रैम क्या है और इसके इसके (What is RAM in Hindi)

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रैम क्या है (What is RAM in Hindi) जब कभी आप मोबाइल अथवा लैपटॉप खरीदने के लिए किसी दुकान पर गए होंगे तो वहां पर जब दुकानदार के द्वारा आपको मोबाइल अथवा लैपटॉप की विशेषता बताई जा रही होगी, तो आपको यह भी बताया गया होगा कि आपको इतने रैम के लैपटॉप या फिर स्मार्टफोन को लेना चाहिए।

रैम क्या है और इसके इसके (What is RAM in Hindi)

ऐसे में जो लोग रैम के बारे में नहीं जानते हैं, उनके मन में यह सवाल आता है कि आखिर यह रैम क्या चीज होती है जिसके बारे में दुकानदार इतनी गहराई से आपको बता रहा है।


इस प्रकार अगर आपको भी रैम के बारे में इंफॉर्मेशन प्राप्त करनी है, तो इस आर्टिकल में आपको रैम की पूरी जानकारी हिंदी में मिलेगी। आर्टिकल में आप जानेंगे की रैम की विशेषताएं, उपयोग, फायदे, काम करने का तरीका क्या है। चलिए जानते हैं “रैम क्या है?” और “रैम की परिभाषा क्या है?”

अनुक्रम

रैम क्या है? (What is RAM in Hindi)

RAM: RANDOM ACCESS MEMORY


अंग्रेजी भाषा में रैम का पूरा मतलब रेंडम एक्सेस मेमोरी होता है। रैंडम एक्सेस स्मृति को हिंदी भाषा में यादृच्छिक अभिगम मेमोरी कहा जाता है। रैंडम एक्सेस मेमोरी अर्थात रैम एक वोलेटाइल मेमोरी है जिसका मतलब यह होता है कि जब तक कंप्यूटर पावर ऑन रहता है तब तक रेंडम एक्सेस मेमोरी के अंदर डाटा मौजूद होते हैं।

परंतु जैसे ही काम समाप्त करने के बाद या फिर काम के बीच में ही अथवा किसी भी प्रकार से कंप्यूटर का पावर स्विच ऑफ हो जाता है वैसे ही रैंडम एक्सेस मेमोरी में जो भी डाटा होता है वह समाप्त हो जाता है। वोलेटाइल मेमोरी का मतलब अस्थिर मेमोरी होता है।

रेंडम एक्सेस मेमोरी को किसी भी कंप्यूटर, डेस्कटॉप, लैपटॉप की मुख्य मेमोरी कहा जाता है, साथ ही यह आपके स्मार्टफोन की भी मुख्य मेमोरी होती है। रेंडम एक्सेस मेमोरी में जो भी डाटा मौजूद होते हैं उसे आसानी से बदला जा सकता है या फिर उसे डिलीट भी किया जा सकता है।


डिवाइस पर real-time में इस्तेमाल किए जा रहे डाटा या एप्लीकेशन को हार्ड ड्राइव से रैंडम एक्सेस मेमोरी में स्टोर कर सकते हैं, क्योंकि रेंडम एक्सेस मेमोरी में हार्ड ड्राइव की तुलना में डाटा बहुत ही तेजी से लोड होता है।

जैसे ही रेंडम एक्सेस मेमोरी की कैपेसिटी में बढ़ोतरी होती है वैसे ही आपके कंप्यूटर की स्पीड में भी तेजी आती है। रेंडम एक्सेस मेमोरी पर जितना अधिक लोड पड़ेगा, आपका डिवाइस उतना ही धीमे काम करेगा। रैम को random-access इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि डाटा को अचानक से ही किसी भी सिंगल बाइट के माध्यम से पढ़ा और लिखा जा सकता है।

रैम की परिभाषा क्या है?

रेंडम एक्सेस मेमोरी कंप्यूटर मेमोरी का एक रुप है। इसे जब चाहे तब किसी भी सीरीज में चेंज कर सकते हैं या फिर पढ़ सकते हैं। सामान्य तौर पर इसका इस्तेमाल वर्किंग डाटा और मशीन कोड को स्टोर करने के लिए किया जाता है।


रेंडम एक्सेस मेमोरी में मल्टीप्लेक्सिंग और डिमल्टीप्लेक्सिंग सर्किटरी मौजूद होती है, जो एंट्री को पढ़ने या लिखने के लिए डाटा लाइन को संबंधित स्टोरेज से कनेक्ट करने के लिए होती है। रेंडम एक्सेस मेमोरी उपकरण में सामान्य तौर पर कई डेटा लाइन मौजूद होती है, उन्हें “8-बिट” कहा जाता है।

रैम की विशेषताएं

आपके सामने नीचे हमने रेंडम एक्सेस मेमोरी की कुछ शानदार विशेषताएं प्रस्तुत की हुई है।

