आपने नोटिस किया होगा कि आपका अच्छा खासा चलता हुआ कंप्यूटर धीरे धीरे धीमे काम करने लगता है या फिर उसके अंदर मौजूद फाइल काफी लेट से ओपन होती है। दरअसल अगर ऐसा होने लगा है तो इसके कई कारण होते हैं जिसमें से प्रमुख कारण होता है आपके कंप्यूटर में वायरस का प्रवेश कर जाना। आजके इस पोस्ट में हम जानिंगे की आख़िर यह कंप्यूटर वायरस क्या होता है? इसके प्रकार और इससे कैसे बचें? (Computer Virus in Hindi)
क्योंकि कंप्यूटर में वायरस आने के बाद वायरस कंप्यूटर को कंट्रोल करने का काम करते हैं और उल्टी-सीधी हरकतें आपके कंप्यूटर में करते हैं। इसलिए समय रहते हुए वायरस की पहचान करना आवश्यक है और उन्हें बाहर निकालना जरूरी है।
आज हम इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे कि “कंप्यूटर वायरस क्या है” और “कंप्यूटर वायरस का इतिहास क्या है।”
कंप्यूटर वायरस क्या है?
वायरस हमेशा से ही किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए हानिकारक माने जाते हैं। किसी भी कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाने के लिए वायरस का निर्माण किया जाता है। यह एक प्रकार का स्पेशल सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है।
वायरस का निर्माण करने के बाद उसे अगर किसी कंप्यूटर में इंस्टॉल कराने में सफलता प्राप्त कर ली जाती है तो उस कंप्यूटर को एक प्रकार से हैक कर लिया जाता है और कंप्यूटर मे मौजूद सभी फाइल को एक्सेस किया जा सकता है।
आपके कंप्यूटर में अगर वायरस मौजूद है तो बिना आपकी परमिशन के वायरस आपके कंप्यूटर के सिस्टम को इफेक्ट करता है और महत्वपूर्ण डाटा को भी डिलीट करने की कैपेसिटी रखता है। आपने कई जगह पर मालवेयर या फिर एडवेयर का नाम भी सुना होगा, यह वायरस के ही अन्य नाम होते हैं।
वायरस फैलाने के कई तरीके होते हैं। वायरस एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में भी जा सकता है या फिर पेनड्राइव से आपके कंप्यूटर में आ सकता है या फिर आपके कंप्यूटर में मौजूद किसी फाइल को अगर दूसरे कंप्यूटर में भेजा गया है और उस फाइल में वायरस है तो वह फाइल जहां-जहां जाएगी उन सभी डिवाइस में वायरस आने की संभावना होती है।
वायरस की रोकथाम के लिए एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। यह वायरस को आईडेंटिफाई करने का काम करते हैं और इसकी सूचना कंप्यूटर मालिक को देते हैं, ताकि वह समय रहते उचित कदम उठा सके। किसी प्रोग्रामर के द्वारा कोडिंग का इस्तेमाल करके वायरस का निर्माण किया जाता है।
कंप्यूटर वायरस का परिचय
अगर आपने बायलॉजी पढी होगी, तो आपने वायरस का नाम अवश्य ही सुना होगा। बायोलॉजी की भाषा में वायरस एक ऐसा विषाणु होता है, जो इंसानों में या फिर जानवरों के अंदर बीमारियां फैलाने का काम करता है।
जब इंसानों के अंदर या फिर जानवरों के अंदर कोई विषाणु आ जाता है तो यह बॉडी में अनेक प्रकार की खराबी पैदा करने का काम करता है।
ठीक इसी प्रकार से कंप्यूटर में भी वायरस पाया जाता है, जो कंप्यूटर के अंदर पहुंचने के पश्चात कंप्यूटर को खराब करने का काम करता है, जिसकी वजह से कंप्यूटर बेहतरीन ढंग से अपनी परफॉर्मेंस नहीं दे पाता है और काफी ज्यादा हैंग करने लगता है।
