सॉफ्टवेयर क्या है और इसके प्रकार (What is Software in Hindi)

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कंप्यूटर के मुख्य तौर पर 2 भाग होते हैं जिनमें से एक होता है सॉफ्टवेयर और दूसरा होता है हार्डवेयर! आपको यह भी बताया गया होगा कि हार्डवेयर को तो आप देख सकते हैं और टच कर सकते हैं। परंतु सॉफ्टवेयर को ना तो आप देख सकते हैं ना ही टच कर सकते है, परंतु इसके बावजूद हार्डवेयर से अधिक इंपॉर्टेंस सॉफ्टवेयर को दी जाती है। आजके इस पोस्ट में हम जनिंगे की आख़िर सॉफ्टवेयर क्या है?

सॉफ्टवेयर क्या है

ऐसे में आप यह अवश्य सोचते होंगे कि भला जो चीजें दिखाई नहीं देती है, आखिर उसका इतना अधिक महत्व क्यों है। इन्हीं सवालों के जवाब आज हम सॉफ्टवेयर के बारे में पूरी जानकारी वाले आर्टिकल में प्राप्त करेंगे।


इस पेज पर हम जानेंगे कि “सॉफ्टवेयर क्या है” और “सॉफ्टवेयर काम कैसे करता है” तथा सॉफ्टवेयर क्यों आवश्यक है। एवं इसके प्रकार?

अनुक्रम

सॉफ्टवेयर क्या है? (What is Software in Hindi)

अगर सिर्फ कंप्यूटर का निर्माण कर के रख दिया जाए परंतु उसमें सॉफ्टवेयर ना डाला जाए तो कंप्यूटर किसी भी काम का नहीं होता है, वह सिर्फ एक खाली डब्बा ही होता है, क्योंकि सॉफ्टवेयर ही वह चीज होती है जिसमें जरूरी इंस्ट्रक्शन या फिर प्रोग्राम का ग्रुप होता है।


और सॉफ्टवेयर को जब किसी भी कंप्यूटर अथवा डेस्कटॉप में इंस्टॉल किया जाता है तो सॉफ्टवेयर के अंदर मौजूद प्रोग्राम और इंस्ट्रक्शन की वजह से ही कंप्यूटर स्पेशल कामों को अंजाम दे पाने में समर्थ होता है।

अगर यह कहा जाए कि बिना सॉफ्टवेयर के कंप्यूटर को यह पता ही नहीं रहता कि उसे कौन सा काम करना है तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं होगी। सॉफ्टवेयर के अंदर फिटेड प्रोग्राम के अंतर्गत ही कंप्यूटर किसी भी कमांड को प्राप्त करने के बाद अपनी कार्यवाही को शुरू करता है।

आपके मन में अब यह भी सवाल आ रहा होगा कि जब सॉफ्टवेयर के बिना कंप्यूटर काम नहीं कर सकता है, तो आखिर सॉफ्टवेयर होता कहां पर है और हम इसे कैसे देख सकते हैं, तो बता दे कि सॉफ्टवेयर को आप तो क्या किसी भी बड़े से बड़े कंप्यूटर एक्सपर्ट के द्वारा भी नहीं देखा जा सकता है।


जिस प्रकार से कंप्यूटर के हार्डवेयर को हमारे द्वारा टच किया जा सकता है, उस प्रकार से सॉफ्टवेयर में नहीं होता है। सॉफ्टवेयर को ना तो अपनी आंखों से देख सकते हैं ना ही इसे टच कर सकते हैं। इसकी मुख्य वजह होती है कि सॉफ्टवेयर फिजिकल अवस्था में उपलब्ध नहीं होते हैं। यह सिर्फ आभासी तौर पर ही होते हैं। इसलिए इन्हें समझा जाता है।

अगर किसी कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर इंस्टॉल नहीं है तो ऐसी सिचुएशन में उस कंप्यूटर को ऑपरेट करना लगभग असंभव ही होता है। सॉफ्टवेयर के प्रमुख उदाहरण के तौर पर एंटीवायरसफोटोशॉपब्राउज़रएमएस ऑफिस इत्यादि का नाम लिया जाता है।

जिस व्यक्ति के द्वारा सॉफ्टवेयर बनाया जाता है उसे सॉफ्टवेयर डेवलपर कहा जाता है। सॉफ्टवेयर डेवलपर बनने के लिए विभिन्न कोर्स को करके सॉफ्टवेयर डेवलपर बना जा सकता है और सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जा सकता है। सॉफ्टवेयर का निर्माण करने के लिए मुख्य तौर पर व्यक्ति को प्रोग्रामिंग और कोडिंग लैंग्वेज की जानकारी होनी चाहिए।


कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का अर्थ क्या होता है?

विभिन्न प्रकार के प्रोग्राम और इंस्ट्रक्शन का एक ग्रुप कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में अवेलेबल होता है और जब इसी सॉफ्टवेयर को किसी भी कंप्यूटर में अथवा डेस्कटॉप में इंस्टॉल किया जाता है तो उसके पश्चात कंप्यूटर अलग-अलग प्रकार के कामों को करने की कैपेसिटी प्राप्त कर लेता है।

किसी कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर अगर करप्ट हो जाता है तो ऐसी अवस्था में कंप्यूटर को अपने ऑपरेशन को करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह से कई बार कंप्यूटर के द्वारा गलत डाटा भी प्रदान कर दिया जाता है। सॉफ्टवेयर करप्ट होने की सबसे पहली निशानी होती है कि आपका कंप्यूटर धीमे काम करना चालू कर देता है।


सॉफ्टवेयर डेवलपर क्या होता है?