  • आपके कंप्यूटर, लैपटॉप अथवा डेस्कटॉप में मौजूद महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर जैसे कि एमएस वर्ड, एमएस पावरप्वाइंट, एमएस एक्सल, एप्लीकेशन रेंडम एक्सेस मेमोरी से ही चलते हैं। इसीलिए रेंडम एक्सेस मेमोरी को कंप्यूटर या फिर स्मार्टफोन की प्राइमरी मेमोरी कहा जाता है।
  • अगर सेकेंडरी मेमोरी से रेंडम एक्सेस मेमोरी की तुलना की जाए तो रेंडम एक्सेस मेमोरी की स्पीड अधिक होती है।
  • दूसरी मेमोरी की तुलना में रेंडम एक्सेस मेमोरी की कीमत अधिक होती है।
  • रेंडम एक्सेस मेमोरी को ही कंप्यूटर की वर्किंग मेमोरी कहा जाता है।
  • जब तक आपका कंप्यूटर पावर ऑन रहता है तब तक रेंडम एक्सेस मेमोरी में डाटा स्टोर होते रहते हैं। जैसे ही कंप्यूटर का पावर चला जाता है अर्थात कंप्यूटर की पावर सप्लाई किसी भी वजह से बंद हो जाती है वैसे ही रेंडम एक्सेस मेमोरी में जो भी डाटा मौजूद होता है वह खत्म हो जाता है। इसलिए रेंडम एक्सेस मेमोरी को वोलेटाइल मेमोरी अर्थात अस्थिर मेमोरी कहते हैं।
  • आपके कंप्यूटर, लैपटॉप, डेस्कटॉप अथवा स्मार्टफोन की रेंडम एक्सेस मेमोरी कैपेसिटी जितनी ज्यादा होगी, आपका डिवाइस उतना ही बेहतरीन तरीके से और तेज गति से काम करेगा।

रैम के प्रकार (Types of RAM in Hindi)

सामान्य तौर पर रैंडम एक्सेस मेमोरी को दो ब्रॉड कैटेगरी में डिवाइड किया गया है।


  • Static RAM (SRAM)
  • Dynamic RAM (DRAM)

1: Static RAM (SRAM)

स्टैटिक रेंडम एक्सेस मेमोरी, स्थिर मेमोरी होती है। इसमें आपको डाटा को डालने के लिए बार-बार रिफ्रेश करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती है। इसमें जो डाटा अवेलेबल होते हैं वह स्थिर रहते हैं।

हालांकि एक बात यह भी है कि इसमें तभी तक आपका डाटा मौजूद होता है जब तक की पावर सप्लाई चलती रहती है, क्योंकि इसे अपने काम को अंजाम देने के लिए इलेक्ट्रिसिटी की आवश्यकता होती है। अगर किसी भी वजह से पावर सप्लाई डिस्कनेक्ट हो जाती है, तो ऐसी सिचुएशन में इसमें जो भी डाटा होता है, उसका खात्मा हो जाता है।

Static RAM बहुत ही तेज गति के साथ काम करता है। इसे ज्यादा इलेक्ट्रिसिटी की आवश्यकता होती है। स्टैटिक रेंडम एक्सेस मेमोरी का आकार भी बड़ा होता है‌। यह लंबे समय तक काम करती है।

इसका इस्तेमाल सीपीयू कैची के लिए किया जाता है। DRAM की तुलना अगर एसआरएएम से की जाए तो एसआरएएम ज्यादा महंगा होता है। स्टैटिक रेंडम एक्सेस मेमोरी का मुख्य तौर पर इस्तेमाल वीडियो कार्ड और डिजिटल टू एनालॉग कन्वर्टर के लिए किया जाता है।

2: Dynamic RAM (DRAM)

डायनेमिक रेंडम एक्सेस मेमोरी में आपको डाटा को स्टोर करने के लिए बार-बार इसे रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है। इसमें भी जो डाटा मौजूद होते हैं, जब इलेक्ट्रिसिटी खत्म हो जाती है तो वह डाटा भी खत्म हो जाते हैं। डायनेमिक रेंडम एक्सेस मेमोरी में एक ट्रांजिस्टर और एक कैपेसिटर उपलब्ध होता है।

डायनेमिक रेंडम एक्सेस मेमोरी की स्पीड स्लो होती है और इन्हें कम पावर की आवश्यकता होती है। इसके अलावा इनका आकार भी ज्यादा बड़ा नहीं होता है और यह बहुत कम दिनों तक ही अपनी सर्विस दे पाती हैं।

स्टैटिक रेंडम एक्सेस मेमोरी की तुलना अगर डायनेमिक रेंडम एक्सेस मेमोरी से की जाए, तो डायनेमिक रेंडम एक्सेस मेमोरी सस्ती पड़ती है। हालांकि इस मेमोरी की कैपेसिटी भी अच्छी होती है।‌इसका इस्तेमाल मुख्य तौर पर सिस्टम मेमोरी में होता है।

रैम कैसे काम करता है?

