रक्रिया चालू कर दी जाती है। इसके द्वारा एंटीवायरस यह पता लगाता है कि आपके कंप्यूटर में पहले से ही कोई वायरस अवेलेबल है अथवा नहीं! अगर कोई वायरस मौजूद होता है तो एंटीवायरस उसे किल कर देता है।

अधिकतर एंटीवायरस में आज के समय में फायरवॉल की सुविधा होती है जिसके द्वारा कंप्यूटर को डबल सिक्योरिटी हासिल होती है। फायर बॉल कंप्यूटर में आने वाली और कंप्यूटर से जाने वाली सभी चीजों को दो बार चेक करता है।

हमारे द्वारा जब भी अपने कंप्यूटर सिस्टम सॉफ्टवेयर में किसी भी प्रकार की फाइल को ओपन किया जाता है तो एंटीवायरस के द्वारा उस फाइल की ऑटोमेटिक ही स्कैनिंग कर ली जाती है। अगर स्कैनिंग के दरमियान एंटीवायरस को किसी भी प्रकार का खराब वायरस मिलता है तो एंटीवायरस के द्वारा उसका खात्मा कर दिया जाता है।

एंटीवायरस बैकग्राउंड स्कैनिंग करता है जिसकी वजह से कंप्यूटर सिस्टम को सुरक्षा लगातार मिलती रहती है।

एंटीवायरस कितने तरीके से वायरस का पता लगाता है?

एंटीवायरस मुख्य तौर पर 5 प्रकार से वायरस का पता लगाता है। इन पांचों प्रकार के नाम और उनकी जानकारी निम्नानुसार है।

1: Sandbox detection
2: Data mining techniques
3: Signature-based detection
4: Heuristic-based detection
5: Behavioral-based detection

Sandbox Detection

इसमें एक प्रोग्राम को वर्चुअल एनवायरमेंट में चलाया जाता है। इस प्रक्रिया में जो प्रोग्राम चलाए जाते हैं उसके व्यवहार को पहचाना जाता है। अगर एंटीवायरस को इस बात की जानकारी प्राप्त होती है कि प्रोग्राम मेलीशियस है तो उस पर कार्यवाही की जाती है।

Data Mining Techniques

इसमें स्पेशल प्रोग्राम के फीचर मौजूद होते हैं। इसके द्वारा कोई प्रोग्राम वायरस से प्रभावित है या नहीं, इसके बारे में पता लगाया जाता है।

Signature-Based Detection

इस तरीके मे जितनी भी .Exe फाइल होती है उन सभी फाइल को या तो वायरस डेफिनेशन फाइल के साथ मैच करते हैं या फिर मालवेयर टाइप के साथ मैच करते हैं और जैसे ही किसी भी अनजान में फाइल को आईडेंटिफाई किया जाता है वैसे ही उसके ऊपर कार्रवाई शुरू कर दी जाती है। सिग्नेचर पर आधारित तकनीक में अलग-अलग प्रोग्राम को स्कैन किया जाता है।

Heuristic-Based Detection

इसके द्वारा सरलता से पुराने वायरस के साथ ही साथ नए वायरस को भी ढूंढ निकाला जाता है। इसके द्वारा इस बात को पता लगाया जाता है कि ऐसा कौन सा प्रोग्राम है जो एप्लीकेशन पर प्रभाव डालने का प्रयास कर रहा है।

Behavioral-based detection

इसके द्वारा मालवेयर वायरस के व्यवहार को पहचाना जाता है और फिर पहचान कर उस पर कार्रवाई करी जाती है। जैसे ही मालवेयर किसी भी दूसरी फाइल को खराब करने का प्रयास करता है वैसे ही यह उसे पकड़ लेता है।

एंटीवायरस अपडेट करना आवश्यक क्यों है?

कोई भी चीज जब पहली बार लांच होती है तो उसमें कुछ ना कुछ कमी अवश्य होती है और जैसे-जैसे उसका इस्तेमाल किया जाता है, वैसे वैसे उसकी कमियों के बारे में पता चलता है और फिर उसकी कमियों में सुधार किया जाता है और नए सिरे से उसे लॉन्च किया जाता है। ठीक इसी प्रकार से जब कोई एंटीवायरस लांच होता है और जब आप उसे अपने सिस्टम में इंस्टॉल करके उसका इस्तेमाल करते हैं तो वह बढ़िया काम करता है।