आपको हम यह भी बता देना चाहते हैं कि कंप्यूटर वायरस को हम देख नहीं सकते हैं, क्योंकि इसका कोई फिजिकल अस्तित्व नहीं होता है। हालांकि इसके बावजूद इसकी मौजूदगी अवश्य होती है।
वायरस सॉफ्टवेयर के तौर पर अवेलेबल होते हैं। इनका निर्माण करने के लिए कोडिंग या फिर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। यह किसी भी फाइल, गेम या फिर सॉफ्टवेयर में उपलब्ध हो सकते हैं।
किसी भी प्रकार से जब यह आपके डिवाइस में आते हैं तो उसके पश्चात यह आपके डिवाइस को नुकसान पहुंचाने का ही काम करते हैं। कंप्यूटर वायरस का डेवलपमेंट प्रोग्रामर के द्वारा आपके कंप्यूटर को हैक करने के लिए किया जाता है, ताकि वह आपके कंप्यूटर में जो डाटा है उन्हें देख सके या फिर उन्हें डिलीट कर सके अथवा उन्हें प्राप्त कर सके और अपने हिसाब से डाटा का इस्तेमाल कर सकें।
वायरस का फुल फॉर्म
VIRUS: Vital Information Resource Under Siege
वायरस का फुल फॉर्म क्या होता है, इसकी जानकारी आपने ऊपर प्राप्त की। आप यह जानते हैं कि कंप्यूटर को हिंदी में संगणक कहा जाता है और वायरस को हिंदी में विषाणु कहा जाता है। इस प्रकार से कंप्यूटर वायरस को हिंदी भाषा में संगणक विषाणु के नाम से जानते हैं।
कंप्यूटर वायरस का इतिहास (History of Computer Virus in Hindi)
क्रीपर नाम का वायरस पहली बार साल 1970 में ARPANET में प्राप्त हुआ था। इसका निर्माण करने वाले व्यक्ति का नाम बहुत थॉमस था, जो कि पेशे से इंजीनियर थे। जब इस वायरस को पकड़ा गया तब बॉब थॉमस बीवी टेक्नोलॉजी में वर्क करते थे।
बोब थामस के द्वारा इस वायरस का निर्माण ARPANET के मुख्य फ्रेम को इकट्ठा करने के लिए किया गया था। इस वायरस के द्वारा जब कंप्यूटर को अपने कंट्रोल में ले लिया जाता था तो कंप्यूटर की स्क्रीन पर एक मैसेज आता था जो कि “I’m The Creeper: Catch Me If You Can.” होता था।
साल 1982 में रिचार्ज के द्वारा डिवेलप किया गया वायरस Elk Cloner दुनिया का पहला वाइल्ड कंप्यूटर वायरस था। सबसे पहले इस वायरस की वजह से एप्पल 2 ऑपरेटिंग सिस्टम प्रभावित हुआ।
यह वायरस फ्लॉपी डिस्क में स्टोर किया गया था। किसी भी कंप्यूटर पर जगह बनाने के बाद इस वायरस के द्वारा कंप्यूटर की स्क्रीन पर ” Elk Cloner: The Program With A Personality” मैसेज दिखाया जाता था।
कंप्यूटर वायरस के प्रकार (Types of Computer Virus in Hindi)
जब बात वायरस की हो रही है, तो कंप्यूटर वायरस के अलग-अलग प्रकार की भी बात हमें अवश्य ही करनी चाहिए, क्योंकि वायरस एक ही प्रकार के नहीं है बल्कि कई प्रकार के होते हैं। आइए जानते हैं कंप्यूटर वायरस के कुछ प्रमुख प्रकार क्या है।
नेटवर्क वायरस
नेटवर्क को धीमा करने के लिए अर्थात नेटवर्क को स्लो करने के लिए इस प्रकार के वायरस का निर्माण किया जाता है, जिसे फैलाने के लिए इंटरनेट और एलएन का इस्तेमाल किया जाता है।
जब यह वायरस किसी नेटवर्क में प्रवेश कर जाता है तो इसकी वजह से उस नेटवर्क की जो परफॉर्मेंस होती है, वह बहुत ही जल्दी खराब होने लगती है। बता दें कि एक बार नेटवर्क में इस प्रकार का वायरस जब फैल जाता है, तो फिर से नेटवर्क कनेक्शन को ठीक करना काफी मुश्किल भरा काम होता है।
ब्राउज़र हाई जेकर
हम सभी कंप्यूटर में सर्च इंजन पर किसी भी जानकारी को ढूंढने के लिए किसी ना किसी ब्राउज़र का इस्तेमाल करते ही हैं। अक्सर ब्राउज़र में हम जब किसी वेबसाइट पर क्लिक करते हैं तो हम उस वेबसाइट पर ना पहुंच कर दूसरी वेबसाइट पर चले जाते हैं।