हमारे द्वारा जब किसी भी गेम को अथवां एप्लीकेशन को इंस्टॉल किया जाता है तो वह रेंडम एक्सेस मेमोरी में इंस्टॉल नहीं होता है, बल्कि गेम अथवा एप्लीकेशन डिवाइस पर इंटरनल मेमोरी में जा कर के इंस्टॉल होती है।

और जब आपके द्वारा उस एप्लीकेशन या फिर गेम पर क्लिक किया जाता है, तो वह रन करने के लिए फोन की इंटरनल मेमोरी से रेंडम एक्सेस मेमोरी पर चला जाता है और ऐसा होने के पश्चात ही तुरंत रेंडम एक्सेस मेमोरी अपना काम करना चालू कर देती है।

इस दरमियान सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और रेंडम एक्सेस मेमोरी के मध्य काफी तेजी से इंफॉर्मेशन का आना-जाना शुरू हो जाता है, परंतु जब आपके कंप्यूटर या फिर स्मार्टफोन की रेंडम एक्सेस मेमोरी कम होती है या फिर उस पर काफी अधिक लोड होता है तो ऐसी अवस्था में आपका कंप्यूटर या फिर स्मार्ट फोन हैंग करने लगता है।

यही वजह है कि लोग जब कभी भी कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन लेते हैं तो वह अधिक से अधिक रेंडम एक्सेस मेमोरी वाले डिवाइस की खरीदारी करते हैं, क्योंकि जब आपके डिवाइस की रैम ज्यादा होगी तो इसकी वजह से आपको मल्टीटास्किंग करने में आसानी होगी और एक ही समय में आप बिना अटके हुए डिवाइस में कई कामों को निपटा सकेंगे।

मोबाइल के लिए कितना रैम सही है?

वर्तमान समय में अगर देखा जाए तो आपके स्मार्टफोन में कम से कम 2 जीबी की रैम अवश्य ही उपलब्ध होनी चाहिए, क्योंकि वर्तमान के समय में एप्लीकेशन अथवा गेम का निर्माण करने वाली कंपनी के द्वारा बड़ी साइज की एप्लीकेशन और गेम को बनाया जा रहा है।

जैसे जब आप फ्री फायर जैसी एप्लीकेशन डाउनलोड करते हैं तो इसका आकार 1GB से अधिक होता है वही पब्जी का आकार भी 1GB से ज्यादा होता है।

इसके अलावा कई ऐसी एप्लीकेशन है जिनका आकार 80mb अथवा उससे ज्यादा होता है। ऐसे में जब आप ऐसे गेम या फिर एप्लीकेशन को अपने मोबाइल में इंस्टॉल करते हैं और उन्हें चलाते हैं तो वह तभी अच्छे से चलती है जब आपके मोबाइल की रेंडम एक्सेस मेमोरी ज्यादा होती है।

अगर आपके मोबाइल की रेंडम एक्सेस मेमोरी कम है तो ऐसी अवस्था में गेम अथवा एप्लीकेशन लोड होने में ज्यादा समय लगता है और वह सही प्रकार से काम भी नहीं कर पाते हैं, जिसकी वजह से आपका मोबाइल भी हैंग होता है। इसीलिए कम से कम 2GB रैम वाले मोबाइल को लेना चाहिए। हालांकि अपनी आवश्यकता के हिसाब से आप 3GB अथवा 4GB अथवा 6GB अथवा 12gb रैम वाले मोबाइल की भी खरीदारी कर सकते हैं।

कंप्यूटर और मोबाइल रैम में अंतर

हमने इस बात को नोटिस किया हुआ है कि अधिकतर मोबाइल प्रोसेसर में एलपीडीडीआर का इस्तेमाल किया जाता है, वही कंप्यूटर में पीसीडीडीआर का इस्तेमाल ज्यादा होता है। एलपीडीडीआर का पूरा मतलब लो पावर डबल डाटा सिंक्रोनस रैम होता है, वही पीसीडीडीआर का पूरा मतलब स्टैंडर्ड डबल डाटा सिंक्रोनस रैम होता है।

पावर के मामले में यह दोनों ही रेंडम एक्सेस मेमोरी एक दूसरे की बिल्कुल भिन्न होती है। डेवलपर कंपनी के द्वारा स्मार्टफोन की रेंडम एक्सेस मेमोरी को अधिक पावर सुरक्षित करने के लिए बनाया गया है, वही कंप्यूटर की रेंडम एक्सेस मेमोरी को परफॉर्मेंस में सुधार करने के लिए डिवेलप किया गया है।

रैम के फायदे

  • अगर आपका लैपटॉप, कंप्यूटर, डेस्कटॉप, आईपैड अथवा स्मार्टफोन की रेंडम एक्सेस मेमोरी अधिक है तो इसकी वजह से आप एक ही समय में अलग-अलग प्रकार की भारी भारी एप्लीकेशन को अपने डिवाइस में चला सकते हैं।
  • ज्यादा रैम होने की वजह से आपका डिवाइस इन सभी चीजों को आसानी से हैंडल कर लेता है, परंतु अगर आपके डिवाइस की रेंडम एक्सेस मेमोरी ज्यादा नहीं है और आप उस पर भारी एप्लीकेशन अथवा अन्य किसी चीज को लोड करते हैं तो वह उसे सही प्रकार से चला पाने में असमर्थ होती है।
  • अगर किसी प्रकार से एप्लीकेशन अथवा गेम चल भी जाती है तो वह भी बहुत ही रुक रुक कर चलती है, जिससे आपको पूरा आनंद नहीं आता है और साथ ही साथ आपका डिवाइस हैंग भी करने लगता है।
  • रेंडम एक्सेस मेमोरी ज्यादा होने की वजह से आपके सिस्टम की स्पीड में शानदार बढ़ोतरी होती है, क्योंकि जब आपके मोबाइल अथवा डिवाइस में रेंडम एक्सेस मेमोरी अधिक होती है तो आपके पास ज्यादा स्पेस अवेलेबल होता है। इसलिए आप तेजी से एक ही साथ विभिन्न एप्लीकेशन और सॉफ्टवेयर को चला पाने में समर्थ होते हैं।

कंप्यूटर के लिए कितना रैम जरूरी है?