सॉफ्टवेयर का निर्माण करने से लेकर के उसे डिवेलप करने का काम जिस व्यक्ति के द्वारा संपूर्ण जिम्मेदारी के साथ किया जाता है उसे ही सॉफ्टवेयर डेवलपर कहा जाता है। एक सॉफ्टवेयर डेवलपर का काम सॉफ्टवेयर को डिजाइन करने से या फिर सॉफ्टवेयर को लिखने से भी काफी अधिक होता है।

सामान्य तौर पर सॉफ्टवेयर डेवलपर के द्वारा सॉफ्टवेयर का निर्माण करने से लेकर के उसे इंस्टॉल करने तक की सभी जिम्मेदारियों को निभाया जाता है और अधिकतर सॉफ्टवेयर डेवलपर को गाइड करने का काम एक लीड प्रोग्रामर के द्वारा किया जाता है।

वेब डेवलपर, बैकेंड डेवलपर, फ़्रंटेन्ड डेवलपर, लैंग्वेज/कम्पाइलर डेवलपर, एम्बेडेड सिस्टम डेवलपर, ऑपरेटिंग सिस्टम्स डेवलपर, डाटा साइंटिस्ट, वीडियो गेम डेवलपर, डेवलपमेंट और ऑपरेशन्स डेवलपर, डेस्कटॉप डेवलपर

मोबाइल ऐप्स डेवलपर इत्यादि सॉफ्टवेयर डेवलपर के प्रकार है। कोई भी व्यक्ति सॉफ्टवेयर से संबंधित 3 साल का डिप्लोमा कोर्स, 3-4 साल का बैचलर डिग्री कोर्स, 2 से 3 साल का मास्टर डिग्री कोर्स, 1 से 2 साल का पीजी डिप्लोमा कोर्स कर के सॉफ्टवेयर डेवलपर या फिर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन सकता है।

सॉफ्टवेयर का इतिहास (History of Software in Hindi)

सॉफ्टवेयर की हिस्ट्री अर्थात सॉफ्टवेयर का इतिहास 19वीं शताब्दी के आसपास ही चालू हो गया था। दरअसल 19वीं शताब्दी मे Ada Lovelance नाम के एक व्यक्ति के द्वारा पहले प्रोग्राम को लिख करके उसकी रचना की गई थी।

यह प्रोग्राम एक एनालिटिकल इंजन के लिए लिखा गया था जिसका निर्माण चार्ल्स बैबेज के द्वारा किया गया था। बता दे कि चार्ल्स बैबेज को ही कंप्यूटर का पिता अर्थात फादर ऑफ कंप्यूटर कहा जाता है।

सॉफ्टवेयर के सिद्धांत को लिखने का काम ऐलान ट्यूनर के द्वारा किया गया था। उन्होंने सॉफ्टवेयर के सिद्धांत की विस्तृत चर्चा “Computable Numbers, With An Application To The Entscheidungsproblem” में की थी।

Jhon Tukey ही वह व्यक्ति हैं जिनके द्वारा सॉफ्टवेयर शब्द को खोजने का काम किया गया था। यह एक बहुत ही बेहतरीन और कुशल मैथमेटिशियन थे।

सॉफ्टवेयर के प्रकार (Types of Software in Hindi)

सॉफ्टवेयर के मुख्य तौर पर 2 प्रकार अवेलेबल है जिसमें पहला होता है सिस्टम सॉफ्टवेयर और दूसरा होता है एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर। आइए आगे हम आपको सिस्टम सॉफ्टवेयर/एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर दोनों के ही बारे में पूरी जानकारी प्रदान करते हैं।

1: सिस्टम सॉफ्टवेयर

कंप्यूटर को पावर ऑन करने में सिस्टम सॉफ्टवेयर काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसलिए सिस्टम सॉफ्टवेयर को ही किसी भी कंप्यूटर/डेस्कटॉप का मुख्य सॉफ्टवेयर माना जाता है। जैसे ही आपके द्वारा कंप्यूटर अथवा डेस्कटॉप को पावर ऑन किया जाता है।

वैसे ही ऑटोमेटिक सिस्टम सॉफ्टवेयर के द्वारा हार्डवेयर को एक्टिवेट कर दिया जाता है और जब हार्डवेयर एक्टिवेट हो जाता है तो उसके पश्चात सिस्टम सॉफ्टवेयर उस पर पूरा कंट्रोल करने का काम चालू कर देता है। Windows, Android , Anti Virus , Audio, Graphic Driver इत्यादि सिस्टम सॉफ्टवेयर के बेहतरीन उदाहरण है।

यहां पर आपको अवगत करवा दें कि सिस्टम सॉफ्टवेयर भी चार प्रकार के होते हैं, आइए इनके बारे में भी जान लेते हैं।

ऑपरेटिंग सिस्टम

कंप्यूटर में जितने भी सॉफ्टवेयर अवेलेबल होते हैं उन सभी को संचालित करने की जिम्मेदारी बखूबी ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा निभाई जाती है। इसलिए ऑपरेटिंग सिस्टम को ही कंप्यूटर का मेन सॉफ्टवेयर भी माना जाता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा मुख्य तौर पर कंप्यूटर को बूट करने का काम किया जाता है। इसके अलावा कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर को चालू कराने के लिए भी ऑपरेटिंग सिस्टम काफी बेहतरीन भूमिका अदा करता है।

वर्तमान समय में ऑपरेटिंग सिस्टम के कई प्रकार मौजूद हो चुके है, परंतु इसके बावजूद दुनिया भर में कुछ गिने-चुने ही ऑपरेटिंग सिस्टम ऐसे हैं जो कंप्यूटर में इंस्टॉल होते हैं। जैसे कि विंडोज, लिनक्स, एप्पल मैक ओएस इत्यादि। दुनिया भर में सबसे ज्यादा विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले कंप्यूटर, लैपटॉप ओर डेस्कटॉप मौजूद है।

ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा माउस, कीबोर्ड, माइक्रोफोन इत्यादि साधनों से इनपुट प्रदान किया जाता है और फिर उसके पश्चात कंप्यूटर की स्क्रीन पर संबंधित रिजल्ट को दिखाने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर में अवेलेबल हार्डवेयर के साथ संपर्क स्थापित करता है।