अगर ऐसा सामान्य तौर पर होता है तो कोई बात नहीं होती परंतु अगर बार-बार ऐसा हो रहा है तो इसका मतलब यह है कि आपके वेब ब्राउज़र में ब्राउज़र हाईजैकर वायरस एंटर कर चुका है।
इस प्रकार के वायरस ब्राउज़र में आने के पश्चात ब्राउज़र की सेटिंग को बिना यूजर की परमिशन के ही चेंज करते रहते हैं, जिसकी वजह से जब आप वेब ब्राउज़र को ओपन करते हैं और सर्च बॉक्स पर क्लिक करके किसी भी वेबसाइट का नाम लिखते हैं और सर्च करते हैं तो आप उस वेबसाइट की जगह पर दूसरी वेबसाइट पर चले जाते हैं और आपको यह पता ही नहीं चलता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
इस प्रकार के वायरस कंप्यूटर में आने के पश्चात पहले की तुलना में आपको काफी अधिक एडवर्टाइजमेंट अपने कंप्यूटर पर दिखाई देने लगती है, जो काफी इरिटेटिंग होती है।
वेब स्क्रिप्टिंग वायरस
कंप्यूटर के जो प्रसिद्ध वायरस होते हैं, उसमें वेब स्क्रिप्टिंग वायरस की गिनती होती है। वर्तमान के समय में इस प्रकार के वायरस किसी भी एडवर्टाइजमेंट, लिंक, ऑडियो, वीडियो, फोटो इत्यादि में मौजूद होते हैं। अक्सर हमें व्हाट्सएप पर जो फर्जी लिंक प्राप्त होते हैं उसमें भी इसी प्रकार के वायरस कहीं ना कहीं मौजूद होते हैं।
जब हम ऐसे किसी भी लिंक पर क्लिक करते हैं तो यह वायरस अपने आप ही हमारे कंप्यूटर में डाउनलोड होना शुरू हो जाता है और डाउनलोड होकर कहीं ना कहीं गायब हो जाते है, जिसकी वजह से कंप्यूटर में वायरस प्रवेश कर जाते हैं और फिर वायरस के द्वारा कंप्यूटर की परफॉर्मेंस को खराब करने का काम शुरू कर दिया जाता है।
ओवरराईट वायरस
जब यह वायरस कंप्यूटर में आता है, तो कंप्यूटर में जो फाइल पहले से सुरक्षित होती हैं, उन्हें इस प्रकार के वायरस के द्वारा ओवरराइट कर दिया जाता है। ओवरराइट का मतलब यह होता है कि यह वायरस कंप्यूटर के अंदर मौजूद फाइल के डाटा को डिलीट कर देता है और फिर अपना कोड उसमें इनबिल्ट कर देता है।
जब ऐसा हो जाता है तो इसकी वजह से यूजर को फाइल को पहचानने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और इस प्रकार की फाइल भी इसके बाद किसी काम की नहीं होती है। इस प्रकार के वायरस से प्रभावित फाइल को अंत में हमें डिलीट ही करना पड़ता है।
बूट सेक्टर वायरस
बूट सेक्टर वायरस या तो फ्लॉपी डिस्क के बूट सेक्टर में उपलब्ध होते हैं या फिर हार्ड डिस्क के बूट सेक्टर में मौजूद होते हैं। इस प्रकार से देखा जाए तो जब इस वायरस की मौजूदगी वाले डिस्क को कंप्यूटर में बूट किया जाता है, तो यह वायरस कंप्यूटर में ट्रांसफर हो जाते हैं। कंप्यूटर में इस प्रकार का वायरस जब आ जाता है तो कंप्यूटर को शुरू करने पर भी कंप्यूटर जल्दी चालू नहीं होता है।
बल्कि सामान्य तौर पर कंप्यूटर चालू होने में जो समय लेता था, उससे अधिक समय कंप्यूटर लेने लगता है, क्योंकि इस प्रकार के वायरस के द्वारा डायरेक्ट कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम पर अटैक किया जाता है। यही वजह है कि जब कंप्यूटर चालू किया जाता है, तो ऑपरेटिंग सिस्टम लोड होने में काफी समय लेता है, जिससे कंप्यूटर भी देरी से चालू होता है।
कंप्यूटर में वायरस कैसे आता है?