हम आपको इस बात की जानकारी प्रदान करना चाहते हैं कि कंप्यूटर में रेंडम एक्सेस मेमोरी फिक्स नहीं होती है। यह इस बात पर डिपेंड करती है कि आपको कंप्यूटर पर कैसे काम करना है और कितना काम करना है। देखा जाए तो हमारे घरों में जो पर्सनल कंप्यूटर इस्तेमाल होता है, उसकी रेंडम एक्सेस मेमोरी 4GB से लेकर के 6GB के आसपास तक होती है।

इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति कंप्यूटर का इस्तेमाल प्रोफेशनल कामों के लिए करना चाहता है तो उसे 8GB से अधिक रेंडम एक्सेस मेमोरी वाले कंप्यूटर की आवश्यकता होगी। इसी प्रकार से यह समझा जा सकता है कि आपको कंप्यूटर में जितना ज्यादा काम करना होगा, आपके कंप्यूटर की रेंडम एक्सेस मेमोरी उतना ही अधिक होनी चाहिए।

रैम को परिवर्तनशील मेमोरी क्यों कहते हैं?

रेंडम एक्सेस मेमोरी एक इंपोर्टेंट मेमोरी और परिवर्तनशील मेमोरी होती है। यही वजह है कि रेंडम एक्सेस मेमोरी का इस्तेमाल परमानेंट स्टोरेज और परमानेंट डाटा को स्टोर करने के लिए नहीं किया जाता है। रेंडम एक्सेस मेमोरी का इस्तेमाल ऐसे डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है, जिसे वर्तमान के समय में कंप्यूटर सीपीयू के द्वारा चलाया जाना है।

रैम के फंक्शन

अस्थाई मेमोरी होने की वजह से रेंडम एक्सेस मेमोरी परमानेंट डाटा को स्टोर करने की कैपेसिटी नहीं रखता है। एक hard-drive की तुलना किसी व्यक्ति की लॉन्ग टर्म मेमोरी और रेंडम एक्सेस मेमोरी की तुलना उसकी शॉर्ट टर्म मेमोरी से की जा सकती है। जो शॉर्ट टर्म मेमोरी होती है वह किसी भी समय सिर्फ लिमिटेड संख्या में ही जानकारियों को याद करके रख सकती है।

हालांकि यह रियल टाइम में जो काम चल रहे होते हैं, उन पर पूरा फोकस बना कर रखती है। कंप्यूटर डिवाइस भी कुछ इसी प्रकार से काम करता है। जब रेंडम एक्सेस मेमोरी फुल हो जाती है तो कंप्यूटर के सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट को नए डाटा के साथ रेंडम एक्सेस मेमोरी में पुराने डाटा को ओवरराइट करने के लिए लगातार हाईड्राइव का इस्तेमाल करना चाहिए।

हमें कितनी रैम की आवश्यकता है?

किसी यूजर के द्वारा सिस्टम पर क्या किया जा रहा है, इसी बात पर कितनी रेंडम एक्सेस मेमोरी की आवश्यकता हो सकती है यह डिपेंड करता है। एग्जांपल के तौर पर सिस्टम में कम से कम 16 जीबी रैम उपलब्ध होनी चाहिए, जबकि वीडियो एडिटिंग करने के लिए इससे अधिक रेंडम एक्सेस मेमोरी होने को प्राथमिकता दी जाती है।

इसके अलावा एडोब के द्वारा यह एडवाइस दी जाती है कि फोटो एडिटिंग के लिए मैक पर फोटोशॉप सीसी चलाने के लिए सिस्टम में कम से कम 3GB रैम होना आवश्यक होता है। हालांकि अगर यूजर एक साथ कई एप्लीकेशन का इस्तेमाल करता है, तो ऐसी अवस्था में 8GB रैम होने के बावजूद भी सिस्टम मध्यम गति से काम करेगा।

रैम का इतिहास (History of RAM in Hindi)