इस प्रकार से ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति और कंप्यूटर के हार्डवेयर के बीच सामंजस्य बैठाने का काम किया जाता है।

सामान्य भाषा में कहा जाए तो यूजर की जो भी बात होती है उसे कंप्यूटर तक पहुंचाने का काम ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा किया जाता है और कंप्यूटर की बात को भी यूजर तक पहुंचाने का काम ऑपरेटिंग सिस्टम ही करता है। इस प्रकार से यूज़र और कंप्यूटर के बीच आपसी कम्युनिकेशन चलता रहता है।

यह ऑपरेटिंग सिस्टम का कमाल ही है कि जिसके द्वारा कंप्यूटर का इस्तेमाल करने में यूजर को काफी आसानी होती है, क्योंकि ऑपरेटिंग सिस्टम ही ग्राफिकल यूजर इंटरफेस अर्थात जीयूआई को उपलब्ध करवाता है।

ग्राफिकल यूजर इंटरफेस में विभिन्न प्रकार के ऑप्शन और आइटम उपलब्ध होते हैं, जिसकी वजह से यूजर को कमांड देने में बहुत ही सरलता होती है। इसीलिए यूजर को बार-बार हर कमांड के लिए कोड लिखने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती है।

यूटिलिटी सॉफ्टवेयर

ऑपरेटिंग सिस्टम अथवा एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर अथवा कंप्यूटर के हार्डवेयर को सुरक्षा प्रदान करने का काम जिस सॉफ्टवेयर के द्वारा किया जाता है उसे ही यूटिलिटी सॉफ्टवेयर कहकर उच्चरित किया जाता है। यूटिलिटी सॉफ्टवेयर का नाम सर्विस प्रोग्राम भी होता है।

Anti – Virus (एंटीवायरस), File Manager (फाइल मेनेजर), Screen Saver (स्क्रीन सेवर), Encryption Tool (एन्क्रिप्शन टूल), Font (फॉण्ट), Debuggers (डेबुग्गेर्स), Memory Tester (मेमोरी टेस्टर), Space Cleaner (स्पेस क्लीनर) इत्यादि यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के प्रमुख उदाहरण है।

कंप्यूटर में फाइल के मैनेजमेंट से संबंधित कामों को, कंप्यूटर में बैकअप बनाने वाले काम को, कंप्यूटर को किसी भी प्रकार के वायरस से सुरक्षित रखने के काम को यूटिलिटी सॉफ्टवेयर के द्वारा ही संपन्न किया जाता है। बता दें कि कुछ यूटिलिटी सॉफ्टवेयर ऐसे होते हैं जो कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ ही मिल जाते हैं और कुछ यूटिलिटी सॉफ्टवेयर को सरलता से थर्ड पार्टी के द्वारा बनाए गए आधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है।

मुख्य तौर पर देखा जाए तो यूटिलिटी सॉफ्टवेयर का निर्माण कंप्यूटर के सिस्टम सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के लिए ही किया गया होता है। इसके पीछे वजह होती है कि कंप्यूटर बेहतरीन तरीके से परफॉर्मेंस दे सके और सही प्रकार से अपने काम को अंजाम दे सके। यह यूटिलिटी सॉफ्टवेयर का ही कमाल है कि कंप्यूटर पर यूजर स्मूथली अपना काम कर सकता है।

डिवाइस ड्राइवर

डिवाइस ड्राइवर के माध्यम से कंप्यूटर से कनेक्टेड इनपुट और आउटपुट साधन कंप्यूटर से अपना संपर्क स्थापित करने में अर्थात बातचीत करने में सफल हो पाते हैं। डिवाइस ड्राइवर के प्रमुख उदाहरण मदरबोर्ड ड्राइवर, ऑडियो ड्राइवर, वीडियो प्लेयर इत्यादि है।

इसे हार्डवेयर ड्राइवर भी कहा जाता है। हमें डिवाइस ड्राइवर को तब कंप्यूटर में इंस्टॉल करने की आवश्यकता पड़ती है, जब हम कंप्यूटर के साथ किसी भी दूसरे डिवाइस को कनेक्ट करने का प्रयास करते हैं।

ऐसा करना इसलिए आवश्यक होता है क्योंकि ऐसा करने पर ही कंप्यूटर को यह पता चलता है कि कंप्यूटर के साथ जिस डिवाइस को जोड़ा गया है आखिर उस डिवाइस का नाम क्या है। बता दे कि कंप्यूटर में मौजूद फाइल का एक ग्रुप डिवाइस ड्राइवर भी होता है।

इसकी सहायता से ही कंप्यूटर के द्वारा अपने साथ जोड़े हुए हार्डवेयर को आईडेंटिफाई किया जाता है। BIOS (Basic Input and Output System) Driver (बायोस), Motherboard Driver (मदरबोर्ड ड्राईवर),  Hardware Driver (हार्डवेयर ड्राईवर), Virtual Device Drivers (वर्चुअल डिवाइस ड्राइवर्स) इत्यादि डिवाइस ड्राइवर के प्रकार हैं।

कंप्यूटर में अगर डिवाइस ड्राइवर अवेलेबल नहीं होगा तो ऐसी अवस्था में कुछ एक्सटर्नल डिवाइस जैसे कि माउसकीबोर्ड, पेनड्राइव, प्रिंटर इत्यादि सही प्रकार से काम नहीं कर सकेंगे। अगर आपके कंप्यूटर में नेटवर्क ड्राइवर नहीं है तो इसकी वजह से इंटरनेट ब्राउज भी नहीं किया जा सकेगा।