किसी कंप्यूटर में वायरस का प्रवेश करवाने के लिए वायरस बनाने वाले लोगों के द्वारा अलग-अलग प्रकार के तरीके अपनाए जाते हैं। जैसे कि अक्सर आपको इंटरनेट पर ऐसे कई लिंक प्राप्त हो जाते है, जिसमें लुभावनी चीजें होती है। जैसे की लॉटरी पाने के लिए किसी लिंक पर क्लिक करने के लिए प्रेरित करना या फिर बाइक फ्री में पाने के लिए किसी लिंक पर क्लिक करना है।
ऐसे में जब आप ऐसे किसी लिंक पर क्लिक करते हैं तो आप किसी वेबसाइट पर चले जाते हैं, वहां पर जाने के बाद आपको साइन अप करने के लिए कहा जाता है। जैसे ही आप अपनी पर्सनल जानकारियों को भरकर साइनअप करते हैं वैसे ही चोरी छुपे वायरस आपके डिवाइस में इंटर कर जाता है और उसके बाद आपके डिवाइस के सिस्टम को बिगड़ने का काम वायरस के द्वारा करना शुरू कर दिया जाता है।
इसके अलावा इंटरनेट पर फर्जी वेबसाइट भी काफी बड़े पैमाने पर है। अगर आप किसी फर्जी वेबसाइट से कोई फाइल डाउनलोड करते हैं, तो उसी फाइल में पहले से ही मौजूद वायरस डाउनलोड हो करके आपके कंप्यूटर में आ जाता है। इसके अलावा ऐसे कई प्रोग्रामर है जो वायरस अटैच करके आपको ईमेल पर सेंड करते हैं।
जैसे ही आप प्राप्त हुए ईमेल के लिंक पर क्लिक करते हैं वैसे ही वायरस कंप्यूटर में आ जाता है। किसी पेनड्राइव के माध्यम से भी वायरस कंप्यूटर में प्रवेश कर जाता है या फिर सीडी अथवा डीवीडी में भी जो वायरस होते हैं वह आपके कंप्यूटर में तब आते हैं, जब आप ऐसी सीडी या डीवीडी को अपने कंप्यूटर में चलाते हैं।
कंप्यूटर में वायरस होने के लक्षण
वायरस जब किसी कंप्यूटर में मौजूद होता है तो इसकी वजह से कंप्यूटर में अनेक प्रकार की प्रॉब्लम पैदा होना चालू हो जाती है, जो आपके समझ में बिल्कुल भी नहीं आती है। कंप्यूटर के अंदर वायरस मौजूद है, इसे पहचानने के कुछ लक्षण अवश्य होते हैं, जिसके द्वारा आप वायरस को आईडेंटिफाई कर सकते हैं और उसे कंप्यूटर से निकालने का प्रयास कर सकते हैं, ताकि आपका कंप्यूटर बेहतरीन ढंग से काम करें।