रैम की हिस्ट्री निम्नानुसार है।

  • रेंडम एक्सेस मेमोरी का जो फर्स्ट वर्जन था उसे साल 1947 में विलियम ट्यूब के द्वारा प्रस्तुत किया गया था। इसका इस्तेमाल कैथोड रे ट्यूब में किया गया था और इसमें जो डाटा होते थे उसे चेहरे पर इलेक्ट्रिकल चार्ज स्पोट के तौर पर स्टोर किया गया था।
  • दूसरे प्रकार के रेंडम एक्सेस मेमोरी एक मैग्नेटिक कोर मेमोरी थी। इसका आविष्कार साल 1947 में ही किया गया था। यह छोटे धातु के छल्ले और प्रत्येक रिंग से जुड़ने वाले तारों से बनी थी। इसे जब चाहे तब एक्सेस भी किया जा सकता था।
  • रेंडम एक्सेस मेमोरी जिसे वर्तमान के समय में हम solid-state मेमोरी के तौर पर भी जानते हैं, इसका आविष्कार साल 1968 में रॉबर्ट डेनार्ड के द्वारा आईबीएम थॉमस जेफरसन रिसर्च सेंटर में किया गया था। इसे स्पेशल रूप से डायनेमिक रेंडम एक्सेस मेमोरी के तौर पर जाना जाता है। इसमें डाटा के बिट को स्टोर करने के लिए ट्रांजिस्टर उपलब्ध होते हैं और हर ट्रांजिस्टर की सिचुएशन को बनाए रखने के लिए इलेक्ट्रिसिटी की लगातार डिमांड यहां पर होती है।
  • साल 1969 में अक्टूबर के महीने में इंटेल के द्वारा अपना पहला डायनेमिक रेंडम एक्सेस मेमोरी लॉन्च किया गया था। इसका नाम इंटेल 1103 था। इंटेल 1103 पहला कमर्शियल रूप से उपलब्ध डायनेमिक रेंडम एक्सेस मेमोरी था‌‌।
  • सैमसंग के द्वारा साल 1993 में KM48SL2000 सिंक्रोनस DRAM (SDRAM) पेश किया गया।
  • साल 1996 आते-आते डीडीआर एसडीरैम कमर्शियल रूप से उपलब्ध हो गया था‌।
  • 1999 में कंप्यूटर के लिए आरडीआरएएम उपलब्ध हो गया था।
  • साल 2003 में DDR2 SDRAM की बिक्री शुरू हो गई थी।
  • जून 2007 में, DDR3 SDRAM की बिक्री शुरू हुई।
  • सितंबर 2014 में, DDR4 मार्केट में अवेलेबल हो गया।

रैम बनाम वर्चुअल मेमोरी

जब किसी यूजर के द्वारा एक साथ विभिन्न एप्लीकेशन कंप्यूटर पर चलाए जाते है तो ऐसी अवस्था में कंप्यूटर सिस्टम में मेमोरी की कमी हो सकती है। ऐसी अवस्था में ऑपरेटिंग सिस्टम फिजिकल मेमोरी की कमी को पूरा करने के लिए वर्चुअल मेमोरी को जोड़ सकते हैं।

वर्चुअल मेमोरी में डाटा को रेंडम एक्सेस मेमोरी से डिस्क स्टोरेज में अस्थाई रूप से लेकर जाया जाता है। बता दें कि एक साथ चलने वाले कई प्रोग्राम वर्चुअल मेमोरी का इस्तेमाल करके एक सिस्टम पर लोड हो सकते हैं, ताकि सभी कामों को करने में आसानी हो सके। हालांकि इसमें ज्यादा रेंडम एक्सेस मेमोरी की आवश्यकता होती है।

वर्चुअल मेमोरी में रेंडम एक्सेस मेमोरी की तुलना में दो बार एड्रेस को संभालने की कैपेसिटी होती है। वर्चुअल मेमोरी में हमने एक कमी यह देखी कि यह कंप्यूटर की परफॉर्मेंस को स्लो कर सकता है, क्योंकि यहां पर डाटा फिजिकल और वर्चुअल मेमोरी के बीच ट्रांसलेटेड होते हैं। हमने यह भी देखा हुआ है कि सिर्फ फिजिकल मेमोरी का उपयोग करने के दरमियान प्रोग्राम डायरेक्ट रेंडम एक्सेस मेमोरी से रन करते हैं।

रैम बनाम फ्लैश मेमोरी

रेंडम एक्सेस मेमोरी और फ्लैश मेमोरी दोनों को ही समाहित करने के लिए सॉलि़ड स्टेट चीप का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि उनकी डिजाइन, परफॉर्मेंस और कीमत में भिन्नता होने की वजह से वह कंप्यूटर सिस्टम में अलग-अलग प्रकार के कामों को अंजाम देते हैं। जब डाटा को स्टोरेज से फिर से प्राप्त किया जाता है तो रेंडम एक्सेस मेमोरी में कैलकुलेशन होती है, जोकि एक्टिव मेमोरी में एंप्लॉयड होते हैं।

सभी ब्लॉक में नंद फ्लैश मेमोरी से डाटा को हटाया जाना जरूरी होता है, जोकि फ्लैश मेमोरी और रेंडम एक्सेस मेमोरी के बीच एक महत्वपूर्ण डिफरेंस होता है। इसलिए फ्लैश मेमोरी रेंडम एक्सेस मेमोरी की तुलना में धीमे होती है। यहां पर डाटा को एक बार में एक बिट से निकाल सकते हैं।

हालांकि हम आपको यहां पर यह भी बता देना चाहते हैं कि रेंडम एक्सेस मेमोरी की तुलना में नंद फ्लैश मेमोरी बहुत ही कम खर्चीली होती है। रेंडम एक्सेस मेमोरी के विपरीत फ्लैश मेमोरी बिजली सप्लाई बंद होने के बावजूद भी डाटा को बचाने की कैपेसिटी रखती है। कम तेज, नॉन्वोलेटाइल और कम कीमत होने के बावजूद फ्लैश मेमोरी को सामान्य तौर पर एसएसडी में स्टोरेज मेमोरी के तौर पर इंप्लॉयड किया जाता है।