परंतु एंटीवायरस को और भी पावरफुल बनाने के लिए एंटीवायरस मेकिंग कंपनी के द्वारा उसमें अपडेट किया जाता है। अपडेट की गई सुविधा आपको तभी मिलती है जब आप अपने डिवाइस में इंस्टॉल एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को अपडेट करते हैं।

एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को अपडेट करने की वजह से आपका एंटीवायरस सॉफ्टवेयर पावरफुल बन जाता है और वह किसी भी प्रकार के वायरस को बेहतरीन ढंग से स्कैन करने की कैपेसिटी रखने लगता है। इसलिए आपको समय-समय पर अपने एंटीवायरस को अपडेट करने की आवश्यकता होती है।

एंटीवायरस की कीमत और खरीदारी

हमारे देश में अलग-अलग कंपनियों के द्वारा सिस्टम के लिए एंटीवायरस का निर्माण किया गया है। इस प्रकार से अलग-अलग कंपनियों के द्वारा जब एंटीवायरस बनाया गया है तो उनके दाम भी अलग-अलग होते हैं। किसी एंटीवायरस सॉफ्टवेयर की कीमत ज्यादा होती है तो किसी एंटीवायरस सॉफ्टवेयर की कीमत कम होती है।

एंटीवायरस सॉफ्टवेयर की खरीदारी आप घर बैठे ऑनलाइन फ्लिपकार्टअमेजॉन और दूसरी शॉपिंग वेबसाइट से कर सकते हैं या फिर आप चाहे तो संबंधित एंटीवायरस की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर के भी ऑनलाइन उसकी खरीदारी कर सकते हैं।

एंटीवायरस की कीमत सामान्य तौर पर ₹500 चालू होती है और फिर आगे बढ़ती जाती है। कोई एंटीवायरस जितना अधिक सुविधा वाला होगा, उसकी कीमत उतनी ही ज्यादा होगी।

एंटीवायरस कैसा सॉफ्टवेयर है?

एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को इंटरनेट पर कहीं-कहीं एंटी मालवेयर सॉफ्टवेयर के तौर पर भी जाना जाता है। एंटी मालवेयर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल वायरस का पता लगाने के लिए किया जाता है, वायरस को रोकने के लिए किया जाता है और वायरस को हटाने के लिए किया आता है। इस प्रकार से एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कहा जाता है जिसमें विभिन्न प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।

बेस्ट 10 एंटीवायरस के नाम

आपको नीचे 10 सर्वश्रेष्ठ एंटीवायरस के नाम और उनकी जानकारी दी गई है।

1: Quick Heal Antivirus
2: McAfee Antivirus
3: Bit Defender Antivirus
4: Norton Antivirus
5: Avast
6: AVG
7: Panda
8: Avira
9: Total security
10: Net protector Anti virus

Quick Heal Antivirus

क्विक हील की आधिकारिक वेबसाइट quickheal.co.in है, जहां से आप इस एंटीवायरस की खरीदारी कर सकते हैं। इसकी कीमत लगभग ₹1000 है। इसी वेबसाइट से आप क्विक हील एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को भी डाउनलोड कर सकते हैं।

क्विक हील एक बहुत ही भरोसेमंद और पावरफुल कंप्यूटर सिस्टम एंटीवायरस है, जो लंबे समय से लोगों के कंप्यूटर को वायरस से बचाने का काम कर रहा है। इस एंटीवायरस के द्वारा आपके कंप्यूटर में हानिकारक वायरस को आसानी से पहचान लिया जाता है और तुरंत ही उसे दूर करने की सूचना आपको दी जाती है, जिसकी वजह से आप समय रहते हुए कंप्यूटर में से हानिकारक वायरस को निकाल लेते हैं।

McAfee Antivirus

उपरोक्त एंटीवायरस की खरीदारी आप इसकी आधिकारिक वेबसाइट mcafee.com से कर सकते हैं। यह अमेरिका देश की एक कंपनी है जो बेहतरीन सुविधाओं के साथ आपको अपने सिस्टम को वायरस से बचाने के लिए एंटीवायरस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने की सुविधा देती है।

इसकी खरीदारी करने के लिए आपको ₹1300 खर्च करने की आवश्यकता होती है। हालांकि समय समय पर कीमतों में बदलाव भी होता रहता है। यह एंटीवायरस ऑटोमेटिक या फिर मैन्युअल रूप से आपके सिस्टम को स्कैन करता है।