- अगर आपके कंप्यूटर में ऑटोमेटिक ही कुछ प्रक्रिया हो रही है। जैसे कि किसी व्यक्ति को ईमेल चला गया है या फिर कोई एप्लीकेशन ऑटोमेटिक ही आपके कंप्यूटर में इंस्टॉल हो गई है तो यह भी वायरस के लक्षण माने जाते हैं।
- कंप्यूटर पर पहले की तुलना में बड़े पैमाने पर एडवर्टाइजमेंट आना या फिर कंप्यूटर की स्क्रीन पर बार-बार किसी पॉपअप का आना भी वायरस का लक्षण होता है।
- अगर आपका कंप्यूटर सिस्टम अचानक से क्रैश हो जा रहा है या फिर आपने जो सॉफ्टवेयर ओपन किया है वह ऑटोमेटिक ही बंद हो जा रहा है तो यह भी वायरस के लक्षण माने जाते हैं।
- कंप्यूटर में वायरस होने का पहला लक्षण तो यह है कि वायरस की मौजूदगी की वजह से पहले आपका कंप्यूटर जितना तेज चलता था, उतना तेज नहीं चलता है। आपके कंप्यूटर की परफॉर्मेंस काफी धीमी हो जाती है। जैसे कि पहले जो प्रोग्राम चालू होने में सिर्फ 5 सेकंड का समय लेता था, वही प्रोग्राम अब जब आप अपने कंप्यूटर में चालू करते हैं तो इससे भी अधिक समय लेता है।
- पहले की तुलना में वर्तमान के समय में अगर आपका कंप्यूटर काफी देरी से स्टार्ट हो रहा है तो यह भी वायरस होने का लक्षण है, क्योंकि कुछ वायरस ऐसे हैं जो कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम पर अटैक करते हैं जिसकी वजह से ऑपरेटिंग सिस्टम लोड होने में समय लेता है।
- बार-बार आपको कंप्यूटर के डिस्प्ले पर एरर का मैसेज दिखाई दे रहा है तो यह भी वायरस का लक्षण हो सकता है।
- आपके द्वारा कंप्यूटर में जो फाइल सुरक्षित की गई है अगर वह फाइल ढूंढने पर भी आपको नहीं मिल रही है तो इसका मतलब यह है कि कंप्यूटर में वायरस है, क्योंकि कुछ ऐसे वायरस होते हैं जो कंप्यूटर की फाइल को ऑटोमेटिक ही डिलीट कर देते हैं, जिसका पता कंप्यूटर यूजर को जल्दी नहीं लग पाता है।
दुनिया के कुछ खतरनाक कंप्यूटर वायरस
नीचे हमने आपको दुनिया के कुछ बहुत खतरनाक कंप्यूटर वायरस की लिस्ट दी हुई है।
- Morris Worm
- Mydoom
- Stuxnet
- CryptoLocker
- Tinba
- SQL Slammer
- Storm Worm
- Brain
कंप्यूटर को वायरस से कैसे बचाएं?