रैम बनाम रोम

रीड ओनली मेमोरी को ही रोम कहा जाता है। यह एक ऐसी मेमोरी होती है, जिसे पढ़ा तो जा सकता है परंतु इसे लिखा नहीं जा सकता है। जब कंप्यूटर को पावर ऑन किया जाता है तो हर बार रीड ओनली मेमोरी से बूटा प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल किया जाता है और अधिकतर यह देखा गया है कि इसे दोबारा से प्रोग्राम या फिर चेंज नहीं कर सकते हैं।

जब कंप्यूटर की इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कट हो जाती है तो ऐसी अवस्था में रीड ओनली मेमोरी में जो डाटा मौजूद होते हैं वह खत्म नहीं होते हैं, क्योंकि यह स्थिर मेमोरी होती है, जिसकी वजह से रीड ओनली मेमोरी को परमानेंट रूप से डाटा रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

दूसरी तरफ रेंडम एक्सेस मेमोरी सिर्फ इंफॉर्मेशन को कुछ देर के लिए स्टोर करने की कैपेसिटी रखती है जिसका मतलब होता है कि कंप्यूटर से जैसे ही पावर सप्लाई जाती है वैसे ही रेंडम एक्सेस मेमोरी में जो डाटा मौजूद होता है उसका भी खात्मा हो जाता है। अक्सर रेंडम एक्सेस मेमोरी में गीगा बाइट स्टोरेज होता है और रीड ओनली मेमोरी में सामान्य तौर पर कई मेगाबाइट होते हैं।

रैम खरीदने के दरमियान क्या देखें?

लेटेस्ट ddr4 रेंडम एक्सेस मेमोरी की जनरेशन तकरीबन 2400 मेगावाट की फ्रीक्वेंसी पर काम करती है। गेम खेलने वाले लोगों को ऐसे ही ddr4 मेमोरी की आवश्यकता होती है जो एएमटी प्रोसेसर के लिए तकरीबन 3600 मेगा हट और इंटेल प्रोसेसर के लिए 3200mhz पर चलती है।

अधिक गेम खेलने वाले लोग, प्रोफेशनल प्रोग्राम और और मल्टीमीडिया एडिटर तथा अन्य लोग चाहे तो G.Skill या Corsair जैसे स्पेशल सप्लायर से हाई क्लॉक वाली मेमोरी पसंद कर सकते हैं, जिसकी गति 4,800MHz तक है।

इसके अलावा रेंडम एक्सेस मेमोरी खरीदने के दरमियान आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आपको कंप्यूटर पर कितना काम करना है। अगर आपका काम कुछ ऐसा है जिसमें आपको एक साथ अलग-अलग सॉफ्टवेयर या फिर एप्लीकेशन को चलाना पड़ता है तो ऐसी अवस्था में आपको अधिक रैम की खरीदारी करनी चाहिए।

अधिक रैम की खरीदारी करने के लिए आपको थोड़े अधिक पैसे तो देने पड़ेंगे, परंतु आगे चलकर के आप इसकी वजह से आसानी से अपने डिवाइस में एक साथ बड़ी से बड़ी चीजों का इस्तेमाल बिना किसी हैंगिंग प्रॉब्लम के कर सकेंगे। इसके अलावा रैम की खरीदारी करने के दरमियान आपको संबंधित रैम के रिव्यु को भी अवश्य पढ़ना है और रिव्यू के आधार पर आपको क्या करना है इसका निर्णय लेना है। हालांकि याद रखें कि रिव्यू ओरिजिनल होना चाहिए।

रैम अपग्रेड अथवा क्लीनिंग के दरमियान क्या देखें?

अगर आपके द्वारा अपनी रेंडम एक्सेस मेमोरी को अपग्रेड किया जा रहा है या फिर आप खुद से उसे साफ कर रहे हैं तो आपको स्लीप मॉड नाम की एक अनूठी तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। यह टेक्निक Resource Hogging एप्लीकेशन की पहचान करती है और उपयोग में ना होने पर उन्हें बंद कर देती है, जिसकी वजह से सिस्टम की परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने में काफी सहायता मिलती है।

इसके लिए आप चाहे तो फ्री एंटीवायरस प्रोग्राम को डाउनलोड कर सकते हैं। आप चाहें तो अवास्ट क्लीनअप एंटीवायरस प्रोग्राम को डाउनलोड कर सकते है और इसके द्वारा बैकग्राउंड और स्टार्टर प्रोग्राम को देख सकते हैं। जैसे ही आप प्रोग्राम को इंस्टॉल करते हैं वैसे ही थोड़े समय के पश्चात आपको सिस्टम की परफॉर्मेस में काफी सुधार दिखाई देता है।

रैम कहां से खरीदें?