प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर

डेवलपर के द्वारा जिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके दूसरे सॉफ्टवेयर के लिए प्रोग्रामिंग लिखने का काम किया जाता है उसे ही प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर कहा जाता है। इस बात से आप भली-भांति परिचित है कि कंप्यूटर में उपलब्ध सॉफ्टवेयर को अलग-अलग प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखा गया होता है, परंतु कंप्यूटर के द्वारा सिर्फ मशीनी भाषा को ही समझा जा सकता है।

इसलिए उसका ट्रांसलेशन करने के लिए कंप्यूटर में प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल करने की आवश्यकता होती है। टेक्स्ट एडिटर, असेंबली, कंपाइलर इत्यादि प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर के प्रबल उदाहरण है।

2: एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को संक्षेप भाषा में ऐप भी कहा जाता है। इनका डायरेक्ट तौर पर कनेक्शन यूजर से ही होता है। जितने भी एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है उन्हें किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही बनाया जाता है।

इसके अलावा एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर की एक अन्य विशेषता यह भी है कि इन्हें जब चाहे तब व्यक्ति अपने डिवाइस में इंस्टॉल कर सकता है और जब चाहे तब अपने डिवाइस से बाहर निकाल सकता है अर्थात अनइनस्टॉल भी कर सकता है।

कुछ एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर ऐसे होते हैं जिसमें किसी एक ही स्पेशल कामों को अंजाम देने की सुविधा होती है, वही कुछ एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर ऐसे होते हैं, जिसमें आप उसी प्लेटफार्म पर अलग-अलग कामों को पूरा कर सकते हैं।

जैसे कि पेटीएम एक मल्टी यूजिंग एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है, क्योंकि पेटीएम पर आप अलग-अलग सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं, वही यूट्यूब एक सिंगल यूजिंग प्लेटफार्म है, आप यहां पर सिर्फ वीडियो देख सकते हैं।

कुछ एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर ऐसे होते है जिनका इस्तेमाल करने के लिए आपको कुछ भी खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है, वहीं कुछ एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के लिए आपको थोड़े बहुत पैसे खर्च करने की जरूरत होती है।

MS Word, Excel, Power Point, Access, Chrome, Opera Mini, Fire Fox, Safari, MS Word, Notepad, Wordpad, Media Player, Video Player, MS Access, Oracle, Mobile Application इत्यादि एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के एग्जांपल है। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर भी टोटल दो प्रकार के होते हैं जिनकी जानकारी निम्नानुसार है।

सामान्य एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

सामान्य एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को अंग्रेजी में बेसिक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहा जाता है। इस सॉफ्टवेयर में सामान्य नाम जुड़ा हुआ है जिसका मतलब यही होता है कि हमारे रोज के कामों की पूर्ति के लिए हम जिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं उन्हें बेसिक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहा जाता है।

बेसिक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के अंतर्गत वेब डिजाइनिंग, मल्टीमीडिया प्रोग्राम, ग्राफिक एप्लीकेशन, एप्लीकेशन वर्ड प्रोसेसिंग प्रोग्राम इत्यादि आते हैं। Word Processing Software, Multimedia Software, Graphic Application Software, Entertainment Software , Gaming Software , Internet Browser इत्यादि सामान्य एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के प्रकार हैं। सामान्य एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को जनरल परपज एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर भी कहते हैं।

विशिष्ट एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

विशिष्ट एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को अंग्रेजी भाषा में Special एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहते हैं। इस सॉफ्टवेयर में स्पेशल नाम जुड़ा हुआ है जिसका मतलब यही होता है कि किसी स्पेशल काम को अंजाम देने के लिए अथवा स्पेशल कामों की पूर्ति के लिए स्पेशल एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का निर्माण एप डेवलपर के द्वारा किया जाता है।

एकाउंटिंग से संबंधित काम अथवा बिल जनरेट करने से संबंधित काम स्पेशल एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के एग्जांपल है। Accounting Software , Online Booking Software, Database Software , Educational Software इत्यादि स्पेशल एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के प्रकार है।

सॉफ्टवेयर कैसे बनाते हैं?

सॉफ्टवेयर का निर्माण करना कोई आसान बात नहीं होती है, ना ही यह आसान प्रक्रिया होती है, बल्कि इसके लिए आपको हाई लेवल की कंप्यूटर प्रोग्रामिंग अथवा कंप्यूटर कोडिंग लैंग्वेज की जानकारी होना अति आवश्यक है, क्योंकि इन्हीं प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के द्वारा सॉफ्टवेयर का निर्माण एप डेवलपर के द्वारा किया जाता है।

इन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के अंतर्गत कई लैंग्वेज है जिनमें मुख्य तौर पर जावास्क्रिप्ट, पाइथन, जावा और एचटीएमएल का नाम लिया जाता है। अगर आपको सॉफ्टवेयर का निर्माण करना है तो इसके लिए आपको प्रोग्रामिंग लैंग्वेज या फिर कोडिंग सीखने की अति आवश्यकता होगी।

हमारे अथवा आपके द्वारा जितनी भी एप्लीकेशन का इस्तेमाल किया जाता है उन सभी का निर्माण प्रोग्रामिंग लैंग्वेज अथवा कोडिंग के द्वारा ही किया जाता है। प्रोग्रामिंग के द्वारा ही यह सेट किया जाता है कि एप्लीकेशन का यूजर इंटरफेस कैसा रहेगा, एप्लीकेशन में कौन से ऑप्शन किस जगह पर रहेंगे और एप्लीकेशन को किस प्रकार से ट्रबलीशूटिंग किया जाएगा अथवा किस प्रकार से एप्लीकेशन में आई हुई एरर को ठीक किया जाएगा।

सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है?