हम आपको कुछ ऐसी बातों के बारे में बता रहे हैं जिसके द्वारा आप अपने कंप्यूटर को वायरस से बचा सकते हैं या फिर कंप्यूटर को वायरस से सुरक्षित रख सकते हैं। आइए जानते हैं कंप्यूटर को वायरस से बचाने का तरीका क्या है
- आज के समय में कंप्यूटर को वायरस से सुरक्षित रखने के लिए कई बेस्ट एंटीवायरस सॉफ्टवेयर इंटरनेट पर उपलब्ध हो गए हैं। आप इंटरनेट पर से किसी भरोसेमंद वेबसाइट से ऐसे एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को डाउनलोड कर सकते हैं और उसके द्वारा अपने कंप्यूटर के सिस्टम को प्रोटेक्शन दे सकते हैं। आप चाहे तो ऑनलाइन अच्छी सर्विस देने वाले एंटीवायरस की खरीदारी भी कर सकते हैं।
- किसी भी ऐसी एडवर्टाइजमेंट/लिंक पर क्लिक करने से आपको बचना चाहिए जिसमें लुभावने वादे किए गए हो। जैसे की लॉटरी जीतने के वादे या फिर बाइक जीतने के वादे।
- किसी भी प्रकार के एक्सटर्नल डिवाइस को कंप्यूटर के साथ अटैच करने से पहले इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि आपके कंप्यूटर में एक अच्छा काम करने वाला एंटीवायरस अवेलेबल हो क्योंकि एंटीवायरस के द्वारा किसी भी प्रकार के वायरस की मौजूदगी को बता दिया जाता है।
- आपको एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में फाइल ट्रांसफर करने के दरमियान सावधानी बरतनी चाहिए।
- आपके द्वारा अगर इंटरनेट से किसी सॉफ्टवेयर को डाउनलोड किया जा रहा है, तो हमेशा यही प्रयास करें कि ऐसी ही वेबसाइट से या फिर प्लेटफार्म से आप सॉफ्टवेयर को अपने मोबाइल में या फिर लैपटॉप अथवा कंप्यूटर में डाउनलोड करें जो भरोसेमंद वेबसाइट मानी जाती हो। फर्जी वेबसाइट से सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने पर वायरस आने की संभावना बढ़ जाती है।
- आपके कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम को आपको समय-समय पर अपडेट करते रहना चाहिए। ऐसा करने से आपका कंप्यूटर तेजी से काम करता है और आसानी से वायरस नहीं आ पाते हैं।
कंप्यूटर से वायरस कैसे हटायें?
अगर आपके कंप्यूटर में वायरस आ गया है और इसकी वजह से आपका कंप्यूटर सही प्रकार से काम नहीं कर रहा है तो आपको सबसे पहले कंप्यूटर को नेटवर्क से हटा देना है। अगर पहले से ही आपके कंप्यूटर में एंटीवायरस मौजूद है तो आपको एंटीवायरस ओपन करना है और पूरे कंप्यूटर की स्कैनिंग की प्रक्रिया को चालू करना है। इसके बाद जो वायरस एंटीवायरस के द्वारा फाउंड किए जाते हैं आपको उन वायरस को कंप्यूटर से निकालने की प्रक्रिया को शुरू करना है।
अगर आप खुद ही यह सब नहीं कर सकते हैं तो आप किसी प्रोफेशनल कंप्यूटर इंजीनियर की सहायता ले सकते हैं। थोड़े से पैसे दे करके आप अपने कंप्यूटर को वायरस फ्री कर सकते हैं। इसके अलावा नीचे हम आपको कुछ बेस्ट कंप्यूटर एंटीवायरस के नाम भी बता रहे हैं, जिन्हें इस्तेमाल करना आपके लिए अपने कंप्यूटर को वायरस से बचाने में सहायक साबित हो सकता है
- Quick Heal Total Security
- McAfee Antivirus Plus.
- Bitdefender Antivirus Plus.
- Norton 360 With LifeLock.
- Trend Micro Antivirus+ Security.
- Webroot Secure Anywhere.
Computer Virus और Worm के बीच अंतर?
Computer Virus और Worm के बीच अंतर निम्नानुसार है।
Computer Virus
कंप्यूटर वायरस कंप्यूटर के लिए नुकसानदायक कोड होता है जो नेटवर्क की सहायता से अलग-अलग कंप्यूटर में अपना फैलाव करने में सफल होता है। कंप्यूटर वायरस कंप्यूटर में जाने के बाद कंप्यूटर के अंदर मौजूद इंफॉर्मेशन को मॉडिफाई करने का काम करता है।
यह जो कंप्यूटर वायरस होते हैं, इसे एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में एंट्री पाने के लिए होस्ट की जरूरत नहीं होती है। कंप्यूटर वायरस कंप्यूटर में जाने के बाद कंप्यूटर को काफी नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं। इनकी स्पीड Worm के मुकाबले में कम होती है।
Worm Virus
इसके द्वारा अपनी खुद की कॉपी को जनरेट कर लिया जाता है। यह एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में जाने के लिए नेटवर्क की सहायता प्राप्त करता है। कंप्यूटर में जाने के बाद इसके द्वारा कंप्यूटर के जो स्त्रोत होते हैं उसका भी फर्जी ही इस्तेमाल किया जाता है।
एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में एंट्री पाने के लिए इसे होस्ट की आवश्यकता होती है। कंप्यूटर वायरस के मुकाबले में यह थोड़ा सा कम हानिकारक कंप्यूटर के लिए होता है। यह काफी तेजी के साथ फैलता है।
कंप्यूटर एंटीवायरस कैसे खरीदें?