रेंडम एक्सेस मेमोरी की खरीदारी करने के लिए आपको भरोसेमंद कंप्यूटर अथवा लैपटॉप की दुकान पर जाना चाहिए। आपको यहां से आसानी से रैंडम एक्सेस मेमोरी प्राप्त हो जाएगी। ऐसी दुकान पर आपको अलग-अलग ब्रांड के द्वारा निर्मित रेंडम एक्सेस मेमोरी हासिल हो जाती है।

आप चाहे तो अलग अलग ब्रांड के द्वारा निर्मित रेंडम एक्सेस मेमोरी की आपस में तुलना कर सकते हैं और उसके बाद आपको जो रेंडम एक्सेस मेमोरी अच्छी लगती है उसकी खरीदारी आप कर सकते हैं।

अगर आप किसी ऐसे इलाके में रहते हैं जहां पर कंप्यूटर, लैपटॉप की दुकान उपलब्ध नहीं है तो आप घर बैठे ऑनलाइन फ्लिपकार्ट और अमेजॉन के द्वारा भी रैम की खरीदारी कर सकते हैं।

ऑनलाइन खरीदारी करने के दरमियान भी आपको रैम की पूरी जानकारी प्राप्त करनी है, ताकि आपको यह पता चल सके कि वह रेंडम एक्सेस मेमोरी आपके लिए उपयोगी साबित होगी अथवा नहीं।

रैम क्या करता है?

आपकी रैम आपके कंप्यूटर की शार्ट टर्म मेमोरी होती है। एग्जांपल के तौर पर जब आपके द्वारा अपना ऑपरेटिंग सिस्टम शुरू किया जाता है तो आपके लिए जरूरी एप्लीकेशन जैसे कि आपका ऑडियो या फिर आपका एंटीवायरस सॉफ्टवेयर आपके प्रोसेसर के लिए सरलता से एक्सेस करने के लिए आपके कंप्यूटर की मेमोरी में कॉपी हो जाता है।

परंतु जब आपके द्वारा अपने कंप्यूटर को बंद कर दिया जाता है या फिर उसे फिर से चालू किया जाता है तो रेंडम एक्सेस मेमोरी क्लीन हो जाती है। हालांकि एप्लीकेशन की मूल कॉपी आपके स्टोरेज ड्राइव में उपलब्ध होती है।

कंप्यूटर में रैम का उपयोग कौन करता है?

आपके कंप्यूटर में अधिकतर मौजूद चीजें रैंडम एक्सेस मेमोरी का इस्तेमाल करती है। जब आप किसी प्रोग्राम को इस्तेमाल करने की इच्छा रखते हैं तो आपका कंप्यूटर स्टोरेज ड्राइव डाटा को रेंडम एक्सेस मेमोरी में कॉपी करता है ताकि उस पर प्रोसेसिंग हो सके।

यह किसी भी प्रोग्राम के लिए लागू होता है, जैसे कि वेब ब्राउज़र, कोई वर्ड प्रोसेसर या फिर कोई कम्युनिकेशन एप्लीकेशन। कुछ प्रोग्राम जैसे की वीडियो गेम को दूसरे की कंपैरिजन में ज्यादा मेमोरी की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा जितना अधिक प्रोग्राम एक साथ चलाया जाता है, उतना ही ज्यादा मेमोरी की आवश्यकता होती है।

अगर आपको यह जानना है कि विंडोज पर आपके कंप्यूटर की मेमोरी में कौन से प्रोग्राम लोड किए गए हैं, तो इसके बारे में जानने के लिए आपको कीबोर्ड पर सीटीआरएल, एएलटी और डीएल बटन को एक साथ दबाना है, उसके बाद आपको टास्क मैनेजर वाले ऑप्शन पर क्लिक करना है।

इसके बाद आपको परफॉर्मेंस टैब के तहत यह दिखाई देगा कि आपकी मेमोरी में कौन से प्रोग्राम लोड किए गए हैं। परफॉर्मेंस टैब के तहत आप यह देख सकते हैं कि आपके कंप्यूटर में कितनी मेमोरी उपलब्ध है और कितने पर्सेंट रैम का इस्तेमाल हो गया है।

क्या RAM को मैलवेयर मिल सकता है?

सामान्य तौर पर मालवेयर के द्वारा रेंडम एक्सेस मेमोरी को संक्रमित नहीं किया जाता है, क्योंकि जब कंप्यूटर रिबूट होता है तो रेंडम एक्सेस मेमोरी क्लीन हो जाती है परंतु पीओएस मैलवेयर जैसे कुछ मैलवेयर पेमेंट डाटा को खराब करने के लिए पॉइंट ऑफ सेल पेमेंट टर्मिनल और कार्ड रीडर को टारगेट कर सकते हैं।

सेंसेटिव इनफॉरमेशन को चुराने के लिए डिजिटल डिवाइस की रेंडम एक्सेस मेमोरी को स्कैन करने की प्रक्रिया को रेंडम एक्सेस मेमोरी स्क्रेपिंग कहते हैं।

अगर RAM इतनी तेज़ है तो हमें स्टोरेज ड्राइव की आवश्यकता क्यों है?