किसी भी सॉफ्टवेयर को जिस इंस्ट्रक्शन के साथ तैयार किया गया है, वह उसी इंस्ट्रक्शन के अनुसार ही अपना काम करेगा अथवा अपने काम को अंजाम देगा। जैसा कि आप जानते हैं कि जिस प्रकार से ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल मुख्य तौर पर कंप्यूटर में फाइल के मैनेजमेंट के लिए और कंप्यूटर को पावर ऑन करने के लिए क्या जाता है, उसी प्रकार से अलग-अलग सॉफ्टवेयर के काम भी अलग-अलग होते हैं।

जैसे कि अगर कंप्यूटर में डॉक्यूमेंट बनाना है तो इसके लिए वर्ड अथवा नोटपैड नाम के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है, उसी प्रकार से अगर ग्राफिक डिजाइन से संबंधित कामों को अंजाम देना है तो कंप्यूटर में फोटोशॉप अथवा पेंट जैसे सॉफ्टवेयर को ओपन किया जाता है।

अगर आपको अपने कंप्यूटर में फोटो देखनी है तो इसके लिए गैलरी और वीडियो देखना है तो इसके लिए आपको मल्टीमीडिया प्लेयर सॉफ्टवेयर को ओपन करने की आवश्यकता होती है।

इसी प्रकार से गेम खेलने के लिए गेमिंग सॉफ्टवेयर, इंटरटेनमेंट के लिए मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर, स्वास्थ्य के लिए हेल्थ सॉफ्टवेयर, एजुकेशन के लिए एजुकेशन सॉफ्टवेयर तथा अलग-अलग प्रकार के सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन का निर्माण किया जाता है।

इस प्रकार से अगर सॉफ्टवेयर के काम करने के तरीके के बारे में बात की जाए तो यह इस बात पर डिपेंड करता है कि सॉफ्टवेयर का निर्माण किस उद्देश्य के लिए किया गया है। जिस उद्देश्य के लिए सॉफ्टवेयर बनाया जाता है, वह उसी उद्देश्य की पूर्ति करता है और यूज़र भी उसी उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए उस प्रकार के सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल अथवा डाउनलोड करता है।

सॉफ्टवेयर की आवश्यकता क्या है?

किसी कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर ना उपलब्ध होने की अवस्था में कंप्यूटर खाली मशीन1¹1 के अलावा कुछ भी नहीं होता है और ना ही आप इस प्रकार के कंप्यूटर में किसी भी काम को सही प्रकार से अंजाम दे सकते हैं।

दरअसल जब कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर डाल दिया जाता है तब समझ लीजिए कंप्यूटर को उसकी सबसे मुख्य चीज प्राप्त हो जाती है, क्योंकि कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर में ही जरूरी इंस्ट्रक्शन मौजूद होते हैं और उसी इंस्ट्रक्शन के आधार पर कंप्यूटर अपना काम करना शुरू कर देता है।

आप इसे इस प्रकार से भी समझ सकते हैं कि आपके द्वारा जब कंप्यूटर को पावर ऑन किया जाता है तब से लेकर के कंप्यूटर में अलग-अलग कामों को करने के लिए सॉफ्टवेयर बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

कंप्यूटर को पावर ऑन करने के लिए सिस्टम सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। अगर किसी कंप्यूटर का विंडो, एंड्राइड या फिर मैक ओएस खराब हो गया है तो कंप्यूटर स्टार्ट ही नहीं होगा, वही हमें हमारे कंप्यूटर के जरूरी रिसोर्स को सुरक्षा प्रदान करने के लिए यूटिलिटी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने की भी आवश्यकता होती है।

कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर सही प्रकार से काम करने की वजह से ही हम अपने कंप्यूटर में किसी भी प्रकार के गाने को सुन सकते हैं, कोई भी वीडियो देख सकते हैं या फिर अपनी पसंदीदा गेम को ऑनलाइन खेल कर एंजॉयमेंट प्राप्त कर सकते हैं।

कंप्यूटर में अगर सॉफ्टवेयर नहीं होता है तो ऐसी अवस्था में ना तो आप अपने दोस्तों के साथ बातचीत कर सकेंगे, ना ही आप उनके साथ वीडियो कॉलिंग पर कम्युनिकेशन स्थापित कर सकेंगे और ना ही आप अपने कंप्यूटर में किसी भी अन्य सॉफ्टवेयर को डाउनलोड कर सकेंगे।

एक बार जब कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर स्थापित किया जाता है तब समय-समय पर सॉफ्टवेयर डेवलपर कंपनी के द्वारा सॉफ्टवेयर के नए नए वर्जन लॉन्च किए जाते रहते हैं, जिसमें पहले वाले वर्जन से भी अधिक विशेषताएं और सुविधाएं मौजूद होती है। इसलिए आपको हमेशा अपने कंप्यूटर में मौजूद सॉफ्टवेयर को अपडेट करते रहना चाहिए। इसका ऑप्शन ऑटोमेटिक ही कंप्यूटर के द्वारा आपको समय आने पर बताया जाता है।

सॉफ्टवेयर का काम क्या है?

कंप्यूटर को संचालित करने में अर्थात ऑपरेट करने में सॉफ्टवेयर के द्वारा बहुत ही बड़ी और मुख्य भूमिका निभाई जाती है। सॉफ्टवेयर ही वह चीज है जिसके द्वारा कंप्यूटर को काम करने लायक बनाया जाता है।

किसी भी कंप्यूटर डेवलपर कंपनी के द्वारा जब कंप्यूटर का निर्माण कर लिया जाता है तब उसमें तैयार किए गए सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया जाता है क्योंकि सॉफ्टवेयर में ही जरूरी इंस्ट्रक्शन होते हैं जिसके आधार पर कंप्यूटर काम करना शुरू करता है और यूजर को उसकी इच्छा के अनुसार रिजल्ट प्रस्तुत करता है।

सॉफ्टवेयर मुख्य तौर पर डाटा प्रोसेसिंग और कंप्यूटर तथा कंप्यूटर यूजर के बीच इंटरफेस प्रोवाइड करने का काम करता है। सामान्य भाषा में आप यह भी समझ सकते हैं कि कंप्यूटर को काम करने लायक जिस चीज के द्वारा बनाया जाता है, वही सॉफ्टवेयर कहलाता है।

इसलिए तो इंटरनेट पर लगभग हर वेबसाइट और ब्लॉग में इस बात का स्पष्ट तौर पर उल्लेख है कि अगर कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर ना हो तो कंप्यूटर को आप मरा हुआ भी समझ सकते हैं। बिना सॉफ्टवेयर के कंप्यूटर काम करने की क्षमता अपने दम पर नहीं रखता है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में अंतर?