अपने कंप्यूटर को वायरस से सुरक्षित रखने के लिए आपको एक बेहतरीन एंटीवायरस की खरीदारी करने की आवश्यकता होती है। अच्छा एंटीवायरस खरीदने के लिए आप नजदीकी कंप्यूटर की दुकान पर जा सकते हैं, वहां पर आपको अलग-अलग कंपनी के द्वारा बनाए गए एंटीवायरस की किट मिल जाती है, जिसकी कीमत अलग-अलग होती है।
इसके अलावा आप घर बैठे ही अपने कंप्यूटर के लिए ऑनलाइन भरोसेमंद वेबसाइट से एंटीवायरस को खरीद सकते हैं और ऑनलाइन ही एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को अपने कंप्यूटर में निश्चित प्रोसेस को फॉलो करते हुए इंस्टॉल कर सकते हैं।
ऐसा करने से आपका कंप्यूटर वायरस से सुरक्षित हो जाता है, साथ ही पहले से ही अगर कंप्यूटर के अंदर कोई वायरस मौजूद है तो उसकी सूचना भी आपको एंटीवायरस उपलब्ध होने की वजह से प्राप्त हो जाती है।
वायरस के लिए एंटीवायरस जरूरी क्यों है?
जब आपको बुखार होता है तब बुखार के जीवाणुओं को रोकने के लिए और बुखार से राहत पाने के लिए आप पेरासिटामोल या फिर क्रोसिन की टेबलेट लेते हैं, क्योंकि आपको पता है कि पेरासिटामोल या फिर क्रोसिन की टेबलेट खाने से आपका बुखार सिर्फ 5 मिनट के अंदर ही उतर जाएगा, क्योंकि इस टेबलेट के अंदर जो तत्व होते हैं वह बुखार पैदा करने वाले चीजों पर इफेक्ट डालते हैं।
ठीक इसी प्रकार से वायरस का खात्मा करने के लिए एंटीवायरस की आवश्यकता कंप्यूटर या फिर दूसरे डिवाइस के लिए होती है, क्योंकि एंटीवायरस, वायरस को पहली बात तो कंप्यूटर में आने से रोकते हैं और अगर कंप्यूटर में पहले से ही कोई वायरस है तो उसकी क्लीनिंग भी करते हैं और उसकी जानकारी कंप्यूटर मालिक को प्रदान करते हैं।
Article Sources: (Wikipedia, Malwarebytes, Techtarget)
FAQ:
कंप्यूटर वायरस का क्या मतलब होता है और कंप्यूटर वायरस के प्रकार कितने हैं, इसकी जानकारी आर्टिकल में प्रस्तुत है।
वायरस कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाने वाला सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है।
कंप्यूटर वायरस फर्जी ईमेल, पेनड्राइव, सीडी, डीवीडी और अन्य कई तरीकों से फैलता है।
आज हमने आपको हमारे ब्लॉग के माध्यम से कंप्यूटर वायरस क्या है? के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी।
यह भी पढ़े:
उम्मीद है अब आपको कंप्यूटर वायरस से related पूरी जानकारी मिल चुकी होगी, ओर अब आप जान गये होगे की कंप्यूटर वायरस क्या है? प्रकार और कैसे बचें? (Computer Virus in Hindi)
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great post sir.
thanks & keep visit.