Bit Defender Antivirus

यह ऐसा शानदार एंटीवायरस है जो आपके कंप्यूटर को वायरस से फ्री करता है और आपके कंप्यूटर सिस्टम की रक्षा भी करता है। इसके अलावा यह आपके डिवाइस को भी सिक्योरिटी प्रदान करता है।

आप इस एंटीवायरस को फ्री में भी इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर थोड़े से पैसे खर्च करके इसके प्रीमियम वर्जन की खरीदारी कर सकते हैं। प्रीमियम वर्जन में आपको एक्स्ट्रा फीचर, फ्री फीचर की तुलना में देखने को मिलते हैं। इसकी खरीदारी करने के लिए आपको ₹700 से लेकर के ₹800 खर्च करने की आवश्यकता होगी।

Norton Antivirus

करोड़ों लोगों के द्वारा इस सॉफ्टवेयर पर भरोसा किया जाता है, क्योंकि यह सॉफ्टवेयर उनके कंप्यूटर को हानिकारक वायरस से बचाने का काम करता है, साथ ही कंप्यूटर में अगर कोई हानिकारक वायरस है तो उसकी भी सूचना आपको देता है।

आप चाहे तो इस सॉफ्टवेयर प्लेटफार्म के ऑफिशियल एप्लीकेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं और फ्री ट्रायल ले सकते हैं। दुनिया भर में यह एंटीवायरस काफी लोकप्रिय है। इसकी कीमत तकरीबन ₹2000 के आसपास में है।

Avast Antivirus

कंप्यूटर के लिए जब कभी भी टॉप एंटीवायरस की लिस्ट बनाई जाती है, तब उसमें उपरोक्त एंटीवायरस को अवश्य ही शामिल किया जाता है क्योंकि उपरोक्त एंटीवायरस का इंटरफेस बहुत ही आसान है। इसलिए इसका इस्तेमाल करना बहुत ही सरल है। इसके अलावा अवास्ट एंटीवायरस आसानी से किसी भी सिस्टम में इनस्टॉल भी हो जाता है।

इस एंटीवायरस के द्वारा सभी प्रकार के वायरस को स्कैन किया जाता है और उसका खात्मा भी किया जाता है। आपको इस एंटीवायरस को प्राप्त करने के लिए ₹1365 खर्च करने होंगे। एक बार इस एंटीवायरस को अपने डिवाइस में इंस्टॉल करने के बाद यह बैकग्राउंड में चलता रहता है और पूरे सिस्टम की स्कैनिंग समय-समय पर करता रहता है।

AVG Antivirus

इस एंटीवायरस को भी लोग अपने सिस्टम में इसलिए इंस्टॉल करना पसंद करते हैं क्योंकि यह एंटीवायरस बेहतरीन ढंग से काम करता है और कंप्यूटर की स्पीड को भी धीमा नहीं करता है।

इस एंटीवायरस के द्वारा आपकी सभी एक्टिविटी पर नजर बनाकर रखी जाती है साथ ही समय-समय पर यह भी बताया जाता है कि आपको अपने सिस्टम को स्ट्रांग करने के लिए कौन से आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है। यह एंटीवायरस आपके कंप्यूटर की एक्टिविटी में किसी भी प्रकार का खलल नहीं डालता है। इसे खरीदने के लिए आपको ₹700 खर्च करने की आवश्यकता होती है।

Panda Antivirus

पांडा एंटीवायरस को हानिकारक वायरस और मालवेयर का काल माना जाता है, क्योंकि यह जैसे ही किसी वायरस को ढूंढ पाता है वैसे ही उसकी सूचना सिस्टम यूजर कोड देता है, ताकि सिस्टम यूजर आगे की कार्यवाही कर सकें।

पांडा एंटीवायरस के द्वारा आपको रियल टाइम प्रोटेक्शन दिया जाता है। इसमें आपको क्लाउड क्लीनर और यूआरएल स्कैनिंग की सुविधा भी हासिल होती है, जिसकी वजह से वेब ब्राउज़र करना सुरक्षित होता है। इसे लेने के लिए आपको ₹800 खर्च करने पड़ सकते हैं।

Avira Antivirus

अगर आपने इस एंटीवायरस को अपने लैपटॉप या फिर कंप्यूटर अथवा डेस्कटॉप में इंस्टॉल किया हुआ है तो यह बैकग्राउंड में काम करता रहता है और आपके सिस्टम की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी लेता है। इसे लेने के लिए आपको ₹1365 देने होंगे।