सिस्टम सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में काफी भेद है परंतु लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं होती है। इसके लिए कई बार वह  इन दोनों को लेकर के कंफ्यूजन का सामना करते हैं। हालांकि यहां पर हम आपको इन दोनों के बीच जो भी भेद है, उसे स्पष्ट तौर पर उल्लेखित करके बता रहे हैं, ताकि आप यह जान सके कि आखिर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और सिस्टम सॉफ्टवेयर में अंतर क्या है।

यह जो सिस्टम सॉफ्टवेयर होता है, इसके द्वारा कंप्यूटर के जो मूल काम है उसे अंजाम देने का काम किया जाता है, वही जो एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होते हैं, इनके द्वारा कंप्यूटर के स्पेशल कामों को कंप्लीट करने का काम किया जाता है।

हमारे द्वारा जब कंप्यूटर को चालू किया जाता है तो तब से लेकर के कंप्यूटर को बंद करने तक सिस्टम सॉफ्टवेयर लगातार एक्टिवेट रहता है। परंतु जब तक हमारे द्वारा एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है तभी तक वह एक्टिवेट रहता है। जैसे ही हम एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर से बाहर आते हैं, वैसे ही वह स्टॉप हो जाता है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर के दम पर ही कंप्यूटर काम करने लायक बनता है, वही एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के दम पर कंप्यूटर सिस्टम अलग-अलग तरह के कामों को करने में सक्षम होता है। एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर का निर्माण करने के लिए हाई लेवल लैंग्वेज का इस्तेमाल और सिस्टम सॉफ्टवेयर को तैयार करने के लिए लो लेवल लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम और लोडर इत्यादि सिस्टम सॉफ्टवेयर के अच्छे उदाहरण है, वही ऑफिस, फोटोशॉप और माइक्रोसॉफ्ट इत्यादि एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के प्रबल उदाहरण है।

सॉफ्टवेयर अपडेट और सॉफ्टवेयर अपग्रेड में अंतर?

अगर आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं या फिर कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं तो अक्सर ही आपको हां पर समय-समय पर सॉफ्टवेयर अपडेट और सॉफ्टवेयर अपग्रेड जैसे नाम सुना देते होंगे और कई लोगों तो इन दोनों को ही एक ही समझ लेते हैं जबकि इन दोनों के बीच कुछ अंतर अवश्य है

दरअसल किसी भी सॉफ्टवेयर में जब छोटे पैमाने पर कोई भी चेंज होते हैं तो उसे सॉफ्टवेयर अपडेट का नाम दे दिया जाता है जिसका आकार कभी-कभी केबी मे होता है तो कभी एमबी में होता है और इसे समय-समय पर अपडेट करना आवश्यक होता है। आप जब सॉफ्टवेयर अपडेट करते हैं तो इसकी वजह से विभिन्न प्रकार की समस्याएं, सिक्योरिटी से संबंधित मुद्दे इत्यादि का समाधान निकल जाता है।

जब सॉफ्टवेयर अपग्रेड करने का ऑप्शन आता है तो इसका मतलब यह होता है कि किसी सॉफ्टवेयर में बड़े पैमाने पर कुछ जरूरी बदलाव किया गया है और सॉफ्टवेयर अपग्रेड करने के दरमियान सॉफ्टवेयर का साइज भी काफी अधिक होता है, जो भी कभी-कभी 800mb से लेकर के 1 अथवा 2GB या फिर इससे भी अधिक जीबी तक चला जाता है। सॉफ्टवेयर अपडेट करने से उसके वर्जन में भी काफी हद तक बदलाव हो जाते हैं।

कंप्यूटर के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर जरूरी क्यों हैं?

जिस प्रकार से कंप्यूटर का इस्तेमाल करने के लिए उसमें सॉफ्टवेयर होना आवश्यक है, उसी प्रकार से कंप्यूटर का यूज करने के लिए कंप्यूटर के साथ हार्डवेयर जोड़ना भी अति आवश्यक होता है। एक प्रकार से अगर हम यह कहें कि हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों एक दूसरे के पूरक है तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं होगी। कंप्यूटर के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों ही क्यों आवश्यक होता है, इसे हम आपको एक उदाहरण देकर समझाते हैं।

मान लीजिए कि आपको कंप्यूटर पर अपनी कोई भी एक पसंदीदा फिल्म देखनी है तो ऐसी अवस्था में फिल्म देखने के लिए आपके पास जरूरी हार्डवेयर जैसे कि स्पीकर मॉनिटर हार्ड डिस्क इत्यादि और आवश्यक सॉफ्टवेयर जैसे की वीडियो प्लेयर उपलब्ध होने चाहिए

अब आप खुद इस बात पर विचार करके देखें कि अगर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों आपस में सामंजस्य बिठाकर एक साथ काम नहीं करते हैं तो क्या आप अपनी जो पसंदीदा फिल्म कंप्यूटर पर देखना चाहते हैं वह देख सकेंगे अथवा नहीं! जाहिर सी बात है कि अगर इन दोनों के बीच सामंजस्य नहीं बिठाया जाता है तो आप ना तो कंप्यूटर पर कोई भी अपनी पसंदीदा फिल्म देख सकते हैं ना ही कोई भी गाना सुन सकते हैं।