रेंडम एक्सेस मेमोरी पारंपरिक स्टोरेज ऑप्शन की तुलना में ज्यादा महंगा होता है। वर्तमान के समय में आप लगभग उतनी ही कीमत में एचडीडी के साथ ज्यादा स्टोरेज हासिल कर सकते हैं जितनी कीमत में आप रेंडम एक्सेस मेमोरी की खरीदारी करते हैं। रेंडम एक्सेस मेमोरी को अस्थाई मेमोरी कहा जाता है।

दूसरी भाषा में कहा जाए तो जब आपका कंप्यूटर पावर ऑफ हो जाता है तो रेंडम एक्सेस मेमोरी में मौजूद डाटा हट जाता है, वहीं दूसरी तरफ एचडीडी का डाटा रिटेंशन रेट ज्यादा है, क्योंकि यह नॉन वोलेटाइल मेमोरी होती है। इसलिए आपको रेंडम एक्सेस मेमोरी अधिक तेज होने के बावजूद स्टोरेज डिवाइस की आवश्यकता होती है।

क्या कंप्यूटर किसी भी RAM का उपयोग कर सकता है?

रेंडम एक्सेस मेमोरी में पिछले कई सालों से लगातार डेवलपमेंट हो रहा है। वर्तमान के समय में सबसे ज्यादा पॉपुलर प्रकार की कंप्यूटर मेमोरी डीडीआर रैम है, जिसका पूरा मतलब डबल डाटा रेट रेंडम एक्सेस मेमोरी होता है।

इस मेमोरी की हर नई पीढ़ी में कुछ ना कुछ सुधार अवश्य होता है। एग्जांपल के लिए ddr5, ddr4 की तुलना में बहुत ही कम बिजली का इस्तेमाल करता है, जिसकी वजह से मोबाइल डिवाइस की बैटरी की लाइफ ज्यादा होती है।

आपके द्वारा जो मेमोरी खरीदी जा रही है वह आपके मदरबोर्ड के साथ कंपैटिबल होनी चाहिए। इसके लिए आप चाहें तो मदर बोर्ड मैन्युफैक्चरर से अधिक जानकारी के लिए कंसल्ट कर सकते हैं। किसी भी नई तकनीक की तरह लेटेस्ट रेंडम एक्सेस मेमोरी पुरानी जनरेशन के मदरबोर्ड के साथ काम नहीं करेगी।

रैम चैनल क्या है?

वर्तमान के समय में अधिकतर जो मेमोरी स्टिक बेची जा रही हैं उनके द्वारा डबल चैनल को सपोर्ट किया जाता है, जिसका मतलब यह निकल करके आता है कि एक मदरबोर्ड और मेमोरी स्लॉट पर सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के मेमोरी कंट्रोल के बीच 2 लेन मौजूद है।

यह इस बात को सुनिश्चित करने के लिए उपलब्ध है कि आप डबल चैनल मेमोरी का फायदा उठा रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए हम यह भी बता देना चाहते हैं कि मदर बोर्ड पर ट्रिपल अथवा क्वॉड चैनल मेमोरी डिजाइन का सपोर्ट करने वाले 3 अथवा 4 मॉडयूल वाले हाई एंड रैम किट भी मौजूद है। हालांकि वे सामान्य तौर पर वर्क स्टेशन और सर्वर सिस्टम के लिए रिजर्व है।

रैम इंस्टॉल कैसे करें?

रेंडम एक्सेस मेमोरी को सावधानी से अपने डिवाइस में इंस्टॉल किया जाना आवश्यक होता है। किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होने पर आपके डिवाइस को नुकसान हो सकता है। इसलिए अगर आप नौसिखिया हैं तो आपको खुद से ही रैंडम एक्सेस मेमोरी को डिवाइस में इंस्टॉल करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

हालांकि इसके बावजूद भी अगर आप खुद से रेंडम एक्सेस मेमोरी को इंस्टॉल करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको यूट्यूब के किसी बेस्ट ट्यूटोरियल वीडियो का सहारा लेना चाहिए और वीडियो में जिस प्रकार से बताया गया है उसी प्रकार से आपको आसानी से और धीमे-धीमे स्टेप बाय स्टेप प्रक्रिया का पालन करके अपने डिवाइस में रैंडम एक्सेस मेमोरी को इंस्टॉल करना चाहिए।

आप चाहे तो वेब पर मौजूद किसी स्क्रीनशॉट सहित आर्टिकल के द्वारा भी रैम को इंस्टॉल कर सकते हैं या फिर अगर आप की जानकार में कोई व्यक्ति है तो आप उसके द्वारा भी अपने डिवाइस में रेंडम एक्सेस मेमोरी को इंस्टॉल करा सकते हैं।

FAQ:

रैम का मापन क्या है?

रेंडम एक्सेस मेमोरी की कैपेसिटी को एमबी और जीबी में मापा जाता है और इसकी जो स्पीड होती है, उसे MHz और GHz में मापा जाता है।

रैम क्या है यह कितने प्रकार की होती है?

रेैम को रेंडम एक्सेस मेमोरी कहते हैं। यह दो प्रकार की होती है।

रैम क्या है और इसका कार्य क्या है?

रेंडम एक्सेस मेमोरी अस्थाई मेमोरी होती है। कंप्यूटर पावर बंद होने के बाद इसमें मौजूद डाटा खत्म हो जाता है।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको रैम क्या है के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान की है हम आशा करते है की आपको हमारी यह ब्लॉग पोस्ट अच्छी लगी होगी। यदि आपको हमारा यह आर्टिकल अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तो तथा सोशल मीडिया पर शेयर अवश्य करें।

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