Total security antivirus

कंप्यूटर में जब कभी भी आप कोई भी एक्सटर्नल डिवाइस लगाते हैं तो टोटल सिक्योरिटी एंटीवायरस सॉफ्टवेयर के द्वारा उसकी स्कैनिंग की जाती है और अगर सब कुछ सही रहता है तो कोई प्रॉब्लम नहीं होती है परंतु कुछ गड़बड़ी होती है तो उसकी सूचना आपको नोटिफिकेशन अथवा पॉपअप मैसेज के जरिए दी जाती है। इसकी खरीदारी ₹1465 में हो जाती है।

Net protector Antivirus

यह बहुत ही पावरफुल एंटीवायरस है, जो आपके कंप्यूटर को हानिकारक वायरस और हानिकारक वायरस अटैक से बचाने की कैपेसिटी रखता है और आपके कंप्यूटर को सुरक्षा प्रदान करता है। नेट प्रोटेक्टर एंटीवायरस की डेवलपर टीम के द्वारा इसमें कई शानदार सुविधाएं आपको दी गई है, जिसके द्वारा आप अपने कंप्यूटर को सिक्योर बना सकते हैं।

इसकी खरीदारी करने के लिए आपको ₹3000 खर्च करने की आवश्यकता होगी। इसकी आधिकारिक वेबसाइट npav.net है। आप इस एंटीवायरस को इसकी आधिकारिक वेबसाइट से खरीद सकते हैं, साथ ही आधिकारिक वेबसाइट के द्वारा इसका नवीनीकरण भी करवा सकते हैं।

एंटीवायरस क्या करता है?

अलग-अलग कंपनियों के द्वारा एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है, जिनमे अलग-अलग फीचर उपलब्ध होते हैं। एक एंटीवायरस सॉफ्टवेयर आपके सिस्टम में वायरस का पता लगाने का काम करता है। इसके लिए वह सिस्टम में मौजूद फाइल और डायरेक्टरी की तो स्कैनिंग करता ही है, इसके अलावा पूरे सिस्टम को भी स्कैन करता है।

इसके अलावा एंटीवायरस सॉफ्टवेयर ऑटोमेटिक बैकग्राउंड में चलता रहता है और लगातार काम करता रहता है। अपने कंप्यूटर के साथ जब आप किसी भी एक्सटर्नल डिवाइस जैसे की पेन ड्राइव या फिर cd-dvd को जोड़ते हैं तो एंटीवायरस सॉफ्टवेयर उसकी स्कैनिंग करता है और अगर कोई वायरस मौजूद होता है तो उसकी जानकारी आपको देता है।

एंटीवायरस सॉफ्टवेयर के द्वारा कंप्यूटर की हेल्थ बताने का काम भी किया जाता है। कंप्यूटर में वायरस के आने पर एंटीवायरस के द्वारा उसका नोटिफिकेशन हमें दिया जाता है और हमारे निर्देश पर एंटीवायरस सॉफ्टवेयर वायरस को क्लीन भी करता है।

हमें एंटीवायरस सॉफ्टवेयर की आवश्यकता क्यों है?

अगर आपके कंप्यूटर में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर सिक्योरिटी मौजूद नहीं है और इसके बावजूद आप इंटरनेट से कनेक्टेड होते हैं तो इसकी वजह से कुछ ही मिनट में आप वायरस से प्रभावित हो सकते हैं। लगातार समय-समय पर नए-नए वायरस बनाए जा रहे हैं और उन्हें कंप्यूटर सिस्टम में इनस्टॉल कराने का प्रयास किया जा रहा है।

इसलिए एंटीवायरस कंपनी के द्वारा समय-समय पर एंटीवायरस को अपडेट भी किया जाता रहता है। इस बात से ही आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि आपको आखिर अपने सिस्टम के लिए एंटीवायरस सॉफ्टवेयर की आवश्यकता क्यों है।

एंटीवायरस और एंटी मालवेयर

एंटीवायरस और एंटी मालवेयर के बीच यही समानता है कि इन दोनों का ही निर्माण आपके डिवाइस को वायरस से बचाने के लिए साथ ही अटैकर से बचाने के लिए किया गया है। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को आपके डिवाइस को सभी प्रकार के अटैक से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है, वहीं एंटी मालवेयर सॉफ्टवेयर को आपके डिवाइस को सिर्फ मालवेयर से बचाने के लिए डिजाइन किया गया है।

एंटीवायरस इंस्टॉल कैसे करें?