इसलिए तो कहा गया है कि जितना ज्यादा कंप्यूटर के लिए सॉफ्टवेयर आवश्यक है, उतना ही ज्यादा कंप्यूटर के लिए हार्डवेयर भी आवश्यक है। इसलिए कंप्यूटर को एक कंपलीट कंप्यूटर तभी कहा जाता है, जब उसमें सॉफ्टवेयर-हार्डवेयर दोनों की ही उपलब्धता होती है।

यहां पर एक खास बात और भी गौर करने वाली है कि हमारे द्वारा कंप्यूटर के हार्डवेयर की खरीदारी सिर्फ एक ही बार की जाती है। इसके पश्चात वह सालों साल लगातार काम करता रहता है परंतु सॉफ्टवेयर के मामले में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि मार्केट में दैनिक तौर पर किसी ना किसी सॉफ्टवेयर को लॉन्च किया जाता रहता है।

वही जो सॉफ्टवेयर पहले से ही आपके कंप्यूटर में मौजूद है उसके नए वर्जन को भी सॉफ्टवेयर डेवलपर कंपनी के द्वारा लांच किया जाता रहता है, जिसमें और अधिक सुविधाएं होती है। इसलिए लोगों के द्वारा अपनी आवश्यकता के हिसाब से सॉफ्टवेयर की खरीदारी की जाती है।

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या है?

अगर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के बारे में चर्चा की जाए तो यह एक ऐसी लैंग्वेज अर्थात भाषा होती है, जिसके जरिए कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और कंप्यूटर के एप्लीकेशन का निर्माण एप डेवलपर अथवा सॉफ्टवेयर डेवलपर के द्वारा किया जाता है।

 कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में अलग-अलग प्रकार के फंक्शन और नियम मौजूद होते हैं जिसके द्वारा सॉफ्टवेयर डेवलपर प्रोग्राम लिखने का काम करते हैं और फिर इसी प्रोग्राम को सॉफ्टवेयर के तौर पर कंप्यूटर में इंस्टॉल कर दिया जाता है जिसके पश्चात कंप्यूटर उस प्रोग्राम को समझता है और उसी के हिसाब से काम करता है।

C, C++, JAVA, PHP, My SQL, .NET, COBOL और FOXPRO इत्यादि विभिन्न प्रकार की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के ही नाम है। आपको गूगल प्ले स्टोर पर या एप्पल एप्लीकेशन स्टोर पर जितनी भी प्रकार की एप्लीकेशन दिखाई देती है, उनका निर्माण करने के लिए किसी ना किसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल किया गया होता है।

प्रोग्राम और इंस्ट्रक्शन क्या है?

प्रोग्राम का निर्माण करने के लिए विभिन्न प्रकार के इंस्ट्रक्शन अर्थात दिशानिर्देश का इस्तेमाल किया जाता है और प्रोग्राम का इंस्ट्रक्शन लिखने के लिए प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है।

बात करें अगर इंस्ट्रक्शन की तो किसी भी प्रोग्राम में 4 से 5 लाइन का एक कोड अवेलेबल रहता है जिसके द्वारा सॉफ्टवेयर का छोटा सा काम संपन्न किया जाता है, उसे ही इंस्ट्रक्शन कहा जाता है। इंस्ट्रक्शन में हर लाइन को कमांड कहते हैं।

टॉप सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी

सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी के द्वारा मुख्य तौर पर 4 प्रकार की कैटेगरी से संबंधित सर्विस ऑफर की जाती है, जिसमें प्रोग्रामिंग सर्विस, सिस्टम सर्विस, ओपन सोर्स सर्विस और Saas सर्विस शामिल है।

सॉफ्टवेयर का निर्माण करने वाली कंपनी के द्वारा सॉफ्टवेयर लाइसेंस, मेंटिनेस सर्विस, सब्सक्रिप्शन फीस और सपोर्ट फीस के तौर पर यूजर से पैसे की कमाई की जाती है। साल 2020 के आंकड़े के अनुसार देखा जाए तो रेवेन्यू के हिसाब से दुनिया की बिगेस्ट सॉफ्टवेयर कंपनी के नाम निम्नानुसार है।

 Microsoft

माइक्रोसॉफ्ट एक मल्टीनेशनल कंपनी है जो मुख्य तौर पर कंप्यूटर इंजीनियरिंग की फील्ड में काम करती है। माइक्रोसॉफ्ट ही दुनिया में सबसे बड़ी साफ्टवेयर डेवलपिंग कंपनी मानी जाती है। इसकी स्थापना साल 1975 में 4 अप्रैल के दिन बिल गेट्स और पोल एलन के द्वारा अमेरिका राज्य में की गई थी।

वर्तमान में इसके चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर के पद को भारतीय मूल के सत्या नडेला संभाल रहे हैं। माइक्रोसॉफ़्ट विण्डोज़, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, स्काइप, microsoft azure, माइक्रोसॉफ्ट विजुअल स्टूडियो, एक्सबॉक्स, बिंग, हार्डवेयर, एक्सबॉक्स इत्यादि माइक्रोसॉफ्ट के प्रोडक्ट है।

Oracle

इस कंपनी का पूरा नाम औरकेल कॉरपोरेशन है जिसका हेड क्वार्टर अमेरिका देश के कैलिफोर्निया शहर में मौजूद है। यह अमेरिका की एक मल्टीनेशनल कंप्यूटर इंजीनियरिंग से संबंधित काम करने वाली कंपनी है। इसके द्वारा अपने खुद के कंप्यूटर हार्डवेयर और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर को बनाया जाता है।

कमाई के मामले में माइक्रोसॉफ्ट के पश्चात दुनिया भर में सबसे अधिक कमाई सॉफ्टवेयर बेचने के पश्चात औरकल कॉरपोरेशन की ही होती है। Oracle Appl।cat।ons, Oracle Database, Oracle Enterpr।se Manager, Oracle Fus।on M।ddleware, servers, workstat।ons, storage इत्यादि ओरकल के प्रोडक्ट है।