आपके द्वारा अगर लोकल मार्केट से एंटीवायरस की खरीदारी की गई है तो उसे अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल करने के लिए आप दुकानदार की सहायता ले सकते हैं। अधिकतर एंटीवायरस के पैकेट पर ही यह लिखा हुआ होता है कि उसे आप अपने सिस्टम में किस प्रकार से इंस्टॉल कर सकते हैं।

इसके बावजूद अगर आप एंटीवायरस इंस्टॉल नहीं कर पा रहे हैं तो आप इंटरनेट पर मौजूद अलग-अलग आर्टिकल की सहायता के द्वारा भी एंटीवायरस सिस्टम में इनस्टॉल कर सकते हैं। अगर आप और भी बेहतरीन तरीके से समझना चाहते हैं तो आप यूट्यूब पर मौजूद वीडियो ट्यूटोरियल के माध्यम से अपने कंप्यूटर या फिर दूसरे डिवाइस में एंटीवायरस को इंस्टॉल कर सकते हैं।

इसके अलावा एंटीवायरस इंस्टॉल की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एंटीवायरस की बिक्री करने वाली कंपनी के द्वारा अपने कस्टमर नंबर को भी पैकेट पर छापा जाता है, साथ ही अधिकारिक वेबसाइट पर भी दिया जाता है। आप कस्टमर केयर नंबर पर बात करके एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को स्टेप बाय स्टेप प्रक्रिया को फॉलो करके अपने कंप्यूटर में या फिर सिस्टम में इनस्टॉल कर सकते हैं।

एंटीवायरस प्रोग्राम ओपन कैसे करें?

कंप्यूटर में एंटीवायरस प्रोग्राम को इंस्टॉल करने के बाद यह ऑटोमेटिक ही तब काम करना चालू कर देता है जब आप अपने कंप्यूटर को बूट करते हैं। हालांकि अगर एंटीवायरस प्रोग्राम काम नहीं कर रहा है मतलब की बैकग्राउंड में नहीं चल रहा है तो इसका मतलब है कि आपका कंप्यूटर पूर्ण रूप से प्रोटेक्टेड नहीं है।

जब एंटीवायरस सॉफ्टवेयर बैकग्राउंड में चलता है तो यह आपको विंडो नोटिफिकेशन एरिया में दिखाई देता है। आप चाहे तो एंटीवायरस के आइकन पर डबल क्लिक करके प्रोग्राम को ओपन कर सकते हैं और मैन्युअल रूप से स्कैनिंग की प्रक्रिया को दिए गए ऑप्शन के द्वारा शुरू कर सकते हैं।

क्या एंटीवायरस इंस्टॉल करने के दरमियान वायरस आ सकता है?

बिल्कुल! एंटीवायरस अपने सिस्टम में इंस्टॉल करने के दरमियान भी आपके सिस्टम में वायरस आ सकता है, क्योंकि हो सकता है कि एंटीवायरस वायरस से प्रभावित हो परंतु इसके बावजूद अगर एंटीवायरस मौजूद है तो वह वायरस को फाइंड कर लेगा साथ ही अनजाने वायरस से भी आपके सिस्टम की सुरक्षा करेगा। इसीलिए ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।

FAQ:

एंटी वायरस का अर्थ क्या है?

एंटीवायरस का अर्थ है एक ऐसा सॉफ्टवेयर जो वायरस का खात्मा करता है।

एंटीवायरस क्या है और इसके उदाहरण?

एंटी वायरस वायरस को नष्ट करता है। इसके उदाहरण आर्टिकल में बताए गए हैं।

एंटीवायरस का क्या कार्य है?

एंटी वायरस वायरस को पहचानता है, उसे रोकता है और उसे खत्म करता है।

एंटीवायरस कितने प्रकार के होते हैं?

मुख्य तौर पर एंटीवायरस 3 प्रकार के होते हैं।

दो एंटीवायरस सॉफ्टवेयर के नाम लिखिए?

Norton Antivirus, Avg Antivirus

दोस्तों उम्मीद है एंटीवायरस से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां आपको आज के इस लेख में मिल चुकी होंगी। और आप जान गये होगे की एंटीवायरस क्या है? (What is Antivirus in Hindi) इसके प्रकार? फ़ायदे और उपयोग? कैसे काम करता है? इस्तेमाल करना चाइए या नही? History of antivirus & all about antivirus in hindi?

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Hope की आपको एंटीवायरस क्या है? इसके प्रकार और कैसे काम करता है? (Antivirus in Hindi) का यह पोस्ट पसंद आया होगा, और हेल्पफ़ुल लगा होगा।

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