SAP

1972 में Weinheim के द्वारा जर्मनी देश में इस सॉफ्टवेयर कंपनी की स्थापना की गई थी और वर्तमान में यह कंपनी एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर, बिजनेस सॉफ्टवेयर, क्लाउड कंप्यूटिंग और कंसलटिंग जैसी इंडस्ट्री में काम कर रही है।

इस कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के पद को Christian Klein के द्वारा संभाला जा रहा है। साल 2021 के आंकड़े के अनुसार इस कंपनी में 107245 लोग काम कर रहे हैं। इस कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट Sap.com है।

Salesforce

यह एक अमेरिकन क्लाउड पर आधारित सॉफ्टवेयर का निर्माण करने वाली कंपनी है जिसका हेड क्वार्टर अमेरिका देश के कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को में मौजूद है।

इस कंपनी के द्वारा कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट और सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन फोकस ऑन सेल्स, कस्टमर सर्विस मार्केटिंग ऑटोमेशन, एनालिटिक और एप्लीकेशन डेवलपमेंट की सुविधा दी जाती है। यह एक सार्वजनिक कंपनी है जिसकी स्थापना 1999 में 3 फरवरी को हुई थी। इसकी आधिकारिक वेबसाइट Salesforce.com है।

Adobe

इस कंपनी का पूरा नाम एडोब सिस्टम इनकॉरपोरेटेड है। यह कंपनी अमेरिका की मल्टीनेशनल कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कंपनी है, जिसका हेड क्वार्टर अमेरिका देश के कैलिफोर्निया में मौजूद है। फोटोशॉप, प्रीमियर प्रो इसके कुछ जाने माने प्रोडक्ट हैं।

इस कंपनी के द्वारा मुख्य तौर पर ग्राफिक, फोटोग्राफी, इलस्ट्रेशन, एनिमेशन, मल्टीमीडिया से संबंधित सॉफ्टवेयर तैयार किए जाते हैं। 1982 में दिसंबर के महीने में इस कंपनी की स्थापना की गई थी। वर्तमान में कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के पद पर शांतनु नारायण विराजमान है, जो कि भारतीय मूल के ही है।

सॉफ्टवेयर कैसे प्राप्त करें?

सॉफ्टवेयर की खरीदारी आप किसी भी कंप्यूटर स्टोर या फिर ऑनलाइन वेबसाइट से कर सकते हैं। सॉफ्टवेयर खरीदने के पश्चात यह आपको एक बॉक्स में मिलता है जिसमें सभी डिस्क जैसे कि फ्लॉपी डिस्क, सीडी, डीवीडी या फिर ब्लूरे मौजूद होता है। इसके अलावा मैन्युअल और वारंटी कार्ड, दस्तावेज भी सॉफ्टवेयर वाले बॉक्स में मौजूद होते हैं।

इसके अलावा आप चाहे तो इंटरनेट की सहायता से अपने कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर को विभिन्न वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। एक बार सॉफ्टवेयर डाउनलोड हो जाने के बाद आपको सॉफ्टवेयर को ओपन करके रन बटन पर क्लिक करना होता है। ऐसा करने से सॉफ्टवेयर कुछ ही देर में आपके कंप्यूटर में इंस्टॉल हो जाता है।

सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम में अंतर?

सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के बीच एक निश्चित अंतर अवश्य उपलब्ध है। हालांकि दोनों के द्वारा ही कंप्यूटर को एक विशेष काम को करने की कैपेसिटी प्रदान की जाती है। सॉफ्टवेयर देखा जाए तो वास्तव में प्रोग्राम के विपरीत होते हैं।

किसी काम को पूरा करने के लिए हमारे द्वारा प्रोग्राम बनाया जाता है और उस काम को करने के लिए सॉफ्टवेयर को प्रोग्राम की आवश्यकता होती है। इस प्रकार से देखा जाए तो प्रोग्राम इंस्ट्रक्शन का ग्रुप होता है जो एक स्पेशल भाषा में लिखा गया होता है, वहीं दूसरी तरफ सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का ग्रुप होता है, जो कंप्यूटर को किसी स्पेशल काम को करने की कैपेसिटी प्रदान करता है।

तो दोस्तों आशा करते हैं की अब आपको सॉफ्टवेर और उससे जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी मिल चुकी होगी, और आप जान गये होगे की सॉफ्टवेयर क्या है और इसके प्रकार (What is Software in Hindi)

FAQ:

5 सॉफ्टवेयर के नाम क्या है?

फ़ोटोशॉप, पेजमेकर, पावर पाइंट, एम एस वर्ड, एस एस एक्‍सेल.

सॉफ्टवेयर के उदाहरण क्या है?

MS Word, MS Excel, फोटोशॉप.

सॉफ्टवेयर के प्रकार क्या है?

सिस्टम सॉफ्टवेयर, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर, यूटिलिटी सॉफ्टवेयर

सॉफ्टवेयर क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं?

यह इंस्ट्रक्शन का ग्रुप होता है और मुख्य तौर पर यह तीन प्रकार के होते हैं।

सिस्टम सॉफ्टवेयर क्या है?

इसके द्वारा कंप्यूटर के हार्डवेयर को मैनेज किया जाता है।

आज के हमारे इस आर्टिकल में हमने आपको सॉफ्टवेयर क्या है? सॉफ्टवेयर डेवलपर क्या है? सॉफ्टवेयर के प्रकार के बारे में बताया है, यदि आपने हमारा यह आर्टिकल अच्छी तरह से पढ़ लिया है तो अब आपको सॉफ्टवेयर के बारे में पूरा ज्ञान प्राप्त हो चुका है, हमें उम्मीद है कि आप हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा।

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